13-08-2020, 03:15 PM
जैसे जैसे राजेश ने अपनी चोदने की गति बढ़ायी वैसे ही रेनू का दर्द उसकी कामाग्नि में जल कर राख हो गया. मेरी बीबी की चुदाई की भूख बढ़ती ही जा रही थी. वह उँह.. उँह.. की आवाज करती हुयी चुदवाने का मजा ले रही थी. जैसे ही राजेश रेनू की चूत में जोर का धक्का देता था वैसे ही रेनू के मुंह से अनायास ही उँह की आवाज निकल जाती थी. अचानक रेनू ने राजेश को थमने का इशारा किया और मुझे एक तकिया अपने कूल्हे के नीचे रखने को कहा.
मैंने फ़टाफ़ट एक तकिया मेरी बीबी की गाँड़ के नीचे रखा. रेनू ने राजेश का मुंह अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसका लण्ड अपनी चूत में रखे हुए राजेश को पुरे जोश से अपनी बाँहों में लिया. उसने राजेश के होठों से अपने होंठ भिड़ा दिए और एक जबरदस्त किस में राजेश और रेनू जकड गए.
राजेश की जीभ को रेनू ने अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी. उसने फिर राजेश को उसकी जीभ अपने मुंह में अंदर बाहर करने का इशारा किया. मुझे ऐसे लगा जैसे रेनू अपना मुंह भी राजेश की जीभ से चुदवाना चाहती थी. राजेश अपने लण्ड से रेनू की चूत के साथ साथ रेनू का मुंह अपनी जीभ से चोदने लगा.
रेनू अपने चूतड़ उठा उठा कर राजेश के लण्ड के एक एक धक्के को अपने अंदर पूरी तरह से घुसवा रही थी. उस दिन रेनू राजेश के लण्ड को अपने बदन की गहराईयों तक ले जाना चाहती थी जहां उसका पति भी नहीं पहुँच पाया था. अपनी वासना की धधकती आग में जलते हुए मेरी बीबी ने तब राजेश को साफ़ शब्दों में कहा “राजेश आज पूरी रात आप मुझे एक रंडी की तरह चोदो. यह मत सोचो की मुझे तुमने पहले भी चोदा है बल्कि तुम यह सोचो की तुम मुझे कब से चोदना चाहते थे और आज अचानक मैं तुम्हारे हाथ लग गयी हूँ और तुम्हे दुबारा कभी शायद ही ऐसा मौका मिले तो तुम मुझे ऐसा चोदो की जैसा तुमने दिव्या को कभी नहीं चोदा.“
बस फिर क्या था. राजेश रेनू को ऐसे जोर जोर से धक्के पेलने लगा की मुझे डर लग रहा था की कहीं वह मेरी बीबी की चूत को फाड़ न दे पर मेरी बीबी भी कोई कम थोड़ी ही थी. वह भी राजेश के नीचे अपने चूतड़ ऐसे उछाल रही थी जैसे उसपर कोई भूत सवार हो गया हो.
राजेश का मोटा लण्ड उसे गजब का मजा दे रहा था. उन दोनों की चुदाई की फच्च फच्च और फट्ट्ट फट्ट की आवाज बेडरूम में गूंज रही थी. साथ ही साथ मेरी बीबी जोर जोर से हर एक गहरे धक्के के साथ ऊँह ऊँह करती हुयी मेरे पडोसी के हर धक्के का बराबर जवाब दे रही थी. रेनू राजेश को नीचे से धक्का दे रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बीच चोदने की होड़ लगी थी.
आज की मेरी बीबी की उत्तेजना जैसी थी वैसी मैंने पहले कभी नहीं देखी थी. मैं अपनी बीबी की मेरे पडोसी से चुदाई देखने में इतना मशगूल हो गया था की जब रेनू ने मेरा हाथ पकड़ा और दबाया तब मैं अपने ख्यालों से बाहर आया और मैंने रेनू को चरम पर देखा. वह उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी और झड़ने ही वाली थी.
उसने एक लम्बी कामुक आवाज में आहह ह ह ह भरी और झड़ गयी. मैं उसकी चूत से निकलते रस को राजेश के लण्ड और मेरी बीबी की चूत के बीच से बहते देख रहा था. रेनू को झड़ते देख राजेश कुछ देर तक रुक गया. उसका लण्ड तब भी पुरे तनाव में था. बल्कि रेनू को झड़ते देख राजेश की उत्तेजना और बढ़ गई पर फिर भी उसने धीरे से अपना लण्ड मेरी बीबी की चूत से निकाला.
रेनू ने राजेश से पूछा “डार्लिंग आप रुक क्योँ गए? मैं अभी बिलकुल नहीं थकी हूँ. मेरी तड़प कम नहीं हुयी उलटी बढ़ गयी है. प्लीज अब आप रुकना नहीं”
लेकिन राजेश ने मेरी और देखा और मुझे रेनू पर चढ़ने के लिए कहा. मेरा पडोसी मुझे मेरी ही बीवी को चोदने का आमंत्रण दे रहा था. इस हालात में शायद ही कोई चुदक्कड़ रेनू के उपर से उतरेगा लेकिन राजेश तब खुद झड़ना नहीं चाहता था.
