14-08-2020, 10:58 PM
मेरी प्यारी भाभी ओह मेरी भोली भाली भाभी ये कुछ भी नहीं हुआ आपको, बस इतना जानो की बरसों पहले अगर किसी मर्द के नीचे ख़ुद को बिछा देती तोह ये अनोखी कस्मक्स से अनजान न रहती , तूने खुद बरसों लगा दिया अपनी जिस्म की प्यास को समझने मैं और जब आज तूने अपने देवर को मौका दिया तोह महसूस कर रही है ना क्यों अपनी योवन न लुटा कर इस गदराई जवानी को सताई और चर्मसुख से अनभिग्य तड़पती रही ।
अभी तोह तू गदरायी माल बन गईं सोच अगर बाली उमर मे किसी मनचले को मिली होती तोह ये बड़े बड़े ख़रबूज़े की जगह वो तेरी छोटी नींबू के रस को निचोड़ता और ये फूली चुत की जगह भदर्रोयो वाली गुलाबी कसी चिकनी चुत को होंठो से चाट यू तड़पता की खुद इठलाती बोलती तोड़ मेरी झिल्लियों को चोद कर बेहाल कर दे मेरी तड़पती चुत और वो अपने गुलाबी सुपाडे को तेरे गुलाबी होठों पर फेरते बोलता ज़रा चूस तोह मेरी रानी लड़ को फिर तेरी तड़प मिटा तुझे कुँवारी कली से फूल बना देता हूं ।
वसंत की बातें सुन मधु उसके लड़ को सहलाने लगी और बोली मैं तोह इन सब बातों से अनभिज्ञ इस गांडू के साथ उनैश कि थी तभी विहाई गयी ,मेरी सहेलियों ने मुझे चुत के ऊपर गहरे घुँगेरेले बालों को हटाने का बोल बस इतना बताई की वो कहीं सुनी है कि सुहागरात को चुत जितनी चिकनी हो मर्द उतने मसलते पर देख मेरी फूटी किस्मत उस रात मसलन तोह हुई नहीं लेकिन इस कुत्ते ने जीभ डाल कर ही जो सुख दिया वहीं स्वरपरि मान जीती रहीं ,ये भड़वा बस अंदर डाल दो धक्के मार मेरी चुत अपने कुछ बूंदों से भर ऊपर गिर कर हाँफते कहता बहुत गर्म है तू मधु मेरी जान और मैं इनकी खुशी देख यही समझतीं रही कि बिस्तर पर पति और पत्नी की कामवासना ऐसे ही चलती हैं ।
वसंत ने ये सुन कर मधु के चुत को थपथपाया और बोला ओह भोली भाली कलयुग की सती सावित्री क्या कहूँ आपसे यहाँ रोज हज़ारों औरतें जिस्म गैरों के नीचे डाल कर खुद को संतुष्ट कर रहीं है ,कितनी तोह इतनी बेहया हो चली है कि उनके नामर्द पति शर्म से मुँह छुपाते फिरते की मोहल्ले के मनचले ये ना चिलाये कि क्या मस्त माल है इस गांडू की बीवी ,मेरे लौड़े को निचोड़ लेती हैं ।
मधु शर्मा कर झेप गई और बोली इस भड़वे ने तोह मुझे खुद तेरी रांड बना दिया ,जानते हो इस भड़वे को ही देखना था अपनी भोली भाली पतिव्रता बीवी की अस्मत गैर से लूटते, मैं तोह आज तेरे मिलने से पहले भी इस गांडू के जीभ से ही खुद को संतुष्ट मानती खुश थी लेकिन देखो क्या इत्तफाक हैं और क्या इंसाफ किया कामदेव ने मेरी जवानी का जो लूटी भी तोह अपने प्यारे देवर से और ऐसा सुख दिया तूने की मेरी नस नस अकड़ रही है और फिर भी एक प्यास मेरी चुत मैं जगी सी है ।
वसंत ने हौले से एक उँगली मधु के सूखे चुत पर सरकाई और वो उफ्फ्फ करतीं सिहर उठी और वसंत बोला ये प्यास अब मरते दम नहीं मिटने वाली मेरी रांड अगर दो दिन मे न आ पाया तोह तू खुद किसी मर्द को लूटा देगी अपनी जवानी, यहीं चुत की आग है जो इतनी बेहयाई दे जाती है कि समाज और संसार का डर रहता नहीं और बस एक प्यास रहती है जो होती है तगड़े लड़ की जिसकी न उम्र होती है ना ही जात और न ही पहचान ।
