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मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu
#18
UPDATE 9


कहानी अब तक:

मैंने चॉकलेट खरीदी और वापस आ रहा था की तभी भाभी का फोन आया और वो मुझसे बतियाने लगी| जो बात मुझे अटपटी सी लगी वो ये की वो बार-बार मुझसे पूछ रही थी की मैं कहाँ तक पहुँचा| जब मैं घर से करीब दस मिनट दूर था तभी वो बोली की मैं हमारे खेत वाले रस्ते से आऊं और खेत से गन्ना तोड़ लाऊँ क्योंकि नीतू गन्ना खाना चाहती है| सो मैंने अपनी साईकिल दूसरी तरफ घुमा ली और सायकिल खेत के बरा-बर खड़ी कर अंदर घुस गया | जैसे ही मैं खेत के बीचों बीच पहुँचा तो देखा…….


अब आगे:

खेत के बीचों बीच एक चादर बिछी हुई थी, जिसे देख कर मैं सतर्क हो गया और मुझे लगा कहीं ये नीतू की चाल तो नहीं! मैं तुरंत पीछे मुड़ा और देखा भाभी पीछे ल्हाडी है| भाभी वहां छुपी पहले ही से मेरा इंतजार कर रही थी|
मैं इससे पहले कुछ बोल पाटा उन्होंने जोर से मेरी कमीज के कॉलर को पकड़ लिया और दाँत पीसते हुए बोली; "बहुत हुआ मुझे तड़पाना! ख़बरदार जो चूं-चपड़ की तो! चुप-चाप जो कह रही हूँ वो करो वरना..." "वरना क्या कर लोगे?" मैंने उनकी आँखों में घूर के देखते हुए कहा| "कभी सुना है की किसी मर्द का बलात्कार किया हो?" भाभी ने गुस्से से घूर के देखते हुए कहा| ये सुन कर मैं थोड़ा हैरान हो गया की ऐसा कभी हो सकता है क्या? मेरा ये सोचना ही मुझ पर भारी पड़ा क्योंकि भाभी ने इसका फायदा उठाया और मुझे इस कदर धकेला की मैं सीधा चादर पर जा गिरा| मैं संभल पाता इससे पहले ही भाभी मेरे सीने पर सवार हो गई और अपने दोनों हाथों से मेरी कमीजों को इस कदर फाड़ा की सारे बटन टूट गए| "ये.....ये.....क्या......." मैं इतना ही बोल पाया था की भाभी ने अपने होंठ मेरे होठों पर धर दिए और मेरे होठों को अपने मुँह में भर चूसने लगी! मेरी छाती में उन्होंने अपने नाखून गड़ा दिए थे और ऐसा लग रहा था मानों किसी जंगली जानवर ने अपने शिकार को दबोच लिया हो| उस समय मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी और थोड़ी बहुत सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी थी| भाभी की हैवानियत देख कर मैं हैरान था, मैंने कभी नहीं सोचा था की भाभी अपनी छूट की आग से वशीभूत हो कर इस कदर हैवान बन सकती है| अचानक भाभी ने जोश में आ कर मेरा निचला होंठ दांतों से काट लिया और उसमें से खून निकलने लगा| मैं दर्द के मारे करहाना चाहता था पर उनके होंठ मेरी आवाज को बाहर जाने ही नहीं दे रहे थे| मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो उन्हें मेरे होंठ से निकल रहे खून को पीने में बहुत मज़ा आ रहा है| अभी तक तो मैं इस लिहाज से खुद को काबू करके बैठा था की ये औरत मेरी भाभी है पर अब मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा था|
मैं अपने दोनों हाथों से उनको मुझसे दूर करने लगा तो मेरे हाथों में उनके दूध आ गए और मैंने गुस्से में आ कर उन्हें बहुत जोर से दबा दिया! मेरे इस हमले से भाभी को असहनीय दर्द का एहसास हुआ और वो बिल-बिला कर चीखी और मेरी गर्दन पर अपने नाखूनों से खरोंच दिया जिसमें से खून निकल आया था|! मैंने उन्हें अपने ऊपर से धक्का दिया और वो दूसरी करवट लिए अपने दूध को अपने हाथों से थामे दर्द से कराहने लगी| मैंने जबअपनी छाती की ओर देखा तो मेरी छाती पर उनके नाखूनों से नोचने के निशान थे और कुछ जगह से खून की कुछ बूँदें भी निकल आई थी| मैंने उठ कर खड़े होने की कोशिश की तो मेरे दाहिने कूल्हे में दर्द होने लगा, क्योंकि भाभी ने जब मुझे धक्का दिया था तो मैं धम से सीधा अपने कूल्हों के बल ही गिरा था| जैसे-तैसे मैं उठ कर खड़ा हुआ और देखा तो भाभी की आँखें भरी हुई थी और वो मुझे दर्द से तड़पता हुआ देख रही थी| मैं लंगड़ाते हुए खेत से बाहर निकला और साइकिल को खींच कर अपने घर तक लाया| मेरे कूल्हे के दर्द ने मुझे साईकिल पर सवार तक नहीं होने दिया| मुझे दर लग रहा था की कहीं मेरा कुल्हा तो नहीं टूट गया!

