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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#7
चक्रव्यहू (4th Part)


         "मैम, मुझे पहचाना ?" एक अजनबी नवयुवती ने निहारिका के ठीक सामने अपनी स्कूटी रोककर उससे सवाल किया तो उसके चेहरे पर कुछ इस तरह के भाव उभरे, जैसे वह अपनी मस्तिष्क पर जोर डालकर कुछ रिमाइंड करने की कोशिश कर रही हो।

        "नहीं, मुझे नहीं लगता हैं कि हम लोग कहीं मिले थे।" कुछ देर के तक दिमाग पर जोर डालने के बाद निहारिका ने जवाब दिया।

         "अरे मैम, ये क्या बात कर रही हैं आप ? आपने जिसे पूरे एक साल तक पढ़ाया, उसे देखकर आप कह रही कि हम लोग कहीं मिले हीं नहीं। चलिए, मैं आपको कुछ क्लूज दे देती हूँ। 'लिटिल फ्लॉवर्स स्कूल', 'थर्ड क्लास', 'वन लिटिल गर्ल लेफ्ट द स्कूल एंड शिफ्टिंग हर फ्रेंड्'स .....।"

          "कहीं तुम निक्की तो नहीं हो ?"

          "यू आर एब्सॅल्यूटली राइट नाऊ, मैं निक्की हीं हूँ"

         "अरे, तुम कितनी बदल गई हो यार ? तुम्हारी हाइट भी काफी बड़ गई और खूबसूरती भी।"

         "मैम, लेकिन आप बिलकुल भी नहीं बदली। बिलकुल वैसी हीं लगती हैं, जैसे साढ़े-बारह साल पहले लगती थीं।"

         "सब लोग यही कहते हैं, बट ये सही नहीं हैं बिकाॅज इन साढ़े-बारह सालों में मेरा वेट एबाउट टू केजी बढ़ गया हैं।"

          "अरे मैम, इन साढ़े-बारह सालों में आपका वेट तो सिर्फ़ टू केजी बढ़ा हैं जबकि मेरा वेट तो ट्वेंटी फोर केजी से बढ़कर फिफ्टी थ्री केजी हो चुका हैं। इट मींस, मेरा वेट ट्वेंटी नाइन केजी बढ़ चुका हैं।"

          "बेटा, तुम खुद के वेट बढ़ने को मेरे साथ कम्पेयर क्यूँ कर रही हो ? तुम्हारा वेट तुम्हारी नेचुरल बाॅडी ग्रोथ की वजह से बढ़ा हैं और मेरा फेट बढ़ने की वजह से बढ़ा हैं।"

           "आई एग्री विद यू।"

           "इस काॅलोनी में तुम्हारे रिलेटिव्ज या फ्रेंड्स वगैरह रहते हैं ?"

           "नो मैम, मैं खुद हीं अपनी फेमिली के साथ इस काॅलोनी में रहने आयी हूँ। यहाँ से आठ-दस घर के बाद जो लेमन ग्रीन कलर की बड़ी बिल्डिंग हैं, उसी में हम लोगों ने एक फ्लैट लिया हैं।

           "आप लोग शायद कुछ हीं दिन पहले हीं यहाँ शिफ्ट हुए हैं ?"

           "हाँ, हम लोगों को यहाँ सिर्फ वन वीक पहले हीं शिफ्ट हुए हैं, बट आप यहाँ कबसे रह रही हैं ?"

           "करीब दस साल से।"

           "यानी, मेरे उस शहर को छोड़ने के करीब ढहाई साल बाद हीं आपने भी वो शहर छोड़ दिया ?"

           "छोड़ दिया नहीं, छोड़ना पड़ा।"

           "क्यूँ ?"

           "साॅरी, मैं इसकी वजह तुम्हें नहीं बता सकती।"

           "बट व्हाय ?"

          "इसकी भी वजह नहीं बता सकती। अब इस 'क्यूँ-व्हाय' का पीछा छोड़ों और आओ मेरे साथ। हम लोग मेरे घर बैठकर चाय-काॅफी वगैरह लेते हैं और आराम से बातें करते हैं।"

            "अरे, लेकिन आप तो किसी काम से कहीं जा रहीं थीं न ?"

