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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#5
चक्रव्यहू (3rd Part)


      "भाभी, आपने जिनके भरोसे अपनी और अपने मासूम बेटे की जान दाॅव पर लगाई हैं, वे तो खा-पीकर गहरी नींद में सो गए, इसलिए हम दोनों को ही सोचना पड़ेगा कि अगले कुछ समय के भीतर आनेवाली मुसीबत से कैसे निपटना हैं।" निहारिका ने हैरान-परेशान स्वर में सुलेखा से कहा।

         "निहारिका, हम दोनों ने न तो हाथ-पैर चलाने की ट्रेनिंग ली हैं और न हमारे पास चलाने के लिए कोई हथियार हैं, फिर हम उन घातक हथियार लेकर आनेवाले खतरनाक लूटेरो से निपटने के लिए क्या प्लान कर सकते हैं ?" जवाब में सुलेखा ने अपनी लाचारी जाहिर की।

         "तो क्या हम उन लुटेरो को हम लोगों की जान लेने के लिए खुला मैदान दे दे ? अब मेरी समझ में आ गया हैं कि न आप कुछ करेगी और न आपका वो इर्रिस्पांसिबल भाई, इसलिए जो भी करना हैं, मुझे ही करना पड़ेगा। मैं पहले हर्षित को अपने घर छोड़कर आती हूँ और फिर काॅलोनी के सारे लोगों को जगाकर लाती हूँ।"

        "निहारिका, मेरी बात तो सुनो..।"

        "भाभी, प्लीज आप ..............।"

        "मैडम जी, समझदारी से काम लीजिए। आप मोहल्ले वालों को जगाकर ले आएगी तो वो लुटेरे अपनी प्लानिंग को पोस्टफोन कर देंगे, क्योंकि इस टाइप की गैंग किसी भी घर में वारदात करने के चार-पाँच घंटे पहले से अपने एक-दो आदमी भेजकर उस घर की निगरानी करवाते हैं और रास्ता साफ नजर के बाद हीं वारदात को अंजाम देते हैं। यदि मुझे मोहल्ले वालों को जगाने या पुलिस बुलाने का कोई फायदा नजर आता तो अब मैं खुद इन दोनों में से कोई एक काम कर लेता, लेकिन इन दोनों कामों से कोई फायदा नहीं बल्कि नुकसान हीं होना हैं।" सुलेखा के भाई ने अचानक कमरे में दाखिल हो कर निहारिका को समझाने का प्रयास किया।

         "क्या नुकसान होगा इन कामों से ?"

         "बता तो चुका हूँ कि लुटेरे अपनी साजिश को अंजाम देने की योजना स्थगित कर देंगे।"

         "हाँ, लेकिन इससे हमें नुकसान कहाँ होगा ? इससे तो हर्षित और भाभी के साथ-साथ हम दोनों की भी जान बच जाएगी। आपकी तरह मुझे भी अपनी जान जाने की कोई चिंता नहीं हैं क्योंकि मैं अपने घर के लोगों के लिए बोझ बन चुकी हूँ पर मैं आपकी तरह इन दोनों माँ-बेटे की जिंदगी को जोखिम में नहीं डाल सकती, इसलिए मैं .....।"

         "मैडम जी, दो मिनट रूककर मेरी पूरी बात सुन लीजिए। उसके बाद आपको जो करना हैं, कर लीजिएगा। देखिए, पुलिस या काॅलोनी के लोगों को बुलाने की वजह आज रात को उन लोगों के अटैक करने का तो खतरा टल जाएगा, लेकिन वो इन फ्यूचर इस टाइप का अटैक कब करेंगे, इसका हमें पता चलने की पाॅसिब्लिटी न के बराबर हैं क्योंकि हर बार इत्तफाक से कोई प्लानिंग सुनकर हमें अलर्ट नहीं करेगा। ये भी हो सकता हैं कि दीदी के जेठ-जेठानी उनके इस प्लान हमें जानकारी होने की बात जानने के बाद दीदी को रास्ते से हटाने के लिए कोई नया प्लान बना लें। चूँकि हमारे पास भिखारी बाबा के घर के नौकर-नौकरानी की बातें सुनकर हमें बताने के अलावा कोई ठोस एवीडेंस नहीं हैं, जिसके आधार पर हम दीदी के जेठ-जेठानी को जेल भिजवाकर इनका हमेशा के लिए उनसे पीछा छुड़ा सकते हैं, इसलिए हम लोगों के पास दीदी का उनके जेठ-जेठानी से हमेशा के लिए पीछा का एकमात्र यही तरीका हैं कि हम आनेवाले मेहमानों के रास्ते में काँटे न बिछाकर उनका स्वागत करें और उनको पकड़कर पुलिस के हवाले कर दे, ताकि पुलिस उनका मुँह खुलवाकर दीदी के जेठ-जेठानी को भी उनके साथ सलाखो के पीछे पहुँचा सकें।"

