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Thriller कामुक अर्धांगनी
#62
वसंत चुचियों को छोड़ कर अपने हाथों को मधु की हिलती गाँड पर रख दिया और मधु के निप्पल को खींच कर चुसते दाँतो से कस कर दबा कर निचोड़ के रसपान करने लगा और मधु एक प्यासी अर्धांगनी की तरह पति के सामने लड़ पर गाँड हिलाती रही और सिसकिया भरने लगी ।

मेरे लड़ की ऐसी हालत हो चुकी थी कि अब खड़ा होने के काबिल नहीं था और मैं बिस्तर के कोने पर बैठ अपनी पतिव्रता बीवी को ग़ैर के जिस्म के ऊपर उत्ज़ेना से लबरेज़ देख शर्म और कामुक्ता दोनों का अनुभव करने लगा ।

चटाक की आवाज़ कमरे मे गूँज उठी इस क़दर वसंत ने चूतड़ पर चाँटा मारा और मधु हवस मे उफ्फ्फ करती ख़ुद के जिस्म को बाज़ारू औरतों की तरह नीलाम करती मानो अपने ग्राहक को आनन्द दे रही थीं ।

वसंत के उँगलियों के निशान उसकी गोरी गदराई गाँड पर छप गयीं और वो हाथों से चुत्तर को फैला रहा था ।

मेरी प्यारी पत्नी एक वैश्या की तरह बस अपनी जिस्म की प्यास बुझाने को हर दर्द सहती इस ग़ैर मर्द के अद्भुत तगड़े लिंग की ग़ुलामी किये चली जा रहीं थी और वो बिस्तर पर चादर को कस कर पकड़ वसंत के दाँतो के निशान को अपने गुलगुले नर्म कोमल गोरी छाती पर महसूस करती जिस्म को इठलाती उफ्फ्फ अहह वसंत कहती थी ।

वसंत ने मधु के गाँड की दरारों को दोनों हाथों से खींच कर खोल रखा था और एक उँगली से गांड की छेद को सहला रहा था और उसका काला बैल सा तगड़ा लड़ मधु की चुत की दीवारों पर घिसकर गहराई तक अपने होने का एहसास करा रहा था ।

मधु के लिए ये पहला अवसर था कि चुत इस कदर फैली थी और इतनी गहराई मैं वो लिंग का सुख भोग रही थी और अपने जिस्म के हर उतेजित करने वाले जगहों पर वो एक अनोखा अनुभव भोग रहीं थी ।

वसंत ने चुत गाँड चुचियों को एक साथ उतेजना के सुखद आनंद की अनुभूति करवाते मानो मधु के बरसों से प्यासे योवन मैं हवस की आग लगा दी हो और मधु इस आग मैं तपती जलने की बेताबियाँ मैं खो सी गई थी ।

मधु की आँखे मदहोश आंधी खुली काँपते होंठो से बस वासिम्म्म्म्म के नाम की माला जपती अपनी कामोत्तेजना को पाने की लालसा लिए लड़ पर चुत घिसती रहीं ।

वसंत गाँड के छिद्र को उँगली के दबाब से भेदने लगा और मधु की उत्ज़ेना और सिशकिया कमरे मे गुज़ उठी और दाँतो के बीच संपूर्ण निप्पल और उसके भूरे अति नर्म वाली गोलाई के चारों ओर दबाब महसूस करती , इस अति उतेजित अनुभूति से वो तेज़ सासों के सहारे बस काँपते होठों से वासिम्म्म्म्म उफ्फ वासिम्म्म्म्म अहह वासिम्म्म्म्म आउच वसंत नहीं नही करती अकड़ गयीं और उसके बदन पर निढ़ाल हो गईं ।

मधु की कमर कपकपाती अपने वीर्य को लड़ पर त्याग तेज़ सासे भर्ती शांत हो गईं , वसंत ने उसके नग्न बदन को उँगलियी से सहलात्ते गर्म चुत रस को लड़ पर महसूस करने लगा ।