            "हाँ, लेकिन वो काम मैं बाद में भी कर सकती हूँ। तुम स्कूटी लेकर उस यलो बिल्डिंग के सामने चलो, मै भी तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ।"

           "अच्छा तो आप अपनी न्यू फेमिली के साथ इस बिल्डिंग में शिफ्ट हो चुकी हैं।"

           "हाँ।" कहने के साथ हीं निहारिका उसी ओर मुड़ गईं, जिस तरफ से आयी थीं।
                                       ............

           "मैम, ये आपकी बेटी हैं ?" निहारिका पानी का ट्रे लेकर कमरे में दाखिल हुई तो निक्की ने पलंग पर लेटकर टीवी देख रही करीब दस-ग्यारह वर्ष की बालिका की ओर इशारा करके पूछा।

          "हाँ।" निहारिका ने ट्रे टेबल पर रखते हुए जवाब दिया और पानी एक गिलास निक्की को देकर एक गिलास खुद उठा लिया।

         "मेरे हमारा स्कूल छोड़कर जाने के करीब दो साल बाद हर्षित ने मुझे फोन पर हुई बातचीत में बताया था कि भगवान जी ने उसके लिए एक छोटी-सी बहन भेजी हैं जो बहुत हीं क्यूट हैं। शायद आपकी इस बेटी की हीं बात कर रहा था।"

         "हाँ, उसने इसी की बात की होगी क्योंकि उसकी यही एक बहन हैं।"

         "क्या वो अभी भी आपके काॅन्टेक्ट में हैं ?"

         "हाँ।"

         "कहाँ रहता हैं वो ?"

         "बगलवाले फ्लैट में।"

         "रियली ?"

         "हाँ बाबा।"

         "वो ठीक तो हैं न ?"

         "क्यूँ , उसे क्या हुआ ?"

         "एक्चुअली मेरे हमारा स्कूल छोड़कर जाने के बाद हर्षित के साथ करीब ढहाई साल तक फोन पर बात होती रहीं, लेकिन इसके बाद उसकी मम्मा का मोबाइल लगातार स्वीच्ड ऑफ आने लगा और कुछ दिन 'नाॅट इन सर्विस' बताने लगा। इस वजह से मैं काफी परेशान हो गई थीं और अपने पापा को लेकर उससे मिलने उसके घर गई, लेकिन वहाँ जाकर पता चला कि उसकी फेमिली अपना मकान छोड़कर कहीं चले गए और उनका न्यू एड्रेस किसी के भी पास नहीं हैं। इस वजह से मुझे भगवान से उसकी केयर करने की प्रे करके अपने घर लौट जाना पड़ा, लेकिन मैं उसे आज तक नहीं भूल पाई। जब भी कभी उसकी याद आती थीं, ये सोच-सोचकर बहुत रोना आता था कि वो पता नहीं कहाँ और किस हाल में होगा। मैंने तो ये उम्मीद हीं छोड़ दीं थीं कि उससे अब कभी मुलाकात हो पाएगी, बट थैंक्स गाॅड कि जैसे हम दोनों मेरे पापा एक जगह से दूसरी जगह होनेवाले एक ट्रांसफर की वजह से हम करीब बारह साल पहले बिछड़े थे, वैसे हीं पापा के एक ट्रांसफर की वजह से मिल भी गए। क्या वो इस वक्त अपने घर में होगा ?"

         "नहीं, वो कहीं गया हैं।"

         "क्या आप मुझे उसका काॅन्टेक्ट नम्बर दे सकती हैं ?"

         "श्योर, बट तुम्हें उससे ईजी वे में बात करनी हैं तो मेरे मोबाइल से हीं काॅल कर लो, क्योंकि वो अननाउन नम्बर्स से आनेवाली काॅल जल्दी से रिसीव नहीं करता।"

          "यानी, उसकी अजनबियों के साथ घुलने-मिलने या बातचीत करने से बचने की आदत गई नहीं अभी तक ?"

         "यू आर राइट। ये लो, तुम ये मेरे मोबाइल से उससे बात करों, तब तक मैं हम लोगों के लिए चाय-काॅफी लेकर आती हूँ। तुम चाय लोगी या काॅफी ?"

          "आप जो लेगी, वही मेरे लिए भी ले आइए।"

          "ओके।" कहकर निहारिका पानी का ट्रे लेकर किचन में चली गई।
                                ....................