मधु सिसकियाँ भर्ती बोली ऐसा मैं नही करने वाली ,मैं तोह बस तेरी ही नीचे लेटूंगी चाहे कुछ हो जाए ,वसंत हँसते बोला अभी कुछ महीने भर तोह मुझी से लेगी बस एक बार लत लग जाएगी फिर देखना तेरी तिरछी नज़र मेरे सिवा भी कई गैरों के ज़िप पर टिकेगी और टिके भी क्यों न तेरी ये मदमस्त जवानी है ही ऐसी की चाहे जिसे तू नज़र भर देख ले वहीं कुत्ता बन तेरी प्यास बुझाने दुनिया से झगड़ चला आएगा ।
वसंत चहकते बोला तू जितना भी झूठ बोले लेकिन तेरी ये चुत ग़ैर मर्दो का नाम सुनते तेरा साथ छोड़ ही देती हैं और वो अपनी गीली उँगली से मधु के होंठो को सहलाते पूछता हैं क्या सच मे तू बिना लड़ हफ़्ते भर रह पाएंगी देख सिर्फ बातों से तू चुदासी हो गयी और कितनी आग तोह भड़की ही नहीं और मधु उसके लड़ को पकड़ सहलाते बोली भड़का क्यों नहीं देते आग ।
वसंत लेट कर कहता है चल चढ़ जा मेरे होठों पर लगा के अपनी चुत छिनाल और चूस अपने देवर के लड़ को , मधु इठलाती होठों को दाँतो से दबाती झट पट वसंत के होंठो पर चुत रखती उफ्फ्फ करती अपनी चुचियों को उसके नंगे जिस्म पर घिसती उसके लड़ को नाज़ुक लबों का चुम्बन देती सर को मोड़ उसके कमर पर लेट गईं और उँगलियों को लड़ से अन्डों तक फेरती कमुक सिसकियाँ भर्ती लंबे काले मोटे लिंग को निहारतीं रहीं ।
वसंत मज़े से गीली चुत मैं जीभ डाले रसपान करते मधु की गाँड को पकड़ सहलाते संकरी छेद को अपने अंग्गूठे से दबाते खेलता रहा और मधु अर्ध सख्त लड़ को हाथ से पकड़ अपने होंठो पर फेरती नाक सटाए सूंघती जीभ फेरने लगी और बड़ी इत्मिनान से कामभाव मैं खोई बस लिंग पर नज़र गड़ाई लेटी मंद मंद मुस्कान बिखेरती रहीं ।
अभी तोह तू गदरायी माल बन गईं सोच अगर बाली उमर मे किसी मनचले को मिली होती तोह ये बड़े बड़े ख़रबूज़े की जगह वो तेरी छोटी नींबू के रस को निचोड़ता और ये फूली चुत की जगह भदर्रोयो वाली गुलाबी कसी चिकनी चुत को होंठो से चाट यू तड़पता की खुद इठलाती बोलती तोड़ मेरी झिल्लियों को चोद कर बेहाल कर दे मेरी तड़पती चुत और वो अपने गुलाबी सुपाडे को तेरे गुलाबी होठों पर फेरते बोलता ज़रा चूस तोह मेरी रानी लड़ को फिर तेरी तड़प मिटा तुझे कुँवारी कली से फूल बना देता हूं ।
वसंत की बातें सुन मधु उसके लड़ को सहलाने लगी और बोली मैं तोह इन सब बातों से अनभिज्ञ इस गांडू के साथ उनैश कि थी तभी विहाई गयी ,मेरी सहेलियों ने मुझे चुत के ऊपर गहरे घुँगेरेले बालों को हटाने का बोल बस इतना बताई की वो कहीं सुनी है कि सुहागरात को चुत जितनी चिकनी हो मर्द उतने मसलते पर देख मेरी फूटी किस्मत उस रात मसलन तोह हुई नहीं लेकिन इस कुत्ते ने जीभ डाल कर ही जो सुख दिया वहीं स्वरपरि मान जीती रहीं ,ये भड़वा बस अंदर डाल दो धक्के मार मेरी चुत अपने कुछ बूंदों से भर ऊपर गिर कर हाँफते कहता बहुत गर्म है तू मधु मेरी जान और मैं इनकी खुशी देख यही समझतीं रही कि बिस्तर पर पति और पत्नी की कामवासना ऐसे ही चलती हैं ।
