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Adultery शर्मिली भाभी
#37
राज- हेल्लो, रश्मी मैने फ़ोन तुम्हें ये बताने के लिये किया था कि मै रविवार को घर आऊंगा और फ़िर सोमवार को शाम को वापस चला जाऊंगा ट्रेनिंग के लिये। मैने तुम्हें परेशान तो नहीं किया न, तुम सो तो नही गई थी रश्मी?

रश्मी- नही, बस सोने ही वाली थी। चेंज कर रही थी ।

राज - अच्छा अच्छा, सारी तुम्हें डिस्टर्ब किया। बाय, लेकिन कल मां को जरूर बता देना। रखता हूं गुड़ नाईट।

और फ़िर उसने बिना रश्मी की बात सुने ही फ़ोन रख दिया। वो कुछ क्षण फ़ोन को घूरते रही फ़िर उसने उसे जोर से पटक दिया और वापस पलंग की तरफ़ जाने लगी। उसकी गांड़ फ़िर से उछलने लगी अब मै भी अपने क्लाईमेक्स में पहुंच चुका था, उसने अपना गाऊन उठा लिया और पहनने लगी, मेंरा दिल किया कि मैं यही से चिल्ला कर कह दूं, जाने मन कपड़े मत पहनों तुम नंगी बहुत अच्छी लगती हो, मै तुझे सदा नंगी ही देखना चाहता हूं। लेकिन उसने अपना गाऊन पहन लिया। अब मेंरा मूड़ खराब हो गया। अगर मुझे कोई रश्मी को आशिर्वाद देने को कहता तो मै उसे एक ही आशिर्वाद देता "सदा नंगी रहो"।

गाऊन पहनने के बाद वो पलंग पर लेट गई और कोई किताब पढ़ने लगी पढ़ते समय वो अपने पैर इधर उध्रर हिला रही थी जिसके कारण उसका गाऊन घूटनॊं तक उपर उठ़ गया। उसकी चिकनी टांगो पर नजर गड़ाए मै मुठ्ठ मारने लगा और थोड़ी ही देर में मेंरे लण्ड़ ने उल्टी कर दी और पोकने लगा। मैने बड़ी राहत महसूस की। मैने अपना पेन्ट पहना और छत की सीढ़ीयों से सावधानी से निचे उतरा क्योंकि उसके मात्र दो कदमों की दूरी पर रश्मी के कमरे का दरवाजा था।

मैने देखा उसके कमरे के दरवाजे से प्रकाश की एक पतली रेखा बाहर आ रही थी। याने वो अंदर से बंद नही था। मै आहिस्ता आहिस्ता चलते हुए उसके दरवाजे के पास पहुंचा और उसके दरवाजे की दरार से अन्दर झांकने की कोशीश करने लगा। दरार से उसका पलंग दिखाई दे रहा था,चूकि दरवाजा हल्का सा खुला था इसलिये मुझे उसकी कमर तक का हिस्सा ही दिख रहा था। मैने देखा उसने अपनी दाहिना पांव सीधा रखा है और बांया मोड़ कर रखा है जिसके कारण उसका गाऊन उसकी जांघ तक चढ़ गया था और मुझे उसकी दाहिनी जांघ अंदर तक साफ़ दिखाई दे रही थी। कुछ क्षण उसे देखने के बाद मै तेजी से उसके दरवाजे से हटा और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया।

कमरे में जाने के बाद मैने भी अपना ड्रेस बदला और लुंगी पहन ली तथा उपर केवल बनियान ही पहने रहा। भाभी के नंगे जिस्म की खुमारी अभी भी मेंरे दिमाग में थी। हांलाकि मैं झड़ चुका था लेकिन फ़िर भी काफ़ी देर तक रश्मी भाभी के नंगे जिस्म को देखने के कारण मेंरे शरीर में पैदा गर्मी ने मुझे काफ़ी शीथिल बना दिया था, और मै काफ़ी थका मह्सूस कर रहा था, इसलिये मैं बाथ्ररुम गया और अच्छी तरह से अपने हाथ-पैर और चेहरा पानी से साफ़ किया और सर को थोड़ा पानी मारा, अब मै काफ़ी ताजगी मह्सूस कर रहा था, बाहर आ कर अपना बदन पोंछते हुए मै फ़िर रश्मी के गदाराए नंगे बदन के बारे में सोचने लगा। पूरी तरह से फ़्रेश होने के बाद मै अपने पलंग मे जा कर सो गया और सोने का प्रयास करने लगा, नींद मेंरी आंखो से ओझल हो चुकी थी । बार बार भाभी का नंगा जिस्म मुझे नींद से दूर ले आता, मैने बेचैनी में अपना पहलू बदलते हुए एक मेग्जिन उठा कर पढ़्ने का प्रयास करने लगा। लेकिन मैं उसकी एक लाईन पढ़ पाने में असमर्थ था, भाभी के नंगे बदन ने मेंरे दिमाग को कुंद बना कर रख दिया था।

