06-03-2019, 01:57 PM
UPDATE 11
कहानी अब तक:
बप्पा के सामने म ऐन उनका विरोध कर नहीं सकता था सो मैंने उनकी बात मान ली| रात को खाना खाने के बाद मेरा बिस्तर नीतू ने अपने बिस्तर से करीब २० कदम दूर लगाया ताकि वो रात में उसकी नजर मुझ पर रहे| आमतौर पर हमारे गाँव में मर्द और औरतें अलग-अलग सोते हैं| (जब तक की उनका कोई चुदाई प्रोग्राम ना हो!) पर चूँकि मेरी हालत ऐसी थी मुझे ये ख़ास treatment मिल रहा था| अम्मा और भाभी का बिस्तर नीतू के बगल में था और बप्पा और भैया का बिस्तर दूर पेड़ के पास था|
अब आगे:
रात में मेरी आदत है की मैं एक बार तो मूतने अवश्य उठता हूँ| पर आज की रात में मूतने के लिए उठने में जैसे मौत आ रही थी| मैं कोशिश कर रहा था की कम से कम आवाज करूँ ताकि कोई जाग ना जाए| पर मूतने के लिए जब उठने लगा तो अचानक से कूल्हे पर हुई चमक से मेरी कराह निकल गई; "आह!" जिसे सुन नीतू दौड़ती हुई मेरे पास आई| "आह! अरे बेटा आप सोये नहीं?" "नहीं चाचू... मुझे लगा कहीं आपको उठना पड़े तो मैं आपको मदद कर दूँ|”
"THANK YOU बेटा!" नेहा ने मुझे सहारा देकर उठा के बैठा दिया| "बस बेटा मैं अब चला जाऊँगा ... आप सो जाओ!" मैंने नेहा से कहा और जैसे-तैसे उठ खड़ा हुआ| मैं मूतने के लिए थोड़ी दूर गया और जब वापस आया तो पाया नीतू अब भी जाग रही थी| "एक बार आपको लिटा दूँ फिर सो जाऊँगी|" फिर नीतू ने मुझे सहारा दे कर लेटने में मदद की और मैंने फिर उसे सो जाने को कहा| पर मेरा मन कह रहा था की वो सोने वाली नहीं है| थोड़ी देर बाद मैंने करहाते हुए करवट ली तो देखा की नीतू अब भी जाग रही थी और उसकी नजरें मुझ पर टिकी हुई थी| मैंने खुस-फुसा कर उसे सोने को कहा और फिर मेरी कब आँख लग गई पता नहीं चला|
सुबह जब आँख खुली तो नीतू ने मुझे उठा के बिठाया, उसकी शक्ल देख कर लग रहा था की वो रात भर तनिक न सोइ है| "बेटा...आप मेरे लिए रात भर जागे हो| अब आप आराम करो दोपहर में उठना|" मेरी बात सुनते हुए अम्मा भी वहाँ आ गई और उन्होंने भी नेहा को तारीफ की| अम्मा की बात सुन नीतू मान गई और सोने चली गई और अम्मा ने सबको कह दिया की उसे कोई नहीं जगायेगा| मैं रुपये में एक आने बेहतर महसूस कर रहा था सो मैं ने अम्मा से एक डंडा माँगा और उसे लाठी की तरह इस्तेमाल करता हुआ अपने घर आ गया| अम्मा ने मदद करनी चाही पर मैंने उन्हें मन कर दिया| अब अम्मा ने बी भाभी की ड्यूटी लगाईं को मेरी देख भाल करें जो मुझे गंवारा नहीं था| पर मरता क्या न करता, कुछ बोल नहीं पाया| मेरे घर पहुँचते ही भाभी भी पीछे से आ गई और बोली; "मैं....." पर मैंने उन्हें वहीँ चुप करा दिया; "मुझे कुछ नहीं सुनना बस मुझे एक बाल्टी गर्म पानी ला दो|"
