12-08-2020, 11:37 PM
मधु ने मेरे लड़ को जीभ से अच्छी तरह चाट कर धक्का देती बोली , वसंत इस भड़वे के मुँह लगाते ही अपने लड़ को प्यासी भाभी के मुँह मैं डालो ,वसंत हँसते हांफते बोला बस मेरी रांड वहीं करूँगा वैसे भी तेरे जीभ का स्वाद मेरे लौड़े ने चखा भी नहीं और तुझे रांड बना लिया , मैं मधु के धक्के से हट कर उसके चुत और वसंत के वीर्य से सने लड़ के के ऊपर मुँह लगा कर लेट गया और वो लड़ खिंच कर मेरे चेहरे पर रखता मेरे सर को दबाते बोला चाटो बीवी के तृप्त चुत से उसके देवर का पानी और मेरे चेहरे को गाढ़े वीर्य से गिला कर वो मधु के खुले मुँह मैं लड़ डाल उसके चुचियों पर चढ़ बैठा और मैंने मधु की चुत मुँह से सील कर दी कि एक बूँद भी बर्बाद न हो जाये , मैं जीभ घुमाता मधु के अति तृप्त और वीर्य से लबरेज़ चुत को चाटने लगा और वो कमर हिलाती मानो कहने लगी हो लो अब बन गयी तेरी अर्धांगनी नंगी रांड और करा दी तुझे मर्द के वीर्य का पान ।
वसंत चूचियो पर चढ़ लंबे लड़ को मधु के जीभ से चटवाते झुक कर गले तक उतार दिया और मधु सघर्ष करती उसके मर्दाना जिस्म को धक्का देने लगीं और वो बोला रांड हाथ हटा जल्दी साली छिनाल तू हिमत कैसे कर रहीं मुझे रोखने की ये तेरा जिस्म मेरा है जैसे चाहूँगा नोचूंगा खाऊंगा और मधु अपने हाथों को बिस्तर पर फैला कर वसंत के लड़ को हलक पर दबते सहती रही और मैं वसंत के वीर्य को जीभ की नोंक से धीरे धीरे मुँह मैं लेता रहा ।
वसंत के यू मुँह मैं डालने से मधु सकपकाए इठलाने लगी और छटपटाती बेडशीट को खिंचती रही और वसंत ने थोड़ा उठ कर मधु को साँस लेने दिया और बोला मेरी रंडी मुँह खोल के बोल ज़ोर से मुँह चोद दे वसंत ।
मधु तेज़ सासे लेती वसंत के जिस्म का वजन अपने गदराई कोमल चुचियों पर सहती हाँफते बोली मेरे प्यारे देवर जी मुँह चोदिये अपनी रांड का , वसंत बालों से मधु के चेहरे को खीच कर ऊपर करते होटो को दाँतो से खिंचते बोला चोद रहा हूं ।
भाभी बहुत तड़पा हु तेरी इस इठलाती जवानी के लिए, बरसों से मुठ मारा हूँ तेरे नाम की आज तुझे ऐसे चोदूँगा की तू सुबह हर कदम चलते अहह वसंत उफ्फ वसंत करती रहेगी और इस जिस्म को जहाँ छुएगी वहीं मेरी याद आएगी ।
मधु के सर को बिस्तर पर पटक कर वो लड़ डाल कर लेट गया और बोलने लाग वाह कुतिया तेरी हलक तोह चुत जैसी कोमल है जी चाहता है यू ही डाले रखूं, मधु ऐसे अनुभव की अपेछा नही करी थी लेकिन वो वसंत के आगोश मैं पूर्ण रूप से समर्पित थी जिसके फलस्वरूप वसंत अपनी मर्ज़ी से मधु के मुँह को बस एक छेद समझ लड़ की मनोकामना पूर्ति करता रहा और फिर थोड़ी देर रुक कर मधु को बस सास लेने देता और फिर हलक मैं लड़ डाल तड़पते महसूस करता अपने गांड के नीचे , ये खेल वसंत काफ़ी मज़े से खेलता रहा और मधु के चेहरे को लाल कर दिया और आँखे आँसू बहाती रही पर वो बस लड़ को खुसी देता रहा और उठ कर मधु के मुँह