06-03-2019, 01:55 PM
UPDATE 10
कहानी अब तक:
ये सब मैंने आपने दाँत पीसते हुए कहा| ये सब सुन नीतू बहुत दुखी हुई और तुरंत रुई और डेटोल ले आई| "शुक्र है चाचू उसने काटा नहीं|” ये कहते हुए उसकी भर आईं| मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसने डेटोल लगा कर मलहम लगा दिया| "चलो चाचू मुझे बताओ कहाँ दर्द है मैं उसपर ये आयुर्वेदिक तेल लगा देती हूँ|" "नहीं बेटा रहने दे... मैं ब्रूफेन की गोली खा लूंगा उससे ठीक हो जायेगा|" "मैं आपकी एक नहीं सुनने वाली| चुप-चाप बताओ नहीं तो मैं आपसे बात नहीं करुँगी|" नीतू ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा|
अब आगे....
मैंने उसे एक बार समझाने की कोशिश की; "बेटा मुझे कूल्हे पर दर्द है और तुम्हारे सामने कैसे......"
"आप उसकी चिंता मत करो| मैं अपनी आँखें बंद कर लुंगी| मैं मन ही मन सोचने लगा की बेटा आँखें बंद करने से थोड़े ही कुछ होता है| खेर मरता क्या ना करता नीतू को नाराज नहीं करना चाहता था क्योंकि शादी के बाद फिर कहाँ मुलाकात होती| मैंने नीतू से कहा की अंदर बैग से वोलिनी ले कार आये| इसका फायदा ये था की नीतू को इसकी ज्यादा मालिश नहीं करनी पड़ती और मुझे कम से कम देर के लिए उसे अपने 'चूतड़' दिखाने थे| अब मेरे लिए चुनौती ये थी की मैं दवाई कैसे लगवाऊँ? यदि खड़े-खड़े लगवाता हूँ तो अगर पैंट और कच्छा नीचे गिर गया तो? पर लेट भी तो नहीं सकता था क्योंकि कूल्हे मुझे ज्यादा हिलने नहीं दे रहे थे| जब नीतू दवाई ले कर आई तो मुझे सोच में देख वो बोली; "चाचू आप चारपाई पर औंधे मुंह लेट जाओ और मैं आँख बंद करके दवाई लगा दूंगी|" "बेटा वही तो मुसीबत है की मुझसे हिला भी नहीं जा रहा|"
"रुको मैं आपको सहारा देती हूँ|" नेहा ने मेरे एक हाथ को अपने कंधे पर रख कर मुझे सहारा दिया और मैं जैसे-तैसे करहाता हुआ औंधे मुँह लेट गया| मैंने अपनी पैंट के हुक खोल दिए और नीतू ने उसे नीचे कर दिया| अब बारी थी मेरे कच्छे की| नीतू ने जैसे ही कच्छे की इलास्टिक को हाथ लगाया मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी छूटी और लंड महाराज तननाने लगे| इधर नीतू ने कच्छे को नीचे सरका कर मेरे चूतड़ और गांड को खुली हवा का अनुभव कराया| मुझे बहुत शर्म आने लगी थी; "आँखें बंद हैं ना?" मैंने नीतू से पूछा तो उसने "हम्म्म" में जवाब दिया| अब मुझे नहीं पता की उसकी आँखें बंद थी या नहीं| अब नीतू ने अपने हाथ से मेरे कूल्हे को छुआ तो एक सेकंड के लिए मैं चुप रहा| "चाचू? बताओ कहाँ दर्द है?" मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो आंखें बंद किये अपने हाथ को मेरे चूतड़ों पर चला रही है| फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर lower back में जगह बताई| नीतू ने आँख जर्रूर खोल ली थी क्योंकि उसने बड़े आराम से सही जगह दवाई लगाईं| नीतू की उँगलियाँ दवाई लगा रही थी पर मुझे बहुत अजीब लग रहा था की मैं अपनी भतीजी के सामने चूतड़ निकाले लेटा हुआ हूँ| दवाई लगाते-लगाते यका-यक ही उसकी एक ऊँगली मेरे गांड के छेद तक जाप हुन्ची और उसकी ऊँगली का नाखून मेरी गांड के छेद पर जा लगा और मैं जोर से चिहुंका; "आह!" मेरी चिहुंक सुन नीतू डर गई और बोली; 'sorry चाचू! आँखें बंद हैं ना इसलिए………" आगे वो कुछ नहीं बोली और मैं ये सोच के जाने दिया की ये उसने गलती से किया होगा| दो मिनट बाद मैंने उसे रुकने को कहा और अपनी पैंट ठीक कर ली| नीतू ने फिर से मुझे सहारा दे कर सीधा लिटा दिया था और वो हाथ धोने चली गई| हाथ धो कर नीतू मेरे लिए नीम्बू का शरबत बना कर लाइ और मैंने एक गोली ब्रूफेन ली ताकि दर्द कम हो जाए| वो मेरे पास ही बैठ गई ताकि मुझे कोई तकलीफ न हो| मैं नीतू को अलग-अलग शहर के किस्से सुनाता रहा और वो भी मुझसे अपने कॉलेज के दिनों की बातें कर रही थी| अँधेरा होने को आया था और अम्मा, बप्पा और भैया घर लौट आये थे| मेरे एक्सीडेंट की बात सुन तीनों मेरे पास भागे-भागे आये और हाल पूछने लगे| इतने में पीछे से भाभी भी आ गई और मैंने उन्हें 'सुनाने' के लिए कुतिया वाली बात दोहराई! ये सुन कर भाभी के चेहरे पर गुस्सा साफ़ झलक रहा था, आखिर मैंने उन्हें कुतिया जो कहा था!