मैं बेचैनी में कुछ पहलु बदलने के बाद पलंग से उठ खड़ा हुआ, अपने शर्ट के पास गया और उसकी जेब से सिगरेट निकाल कर और उसे सुलगा ली, अब मै कमरे मेंचहक कदमी करते हुए सिगरेट पीने लगा और भाभी के बारे में सोचने लगा। छत से अपने कमरे में आए मुझे अब दो घंटे से भी ज्यादा बीत चुके थे।

मेंरे कमरे में सिगरेट का धुंआ भरने से मुझे कमरे में घुटन होने लगी तो मैने कमरे का दरवाजा खोल दिया और अपने रुम से बाहर आ कर गैलेरी में चल कदमी करने लगा। तभी मेंरी नजर भाभी के कमरे की तरफ़ गई उसके कमरे से अभी तक लाईट बाहर आ रही थी। याने वो अभी तक खुला हुआ था। मैं सोचने लगा क्या वो अभी तक किताब पढ़ रही है? मेंरी सिगरेट भी खतम हो चुकी थी सो मैंने उसे बुझाया और उसे फ़ेंकने के लिये छत की तरफ़ ही चला गया।

भाभी के दरवाजे के पास से मैंने अपनी सिगरेट छत पर फ़ेंक दी और दरवाजे की दरार से अंदर झांककर देखा। अन्दर का नजारा काफ़ी रोमांचित करने वाला था। भाभी गहरी नींद में सोई हुई थी और किताब आधी उसके सीने पर और आधी उसके चेहरे पर पड़ी थी।उसका चेहरा दाए तरफ़ मुड़ा हुआ था, और उसका बांया हाथ पलंग के बाहर लटक रहा था और उसका बांया पांव भी लटक कर जमीन पर पड़ा था, उसका गाऊन जांघ से भी थोड़ा उपर उठ़ गया था।

मेंरा लंड़ फ़िर से खड़ा होने लगा। मैने दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया वो चररररर की अवाज के साथ थोड़ा खुल गया,दरवाजे में अवाज होने के कारण मैं थोड़ा घबरा गया और झट से वहां हट गया। कुछ देर तक मैं वैसे ही दिवार से चिपक कर खड़ा रहा लेकिन मैने देखा दरवाजा उसी तरह से खुला पड़ा है। यानी भाभी उसी तरह से सोई पड़ी है गहरी नींद में।

अब मै फ़िर दरवाजे के सामने खड़ा हो गया और इस बार कुछ हिम्मत के साथ मै दरवाजे को धक्का मार कर पूरा खोल दिया और वहीं खड़ा रहा। भाभी उसी तरह से पड़ी रही उस पर कोई असर नही हुआ लेकिन फ़िर भी मैं निश्चिंत हो जाना चाहता था इसलिये मैने फ़िर से दरवाजे को बंद किया वो फ़िर से अवाज करते हुए बंद हो गया। लेकिन वो सोई पडी रही । ऎसा मैने चार पांच बार किया लेकिन वो तनिक भी नहीं हीली। अब मुझे यकीन हो गया की वो गहरी नीद में है।

मैं उसके कमरे के अंदर गया और धीरे से बोला भाभी , लेकिन वो उसी तरह से पड़ी रही,ऎसा मैने दो तीन बार किया लेकिन वो पूर्ववत सोई रही। अब मैने उसके लाईट और पंखे को भी तीन चार बार बंद चालू करके देखलीया लेकिन उसकी नींद मे कोई खलल नहीं हुआ और बेसुध हो कर सोती रही।

अपनी स्वप्न सुंदरी को अपने सामने इस प्रकार अर्धनग्न अवस्था में बेसुध हो कर सोते देख मैं फ़िर से कामवासना के दलदल में ड़ूब गया। मेंरा लण्ड़ बुरी तरह से खड़ा हो गया था। मैं उसे छूने के लिये बेचैन हो गया। मैंने अपने कदम पलंग की तरफ़ बढ़ाये। अब मैं उसके एकदम करीब आ कर खड़ा हो गया। अब मैने अपना मुंह निचेझुकाते हुए उसके मुंह के एक्दम करीब ले गया और धीरे से बोला भाभी ........ उठो , लेकिन वो सोई पड़ी रही।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शर्मिली भाभी - by neerathemall - 13-08-2020, 02:22 PM



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