को चोदने लगा और वो कसमसाती बिस्तर पर इठलाती काँपने लगी और मधु के मुँह से थूक बहता उसके ही चेहरे को भिगोने लगा , मधु की आँखे लाल हो गई और नाक थूक से भर गया और थूक की झाग ने थोड़े ही देर मैं मधु की आँखे बंद कर दी और वो बेबस वसंत के लड़ के धक्के को अपने जुबान पर फ़िसलती हलक से टकराती सहन करने लगी और कमर उठा कर मेरे मुँह मैं दबाने लगी मानो वो उतेजना महसूस कर रहीं हो और मै दोनों हाथों से उसके झाघो को कस कर पकड़ लिया और हिलते कमर से मधु ने वसंत के वीर्य की पिचकारी मुँह मैं देती रहीं ,मुझे समझते देर न लगी कि मधु झड़ने को बेताब हो चूंकि है और मैं तेज़ी से उसके चुत से वीर्य पीने लगा , जीभ चुत के कोमल छिले दीवार से चाट खाने लगा और वो कमर उठा उठा कर मेरे जीभ को लड़ समझ धक्का देने लगी ।
वसंत बोला वाह मेरी प्यासी भाभी तेरी इस अदा ने मुझे फिर उतेजित कर दिया और लड़ मधु के चेहरे पर रख बोला चाट मेरी गोटियां अब तोह मेरा वीर्य तेरी हलक पर ही गिरेगी ।
मधु के मुँह पर वो गोटियों को दबाता थूक से सने लड़ को चेहरे पर रगड़ता वो पूर्ण रूप से अपने शौक को पूरा करने लगा और मधु भी खुल कर चादर को कस के पकड़ बिना विरोद उसके हर ख्वाइश को पूरा करती रहीं ।
मैंने भी तसली से उसके चुत को चाट वीर्य का एक एक बूँद पी लिया और चुत के दाने को जीभ से सहलाने लगा और मधु ने कमर ज़ोर से झटक कर मेरे कंधे पर टांग फ़सा कर मुझे चुत पर दबा लिया और मेरा चेहरा उसके टांगों के बीच दब गया और वो इठलाती मानो मुझे बोल रही हो चाटते रहिये कुत्ते की तरह अपनी रंडी बीवी की चुत ।
दोनों गोटियों को मधु ने चूस कर थूक से नहला दिया और वसंत के कड़कते लड़ को चेहरे पर फिरते महसूस करती लंबी सासे भरने लगी और वसंत ने नाक के छेद पर लड़ दाब कर बोला सूँघ और मधु तेज़ सास खिंचती मचलती रही और वो लड़ होंठो पर फेरता बोला जीभ निकाल बाहर ,मधु जीभ निकाल कर उसके लड़ के ऊपर घुमाने लगी और वो चूचियो पर दबाब बढ़ाते बोला क्या गद्देदार चुचिया है, बैठ कर लग रहा है किसी मुलायम नर्म गद्दे पर बैठा हूँ बस तेरे दोनों कड़क निप्पल्स की चुभन मुझे कह रही है कि तू मेरी रांड है ।
मधु हाथों से उसके लड़ को पकड़ कर बोली देवर जी नीचे डालो मेरी चुत मैं आग लगा दी भड़वे ने ,वो हँसते बोला अच्छी बात है पति ऐसा ही होना चाहिए जो बीवी को गर्म कर दे , वो अपने आँखों से थूक की परतों को पोछती बोली ठंडा तोह मर्द से ही होना होगा ना ।