रेनू मुझसे बोली “अब राजेश के सामने तुम मुझे चोदो. अब राजेश को भी हमारी चुदाई देखने का मजा लेने दो.”
मैं तो इंतेजार ही कर रहा था की कब मेरा नंबर लगे. मैं राजेश को मेरी बीबी की चुदाई करते देख अपने लोहे की छड़ के सरीखे तने हुए लण्ड को सहला कर अपनी कामुकता को शांत करने की कोशिश कर रहा था. जैसे ही राजेश रेनू के ऊपर से हटा मैंने मेरी बीबी की खूबसूरत टाँगों के बीच में अपनी पोजीशन ले ली. रेनू ने अपनी दोनों टांगें मेरे सर के दोनों और मेरे कन्धों पर रख दी.
अपने लण्ड को अपने ही हाथ से सहलाते हुए मैंने प्यार से मेरी बीबी की चूत के छेद के साथ रगड़ा. रेनू ने उसकी चूत के पुराने साथी को अपने हाथों में लिया और धीरे से अपने हाथ से मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी में घुसेड़ा. मेरे एक धक्का देते ही मेरा लण्ड मेरी बीबी की चूत में घुस गया. राजेश के मोटे और लंबे लण्ड से इतनी देर चुदने के बाद मेरे लण्ड को अंदर घुसाने में रेनू को कोई परेशानी नहीं हुई.
मेरी बीबी को राजेश से चुदते हुए करीब से देखने की मेरी महीनों पुरानी इच्छा आज पूरी हुयी थी इस वजह से मैं कामुकता की उस स्टेज पर पहुँच गया था की अब अपनी बीबी को चोदने में अनोखा नशा हो रहा था. मेरी बीबी को राजेश से चुदवाने के बाद जब मैं उसपर चढ़ा तो वह तो मुझ पर इतनी मेहरबान हो गयी की मैं हैरान रह गया. उसने मेरा सर अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसे अपने सर के साथ लगाया. मेरे होठ अपने होठ पर चिपका कर वह मुझे जोरों से किस करने लगी. जैसे उसने राजेश से अपना मुंह चुदवाया था, वैसे ही वह मुझसे भी अपना मुंह चुदवाना चाहती थी.
उसने मुझे थोड़े जोर से जिसे राजेश भी सुन सके कहा “मैं दुनिया की सबसे भाग्यशाली बीबी हूँ कि मुझे आप जैसा पति मिला. मैं आज आप दोनों से खूब चुदना चाहती हूँ कि मैं ये रात कभी भूल न पाऊँ. यह रात हमारी जिंदगी की सबसे यादगार रात बने.”
बस फिर क्या था. मैं पूरे जोश में रेनू को चोदने लगा. रेनू भी उछल उछल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी. राजेश का मुंह मेरी बीबी की चूँचियों पर जैसे चिपका हुआ था. वह रेनू के मम्मों को मुंह से निकाल ही नहीं रहा था. उसकी जीभ रेनू की निप्पलों को चूस रही थी. कभी कभी वह उन निप्पलों को अपने होठों के बीच जोरसे दबा कर चूसता हुआ खींचता था. रेनू के हाथमें राजेश का तना हुआ लण्ड था, जिसे वह बड़े प्यार से सहला और हिला रही थी.
कभी कभी वह राजेश के लंड को नजाकत और प्यार से सहला रही थी और दुलार कर रही थी तो कभी वह उसको थोड़ी सख्ती से दबा देती थी. राजेश आंखे बंद करके इसका मजा ले रहा था और बीच बीच में आँखे खोल कर मुझे रेनू को चोदते हुए देख लेता था.
मैं उस रात दुबारा झड़ने की तैयारी में था. मैं शिखर पर पहुंचा हुआ था. अपनी उत्तेजना के कारण मैंने हलके हलके गुर्राना शुरू किया. मेरी बीबी को यह इशारा थी की मैं तब मेरा फव्वारा छोड़ने वाला था. पर रेनू थी की धीरे पड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी. तब ऐसे लग रहा था जैसे मैं उसे नहीं वह मुझे चोद रही थी.
उसकी गति तो पहले से और तेज हो गयी. उसने अपनी चूत के बीच मेरा लण्ड सख्ती से जकड़ा था और वह अपनी पीठ को उछाल उछाल कर नीचे से ही मुझे चोद रही थी. मैंने बड़े जोर से हुंकार करते हुए एकदम अपना फव्वारा छोड़ा और मेरी बीवी की फुद्दी को मेरे वीर्य से भर दिया.
तब मेरे लण्ड पर मेरी बीवी की पकड़ कुछ ढीली पड़ी. मेरा माल पूरा निकल जाने पर मेरा लण्ड भी ढीला पड़ गया जिसे मैंने धीरे से फुद्दी में से निकालना चाहा. तब मैंने देखा की मेरी बीबी पर तो जैसे भूत सवार था. वह मेरा लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी. मैंने जैसे तैसे मेरा लण्ड निकाला और मैं रेनू पर पूरा लेट गया.