ये सुन कर अम्मा ने भाभी को डाँट लगाईं; "तूने मुनना का ख़याल क्यों नहीं रखा| मुनना को कुछ भी काम कहो फ़ौरन दौड़ कर देता है, और इसे चोट लगी और तू इधर झाँकने भी नहीं आई! ऐसा क्या काम कर रही थी?" भाभी क्यों नहीं जानती थी ये तो मैं जानता था, डर के मारे फटी जो हुई थी उनकी! खेर अम्मा ने रात को उन्हें के पास घर में सोने को कहा ताकि वहां मेरी देख भाल की जा सके| बप्पा के सामने म ऐन उनका विरोध कर नहीं सकता था सो मैंने उनकी बात मान ली| रात को खाना खाने के बाद मेरा बिस्तर नीतू ने अपने बिस्तर से करीब २० कदम दूर लगाया ताकि वो रात में उसकी नजर मुझ पर रहे| आमतौर पर हमारे गाँव में मर्द और औरतें अलग-अलग सोते हैं| (जब तक की उनका कोई चुदाई प्रोग्राम ना हो!) पर चूँकि मेरी हालत ऐसी थी मुझे ये ख़ास treatment मिल रहा था| अम्मा और भाभी का बिस्तर नीतू के बगल में था और बप्पा और भैया का बिस्तर दूर पेड़ के पास था|
to be continued
कहानी अब तक:
ये सब मैंने आपने दाँत पीसते हुए कहा| ये सब सुन नीतू बहुत दुखी हुई और तुरंत रुई और डेटोल ले आई| "शुक्र है चाचू उसने काटा नहीं|” ये कहते हुए उसकी भर आईं| मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसने डेटोल लगा कर मलहम लगा दिया| "चलो चाचू मुझे बताओ कहाँ दर्द है मैं उसपर ये आयुर्वेदिक तेल लगा देती हूँ|" "नहीं बेटा रहने दे... मैं ब्रूफेन की गोली खा लूंगा उससे ठीक हो जायेगा|" "मैं आपकी एक नहीं सुनने वाली| चुप-चाप बताओ नहीं तो मैं आपसे बात नहीं करुँगी|" नीतू ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा|
अब आगे....
मैंने उसे एक बार समझाने की कोशिश की; "बेटा मुझे कूल्हे पर दर्द है और तुम्हारे सामने कैसे......"