        "मैं आपकी बातों से हण्ड्रेड परसेन्ट एग्री करतीं हूँ बट हम लोग उस बेहद खूँखार और खतरनाक गैंग के लोगों को पकड़ेंगे कैसे ?"

        "उन्हें हम नहीं, सिर्फ मैं पकड़ूँगा। इस आॅपरेशन के समय आप लोग उस कमरे में अंदर से गेट बंद करके रहेंगे, जिसमें हर्षित को सुलाया गया हैं। इस घर सारे कमरों में से उसी का सबसे मजबूत हैं। यदि आप लोगों के इस घर से निकलकर जाने से उन लुटेरो के अलर्ट होने की पाॅसिब्लिटी नहीं होती तो मैं आप लोगों को किसी और घर में भेज देता, पर हमने ऐसा कुछ किया तो इस घर के जहरीले नागो को बेनकाब करने का गोल्डन चांस हाथ से निकल जाएगा, क्योंकि हम लोगों के घर में दाखिल होने के पहले से ही उन लोगों का एक आदमी इस घर पर नजर रख रहा हैं।"

        "आपको कैसे पता चला कि कोई आदमी इस घर पर नजर रखें हुए हैं ?"

        "मैडम जी, हम लोग तो बिना किसी प्री इन्फार्मेशन के सिर्फ पत्तों की चरमराहट से जान जाते हैं कि झाड़ियों के पीछे कोई जंगली जानवर छुपा हैं या आतंकवादी, तो फिर मेरे लिए पहले से बदमाशो के अटैक होने की बात पता होने पर घर के बाहर घूम रहे बंदे को देखकर ये डिसाइड करना कौन-सा मुश्किल काम हैं कि वो कोई घूमने-फिरनेवाला सामान्य व्यक्ति हैं या उन बदमाशो का साथी ?"

         "आप इंडियन आर्मी में हैं क्या ?"

         "हाँ, लेकिन मेरा भाई आर्मी का कोई जनरल सिपाही नहीं हैं, बल्कि एक स्पेशल कमांडो हैं। इसे आर्मी के आतंकवादियों के सफाए के लिए चलाए जाने वाले अभियान का कई बार नेतृत्व करने का मौका मिल चुका और उन अभियानो में अपनी सूझबूझ और बहादुरी दिखाने के लिए इसे कई मैडल्स भी मिल चुके हैं।"

         "ओ गाॅड, मुझे लगा कि ये कोई सिविलियन जाॅब करने वाले पर्सन हैं और हम दोनों को इम्प्रेस करने के लिए फालतू की ब्रेवनेस और स्मार्टनेस शो कर रहे हैं, इस वजह से मैंने पता नहीं इनको क्या-क्या कह दिया। भाभी, आपने भी नहीं बताया कि ये आर्मी वाले हैं ? अपने सवाल का सुलेखा के मुँह से जवाब सुनकर निहारिका के चेहरे पर हैरानी और शर्मिन्दगी के मिले-जुले भाव उभर आए।

         "बता तो रही थीं, लेकिन तुम मेरी बात सुनने के लिए तैयार हीं नहीं थीं तो सोचा कि पहले तुम्हें हीं जी भरकर बोल लेने देती हूँ। जब थककर चुप हो जाएगी, तब बता दूँगी, पर तुम दो-ढाई घंटे तक नाॅनस्टाॅप बोलने के बाद भी नहीं थकी।"