मैंने अपने होंठ रेनू के होंठ से मिलाये और मैं अपनी बीबी के होठों को चूमने लगा. तब मेरी बीबी ने मुझे कान में धीरे से कहा, “मैं अब भी बहुत चुदाई करवाना चाहती हूँ. मुझे चोदो.“ तब मैंने राजेश को इशारा किया और रेनू ने राजेश को अपनी तरफ खींचा. राजेश ने रेनू के चुन्चियो से अपना मुंह हटाया तब मैंने देखा की मेरी बीबी के गोरे गोरे मम्मे लाल हो चुके थे. राजेश के दाँतों के निशान भी कहीं कहीं दिखते थे.
रेनू की निप्पलें कड़क तनी हुयी थी. जैसे ही मैंने रेनू के इर्दगिर्द से मेरी टाँगें हटायीं और उसके दोनों पॉंव मेरे कंधे से उतारे तो मेरी बीबी ने मेरे पडोसी को अपने ऊपर चढ़ने का आह्वान दिया. राजेश का लण्ड तो जैसे इस का बेसब्री से इन्तेजार कर रहा था की कब मैं उतरूँ और कब वह अपनी पोजीशन दोबारा सम्हाले.
राजेश का घोडे के लण्ड के सामान लंबा और मोटा लण्ड तब मेरी बीबी की फुद्दी पर रगड़ने लगा. तब भी वह अपने पूर्व रस झरने से गिला और स्निग्ध था. मेरी बीबी की फुद्दी भी मेरी मलाई से भरी हुई थी. शायद राजेश के मन में यह बात आयी होगी की उसे अब वह आनंद नहीं मिलेगा जो पहली बार रेनू को चोदने में मिला था, क्योंकि रेनू की फुद्दी मेरी मलाई से भरी हुयी थी.
पर उसकी यह शंका उसके रेनू की फुद्दी में अपने लण्ड का एक धक्का देने से ही दूर हो गयी होगी, क्योंकि जैसे ही राजेश ने अपना लण्ड मेरी बीबी की फुद्दी में धकेला की मेरा सारा वीर्य रेनू की फुद्दी से बाहर निकल पड़ा. रेनू के मुंह से तब एक हलकी सी सिसकारी निकल पड़ी. वह आनंद की सिसकारी थी या दर्द की यह कहना मुश्किल था.
धीरे धीरे राजेश ने मेरी बीबी को बड़े प्यार से दोबारा चोदना शुरू किया. रेनू को तो जैसे कोई चैन ही नहीं था. राजेश के शुरू होते ही रेनू ने अपने फुद्दीड़ों को उछालना शुरू किया. वह राजेश की चुदाई का पूरा आनंद लेना चाहती थी. राजेश की चोदने रफ़्तार जैसे बढती गयी वैसे ही रेनू की अपने कूल्हों को उछाल ने की रफ़्तार भी बढ़ गयी.
राजेश के हाथ तब भी मेरी बीबी के मम्मों को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे. रेनू ने राजेश का सर अपने हाथों में लिया और चुदाई करवाते हुए रेनू ने राजेश को अपने चुन्चियो को चूसने को इशारा किया. मुझे ऐसा लगा की राजेश का रेनू के मम्मों को चूसना रेनू को ज्यादा ही उत्तेजित कर रहा था.
उनकी चुदाई देख कर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था. ऐसा लग रहा था की दोनों में से कोई भी दूसरे को छोड़ने को राजी नहीं था. मुझे इन दोनों की चुदाई से इतनी उत्तेजना हो रही थी की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने रेनू की फुद्दी पर हाथ रखा और मेरे अंगूठे और अंगूठे के पास वाली उंगली से राजेश के पिस्टन जैसे लण्ड को दबाया.
राजेश अपने लण्ड को रेनू की फुद्दी के अंदर घुसेड़ रहा था और निकाल रहा था. उसकी फुर्ती काफी तेज थी. जब मैंने अंगूठे और तर्जनी से उसके लण्ड को मुठ में दबाने की कोशिश की तो शायद राजेश को दो दो चूतो को चोदने जैसा अनुभव हुआ होगा.
रेनू ने भी मेरा हाथ पकड़ा और वह बड़ी खुश नजर आ रही थी. अचानक राजेश थम गया. रेनू राजेश को देखने लगी की क्या बात है. राजेश ने रेनू की फुद्दी में से अपना लण्ड निकाल दिया और मेरी बीबी की कमर को पकड़ कर उसे पलंग से नीचे उतरने का इशारा किया. रेनू पहले तो समझ न पायी की क्या बात है. पर जब राजेश ने उसे पलंग से सहारा लेकर झुक कर खड़ा होने को कहा वह समझ गयी की राजेश उसे डोगी स्टाइल में (जैसे कुत्ता कुतीया को चोदता है) उसे चोदना चाहता है.