"आप उसकी चिंता मत करो| मैं अपनी आँखें बंद कर लुंगी| मैं मन ही मन सोचने लगा की बेटा आँखें बंद करने से थोड़े ही कुछ होता है| खेर मरता क्या ना करता नीतू को नाराज नहीं करना चाहता था क्योंकि शादी के बाद फिर कहाँ मुलाकात होती| मैंने नीतू से कहा की अंदर बैग से वोलिनी ले कार आये| इसका फायदा ये था की नीतू को इसकी ज्यादा मालिश नहीं करनी पड़ती और मुझे कम से कम देर के लिए उसे अपने 'चूतड़' दिखाने थे| अब मेरे लिए चुनौती ये थी की मैं दवाई कैसे लगवाऊँ? यदि खड़े-खड़े लगवाता हूँ तो अगर पैंट और कच्छा नीचे गिर गया तो? पर लेट भी तो नहीं सकता था क्योंकि कूल्हे मुझे ज्यादा हिलने नहीं दे रहे थे| जब नीतू दवाई ले कर आई तो मुझे सोच में देख वो बोली; "चाचू आप चारपाई पर औंधे मुंह लेट जाओ और मैं आँख बंद करके दवाई लगा दूंगी|" "बेटा वही तो मुसीबत है की मुझसे हिला भी नहीं जा रहा|"
"रुको मैं आपको सहारा देती हूँ|" नेहा ने मेरे एक हाथ को अपने कंधे पर रख कर मुझे सहारा दिया और मैं जैसे-तैसे करहाता हुआ औंधे मुँह लेट गया| मैंने अपनी पैंट के हुक खोल दिए और नीतू ने उसे नीचे कर दिया| अब बारी थी मेरे कच्छे की| नीतू ने जैसे ही कच्छे की इलास्टिक को हाथ लगाया मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी छूटी और लंड महाराज तननाने लगे| इधर नीतू ने कच्छे को नीचे सरका कर मेरे चूतड़ और गांड को खुली हवा का अनुभव कराया| मुझे बहुत शर्म आने लगी थी; "आँखें बंद हैं ना?" मैंने नीतू से पूछा तो उसने "हम्म्म" में जवाब दिया| अब मुझे नहीं पता की उसकी आँखें बंद थी या नहीं| अब नीतू ने अपने हाथ से मेरे कूल्हे को छुआ तो एक सेकंड के लिए मैं चुप रहा| "चाचू? बताओ कहाँ दर्द है?" मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो आंखें बंद किये अपने हाथ को मेरे चूतड़ों पर चला रही है| फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर lower back में जगह बताई| नीतू ने आँख जर्रूर खोल ली थी क्योंकि उसने बड़े आराम से सही जगह दवाई लगाईं| नीतू की उँगलियाँ दवाई लगा रही थी पर मुझे बहुत अजीब लग रहा था की मैं अपनी भतीजी के सामने चूतड़ निकाले लेटा हुआ हूँ| दवाई लगाते-लगाते यका-यक ही उसकी एक ऊँगली मेरे गांड के छेद तक जाप हुन्ची और उसकी ऊँगली का नाखून मेरी गांड के छेद पर जा लगा और मैं जोर से चिहुंका; "आह!" मेरी चिहुंक सुन नीतू डर गई और बोली; 'sorry चाचू! आँखें बंद हैं ना इसलिए………" आगे वो कुछ नहीं बोली और मैं ये सोच के जाने दिया की ये उसने गलती से किया होगा| दो मिनट बाद मैंने उसे रुकने को कहा और अपनी पैंट ठीक कर ली| नीतू ने फिर से मुझे सहारा दे कर सीधा लिटा दिया था और वो हाथ धोने चली गई| हाथ धो कर नीतू मेरे लिए नीम्बू का शरबत बना कर लाइ और मैंने एक गोली ब्रूफेन ली ताकि दर्द कम हो जाए| वो मेरे पास ही बैठ गई ताकि मुझे कोई तकलीफ न हो| मैं नीतू को अलग-अलग शहर के किस्से सुनाता रहा और वो भी मुझसे अपने कॉलेज के दिनों की बातें कर रही थी| अँधेरा होने को आया था और अम्मा, बप्पा और भैया घर लौट आये थे| मेरे एक्सीडेंट की बात सुन तीनों मेरे पास भागे-भागे आये और हाल पूछने लगे| इतने में पीछे से भाभी भी आ गई और मैंने उन्हें 'सुनाने' के लिए कुतिया वाली बात दोहराई! ये सुन कर भाभी के चेहरे पर गुस्सा साफ़ झलक रहा था, आखिर मैंने उन्हें कुतिया जो कहा था!
ये सुन कर अम्मा ने भाभी को डाँट लगाईं; "तूने मुनना का ख़याल क्यों नहीं रखा| मुनना को कुछ भी काम कहो फ़ौरन दौड़ कर देता है, और इसे चोट लगी और तू इधर झाँकने भी नहीं आई! ऐसा क्या काम कर रही थी?" भाभी क्यों नहीं जानती थी ये तो मैं जानता था, डर के मारे फटी जो हुई थी उनकी! खेर अम्मा ने रात को उन्हें के पास घर में सोने को कहा ताकि वहां मेरी देख भाल की जा सके| बप्पा के सामने म ऐन उनका विरोध कर नहीं सकता था सो मैंने उनकी बात मान ली| रात को खाना खाने के बाद मेरा बिस्तर नीतू ने अपने बिस्तर से करीब २० कदम दूर लगाया ताकि वो रात में उसकी नजर मुझ पर रहे| आमतौर पर हमारे गाँव में मर्द और औरतें अलग-अलग सोते हैं| (जब तक की उनका कोई चुदाई प्रोग्राम ना हो!) पर चूँकि मेरी हालत ऐसी थी मुझे ये ख़ास treatment मिल रहा था| अम्मा और भाभी का बिस्तर नीतू के बगल में था और बप्पा और भैया का बिस्तर दूर पेड़ के पास था|
to be continued