वसंत ने ये सुन कर मधु के चुत को थपथपाया और बोला ओह भोली भाली कलयुग की सती सावित्री क्या कहूँ आपसे यहाँ रोज हज़ारों औरतें जिस्म गैरों के नीचे डाल कर खुद को संतुष्ट कर रहीं है ,कितनी तोह इतनी बेहया हो चली है कि उनके नामर्द पति शर्म से मुँह छुपाते फिरते की मोहल्ले के मनचले ये ना चिलाये कि क्या मस्त माल है इस गांडू की बीवी ,मेरे लौड़े को निचोड़ लेती हैं ।
मधु शर्मा कर झेप गई और बोली इस भड़वे ने तोह मुझे खुद तेरी रांड बना दिया ,जानते हो इस भड़वे को ही देखना था अपनी भोली भाली पतिव्रता बीवी की अस्मत गैर से लूटते, मैं तोह आज तेरे मिलने से पहले भी इस गांडू के जीभ से ही खुद को संतुष्ट मानती खुश थी लेकिन देखो क्या इत्तफाक हैं और क्या इंसाफ किया कामदेव ने मेरी जवानी का जो लूटी भी तोह अपने प्यारे देवर से और ऐसा सुख दिया तूने की मेरी नस नस अकड़ रही है और फिर भी एक प्यास मेरी चुत मैं जगी सी है ।
वसंत ने हौले से एक उँगली मधु के सूखे चुत पर सरकाई और वो उफ्फ्फ करतीं सिहर उठी और वसंत बोला ये प्यास अब मरते दम नहीं मिटने वाली मेरी रांड अगर दो दिन मे न आ पाया तोह तू खुद किसी मर्द को लूटा देगी अपनी जवानी, यहीं चुत की आग है जो इतनी बेहयाई दे जाती है कि समाज और संसार का डर रहता नहीं और बस एक प्यास रहती है जो होती है तगड़े लड़ की जिसकी न उम्र होती है ना ही जात और न ही पहचान ।
मधु सिसकियाँ भर्ती बोली ऐसा मैं नही करने वाली ,मैं तोह बस तेरी ही नीचे लेटूंगी चाहे कुछ हो जाए ,वसंत हँसते बोला अभी कुछ महीने भर तोह मुझी से लेगी बस एक बार लत लग जाएगी फिर देखना तेरी तिरछी नज़र मेरे सिवा भी कई गैरों के ज़िप पर टिकेगी और टिके भी क्यों न तेरी ये मदमस्त जवानी है ही ऐसी की चाहे जिसे तू नज़र भर देख ले वहीं कुत्ता बन तेरी प्यास बुझाने दुनिया से झगड़ चला आएगा ।
वसंत चहकते बोला तू जितना भी झूठ बोले लेकिन तेरी ये चुत ग़ैर मर्दो का नाम सुनते तेरा साथ छोड़ ही देती हैं और वो अपनी गीली उँगली से मधु के होंठो को सहलाते पूछता हैं क्या सच मे तू बिना लड़ हफ़्ते भर रह पाएंगी देख सिर्फ बातों से तू चुदासी हो गयी और कितनी आग तोह भड़की ही नहीं और मधु उसके लड़ को पकड़ सहलाते बोली भड़का क्यों नहीं देते आग ।
वसंत लेट कर कहता है चल चढ़ जा मेरे होठों पर लगा के अपनी चुत छिनाल और चूस अपने देवर के लड़ को , मधु इठलाती होठों को दाँतो से दबाती झट पट वसंत के होंठो पर चुत रखती उफ्फ्फ करती अपनी चुचियों को उसके नंगे जिस्म पर घिसती उसके लड़ को नाज़ुक लबों का चुम्बन देती सर को मोड़ उसके कमर पर लेट गईं और उँगलियों को लड़ से अन्डों तक फेरती कमुक सिसकियाँ भर्ती लंबे काले मोटे लिंग को निहारतीं रहीं ।
वसंत मज़े से गीली चुत मैं जीभ डाले रसपान करते मधु की गाँड को पकड़ सहलाते संकरी छेद को अपने अंग्गूठे से दबाते खेलता रहा और मधु अर्ध सख्त लड़ को हाथ से पकड़ अपने होंठो पर फेरती नाक सटाए सूंघती जीभ फेरने लगी और बड़ी इत्मिनान से कामभाव मैं खोई बस लिंग पर नज़र गड़ाई लेटी मंद मंद मुस्कान बिखेरती रहीं ।