थोड़ी देर मैं मधु सामान्य अवस्था मे आई और दोनों हाथों से वसंत के चेहरे को पकड़ कर होंठो को चूमने लगी और कमर नीचे कर लड़ पर दबाने लगी ,वसंत ने मधु को कस कर बाहों मैं जकड़ लिया और उसके जीभ को चुसते खिंचने लगा और करवट लेता मधु के ऊपर चढ़ गया और मधु की हाथों को सर के ऊपर करते बोला वाह तेरी जैसी छिनाल मिल जाये तोह मर्द कभी प्यासा न रहे ,क्या खेल खेला हैं तूने अपने देवर के लड़ से और होठों को दाँतो से खिंचा मानो खा जाएगा ।

मधु के होंठो पर अजीब सूजन दिखने लगी और वो उठ कर बिस्तर के नीचे खड़ा हुआ और गीले लड़ को दिखाते बोला देखो भाईसाहब ये होती है एक औरत की आग क्या कभी आपके लड़ ने महसूस किया है और कमर को पकड़ उसने मधु को हवा पर उठा झाघो के बीच मुँह लगा चाटने लगा और मधु इठलाती हैरान सी वसंत के जीभ को अपनी गीली चुत पर महसूस करती चीख़ती बोली अहह वासिम्म्म्म्म ।

मधु के दोनों चुचियों पर वसंत के दाँतो से अनगिनत निशान दिख रहें थे , कुछ लाल कुछ नीले थे और इतने गहरे की मानो किसी जानवर ने नोचा हो ।

मधु की कमर हवा मैं थी , बस गर्दन के सहारे वो वसंत के चुत रसपान का आनंद लेते सिशकिया भर्ती बोली उफ्फ वासिम्म्म्म्म और अपनी टांगो को उसके कंधो पर लपेटकर दबाव बनाने लगी और वसंत अपने नुखिले दाँतो को चुत के चारों और गड़ाता जीभ से लपलपा कर चाटने लगा ।

मधु झटके मरती उसके मुँह पर चुत दबाती रही और वो कुत्ते की तरह भाभी की गीली चुत दाँतो से काट खाने लगा ।

मधु को इस कदर रोमांचित देख मुझसे रहा नहीं गया ओर मैं मधु के कमर के नीचे लेट कर वसंत के लड़ को हाथों से पकड़ चुसने लगा , वसंत दोहरी सुख को भोगता मधु के चुत पर दाँतो से गहरा हमला करने लगा और वो तेज़ आवाज़ करती वासिम्म्म्म्म के नाम की माला जपने लगी और ना चाहते हुए भी इस अदभुत अनुभव को महसूस करती ऐसी अकड़ गई कि उसके चुत से तेज़ धार फूटी और वसंत के चेहरे को भिगो दी और स्वतः मधु की चित्कारिया शांत होती बस गर्म तेज़ स्वसों की आवाज़ आने लगीं , वसंत चुत की दीवारों को जीभ से साफ करने लगा और मधु की पकड़ ढीली पड़ गई ।


ये पहला मौका था जब मेरी अर्धांगनी के चुत से तेज़ धारा निकली हो और ये सुख पा कर वो थक सी गई लेकिन वसंत उतेजना के चरम पर था और मेरे मुँह मैं ही लड़ धकेलने लगा ,उसके दबाव से लिंग गले तक जा पहुँचा और वो एक हाथ से मेरे सर के बालों को जकड़ ओर अंदर डालने लगा ।


वसंत के लड़ को गले पर महसूस करता मेरी आँखें भर आईं और वो और दबाब बनाता कंठ तक लड़ धकेल कर रुक गया और मेरी साँस अटक गई और मैं तड़पने लगा , मेरा जिस्म बिस्तर पर छटपटाने लगा और मधु की नज़र पड़ी और वो बोली क्या देवर जी आप भी न कोई व छेद मिले ड़ालने लगते है और वसंत मधु के कमर को बिस्तर पर रख बोला क्या करूँ भाभी रहा नहीं जाता ।

मधु मेरे कमर पर आ बैठी और झुक कर मेरे ऊपर लेट गईं और कानों मे बोली सुनिए जी चोद लेने दीजेए ना वैसे भी अब तोह रोज की बात होंगी ये और वसंत हँसते हुए बोला वाह मेरी रंडी क्या पत्नी धर्म निभा रहीं हो अपने गांडू पति को भी मेरी रांड बना रही हो ।