रेनू उस ख़याल से थोड़ा डर गयी होगी की कहीं राजेश उसकी गांड में अपना लण्ड घुसेड़ न दे, क्योंकि उसने मेरी और भयभरी आँखों से देखा. उसके डर का कारण मैं समझ गया था. मैंने उसे शांत रहने को और धीरज रखने का इशारा किया. शायद मेरा इशारा समझ कर वह चुपचाप पलंग पर अपने हाथ टीका कर आगे की और झुक कर फर्श पर खड़ी हो गयी. राजेश मेरी बीबी की खूबसूरत गांड को अपने हाथों में मसलने लगा. आगे की और झुकी हुई और अपनी गांड और फुद्दी राजेश को समर्पण करती हुई मेरी बीबी कमाल लग रही थी.
ऐसे लग रहा था की कोई कुतिया अपने प्यारे कुत्ते से चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी. रेनू पूरी गर्मी में थी. उस पर राजेश से चुदवाने का जनून सवार था. उस समय यदि राजेश मेरी बीबी की गांड में अपना लण्ड पेल भी देता तो वह दर्द से कराहती और शोर भी जरूर मचाती पर शायद राजेश को छोड़ती नहीं और उस से अपनी गांड भी मरवा लेती.
राजेश रेनू के पीछे आ गया और उसने थोड़ा झूक कर अपना लण्ड रेनू की गांड पर और फिर उसकी फुद्दी पर रगड़ा. फिर राजेश ने और झूक कर रेनू के मम्मों को दोनों हाथों में पकड़ा और उन्हें दबाने, मसलने और खींचने लगा. उसने अपने दोनों अंगूठे रेनू के चुन्चियो पर दबा रखे थे. फिर उसने अपना लण्ड बड़े प्यार से मेरी बीबी की गरमा गरम चूत में धीरे से डाल दिया.
राजेश का चिकना लण्ड मेरी बीबी की फुद्दी में घुस तो गया, पर जैसे ही राजेश ने एक धक्का देकर उसे थोड़ा और अंदर धकेला तो रेनू दर्द से चीख उठी. उसने राजेश को पीछे हटाने की कोशिश की. राजेश ने अपना अंदर घुसा हुआ लण्ड थोडा सा वापस खिंच लिया. मेरी सुन्दर बीबी ने एक चैन की साँस ली.
पर राजेश ने फिर एक धक्का मारा और अपना लण्ड फिर अंदर घुसेड़ा. रेनू के मुंह से फिर चीख निकल गयी. फिर राजेश ने थोड़ा वापस लिया और फिर एक धक्का मार कर और अंदर घुसेड़ा.
तब मैंने देखा की मेरी बीबी अपनी आँखे जोर से बंद करके, अपने होठ भींच कर चुप रही. उसने कोई चीख नहीं निकाली, हालांकि उसे दर्द महसूस हो रहा होगा. रेनू के माथे पर पसीने की बूंदें झलक रही थी. आज तक मेरा लण्ड कभी भी मेरी बीबी की फुद्दी की उस गहरायी तक नहीं पहुँच पाया था, जहाँ तक राजेश का लण्ड उस रात पहुँच गया था.
राजेश और मेरी सुन्दरछिनाल बीबी अब एक दूसरे से आनंद पानेकी कोशिश कर रहे थे. धीरे धीरे रेनू का दर्द कम होने लगा होगा. क्योंकि अब वह दर्द भरे भाव उसके चेहरे पर नजर नहीं आ रहे थे. उसकी जगह वह अब राजेश के धक्कों के मजे ले रही थी.
राजेश ने धीरे से अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ाई. साथ ही साथ वह मेरी बीबी के मम्मों को भी अपनी हथेली और अंगूठों में भींच रहा था. रेनू उसके इस दोहरे हमले से पागल सी हो रही थी. तब मेरी बीबी को शायद थोड़ा दर्द, थोड़ा मजा महसूस हो रहा होगा. राजेश की बढ़ी हुयी रफ़्तार को मेरी बीबी एन्जॉय करने लगी थी.
रेनू ने सिस्कारिया भरना शुरू किया तो राजेश को और भी जोश चढ़ा. अब वह मेरी बीबी की चूत में इतनी फुर्ती से अपना मोटा और लंबा लण्ड पेल रहा था की रेनू अपना आपा खो रही थी. उधर जैसे ही अपना लण्ड एक के बाद एक तगड़े धक्के देकर राजेश मेरी बीबी की फुद्दी में पेलता था, तब अनायास ही के उसके मुंह से भी “ओह.. हूँ.. ” की आवाजें निकलती जा रही थी.
रेनू की सीत्कार तेज होने लगी. अब वह दर्द के मारे नहीं पर उत्तेजना और कामाग्नि के मारे हर एक धक्के पर कराह रही थी. जैसे जैसे वह अपने चरम शिखर पर पहुँच रही थी वैसे वैसे रेनू ने जोर से कराहना शुरू किया और फिर राजेश को और जोर से चोदने के लिए कहने लगी.