          निहारिका करीब पाँच मिनट बाद दुबारा कमरे में वापस लौटी तो उसके हाथ में चाय का ट्रे था। 

          "हर्षित से बात हो गई ?" उसनेे ट्रे टेबल पर रखने के बाद एक कप निक्की को थमाते हुए पूछा।

          "हाँ।"

          "बेटा, तुम हर्षित के साथ फ्रेंडशीप कन्टिन्यु रखना चाहती हो तो तुम्हें एक बात का ध्यान रखना होगा। तुम लोगों की फ्रेंडशीप उसकी मम्मा के नाॅलेज में नहीं आनी चाहिए, अदरवाइज तुम लोग न एक-दूसरे से मिल पाओगे और न फोन काॅल्स के थ्रू बातचीत कर पाओगे।"

         "क्यूँ ?"

         "उसकी मम्मा ने उसके किसी भी हमउम्र लड़की के साथ फ्रेंडशीप या अफेयर जैसे रिलेशन रखने पर पूरी तरह से बैन लगा रखा हैं।"

         "अफेयर तो ठीक हैं, बट उन्होंने फ्रेंडशीप पर क्यूँ बना लगा रखा हैं ?

          "साॅरी, मैं इसका भी रिजन नहीं बता सकती।"

         "नो प्राॅब्लम। आप अपने हीं बारे में कुछ बता दीजिए। आपके हसबैंड आर्मी शायद आर्मी में हैं। हर्षित ने एक बार .....।"

          "आर्मी में हैं नहीं, थे।"

         "इट मीन्स, अब रिटायर हो चुके हैं क्या ?"

         "नहीं, वे आतंकवादियों के साथ लड़ते हुए शहीद हो गए।"

         "आई एम सो साॅरी मैम। मुझे आपकी सूनी माँग और बिना मंगल सूत्र का गला देखकर कुछ पलों के लिए ऐसा कुछ लगा तो था, बट मुझे लगा या तो आपने शादी हीं नहीं की होगी या फिर आजकल की बहुत-सी मैरिड लेडिज की तरह माँग में सिंदूर और गले में मंगल सूत्र पहनना.......।"

           "नहीं बेटा, मैं प्योर ट्रेडिशनल इंडियन वीमेन हूँ। मैं मेरी शादी के बाद से मेरे हसबैंड के एक्सपायर होते तक मैं एक भी दिन चूड़ी, बिन्दी, मंगल सूत्र और सिंदूर के बिना नहीं रहीं, पर शायद ऊपरवाले को मेरा ये चीजें यूज करना पसंद नहीं आया, इसलिए उन्होंने मेरी शादी के करीब दो साल बाद हीं इन चीजों को यूज करने का राइट मुझसे छीन लिया।"

            "आपकी शादी मेरे स्कूल छोड़कर जाने के पाँच-छः माह बाद हुई थीं न ?"

            "हाँ।"

           "इट मीन्स, आप करीब दस साल से आप एज द विडो लेडी अपनी लाइफ गुजार रही हैं ?"

           "हाँ।"

          "आपको आपके हसबैंड के डिपार्टमेंट से पेंशन मिलती होंगी ?"

          "हाँ, लेकिन मैं उसका यूज नहीं करती हूँ। मैंने अपने बैंक एकाउंट में पेंशन का एमाउंट जमा होते हीं अपनी सास के एकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए बैंक को लिखकर दे दिया हैं।"

             "क्यूँ ?"

            "मेरे सास-ससुर को लगता हैं कि मेरे हसबैंड की शहादत की एवज मिलनेवाले एमाउंट और पेंशन पर उनका राइट हैं, इसलिए मैंने अपने हसबैंड को मिले मैडल्स को छोड़कर बाकि सबकुछ उन्हें हीं दे दिया और अपनी फेमिली के साथ आकर यहाँ रहने लग गई।"

         "तो फिर आप दोनों का मैंटेनेंस कैसे होता हैं ?"