वसंत ने मधु के सुर्ख़ लाल आँखों मे झांकते बोला चल ऊपर चढ़ के उछल भाभी , मधु टांगो से मेरे चेहरे को आज़ाद करती बोली हट जाईये अब तोह आपकी धर्मपत्नी सवारी करेगी मर्द के लड़ का और वसंत बिस्तर पर लेट हाथों को सर के नीचे रख कर बोला चढ़ जा मेरी रांड अपने देवर के लड़ पर और उछाल अपनी चुचियों को , मधु ने चुत की छेद पर लड़ के टोपे को रख कर नीचे से उसके लड़ को रगड़ती दबाती सिसकिया लेती पैरों को अच्छी तरह बिस्तर पर दबाती घप से बैठ गई और वसंत का मोटा काला चौड़ा लंबा लड़ चुत के गहराई मैं खो गया और वो झुक कर उसके सीने पर इठलाती बोली देवर जी दूध नहीं पियोगे भाभी का , वसंत झट से दोनों चुचियों को हाथों मैं भरता बोला उफ्फ पियूँगा मेरी जान चूस चूस कर पियूँगा काट खाऊंगा ये नर्म कड़क किशमिस के दोनों दानों को और मधु झुकती उसके मुँह मैं निपल देती गाँड उठा कर लड़ पर हिलाने लगी ।
वसंत चूचियो पर चढ़ लंबे लड़ को मधु के जीभ से चटवाते झुक कर गले तक उतार दिया और मधु सघर्ष करती उसके मर्दाना जिस्म को धक्का देने लगीं और वो बोला रांड हाथ हटा जल्दी साली छिनाल तू हिमत कैसे कर रहीं मुझे रोखने की ये तेरा जिस्म मेरा है जैसे चाहूँगा नोचूंगा खाऊंगा और मधु अपने हाथों को बिस्तर पर फैला कर वसंत के लड़ को हलक पर दबते सहती रही और मैं वसंत के वीर्य को जीभ की नोंक से धीरे धीरे मुँह मैं लेता रहा ।
वसंत के यू मुँह मैं डालने से मधु सकपकाए इठलाने लगी और छटपटाती बेडशीट को खिंचती रही और वसंत ने थोड़ा उठ कर मधु को साँस लेने दिया और बोला मेरी रंडी मुँह खोल के बोल ज़ोर से मुँह चोद दे वसंत ।
मधु तेज़ सासे लेती वसंत के जिस्म का वजन अपने गदराई कोमल चुचियों पर सहती हाँफते बोली मेरे प्यारे देवर जी मुँह चोदिये अपनी रांड का , वसंत बालों से मधु के चेहरे को खीच कर ऊपर करते होटो को दाँतो से खिंचते बोला चोद रहा हूं ।
भाभी बहुत तड़पा हु तेरी इस इठलाती जवानी के लिए, बरसों से मुठ मारा हूँ तेरे नाम की आज तुझे ऐसे चोदूँगा की तू सुबह हर कदम चलते अहह वसंत उफ्फ वसंत करती रहेगी और इस जिस्म को जहाँ छुएगी वहीं मेरी याद आएगी ।
मधु के सर को बिस्तर पर पटक कर वो लड़ डाल कर लेट गया और बोलने लाग वाह कुतिया तेरी हलक तोह चुत जैसी कोमल है जी चाहता है यू ही डाले रखूं, मधु ऐसे अनुभव की अपेछा नही करी थी लेकिन वो वसंत के आगोश मैं पूर्ण रूप से समर्पित थी जिसके फलस्वरूप वसंत अपनी मर्ज़ी से मधु के मुँह को बस एक छेद समझ लड़ की मनोकामना पूर्ति करता रहा और फिर थोड़ी देर रुक कर मधु को बस सास लेने देता और फिर हलक मैं लड़ डाल तड़पते महसूस करता अपने गांड के नीचे , ये खेल वसंत काफ़ी मज़े से खेलता रहा और मधु के चेहरे को लाल कर दिया और आँखे आँसू बहाती रही पर वो बस लड़ को खुसी देता रहा और उठ कर मधु के मुँह को चोदने लगा और वो कसमसाती बिस्तर पर इठलाती काँपने लगी और मधु के मुँह से थूक बहता उसके ही चेहरे को भिगोने लगा , मधु की आँखे लाल हो गई और नाक थूक से भर गया और थूक की झाग ने थोड़े ही देर मैं मधु की आँखे बंद कर दी और वो बेबस वसंत के लड़ के धक्के को अपने जुबान पर फ़िसलती हलक से टकराती सहन करने लगी और कमर उठा कर मेरे मुँह मैं दबाने लगी मानो वो उतेजना महसूस कर रहीं हो और मै दोनों हाथों से उसके झाघो को कस कर पकड़ लिया और हिलते कमर से मधु ने वसंत के वीर्य की पिचकारी मुँह मैं देती रहीं ,मुझे समझते देर न लगी कि मधु झड़ने को बेताब हो चूंकि है और मैं तेज़ी से उसके चुत से वीर्य पीने लगा , जीभ चुत के कोमल छिले दीवार से चाट खाने लगा और वो कमर उठा उठा कर मेरे जीभ को लड़ समझ धक्का देने लगी ।