‘राजेश मुझे और चोदिये और जोर से. आःह्ह्ह रुकियेगा मत. मैं अब झड़ने वाली हूँ. हायययी चोदिये मुझे. हाय.. आह.. बापरे… ऑफ़..” ऐसे कराहते हुए मेरी बीबी उस रात पता नहीं शायद चौथी या पांचवी बार झड़ी.
मैंने फ़टाफ़ट एक तकिया मेरी बीबी की गाँड़ के नीचे रखा. रेनू ने राजेश का मुंह अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसका लण्ड अपनी चूत में रखे हुए राजेश को पुरे जोश से अपनी बाँहों में लिया. उसने राजेश के होठों से अपने होंठ भिड़ा दिए और एक जबरदस्त किस में राजेश और रेनू जकड गए.
राजेश की जीभ को रेनू ने अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी. उसने फिर राजेश को उसकी जीभ अपने मुंह में अंदर बाहर करने का इशारा किया. मुझे ऐसे लगा जैसे रेनू अपना मुंह भी राजेश की जीभ से चुदवाना चाहती थी. राजेश अपने लण्ड से रेनू की चूत के साथ साथ रेनू का मुंह अपनी जीभ से चोदने लगा.
रेनू अपने चूतड़ उठा उठा कर राजेश के लण्ड के एक एक धक्के को अपने अंदर पूरी तरह से घुसवा रही थी. उस दिन रेनू राजेश के लण्ड को अपने बदन की गहराईयों तक ले जाना चाहती थी जहां उसका पति भी नहीं पहुँच पाया था. अपनी वासना की धधकती आग में जलते हुए मेरी बीबी ने तब राजेश को साफ़ शब्दों में कहा “राजेश आज पूरी रात आप मुझे एक रंडी की तरह चोदो. यह मत सोचो की मुझे तुमने पहले भी चोदा है बल्कि तुम यह सोचो की तुम मुझे कब से चोदना चाहते थे और आज अचानक मैं तुम्हारे हाथ लग गयी हूँ और तुम्हे दुबारा कभी शायद ही ऐसा मौका मिले तो तुम मुझे ऐसा चोदो की जैसा तुमने दिव्या को कभी नहीं चोदा.“
बस फिर क्या था. राजेश रेनू को ऐसे जोर जोर से धक्के पेलने लगा की मुझे डर लग रहा था की कहीं वह मेरी बीबी की चूत को फाड़ न दे पर मेरी बीबी भी कोई कम थोड़ी ही थी. वह भी राजेश के नीचे अपने चूतड़ ऐसे उछाल रही थी जैसे उसपर कोई भूत सवार हो गया हो.
राजेश का मोटा लण्ड उसे गजब का मजा दे रहा था. उन दोनों की चुदाई की फच्च फच्च और फट्ट्ट फट्ट की आवाज बेडरूम में गूंज रही थी. साथ ही साथ मेरी बीबी जोर जोर से हर एक गहरे धक्के के साथ ऊँह ऊँह करती हुयी मेरे पडोसी के हर धक्के का बराबर जवाब दे रही थी. रेनू राजेश को नीचे से धक्का दे रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बीच चोदने की होड़ लगी थी.
आज की मेरी बीबी की उत्तेजना जैसी थी वैसी मैंने पहले कभी नहीं देखी थी. मैं अपनी बीबी की मेरे पडोसी से चुदाई देखने में इतना मशगूल हो गया था की जब रेनू ने मेरा हाथ पकड़ा और दबाया तब मैं अपने ख्यालों से बाहर आया और मैंने रेनू को चरम पर देखा. वह उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी और झड़ने ही वाली थी.
उसने एक लम्बी कामुक आवाज में आहह ह ह ह भरी और झड़ गयी. मैं उसकी चूत से निकलते रस को राजेश के लण्ड और मेरी बीबी की चूत के बीच से बहते देख रहा था. रेनू को झड़ते देख राजेश कुछ देर तक रुक गया. उसका लण्ड तब भी पुरे तनाव में था. बल्कि रेनू को झड़ते देख राजेश की उत्तेजना और बढ़ गई पर फिर भी उसने धीरे से अपना लण्ड मेरी बीबी की चूत से निकाला.
रेनू ने राजेश से पूछा “डार्लिंग आप रुक क्योँ गए? मैं अभी बिलकुल नहीं थकी हूँ. मेरी तड़प कम नहीं हुयी उलटी बढ़ गयी है. प्लीज अब आप रुकना नहीं”
लेकिन राजेश ने मेरी और देखा और मुझे रेनू पर चढ़ने के लिए कहा. मेरा पडोसी मुझे मेरी ही बीवी को चोदने का आमंत्रण दे रहा था. इस हालात में शायद ही कोई चुदक्कड़ रेनू के उपर से उतरेगा लेकिन राजेश तब खुद झड़ना नहीं चाहता था.
रेनू मुझसे बोली “अब राजेश के सामने तुम मुझे चोदो. अब राजेश को भी हमारी चुदाई देखने का मजा लेने दो.”