         "वैसे हीं एक जाॅब की सैलरी से जो मैं शादी के पहले करती थीं।"

           "मैम, आप बुरा नहीं मानेगी तो मैं एक बात कहना चाहती हूँ।"

           "कहो ।"

          "आपको अब तक दूसरी शादी कर लेनी चाहिए थीं। बट अभी भी देर नहीं हुई हैं क्योंकि अभी भी आप तेईस-चौबीस साल की गर्ल्स जितनी यंग लगती हैं, इसलिए आपकी एज का कोई भी अच्छा शख्स आपका खुशी-खुशी हाथ थामने के लिए तैयार हो जाएगा।"

          "एडवाइज के लिए थैंक्स, बट मैं तुम्हारी एडवाइज पर अमल नही कर सकती क्योंकि मैं अपने हसबैंड की जगह किसी और को नहीं देना चाहती हूँ।"

          "लेकिन ......।"

          "निक्की, प्लीज डोंट आर्गुमेंट आॅन दिस सब्जेक्ट।"

         "ओके। मैम, हर्षित भी काफी बड़ा हो गया होगा न ?"

          "तुम इतनी बड़ी हो गई हो तो वो बड़ा क्यूँ नही हुआ होगा ? क्या वक्त उसके लिए ठहर गया था जो वो बड़ा नहीं हुआ होगा ?"

          "हो सकता हैं कि जैसे आपके लिए वक्त ठहर गया हैं, वैसे हीं उसके लिए भी वक्त ठहर गया हो।"

          "क्यूँ मजाक कह रही हो यार ?"

          "मैम, मैं मजाक नहीं कर रही हूँ। वाकई आपके लिए वक्त ठहर गया हैं। आप बिलकुल वैसी हीं लग रही हैं, जैसे आज से साढ़े बारह साल पहले लगती थीं। मैं तो जबसे आपसे मिलीं हूँ, तभी से आपसे थर्टी फाइव ईयर्स की एज में ट्वेंटी टू ईयर्स की लगने का सीक्रेट पूछना चाह रहीं हूँ। क्या आप मुझे अपनी एवरग्रीन ब्यूटी का सीक्रेट बताएगी ?"

          "मैं बता तो दूँगी, पर मुझे लगता नहीं हैं कि तुम अमल में ला पाओगी।"

           "आप बताइए तो सही।"

           "ओके। एवरग्रीन रहने के लिए तुम्हें रोज सुबह पाँच बजे उठना पड़ेगा और ......।"

            "बस रहने दीजिए। आप सही कह रही थीं कि मैं नहीं कर पाऊँगी।"

            "मैं भी तुम्हारी उम्र में कभी सोच भी नहीं सकती थीं कि रोज पाँच बजे उठकर आधा घंटा बाहर टहल सकती हूँ और फिर घर में आकर योग और मेडिटेशन कर सकती हूँ लेकिन शादी के बाद मेरे हसबैंड की जिद की वजह से ये सब शुरू करना पड़ा और फिर मुझे इन चीजों की आदत पड़ गई।"

          "मैम, आपकी बातें सुनकर मुझे ऐसा लगता हैं कि आपके हसबैंड और आपका रिलेशन बहुत हीं स्वीट रहा होगा।"

          "रहा होगा नहीं, बल्कि अभी भी हैं। वे अभी मेरे ख्वाबो और खयालो में आकर मुझसे बातें करते रहते हैं।"

           "आपकी ये बात सुनकर बहुत अच्छा लगा और अभी मेरा आपके साथ खूब बातें करने का मन हो रहा हैं, पर अब मुझे जाना पड़ेगा, क्योंकि लेट घर जाऊँगी तो मेरी मम्मी नाराज हो जाएगी, सो आई एम गोईंग नाऊ। थैंक्स फाॅर टी एंड नाइस कन्वर्सेशन, बाय।"

           "बाय बेटा, कभी टाइम मिले तो फिर आना।"

           "श्योर मैम।" कहकर निक्की घर से बाहर निकल गईं।
                                  ................

           "हर्षित, कौन थी वो लड़की ?" काॅलेज की बिल्डिंग से निकलते हुए निक्की ने सवाल किया।

          "तुम किसकी बात कर रही हो ?" हर्षित ने जवाब में पूछा।

          "वही, जो तुम्हें हनी से भी मीठी स्माइल देकर गई।"

          "निक्की, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि तुम किसकी बात कर रही हो ?"

         
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 06-03-2019, 06:58 PM



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