मधु मेरे चेहरे को पकड़ वसंत के लड़ को आगे पीछे होते देख बोली क्या बताऊँ जी क्या सुख है इस लड़ के हिलने का आप भी गाँड मे ले लो तभी समझ पाएंगे क्यों इतनी बेहया हो गईं आपकी ये पतिव्रता बीवी ।

मधु कि बातें मेरे बिस्तर पर दबी मूंगफली को अत्यधिक उतेजित करने लगीं और वसंत मुँह को भोसड़ा समझ झटके मरता रहा ओर मधु मेरे जिस्म पर अपनी जिस्म को रगड़ती रही ।


वसंत के धक्के से मेरे जबड़े दर्द करने लगे और मुँह से थूक बहने लगा और वसंत रुक कर बोला भाभी उतर तेरे भड़वे पति को अलग अन्दाज़ से मज़ा दूँगा वो उत्साहित हो बोली सच्ची देवर जी और वसंत मुझे सीधा बिस्तर पर लेटने को बोल कर मेरे बालो को खेंच बिस्तर के कोने पर गर्दन लटका दिया और मेरा सिर नीचे झुक गया ,वसंत ने लड़ मुँह के अंदर डाल दिया और हलक पर पहुँचा बोला देख रही है ,मधु मेरे कंठ पर उँगलियी दबती बोली अब तोह मेरे पति भी रांड बन गए बड़े आए थे मेरी चुदे चुत से मलाई खाने अब खुद ही मुँह चुदवा के मर्दों का पानी पियेंगे और वसंत हँसते बोलने लगा सच कहा देखना अब कैसे ये लौड़े के लिए तड़पेगा ।


वसंत तेज़ी से मेरी मुँह चोदने लगा ओर मधु मेरे सीने पर खड़ी हो के वसंत की बाहों मैं झूलती चुम्बकन का आनंद लेने लगी , मेरी हालत खराब होने लगीं और मैं मधु के पैरों को पकड़ वसंत के लड़ की मार से खुद के चेहरे पर अपनी थूक बहाते गा गा करता फच फच सुनता जलील होता चला गया और न जने क्यों कैसे लड़ खड़ा कर बैठा ।

मधु ने वसंत को मेरे लड़ की हालत दिखा कर बोली देखो तेरी ये रांड गर्म हो गई है ,वसंत बोला क्या करेगा बेचारा भड़वा नामर्द जो है तगड़े लड़ को चूस और बीवी को चुदवाते देख कर ही गर्म होता है ।

मधु मेरे लिंग को पैर से दबाती बोली देवर जी सच्चाई यहीं है और वो मेरी गोटियों को मसलते हँसते और तड़पाने लगी ।

वसंत बुरी तरह मेरे मुँह मैं लड़ डाले आगे पीछे करता रहा और मधु मेरे सीने पर बैठ अपने होठो को मेरे लिंग पर रख चूमती बोली बेचारा कैसा किस्मत का मारा है ये ,बना तोह औरतों की प्यास बुझाने के लिए लेकिन ख़ुद मार्स के लिए खड़ा हो रहा हैं और मुँह मैं ले कर चुसने लगी ।

ये मेरे जीवन का पहला मौका था जब मेरा लिंग पाँच दफ़े खड़ा हुआ हो और उसपर मधु के कोमल लैबों की बरसात और उसके जीभ का घूमना महसूस कर मेरी उतेज़ना भड़कने लगी और छण भर मे मेरा वीर्य बहने लगा और मधु मेरे लिंग को कस कर दाँतो से काटने लगी और मेरे गोटियों को हाथों से निचोड़ने लगी ।

मैं दर्द से छटपटाने लगा और वसंत रुक कर लिंग निकाल पूछा क्या कर रहीं हो भाभी , मधु गुस्सा करती बोली भड़वे के लड़ को काट दूँगी मैं और मेरी आडो को मसलती बोली ये गांडू है मेरा पति एक छक्का है साला भड़वा दो सेकंड भी नहीं टिकता और वो रोने लगीं ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 13-08-2020, 10:09 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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