12-08-2020, 08:25 PM
कम्मो
और गुझिया बनाते समय मैंने कम्मो को अपने मन की बात बता दी।
" आप इनको अपना देवर नहीं मानती "
गुझिया के लिए आटा गूंथते हुए मैं बोली , वो गुझिया में डालने के लिए खोया भून रहे थीं , .
पलट के वो मुस्कराते हुए बोलीं ,
" अरे अइसन काहें कह रही हो , उ तो हमार असल से भी बढ़कर देवर हैं , देखो आज होली मैं कईसन ,... "
बस यही तो मैं सुनना चाहती थी और मैं एकदम उनके पीछे पड़ गयी , और उन्हें याद दिलाया।
" याद है आपने कहा था , की आपके वो साल भर में एक दो बार आते हैं , तो आपको , ... "
हँसते हुए कम्मो ने कबूला
" एकदम याद है , आखिर देवर नन्दोई किस काम के लिए हैं , अरे रोज तो नहीं , लेकिन हफ्ते में दो तीन बार तो ,... "
बहुत गंभीर चेहरा बनाकर मैं बोली ,
" लेकिन आपके जो ये देवर हैं न मैं बता देती हूँ , ... उनके वहां काँटा नहीं लगा है , ..आपकी देवरानी रोज बिना नागा तीन चार बार घोंटती है , और आप जिन देवरों , उनसे बीस नहीं ,... "
एक बार कम्मो ने फिर बात काटी , जोर जोर से हंसती बोली... बीस नहीं पच्चीस होगा , इतना तो अंदाज लग गया मुझे।
“ " तब भी , न आपने देवर का पकड़ा , न रगड़ा , न खोला , न रंग पोता ,...ऐसी देवर भौजाई क होली तो हम अपने मायके में कभी नहीं देखे " मैंने अपने मन की बात उनके सामने अब साफ साफ़ उड़ेल दी।
पर मायके की बात आये तो तो कोई भी औरत , ...
कम्मो भी चालू हो गयीं
" बात तो तोहार सही है , हमरे मायके में तो देवर के पाजामे का नाडा पहले भौजी खोलत हैं , बाकी बात चीत बाद में , ... और अइसन चिक्क्न देवर हो तो , फिर तो गुड़ चींटा , , तो छोड़ा , चचेरी , मौसेरी , ममेरी ,... गाँव क कुल ,..
और जेनकर रिश्ता भाभी का न लागे उहो फागुन भर
अइसन देवर तो ,...एकदम रसगुल्ला ,... फिर हमारे कोई सगा देवर तो है नहीं , जेह दिन हम बियाह के आये , ... तोहार सास इन्ही के बतायीं , ...इहै तोहार देवर हो , इसी लिए हम कह रहे थे , सेज से बढ़कर ,... "
लेकिन कम्मो ने राज खोल दिया ,
" हम तोहरे लिहाज करत रहे , ... हमको लगा की पता नहीं तोहैं कइसन लगे "
और अब मैं गुस्से उबल गयी ,
" हमको तो उहै खराब लगा , दू दू भौजी और देवर क पाजामा क नाड़ा ,... "
मेरी बात एक बार फिर से कम्मो ने पूरी की और अबकी मेरी दिल की बात कह दी ,
" तो चलो कल होगी असल देवर भौजी क होली , अभी आज ही तो फागुन लगा है ,... "
" एकदम सफ़ेद रंग वाली होली न हो तो देवर भाभी क होली क्या ,... "
हँसते हुए मैं बोली , और भांग की हम दोनों गुझिया में डालने के लिए गोलियां बनाने लगे , लेकिन एक बात मेरे मन में घूम रही थी सो मैंने कम्मो से पूछ लिया ,...