मैं तो इंतेजार ही कर रहा था की कब मेरा नंबर लगे. मैं राजेश को मेरी बीबी की चुदाई करते देख अपने लोहे की छड़ के सरीखे तने हुए लण्ड को सहला कर अपनी कामुकता को शांत करने की कोशिश कर रहा था. जैसे ही राजेश रेनू के ऊपर से हटा मैंने मेरी बीबी की खूबसूरत टाँगों के बीच में अपनी पोजीशन ले ली. रेनू ने अपनी दोनों टांगें मेरे सर के दोनों और मेरे कन्धों पर रख दी.
अपने लण्ड को अपने ही हाथ से सहलाते हुए मैंने प्यार से मेरी बीबी की चूत के छेद के साथ रगड़ा. रेनू ने उसकी चूत के पुराने साथी को अपने हाथों में लिया और धीरे से अपने हाथ से मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी में घुसेड़ा. मेरे एक धक्का देते ही मेरा लण्ड मेरी बीबी की चूत में घुस गया. राजेश के मोटे और लंबे लण्ड से इतनी देर चुदने के बाद मेरे लण्ड को अंदर घुसाने में रेनू को कोई परेशानी नहीं हुई.
मेरी बीबी को राजेश से चुदते हुए करीब से देखने की मेरी महीनों पुरानी इच्छा आज पूरी हुयी थी इस वजह से मैं कामुकता की उस स्टेज पर पहुँच गया था की अब अपनी बीबी को चोदने में अनोखा नशा हो रहा था. मेरी बीबी को राजेश से चुदवाने के बाद जब मैं उसपर चढ़ा तो वह तो मुझ पर इतनी मेहरबान हो गयी की मैं हैरान रह गया. उसने मेरा सर अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसे अपने सर के साथ लगाया. मेरे होठ अपने होठ पर चिपका कर वह मुझे जोरों से किस करने लगी. जैसे उसने राजेश से अपना मुंह चुदवाया था, वैसे ही वह मुझसे भी अपना मुंह चुदवाना चाहती थी.
उसने मुझे थोड़े जोर से जिसे राजेश भी सुन सके कहा “मैं दुनिया की सबसे भाग्यशाली बीबी हूँ कि मुझे आप जैसा पति मिला. मैं आज आप दोनों से खूब चुदना चाहती हूँ कि मैं ये रात कभी भूल न पाऊँ. यह रात हमारी जिंदगी की सबसे यादगार रात बने.”
बस फिर क्या था. मैं पूरे जोश में रेनू को चोदने लगा. रेनू भी उछल उछल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी. राजेश का मुंह मेरी बीबी की चूँचियों पर जैसे चिपका हुआ था. वह रेनू के मम्मों को मुंह से निकाल ही नहीं रहा था. उसकी जीभ रेनू की निप्पलों को चूस रही थी. कभी कभी वह उन निप्पलों को अपने होठों के बीच जोरसे दबा कर चूसता हुआ खींचता था. रेनू के हाथमें राजेश का तना हुआ लण्ड था, जिसे वह बड़े प्यार से सहला और हिला रही थी.
कभी कभी वह राजेश के लंड को नजाकत और प्यार से सहला रही थी और दुलार कर रही थी तो कभी वह उसको थोड़ी सख्ती से दबा देती थी. राजेश आंखे बंद करके इसका मजा ले रहा था और बीच बीच में आँखे खोल कर मुझे रेनू को चोदते हुए देख लेता था.
मैं उस रात दुबारा झड़ने की तैयारी में था. मैं शिखर पर पहुंचा हुआ था. अपनी उत्तेजना के कारण मैंने हलके हलके गुर्राना शुरू किया. मेरी बीबी को यह इशारा थी की मैं तब मेरा फव्वारा छोड़ने वाला था. पर रेनू थी की धीरे पड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी. तब ऐसे लग रहा था जैसे मैं उसे नहीं वह मुझे चोद रही थी.
उसकी गति तो पहले से और तेज हो गयी. उसने अपनी चूत के बीच मेरा लण्ड सख्ती से जकड़ा था और वह अपनी पीठ को उछाल उछाल कर नीचे से ही मुझे चोद रही थी. मैंने बड़े जोर से हुंकार करते हुए एकदम अपना फव्वारा छोड़ा और मेरी बीवी की फुद्दी को मेरे वीर्य से भर दिया.
तब मेरे लण्ड पर मेरी बीवी की पकड़ कुछ ढीली पड़ी. मेरा माल पूरा निकल जाने पर मेरा लण्ड भी ढीला पड़ गया जिसे मैंने धीरे से फुद्दी में से निकालना चाहा. तब मैंने देखा की मेरी बीबी पर तो जैसे भूत सवार था. वह मेरा लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी. मैंने जैसे तैसे मेरा लण्ड निकाला और मैं रेनू पर पूरा लेट गया.