         "स्कूल टीचर हूँ न, इसलिए नाॅनस्टाॅप बोलने की हैबिट पड़ी हुई हैं। आपकी तरह सिर्फ ट्यूशन टीचर होती तो अब तक थक चुकी होती। आई एम सो साॅरी मिस्टर ...।"

         "करण नाम हैं इस बंदे का, पर आपको मुझे साॅरी बोलने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि आपने मेरे लिए जो कुछ भी कहा, सिर्फ आपको मेरी बहन और भान्जे की सुरक्षा की हद से ज्यादा चिंता होने की वजह से कहा। शायद आप स्कूल टीचर होने की वजह से भी न दीदी की बात को और मेरी बात को सीरियसली लेने के लिए तैयार नहीं हो रही थीं, क्योंकि स्कूल टीचर्स को अपने छोटे-छोटे स्टूडेंट्स को हैंडल करते-करते बड़ों को भी अपने स्टूडेंट्स की तरह ही हैंडल करने की हैबिट पड़ जाती हैं।"

       "ऐसा कुछ नहीं हैं, एक्चुअली .......।

       "जो भी हैं, उसे छोड़िए और दीदी के साथ बगल वाले कमरे में जाकर सो जाइए और दरवाजा अंदर से बंद कर लीजिए। मैं उन लोगों के स्वागत के लिए थोड़ी तैयारी करके घर की दो लाइट्स छोड़कर बाकी सब स्वीच्ड आॅफ कर रहा हूँ ताकि उन लोगों को ग्रीन सिग्नल मिल जाए और मैं आॅपरेशन पूरा करके तीन-चार घंटे रेस्ट कर सकूँ।"

        "हाँ भाई, तुम जल्दी से ये आॅपरेशन कम्प्लिट करों और आराम करों क्योंकि तुम डेढ़ हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बा सफर करके आ रहे हो, इसलिए तुम्हें आराम की सख्त जरूरत होगी।"

         "ओह, तो ये इस वजह से थोड़ी देर के लिए सो गए थे और मैं इतनी बेवकूफ हूँ कि मैंने बिना कुछ जाने इस बात के लिए भी .....।"

         "मैडम जी, ये बातें हम बाद में भी घर सकते हैं। यदि हम लोग इसी तरह बातें करने में टाइम वेस्ट करते रहें और वे लोग लाइट स्वीच्ड आॅफ होने का वेट न करके घर में घुस गए तो हम सबकी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि आप लोग उनके हाथ लग गए तो वे आप लोगों को अपना हथियार बनाकर मुझे भी उनके आगे सरेंडर करने पर मजबूर कर देंगे और हम सबकी जान चली जाएगी, इसलिए प्लीज बातें बंद कीजिए और दीदी के साथ बगलवाले कमरे में चली जाइए।"

        "एक लास्ट कोश्चन करने के बाद हम लोग पक्का साइडवाले रूम में चले जाएँगे।"

        "पूछिए ..?"

        "वे लोग हथियारों से लेस होकर आएँगे और आप लिव पर हैं इसलिए आपके पास आप उन लोगों का मुकाबला कैसे कर पाएँगे ?"

        "डोंट वरी मैडम जी, मुझे बिना हथियार के भी दस-दस हथियार बंद लोगों से एक साथ निपटने की भी ट्रेनिंग मिली हुई हैं।"

         "बट उन लोगों की काउंटिटी दस ज्यादा हुई तो ?"

