14-08-2020, 05:54 PM
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मे यही सब बुलेट के दोनो ओर पैर ज़मीन पर टिकाए सीट पर बैठा सोच ही रहा था कि वो मेरे पीछे दोनो तरफ लड़कों की तरह पैर करके बैठ गयी और बोली--- अब चलो…
मेने किक लगाई और हमारी बुलेट रानी फिर से डग-डग करती हाइवे पर दौड़ने लगी…
उसने अपने बाल भी खोल दिए थे जो अब हवा में लहरा रहे थे.. मस्ती में उसने अपनी दोनो बाजू हवा में लहरा दी और हवा की तेज़ी को अपने पूरे शरीर पर फील करने लगी…
मे – अरे दीदी ! आराम से बैठो ना.. गिर जाओगी…!
वो – क्यों तुझे चलाना नही आता क्या..?
मे – ऐसा नही है.. अगर कहीं कोई गड्ढा आ गया या किसी भी वजह से ब्रेक भी लगाना पड़ सकता है तो तुम डिसबॅलेन्स हो सकती हो..
उसने मुझे घुड़कते हुए कहा – तू बस अपनी ड्राइविंग पर ध्यान दे.. और मुझे मेरा मज़ा लूटने दे…
मे फिर चुप हो गया.. थोड़ी देर बाद वो बाइक पर खड़ी हो गयी और चिल्लाने लगी—
याहूऊओ….याहूऊ… जिससे उसकी आवाज़ हवा में लहराने सी लगी और उसके खुद के कनों को सर सराने लगी……
ऐसी ही मस्ती में वो बाइक के पीछे मज़े लूटती जा रही थी…
फिर रोड पर कुच्छ गड्ढे से आना शुरू हो गये, तो मेने उसे रोक दिया और ठीक से पकड़ कर बैठने के लिए बोला.
तभी एक बड़ा सा गड्ढा आ गया और गाड़ी उछल गयी… वो अच्छा हुआ कि उच्छलने से पहले उसने मुझे पकड़ लिया था……
अब उसे पता चला कि में क्यों पकड़ने के लिए बोल रहा था… मेरी कमर में बाहें लपेट कर दीदी बोली –
देखभाल कर चला ना भाई.. घर पहुँचने देगा या रास्ते में ही निपटाके जाएगा मुझे…
मे – मेने तो पहले ही कहा था कि पकड़ लो कुच्छ..
दीदी मेरी कमर में अपनी बाहें लपेटकर मुझसे चिपक गयी, जिससे उसके कड़क अमरूद जैसी चुचियाँ मेरी पीठ में गढ़ी जा रही थी, अपना गाल मेरे कंधे पर रख कर मेरी गर्दन से सहलाते हुए मज़े लेने लगी…
नॉर्मली बुलेट जमके चलने वाली बाइक है, फिर भी वो उच्छलने के बहाने से अपनी चुचियों को मेरी पीठ से रगड़ रही थी, उसके मूह से हल्की-2 सिसकियाँ भी निकल रही थी…
धीरे-2 सरकते हुए उसके हाथ मेरे लौडे को टच करने लगे, उसका स्पर्श होते ही उसने उसे थाम लिया और धीरे-2 मसल्ने लगी…
मे – दीदी अपना हाथ हटाओ यहाँ से कोई आते-जाते देख लेगा तो क्या सोचेगा..?
वो – तो देखने दे ना..! हमें यहाँ कों जानता है.., तू भी ना बहुत बड़ा फटतू है यार..!
मे – अरे दीदी ! ये हाइवे है… ग़लती से अपना कोई पहचान वाला गुजर रहा हो तो.. और उसने जाके बाबूजी, या और किसी घरवाले को बता दिया… तब किसकी फटेगी…?
वो – चल ठीक है चुपचाप गाड़ी चला तू… कोई निकलता दिखेगा तो मे हाथ हटा लिया करूँगी..
इतना बोलकर उसे और अच्छे से मसल्ने लगी जिससे मेरा लंड और अकड़ गया.. अब वो पाजामा को फाड़ने की कोशिश कर रहा था..
अपने हाथों में उसका आकर फील करके दीदी बोली – वाउ ! छोटू, तेरा ये तो एकदम डंडे जैसा हो गया है यार....
मे – मान जाओ दीदी ! वरना मेरा ध्यान भटक गया ना, और गाड़ी ज़रा भी डिसबॅलेन्स हुई तो दोनो ही गये समझो..
आक्सिडेंट की कल्पना से ही वो कुच्छ डर गयी और उसने मेरे लंड से अपने हाथ हटा लिए..