भाभी कुछ नहीं बोली और पानी लेने चली गई| करीब आधे घंटे बाद उन्होंने मुझे गर्म पानी ला दिया और फिर से कुछ बोलने को मुंह खोला ही था की मैंने कहा; "GET OUT!" भाभी मेरी तरफ मुंह फाड़े देखती रही| "सुना नहीं? निकल जाओ यहाँ से! या फिर फिर से मेरे साथ 'बलात्कार' करने का मन है?" ये सुन कर भाभी का सर झुक गया और वो वहां से चली गई| मैंने दरवाजा बंद किया और गर्म पानी से नहाया और फिर खुद ही किसी तरह दवाई लगा ली और गर्म पट्टी बाँध ली| चाय पीने के बाद बप्पा दूसरे गाओं से एक मालिश वाले को ले आये और उसने जो जम के मेरी मालिश की! मेरे सारे अंजार-पंजर हिल गए!!! उसने बताया की कोई नस चढ़ने के कारन मुझे इतना दर्द हो रहा है| कुतिया वाली बात सुन कर वो बहुत हँसा और मुझे तो इसमें कुछ अजीब सा सुख मिल रहा था| दोपहर में खाना नीतू ले कर आई और खाना रख कर मेरा हाल-चाल पूछने लगी| जब मैंने उसे बताया की मालिश वाले ने कैसे मेरे अंजार-पंजर ढीले किये तो वो बहुत हँसी और उसे हँसता हुआ देख मुझे भी अच्छा महसूस होने लगा| मैंने नीतू को मेरी कल वाली पैंट थाके लाने को कहा और उसमें से चॉकलेट निकलने को कहा| जब नीतू ने चॉकलेट निकाली तो उसका काचुम्भर निकल चूका था जिसे देख वो बहुत हँसी और मेरी हँसी छूट गई| खेर ये हँसी-मजाक चलता रहा और अगले तीन-चार दिन नीतू ने मेरा बहुत ख़याल रखा और उस मालिश वाले ने जम कर मेरी हड्डियां ढीली कीं| पाँचवे दिन मैं पंद्रह आने ठीक हुआ तो भाभी बीमार पड़ गई!
to be continued!
कहानी अब तक:
बप्पा के सामने म ऐन उनका विरोध कर नहीं सकता था सो मैंने उनकी बात मान ली| रात को खाना खाने के बाद मेरा बिस्तर नीतू ने अपने बिस्तर से करीब २० कदम दूर लगाया ताकि वो रात में उसकी नजर मुझ पर रहे| आमतौर पर हमारे गाँव में मर्द और औरतें अलग-अलग सोते हैं| (जब तक की उनका कोई चुदाई प्रोग्राम ना हो!) पर चूँकि मेरी हालत ऐसी थी मुझे ये ख़ास treatment मिल रहा था| अम्मा और भाभी का बिस्तर नीतू के बगल में था और बप्पा और भैया का बिस्तर दूर पेड़ के पास था|
अब आगे:
रात में मेरी आदत है की मैं एक बार तो मूतने अवश्य उठता हूँ| पर आज की रात में मूतने के लिए उठने में जैसे मौत आ रही थी| मैं कोशिश कर रहा था की कम से कम आवाज करूँ ताकि कोई जाग ना जाए| पर मूतने के लिए जब उठने लगा तो अचानक से कूल्हे पर हुई चमक से मेरी कराह निकल गई; "आह!" जिसे सुन नीतू दौड़ती हुई मेरे पास आई| "आह! अरे बेटा आप सोये नहीं?" "नहीं चाचू... मुझे लगा कहीं आपको उठना पड़े तो मैं आपको मदद कर दूँ|”
"THANK YOU बेटा!" नेहा ने मुझे सहारा देकर उठा के बैठा दिया| "बस बेटा मैं अब चला जाऊँगा ... आप सो जाओ!" मैंने नेहा से कहा और जैसे-तैसे उठ खड़ा हुआ| मैं मूतने के लिए थोड़ी दूर गया और जब वापस आया तो पाया नीतू अब भी जाग रही थी| "एक बार आपको लिटा दूँ फिर सो जाऊँगी|" फिर नीतू ने मुझे सहारा दे कर लेटने में मदद की और मैंने फिर उसे सो जाने को कहा| पर मेरा मन कह रहा था की वो सोने वाली नहीं है| थोड़ी देर बाद मैंने करहाते हुए करवट ली तो देखा की नीतू अब भी जाग रही थी और उसकी नजरें मुझ पर टिकी हुई थी| मैंने खुस-फुसा कर उसे सोने को कहा और फिर मेरी कब आँख लग गई पता नहीं चला|