         "मुझे उनकी काउंटिटी दस से ज्यादा होने की सम्भावना नहीं हैं क्योंकि वे अपनी इन्फार्मेशन के अनुसार इस घर में एक अकेली महिला और उसके आठ साल के बच्चे से निपटने के लिए चार या पाँच की टीम लेकर में आने की तैयारी में रहे होंगे और उनके आदमी ने उन्हें दीदी और हर्षित के साथ हम दोनों के भी इस घर में आने इन्फार्मेशन दी होगी तो उन्होंने अपनी टीम में ज्यादा से दो-तीन मेम्बर्स और बढ़ाएँगे, क्योंकि उन्हें ये पता नहीं हैं कि मैं इंडियन आर्मी का कमांडो हूँ। लेकिन बाइ चांस मेरी गैसिंग एक्युरेट साबित नहीं होती हैं और उन लोगों पंद्रह-बीस लोगों की गैंग लेकर आ जाते हैं तो भी मैं निपट लूँगा, बस आप लोगों से इतना सहयोग चाहिए कि आप लोग किसी भी स्थिति में तब तक अपने कमरे का गेट मत खोलना, जब तक मैं आप लोगों को गेट खोलने के लिए न कहूँ।"

          "आप बेफिक्र रहिए, हम लोग आपके कहने से पहले गेट नहीं खोलेंगे।

           "आप लोगों को एक काम और करना हैं, आप लोगों को उन लोगों के आने का अहसास होने पर दोनों में से किसी को अपने मोबाइल से पुलिस को इन्फार्म करना हैं, ताकि पुलिस उन्हें समेटने सही समय पर आ जाएँ और मुझे उन लोगों की ज्यादा देर तक निगरानी न करना पड़े। अब आप लोग जाइए, मुझे अभी के अभी इधर से गेट लाॅक करते-करते पीछे स्टोर रूम में जाना हैं। उन लोगों को उसी रूम में रोककर काबू में करना पड़ेगा, क्योंकि वे लोग पूरे घर में फैल गए तो उन्हें तलाश करके काबू पाना मुश्किल हो जाएगा।"

         "भाई, वे लोग के घर के पिछले दरवाजे से न आकर सामने के दरवाजे से आ गए तो ?" सुलेखा ने सवाल किया।

         "वे लोग पिछले दरवाजे से हीं आएँगे, क्योंकि स्टोर रूम के पिछला दरवाजे की चिटकनी खुली हुई हैं और स्टोर रूम का घर की तरफवाला दरवाजा बंद तो था, पर उसकी चिटकनी इतना कमजोर कर दिया गया हैं कि एक धक्के से गेट खुल जाए। ये सब आपके जेठ-जेठानी ने खुद या नौकरों से करवाया हैं, ताकि वे लोग पीछे की बाउंड्रीवाल फाँदकर स्टोर रूम से आसानी से घर में दाखिल हो सके। अब कोई सवाल नहीं करेगा और न कोई कुछ कहेगा, क्योंकि रात के पूरे बारह बज चुके हैं।"

        करण की बात खत्म होते ही सुलेखा और निहारिका बिना कुछ कहे अंदर चली गईं।

                                      .............

           घर के पिछले हिस्से की बाउंड्रीवाल के भीतर कुछ लोगों के बारी-बारी से कुदने की आहट सुनते हीं स्टोर रूम में एक पुरानी कुर्सी पर बैठा करण उठकर पिछले गेट के उस ओर दीवार के सटकर खड़ा हो गया, जिस तरफ दरवाजे का पल्ला खुलता था।

          कुछ पलों के बाद 'भड़ाक' की आवाज के साथ दरवाजा खुला और एक-एक करके तीन नकाबपोश लोग अंदर दाखिल हो गए, जिनमें से एक दो तीन-चार कदम आगे बढ़ते हीं इस तरह लड़खड़ाकर औंधे मुँह गिरा, जैसे उसका पैर किसी तार या रस्सी में उलझ गया हो। इसके कुछ सेकंड्स बाद उसके पीछे चलने वाला शख्स भी अपने साथी की तरह ही लड़खड़ाकर उसके बगल में औंधे मुँह गिर गया।

         "अबे अंधे हो गए क्या ?" तीसरे साथी ने उनसे एक कदम पीछे रूककर सवाल किया।

           लेकिन उसे उसके सवाल के जवाब की जगह कमर के पिछले भाग पर करण के दाहिने पैर की जोरदार ठोकर मिलीं, जिसके बाद वह चीखता हुआ उठने की कोशिश कर रहे अपने साथियों के ऊपर औंधे मुँह गिर गया।