लेकिन पीठ से अपनी चुचियों को नही हटाया, और तिर्छि बैठ कर अपनी मुनिया को मेरे कूल्हे के उभरे हुए हिस्से से सटा लिया,
धीरे-2 उपर नीचे होकर अपनी चुचि और मुनिया को को मेरे शरीर से रगड़-2 कर मज़े लेने लगी…
हम 60-70 किमी निकल आए थे, भैया ने जो जगह घूमने के लिए बताई थी, वो आने वाली थी…
मे यही सब बुलेट के दोनो ओर पैर ज़मीन पर टिकाए सीट पर बैठा सोच ही रहा था कि वो मेरे पीछे दोनो तरफ लड़कों की तरह पैर करके बैठ गयी और बोली--- अब चलो…
मेने किक लगाई और हमारी बुलेट रानी फिर से डग-डग करती हाइवे पर दौड़ने लगी…
उसने अपने बाल भी खोल दिए थे जो अब हवा में लहरा रहे थे.. मस्ती में उसने अपनी दोनो बाजू हवा में लहरा दी और हवा की तेज़ी को अपने पूरे शरीर पर फील करने लगी…
मे – अरे दीदी ! आराम से बैठो ना.. गिर जाओगी…!
वो – क्यों तुझे चलाना नही आता क्या..?
मे – ऐसा नही है.. अगर कहीं कोई गड्ढा आ गया या किसी भी वजह से ब्रेक भी लगाना पड़ सकता है तो तुम डिसबॅलेन्स हो सकती हो..
उसने मुझे घुड़कते हुए कहा – तू बस अपनी ड्राइविंग पर ध्यान दे.. और मुझे मेरा मज़ा लूटने दे…
मे फिर चुप हो गया.. थोड़ी देर बाद वो बाइक पर खड़ी हो गयी और चिल्लाने लगी—
याहूऊओ….याहूऊ… जिससे उसकी आवाज़ हवा में लहराने सी लगी और उसके खुद के कनों को सर सराने लगी……
ऐसी ही मस्ती में वो बाइक के पीछे मज़े लूटती जा रही थी…
फिर रोड पर कुच्छ गड्ढे से आना शुरू हो गये, तो मेने उसे रोक दिया और ठीक से पकड़ कर बैठने के लिए बोला.
तभी एक बड़ा सा गड्ढा आ गया और गाड़ी उछल गयी… वो अच्छा हुआ कि उच्छलने से पहले उसने मुझे पकड़ लिया था……
अब उसे पता चला कि में क्यों पकड़ने के लिए बोल रहा था… मेरी कमर में बाहें लपेट कर दीदी बोली –
देखभाल कर चला ना भाई.. घर पहुँचने देगा या रास्ते में ही निपटाके जाएगा मुझे…
मे – मेने तो पहले ही कहा था कि पकड़ लो कुच्छ..
दीदी मेरी कमर में अपनी बाहें लपेटकर मुझसे चिपक गयी, जिससे उसके कड़क अमरूद जैसी चुचियाँ मेरी पीठ में गढ़ी जा रही थी, अपना गाल मेरे कंधे पर रख कर मेरी गर्दन से सहलाते हुए मज़े लेने लगी…
नॉर्मली बुलेट जमके चलने वाली बाइक है, फिर भी वो उच्छलने के बहाने से अपनी चुचियों को मेरी पीठ से रगड़ रही थी, उसके मूह से हल्की-2 सिसकियाँ भी निकल रही थी…
धीरे-2 सरकते हुए उसके हाथ मेरे लौडे को टच करने लगे, उसका स्पर्श होते ही उसने उसे थाम लिया और धीरे-2 मसल्ने लगी…
मे – दीदी अपना हाथ हटाओ यहाँ से कोई आते-जाते देख लेगा तो क्या सोचेगा..?
वो – तो देखने दे ना..! हमें यहाँ कों जानता है.., तू भी ना बहुत बड़ा फटतू है यार..!
मे – अरे दीदी ! ये हाइवे है… ग़लती से अपना कोई पहचान वाला गुजर रहा हो तो.. और उसने जाके बाबूजी, या और किसी घरवाले को बता दिया… तब किसकी फटेगी…?
वो – चल ठीक है चुपचाप गाड़ी चला तू… कोई निकलता दिखेगा तो मे हाथ हटा लिया करूँगी..
इतना बोलकर उसे और अच्छे से मसल्ने लगी जिससे मेरा लंड और अकड़ गया.. अब वो पाजामा को फाड़ने की कोशिश कर रहा था..
अपने हाथों में उसका आकर फील करके दीदी बोली – वाउ ! छोटू, तेरा ये तो एकदम डंडे जैसा हो गया है यार....
मे – मान जाओ दीदी ! वरना मेरा ध्यान भटक गया ना, और गाड़ी ज़रा भी डिसबॅलेन्स हुई तो दोनो ही गये समझो..
आक्सिडेंट की कल्पना से ही वो कुच्छ डर गयी और उसने मेरे लंड से अपने हाथ हटा लिए..
लेकिन पीठ से अपनी चुचियों को नही हटाया, और तिर्छि बैठ कर अपनी मुनिया को मेरे कूल्हे के उभरे हुए हिस्से से सटा लिया,
धीरे-2 उपर नीचे होकर अपनी चुचि और मुनिया को को मेरे शरीर से रगड़-2 कर मज़े लेने लगी…
हम 60-70 किमी निकल आए थे, भैया ने जो जगह घूमने के लिए बताई थी, वो आने वाली थी…