' लेकिन एक बात बताइये न आपने हाथ में पकड़ा न रगड़ा लेकिन कैसे पता चल गया की आपके बाकी देवर से २० नहीं २५ है। "
वो कुछ देर तक तो खिलखिलाती रही फिर उलटे मुझसे पूछ लिया , .. हम भांग की गोली गुझिया में मिला रहे थे लेकिन असर हम दोनों पर हो रहा था। उसने पूछा
" पहले बताओ , की देवर तोहार गाँड़ कचकचा के मारते हैं की नहीं , ... "
मुझे मालूम था की मन उनका करता तो होगा लेकिन ये भी बात सही थी की मेरा पिछवाड़ा अभी तक कोरा था। लेकिन गनीमत थी कम्मो ने अपनी बात बतानी शुरू कर दी
" अरे जब पिछवाड़े से पकड़ के , तो उनके खूंटे पर हम आपन , ... "
और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी ,
"चाकर चूतड़ उनके खूंटे पर रगड़ रही थी है न , ... " मैं बोली
" एकदम और तभी मालूम हो गया मेरे देवर क लंड एकदम जबरदंग है , और अइसन फनकार रहा था की साड़ी साया फाड़कर सीधे गाँड़ में घुस के रहेगा , लेकिन सीधा बहुत है , मन तो ओकर बहुत कर रहा था लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी , चोली में हाथ घुसाने की। "
कम्मो को सब अंदाज था।
लेकिन मैं उसकी बुराई नहीं सुन सकती थी ,
" मान लिया सीधे हैं लौंडिया मार्का शरमाते हैं , पर तब तो भौजी क जिम्मेदारी और बढ़ जाती है , अइसन देवर के साथ तो और जोर जबरदस्ती करनी चाहिए ,... "
" एकदम , बात तोहार सोलहो आना सही है , कल देखना , एही आँगन में ,... "
कम्मो ने बात मानी , लेकिन तब तक फोन घनघनाया , और मैंने देखा उन्ही का फोन था , स्पीकर फोन मैंने ऑन कर दिया , जिससे कम्मो भी सुन स
खिलखिलाती हुई आवाज , जैसे फर्श पर किसी ने ढेर सारे मोती बिखेर दिए हों ,
और कौन वहीँ इनकी छिनार ममेरी बहन , गुड्डी , ...
" भैया मेरे पास है आज मैं इनको खिला पिला के भेजूंगी , ... " वो किशोरी बोली।
" अरे खाली पिला के नहीं पेलवा के भेजना , फागुन चढ़ गया है , अबकी फागुन में इन्हे नन्दोई बनाना है पक्का "
जवाब मेरी ओर से कम्मो ने दिया।
और गुड्डी और जोर से खिलखिलाई और चीखी
" भौजी , ... "
( मेरी सारी छोटी ननदें , मेरी जेठानी को बड़ी भाभी , मुझे भाभी या नयकी भाभी और कम्मो को भौजी कहती थीं , गुड्डी की सहेलियां भी )
लेकिन कम्मो अपने देवर ननद की और खिंचाई करती उसके पहले इन्होने सिर्फ ये बता के की वो खाना खा के आएंगे और हम लोग खाना खा ले , फोन काट दिया .)
सिर्फ हमी और कम्मो तो थे , तो हम लोगों ने साथ साथ खा लिया , हाँ वो जब रात को लौटे , तो मैंने उन्हें खूब हड़काया ,
और गुझिया बनाते समय मैंने कम्मो को अपने मन की बात बता दी।
" आप इनको अपना देवर नहीं मानती "
गुझिया के लिए आटा गूंथते हुए मैं बोली , वो गुझिया में डालने के लिए खोया भून रहे थीं , .
पलट के वो मुस्कराते हुए बोलीं ,
" अरे अइसन काहें कह रही हो , उ तो हमार असल से भी बढ़कर देवर हैं , देखो आज होली मैं कईसन ,... "
बस यही तो मैं सुनना चाहती थी और मैं एकदम उनके पीछे पड़ गयी , और उन्हें याद दिलाया।
" याद है आपने कहा था , की आपके वो साल भर में एक दो बार आते हैं , तो आपको , ... "
हँसते हुए कम्मो ने कबूला
" एकदम याद है , आखिर देवर नन्दोई किस काम के लिए हैं , अरे रोज तो नहीं , लेकिन हफ्ते में दो तीन बार तो ,... "
बहुत गंभीर चेहरा बनाकर मैं बोली ,
" लेकिन आपके जो ये देवर हैं न मैं बता देती हूँ , ... उनके वहां काँटा नहीं लगा है , ..आपकी देवरानी रोज बिना नागा तीन चार बार घोंटती है , और आप जिन देवरों , उनसे बीस नहीं ,... "
एक बार कम्मो ने फिर बात काटी , जोर जोर से हंसती बोली... बीस नहीं पच्चीस होगा , इतना तो अंदाज लग गया मुझे।
“ " तब भी , न आपने देवर का पकड़ा , न रगड़ा , न खोला , न रंग पोता ,...ऐसी देवर भौजाई क होली तो हम अपने मायके में कभी नहीं देखे " मैंने अपने मन की बात उनके सामने अब साफ साफ़ उड़ेल दी।
पर मायके की बात आये तो तो कोई भी औरत , ...
कम्मो भी चालू हो गयीं
" बात तो तोहार सही है , हमरे मायके में तो देवर के पाजामे का नाडा पहले भौजी खोलत हैं , बाकी बात चीत बाद में , ... और अइसन चिक्क्न देवर हो तो , फिर तो गुड़ चींटा , , तो छोड़ा , चचेरी , मौसेरी , ममेरी ,... गाँव क कुल ,..