मैंने अपने होंठ रेनू के होंठ से मिलाये और मैं अपनी बीबी के होठों को चूमने लगा. तब मेरी बीबी ने मुझे कान में धीरे से कहा, “मैं अब भी बहुत चुदाई करवाना चाहती हूँ. मुझे चोदो.“ तब मैंने राजेश को इशारा किया और रेनू ने राजेश को अपनी तरफ खींचा. राजेश ने रेनू के चुन्चियो से अपना मुंह हटाया तब मैंने देखा की मेरी बीबी के गोरे गोरे मम्मे लाल हो चुके थे. राजेश के दाँतों के निशान भी कहीं कहीं दिखते थे.
रेनू की निप्पलें कड़क तनी हुयी थी. जैसे ही मैंने रेनू के इर्दगिर्द से मेरी टाँगें हटायीं और उसके दोनों पॉंव मेरे कंधे से उतारे तो मेरी बीबी ने मेरे पडोसी को अपने ऊपर चढ़ने का आह्वान दिया. राजेश का लण्ड तो जैसे इस का बेसब्री से इन्तेजार कर रहा था की कब मैं उतरूँ और कब वह अपनी पोजीशन दोबारा सम्हाले.
राजेश का घोडे के लण्ड के सामान लंबा और मोटा लण्ड तब मेरी बीबी की फुद्दी पर रगड़ने लगा. तब भी वह अपने पूर्व रस झरने से गिला और स्निग्ध था. मेरी बीबी की फुद्दी भी मेरी मलाई से भरी हुई थी. शायद राजेश के मन में यह बात आयी होगी की उसे अब वह आनंद नहीं मिलेगा जो पहली बार रेनू को चोदने में मिला था, क्योंकि रेनू की फुद्दी मेरी मलाई से भरी हुयी थी.
पर उसकी यह शंका उसके रेनू की फुद्दी में अपने लण्ड का एक धक्का देने से ही दूर हो गयी होगी, क्योंकि जैसे ही राजेश ने अपना लण्ड मेरी बीबी की फुद्दी में धकेला की मेरा सारा वीर्य रेनू की फुद्दी से बाहर निकल पड़ा. रेनू के मुंह से तब एक हलकी सी सिसकारी निकल पड़ी. वह आनंद की सिसकारी थी या दर्द की यह कहना मुश्किल था.
धीरे धीरे राजेश ने मेरी बीबी को बड़े प्यार से दोबारा चोदना शुरू किया. रेनू को तो जैसे कोई चैन ही नहीं था. राजेश के शुरू होते ही रेनू ने अपने फुद्दीड़ों को उछालना शुरू किया. वह राजेश की चुदाई का पूरा आनंद लेना चाहती थी. राजेश की चोदने रफ़्तार जैसे बढती गयी वैसे ही रेनू की अपने कूल्हों को उछाल ने की रफ़्तार भी बढ़ गयी.
राजेश के हाथ तब भी मेरी बीबी के मम्मों को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे. रेनू ने राजेश का सर अपने हाथों में लिया और चुदाई करवाते हुए रेनू ने राजेश को अपने चुन्चियो को चूसने को इशारा किया. मुझे ऐसा लगा की राजेश का रेनू के मम्मों को चूसना रेनू को ज्यादा ही उत्तेजित कर रहा था.
उनकी चुदाई देख कर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था. ऐसा लग रहा था की दोनों में से कोई भी दूसरे को छोड़ने को राजी नहीं था. मुझे इन दोनों की चुदाई से इतनी उत्तेजना हो रही थी की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने रेनू की फुद्दी पर हाथ रखा और मेरे अंगूठे और अंगूठे के पास वाली उंगली से राजेश के पिस्टन जैसे लण्ड को दबाया.
राजेश अपने लण्ड को रेनू की फुद्दी के अंदर घुसेड़ रहा था और निकाल रहा था. उसकी फुर्ती काफी तेज थी. जब मैंने अंगूठे और तर्जनी से उसके लण्ड को मुठ में दबाने की कोशिश की तो शायद राजेश को दो दो चूतो को चोदने जैसा अनुभव हुआ होगा.
रेनू ने भी मेरा हाथ पकड़ा और वह बड़ी खुश नजर आ रही थी. अचानक राजेश थम गया. रेनू राजेश को देखने लगी की क्या बात है. राजेश ने रेनू की फुद्दी में से अपना लण्ड निकाल दिया और मेरी बीबी की कमर को पकड़ कर उसे पलंग से नीचे उतरने का इशारा किया. रेनू पहले तो समझ न पायी की क्या बात है. पर जब राजेश ने उसे पलंग से सहारा लेकर झुक कर खड़ा होने को कहा वह समझ गयी की राजेश उसे डोगी स्टाइल में (जैसे कुत्ता कुतीया को चोदता है) उसे चोदना चाहता है.