सुबह जब आँख खुली तो नीतू ने मुझे उठा के बिठाया, उसकी शक्ल देख कर लग रहा था की वो रात भर तनिक न सोइ है| "बेटा...आप मेरे लिए रात भर जागे हो| अब आप आराम करो दोपहर में उठना|" मेरी बात सुनते हुए अम्मा भी वहाँ आ गई और उन्होंने भी नेहा को तारीफ की| अम्मा की बात सुन नीतू मान गई और सोने चली गई और अम्मा ने सबको कह दिया की उसे कोई नहीं जगायेगा| मैं रुपये में एक आने बेहतर महसूस कर रहा था सो मैं ने अम्मा से एक डंडा माँगा और उसे लाठी की तरह इस्तेमाल करता हुआ अपने घर आ गया| अम्मा ने मदद करनी चाही पर मैंने उन्हें मन कर दिया| अब अम्मा ने बी भाभी की ड्यूटी लगाईं को मेरी देख भाल करें जो मुझे गंवारा नहीं था| पर मरता क्या न करता, कुछ बोल नहीं पाया| मेरे घर पहुँचते ही भाभी भी पीछे से आ गई और बोली; "मैं....." पर मैंने उन्हें वहीँ चुप करा दिया; "मुझे कुछ नहीं सुनना बस मुझे एक बाल्टी गर्म पानी ला दो|"
भाभी कुछ नहीं बोली और पानी लेने चली गई| करीब आधे घंटे बाद उन्होंने मुझे गर्म पानी ला दिया और फिर से कुछ बोलने को मुंह खोला ही था की मैंने कहा; "GET OUT!" भाभी मेरी तरफ मुंह फाड़े देखती रही| "सुना नहीं? निकल जाओ यहाँ से! या फिर फिर से मेरे साथ 'बलात्कार' करने का मन है?" ये सुन कर भाभी का सर झुक गया और वो वहां से चली गई| मैंने दरवाजा बंद किया और गर्म पानी से नहाया और फिर खुद ही किसी तरह दवाई लगा ली और गर्म पट्टी बाँध ली| चाय पीने के बाद बप्पा दूसरे गाओं से एक मालिश वाले को ले आये और उसने जो जम के मेरी मालिश की! मेरे सारे अंजार-पंजर हिल गए!!! उसने बताया की कोई नस चढ़ने के कारन मुझे इतना दर्द हो रहा है| कुतिया वाली बात सुन कर वो बहुत हँसा और मुझे तो इसमें कुछ अजीब सा सुख मिल रहा था| दोपहर में खाना नीतू ले कर आई और खाना रख कर मेरा हाल-चाल पूछने लगी| जब मैंने उसे बताया की मालिश वाले ने कैसे मेरे अंजार-पंजर ढीले किये तो वो बहुत हँसी और उसे हँसता हुआ देख मुझे भी अच्छा महसूस होने लगा| मैंने नीतू को मेरी कल वाली पैंट थाके लाने को कहा और उसमें से चॉकलेट निकलने को कहा| जब नीतू ने चॉकलेट निकाली तो उसका काचुम्भर निकल चूका था जिसे देख वो बहुत हँसी और मेरी हँसी छूट गई| खेर ये हँसी-मजाक चलता रहा और अगले तीन-चार दिन नीतू ने मेरा बहुत ख़याल रखा और उस मालिश वाले ने जम कर मेरी हड्डियां ढीली कीं| पाँचवे दिन मैं पंद्रह आने ठीक हुआ तो भाभी बीमार पड़ गई!
to be continued!