          मगर करण ने उनकी ओर ध्यान न देकर पहले फुर्ती के साथ दरवाजा बंद किया और फिर उन तीनों की ओर लपका। इतनी देर आखिरी में गिरने वाला शख्स उठकर करण की ओर अपने हाथ में तमंचा तान चुका था, लेकिन उसके ट्रिगर दबाने से पहले ही करण के दाहिने पैर का बूट उसके तमंचे वाले हाथ पर इतनी जोर से पड़ा कि उसके हाथ से तमंचा छिटककर दूर गिर पड़ा और वह अपने दूसरे हाथ से तमंचेवाला हाथ थामकर फर्श पैर बैठ गया, लेकिन तब तक उसके साथी उठकर खड़े हो चुके थे।

         उन दोनों उठते हीं करण पर अपने-अपने तमंचों से फायर कर दिया, लेकिन उनके फायर करने से पहले ही करण पीठ के बल पर लेट चुका था और लेटे-लेट ही अपनी दोनों टांगो को विपरीत दिशा मेें झटका दिया, जिससे दोनों दो तरफ लड़खड़ा गिर गए और इसके बाद करण ने तीनों की बारी-बारी से बिना ज्यादा परिश्रम किए इतनी धुनाई कर दी कि कोई भी उठने के काबिल न रहा।

         करण ने उन तीनों के तमंचे उठाकर ऊपर लाफ्ट पर फेंक दिए और उनकी तलाशी लेकर कपड़ों के भीतर छिपे चाकू-छुरिया निकालकर उन्हें भी लाफ्ट पर फेंक दिया। इसके बाद उसने पिछले दरवाजे की तरफ ध्यान दिया, जिस पर बाहर से जोर-जोर से ठोकर मारी जा रही थीं। कमरे के पिछले दरवाजे से भी सुलेखा और निहारिका की आवाजें आ रही थीं, लेकिन करण उन्हें अनसुना करके पिछले गेट की ओर बढ़ा और गेट की चिटकनी खोलकर एक तरफ हट गया।

          अगले ही पल झटके के दरवाजा खुला और दो लोग औंधे मुँह जमीन पर गिर पड़े, लेकिन इन दोनों बेचारो को उठने का प्रयास करने का भी मौका नहीं मिला। उनके गिरते हीं करण ने उनकी बगल में लेटकर बारी-बारी से दोनों की कमर पर अपनी कोहनी से इतने करारे प्रहार किए कि दोनों की दर्दभरी चीखों के साथ-साथ उनके हड्डी-पसली चटकने की आवाज भी कमरे में गुँज उठी।

           उन दोनों की चीखें और तेज तब हो गई, जब उनके दो साथी उनको रौंदते हुए कमरे में दाखिल हो गए। उनके दोनों नए साथियों के गंदी-गंदी गालियाँ देते हुए कमरे में कदम रखने से पहले ही करण अपना काम करके रबर के गुड्डे की तरह उछलकर खड़ा हो चुका था। इससे पहले कि दोनों नव आगंतुक कुछ कर पाते, एक का करण के फौलादी घूसे ने और दूसरे का उसकी फ्लाइंग किक ने जबड़ा तोड़ दिया।

       उन दोनों की कुछ और मरम्मत करके फर्श पर लिटाकर परण ने सभी के हथियार छीनकर लाफ्ट पर फेंक दिए और पिछले द्वार की ओर देखकर ऊँची आवाज में पुकारा- "कोई और हो तो जल्दी से आ जाओ भाई।"

        प्रतिक्रिया में उसे कुछ भागते हुए कदमों की आहट सुनाई दीं।

       "तुम्हारे बाकी साथी तो रणछोड़दास साबित हुए। तुममें से इस गैंग का लीडर कौन हैं ?" एक फर्श पर पड़े लुटेरे की ओर देखकर करण बोला।

        जवाब में उस लुटेरे ने एक कोने में पड़े उस युवक की ओर इशारा किया, जिसने सबसे पहले करण पर तमंचा ताना था।

       "भाई, कैसे-कैसे भगोड़ो को तुमने अपनी गैंग में भर्ती कर लिया यार ?"

         
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 06-03-2019, 06:57 PM



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