रेनू उस ख़याल से थोड़ा डर गयी होगी की कहीं राजेश उसकी गांड में अपना लण्ड घुसेड़ न दे, क्योंकि उसने मेरी और भयभरी आँखों से देखा. उसके डर का कारण मैं समझ गया था. मैंने उसे शांत रहने को और धीरज रखने का इशारा किया. शायद मेरा इशारा समझ कर वह चुपचाप पलंग पर अपने हाथ टीका कर आगे की और झुक कर फर्श पर खड़ी हो गयी. राजेश मेरी बीबी की खूबसूरत गांड को अपने हाथों में मसलने लगा. आगे की और झुकी हुई और अपनी गांड और फुद्दी राजेश को समर्पण करती हुई मेरी बीबी कमाल लग रही थी.
ऐसे लग रहा था की कोई कुतिया अपने प्यारे कुत्ते से चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी. रेनू पूरी गर्मी में थी. उस पर राजेश से चुदवाने का जनून सवार था. उस समय यदि राजेश मेरी बीबी की गांड में अपना लण्ड पेल भी देता तो वह दर्द से कराहती और शोर भी जरूर मचाती पर शायद राजेश को छोड़ती नहीं और उस से अपनी गांड भी मरवा लेती.
राजेश रेनू के पीछे आ गया और उसने थोड़ा झूक कर अपना लण्ड रेनू की गांड पर और फिर उसकी फुद्दी पर रगड़ा. फिर राजेश ने और झूक कर रेनू के मम्मों को दोनों हाथों में पकड़ा और उन्हें दबाने, मसलने और खींचने लगा. उसने अपने दोनों अंगूठे रेनू के चुन्चियो पर दबा रखे थे. फिर उसने अपना लण्ड बड़े प्यार से मेरी बीबी की गरमा गरम चूत में धीरे से डाल दिया.
राजेश का चिकना लण्ड मेरी बीबी की फुद्दी में घुस तो गया, पर जैसे ही राजेश ने एक धक्का देकर उसे थोड़ा और अंदर धकेला तो रेनू दर्द से चीख उठी. उसने राजेश को पीछे हटाने की कोशिश की. राजेश ने अपना अंदर घुसा हुआ लण्ड थोडा सा वापस खिंच लिया. मेरी सुन्दर बीबी ने एक चैन की साँस ली.
पर राजेश ने फिर एक धक्का मारा और अपना लण्ड फिर अंदर घुसेड़ा. रेनू के मुंह से फिर चीख निकल गयी. फिर राजेश ने थोड़ा वापस लिया और फिर एक धक्का मार कर और अंदर घुसेड़ा.
तब मैंने देखा की मेरी बीबी अपनी आँखे जोर से बंद करके, अपने होठ भींच कर चुप रही. उसने कोई चीख नहीं निकाली, हालांकि उसे दर्द महसूस हो रहा होगा. रेनू के माथे पर पसीने की बूंदें झलक रही थी. आज तक मेरा लण्ड कभी भी मेरी बीबी की फुद्दी की उस गहरायी तक नहीं पहुँच पाया था, जहाँ तक राजेश का लण्ड उस रात पहुँच गया था.
राजेश और मेरी सुन्दरछिनाल बीबी अब एक दूसरे से आनंद पानेकी कोशिश कर रहे थे. धीरे धीरे रेनू का दर्द कम होने लगा होगा. क्योंकि अब वह दर्द भरे भाव उसके चेहरे पर नजर नहीं आ रहे थे. उसकी जगह वह अब राजेश के धक्कों के मजे ले रही थी.
राजेश ने धीरे से अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ाई. साथ ही साथ वह मेरी बीबी के मम्मों को भी अपनी हथेली और अंगूठों में भींच रहा था. रेनू उसके इस दोहरे हमले से पागल सी हो रही थी. तब मेरी बीबी को शायद थोड़ा दर्द, थोड़ा मजा महसूस हो रहा होगा. राजेश की बढ़ी हुयी रफ़्तार को मेरी बीबी एन्जॉय करने लगी थी.
रेनू ने सिस्कारिया भरना शुरू किया तो राजेश को और भी जोश चढ़ा. अब वह मेरी बीबी की चूत में इतनी फुर्ती से अपना मोटा और लंबा लण्ड पेल रहा था की रेनू अपना आपा खो रही थी. उधर जैसे ही अपना लण्ड एक के बाद एक तगड़े धक्के देकर राजेश मेरी बीबी की फुद्दी में पेलता था, तब अनायास ही के उसके मुंह से भी “ओह.. हूँ.. ” की आवाजें निकलती जा रही थी.
रेनू की सीत्कार तेज होने लगी. अब वह दर्द के मारे नहीं पर उत्तेजना और कामाग्नि के मारे हर एक धक्के पर कराह रही थी. जैसे जैसे वह अपने चरम शिखर पर पहुँच रही थी वैसे वैसे रेनू ने जोर से कराहना शुरू किया और फिर राजेश को और जोर से चोदने के लिए कहने लगी.
‘राजेश मुझे और चोदिये और जोर से. आःह्ह्ह रुकियेगा मत. मैं अब झड़ने वाली हूँ. हायययी चोदिये मुझे. हाय.. आह.. बापरे… ऑफ़..” ऐसे कराहते हुए मेरी बीबी उस रात पता नहीं शायद चौथी या पांचवी बार झड़ी.