और जेनकर रिश्ता भाभी का न लागे उहो फागुन भर
अइसन देवर तो ,...एकदम रसगुल्ला ,... फिर हमारे कोई सगा देवर तो है नहीं , जेह दिन हम बियाह के आये , ... तोहार सास इन्ही के बतायीं , ...इहै तोहार देवर हो , इसी लिए हम कह रहे थे , सेज से बढ़कर ,... "
लेकिन कम्मो ने राज खोल दिया ,
" हम तोहरे लिहाज करत रहे , ... हमको लगा की पता नहीं तोहैं कइसन लगे "
और अब मैं गुस्से उबल गयी ,
" हमको तो उहै खराब लगा , दू दू भौजी और देवर क पाजामा क नाड़ा ,... "
मेरी बात एक बार फिर से कम्मो ने पूरी की और अबकी मेरी दिल की बात कह दी ,
" तो चलो कल होगी असल देवर भौजी क होली , अभी आज ही तो फागुन लगा है ,... "
" एकदम सफ़ेद रंग वाली होली न हो तो देवर भाभी क होली क्या ,... "
हँसते हुए मैं बोली , और भांग की हम दोनों गुझिया में डालने के लिए गोलियां बनाने लगे , लेकिन एक बात मेरे मन में घूम रही थी सो मैंने कम्मो से पूछ लिया ,...
' लेकिन एक बात बताइये न आपने हाथ में पकड़ा न रगड़ा लेकिन कैसे पता चल गया की आपके बाकी देवर से २० नहीं २५ है। "
वो कुछ देर तक तो खिलखिलाती रही फिर उलटे मुझसे पूछ लिया , .. हम भांग की गोली गुझिया में मिला रहे थे लेकिन असर हम दोनों पर हो रहा था। उसने पूछा
" पहले बताओ , की देवर तोहार गाँड़ कचकचा के मारते हैं की नहीं , ... "
मुझे मालूम था की मन उनका करता तो होगा लेकिन ये भी बात सही थी की मेरा पिछवाड़ा अभी तक कोरा था। लेकिन गनीमत थी कम्मो ने अपनी बात बतानी शुरू कर दी
" अरे जब पिछवाड़े से पकड़ के , तो उनके खूंटे पर हम आपन , ... "
और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी ,
"चाकर चूतड़ उनके खूंटे पर रगड़ रही थी है न , ... " मैं बोली
" एकदम और तभी मालूम हो गया मेरे देवर क लंड एकदम जबरदंग है , और अइसन फनकार रहा था की साड़ी साया फाड़कर सीधे गाँड़ में घुस के रहेगा , लेकिन सीधा बहुत है , मन तो ओकर बहुत कर रहा था लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी , चोली में हाथ घुसाने की। "
कम्मो को सब अंदाज था।
लेकिन मैं उसकी बुराई नहीं सुन सकती थी ,
" मान लिया सीधे हैं लौंडिया मार्का शरमाते हैं , पर तब तो भौजी क जिम्मेदारी और बढ़ जाती है , अइसन देवर के साथ तो और जोर जबरदस्ती करनी चाहिए ,... "
" एकदम , बात तोहार सोलहो आना सही है , कल देखना , एही आँगन में ,... "
कम्मो ने बात मानी , लेकिन तब तक फोन घनघनाया , और मैंने देखा उन्ही का फोन था , स्पीकर फोन मैंने ऑन कर दिया , जिससे कम्मो भी सुन स
खिलखिलाती हुई आवाज , जैसे फर्श पर किसी ने ढेर सारे मोती बिखेर दिए हों ,
और कौन वहीँ इनकी छिनार ममेरी बहन , गुड्डी , ...
" भैया मेरे पास है आज मैं इनको खिला पिला के भेजूंगी , ... " वो किशोरी बोली।
" अरे खाली पिला के नहीं पेलवा के भेजना , फागुन चढ़ गया है , अबकी फागुन में इन्हे नन्दोई बनाना है पक्का "
जवाब मेरी ओर से कम्मो ने दिया।
और गुड्डी और जोर से खिलखिलाई और चीखी
" भौजी , ... "
( मेरी सारी छोटी ननदें , मेरी जेठानी को बड़ी भाभी , मुझे भाभी या नयकी भाभी और कम्मो को भौजी कहती थीं , गुड्डी की सहेलियां भी )
लेकिन कम्मो अपने देवर ननद की और खिंचाई करती उसके पहले इन्होने सिर्फ ये बता के की वो खाना खा के आएंगे और हम लोग खाना खा ले , फोन काट दिया .)
सिर्फ हमी और कम्मो तो थे , तो हम लोगों ने साथ साथ खा लिया , हाँ वो जब रात को लौटे , तो मैंने उन्हें खूब हड़काया ,