वसंत बोला वाह मेरी प्यासी भाभी तेरी इस अदा ने मुझे फिर उतेजित कर दिया और लड़ मधु के चेहरे पर रख बोला चाट मेरी गोटियां अब तोह मेरा वीर्य तेरी हलक पर ही गिरेगी ।
मधु के मुँह पर वो गोटियों को दबाता थूक से सने लड़ को चेहरे पर रगड़ता वो पूर्ण रूप से अपने शौक को पूरा करने लगा और मधु भी खुल कर चादर को कस के पकड़ बिना विरोद उसके हर ख्वाइश को पूरा करती रहीं ।
मैंने भी तसली से उसके चुत को चाट वीर्य का एक एक बूँद पी लिया और चुत के दाने को जीभ से सहलाने लगा और मधु ने कमर ज़ोर से झटक कर मेरे कंधे पर टांग फ़सा कर मुझे चुत पर दबा लिया और मेरा चेहरा उसके टांगों के बीच दब गया और वो इठलाती मानो मुझे बोल रही हो चाटते रहिये कुत्ते की तरह अपनी रंडी बीवी की चुत ।
दोनों गोटियों को मधु ने चूस कर थूक से नहला दिया और वसंत के कड़कते लड़ को चेहरे पर फिरते महसूस करती लंबी सासे भरने लगी और वसंत ने नाक के छेद पर लड़ दाब कर बोला सूँघ और मधु तेज़ सास खिंचती मचलती रही और वो लड़ होंठो पर फेरता बोला जीभ निकाल बाहर ,मधु जीभ निकाल कर उसके लड़ के ऊपर घुमाने लगी और वो चूचियो पर दबाब बढ़ाते बोला क्या गद्देदार चुचिया है, बैठ कर लग रहा है किसी मुलायम नर्म गद्दे पर बैठा हूँ बस तेरे दोनों कड़क निप्पल्स की चुभन मुझे कह रही है कि तू मेरी रांड है ।
मधु हाथों से उसके लड़ को पकड़ कर बोली देवर जी नीचे डालो मेरी चुत मैं आग लगा दी भड़वे ने ,वो हँसते बोला अच्छी बात है पति ऐसा ही होना चाहिए जो बीवी को गर्म कर दे , वो अपने आँखों से थूक की परतों को पोछती बोली ठंडा तोह मर्द से ही होना होगा ना ।
वसंत ने मधु के सुर्ख़ लाल आँखों मे झांकते बोला चल ऊपर चढ़ के उछल भाभी , मधु टांगो से मेरे चेहरे को आज़ाद करती बोली हट जाईये अब तोह आपकी धर्मपत्नी सवारी करेगी मर्द के लड़ का और वसंत बिस्तर पर लेट हाथों को सर के नीचे रख कर बोला चढ़ जा मेरी रांड अपने देवर के लड़ पर और उछाल अपनी चुचियों को , मधु ने चुत की छेद पर लड़ के टोपे को रख कर नीचे से उसके लड़ को रगड़ती दबाती सिसकिया लेती पैरों को अच्छी तरह बिस्तर पर दबाती घप से बैठ गई और वसंत का मोटा काला चौड़ा लंबा लड़ चुत के गहराई मैं खो गया और वो झुक कर उसके सीने पर इठलाती बोली देवर जी दूध नहीं पियोगे भाभी का , वसंत झट से दोनों चुचियों को हाथों मैं भरता बोला उफ्फ पियूँगा मेरी जान चूस चूस कर पियूँगा काट खाऊंगा ये नर्म कड़क किशमिस के दोनों दानों को और मधु झुकती उसके मुँह मैं निपल देती गाँड उठा कर लड़ पर हिलाने लगी ।