बड़ी मुश्किल से मैं घर पहुँचा ओर टाला खोला| घर के अंदर तो मैं जैसे-तैसे घुस गया पर चारपाई को देख कर मुझे नानी याद आ गई! क्योंकि दर्द इतना था की चारपाई पर बैठने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी| मैं वहीँ खड़े-खड़े भाभी को मन ही मन कोस रहा था| दस मिनट तक मैं अपने कूल्हे पर हाथ रखे खड़ा रहा और सोचता रहा की कैसे बैठूं? मैंने एक बार तरय करने का खतरा उठाना ठीक समझा पर चारपाई तक दस कदम चला ना जाए! मैं पैर घसीट के चलने लगा और चारपाई तक पहुँचते-पहुँचते अपने कमीज उतार के अपने जिस्म पर खून की बूँदें साफ़ कर कोने में फेंक दी| जैसे ही बैठने के लिए झुका की मेरा कुल्हा चमक गया और मैं गिरने को हुआ की तभी नीतू ने आकर मुझे संभाल लिया| मेरे नंगे बदन पर उसके स्पर्श से ही मैं सिंहर उठा और नीतू के देख के थोड़ा इत्मीनान आया| "चाचू क्या हुआ? आप इस तरह...." नीतू ने बहुत चिंतित होते हुए पुछा! "आह...बेटा कुछ नहीं.... तू मेरा एक काम कर गाँव के किसी मालिश करने वाले को बुला कर ले आ| मुझे बहुत दर्द हो रहा है|" "पर चाचू...." नीतू ने आगे कुछ बोलना चाहा पर मैंने उसकी बात काट दी; "प्लीज बेटा जो कह रहा हूँ वो कर दे|" नीतू ये सुन तुरंत वहाँ से ममालिश वाले को बुलाने भाग गई| दर्द के मारे मेरे दिमाग में भाभी के लिए गुस्सा ही गुस्सा भरने लगा था| मन तो कर रहा था की अभी जाके भाभी की गांड तोड़ दूँ ताकि उन्हें पता चले की दर्द क्या होता है| पाँच मिनट में नीतू भागी-भागी वापस आई और बोली; "चाचू... दीनू काका तो शहर गए हैं, तीन दिन बाद आएंगे|" ये सुन कर तो मेरी कराह निकल गई| नीतू मेरे और पास आई और बोली; "चाचू मुझे तो बताओ की हुआ क्या है?" "कुछ नहीं बेटा मैं साईकिल से आ रहा था और सामने से एक पागल कुतिया आ गई और मैं साईकिल संभाल नहीं पाया और गिर पड़ा| इसलिए मेरे कूल्हे में बहुत दर्द हो रहा है|" ये सुन कर नीतू बहुत परेशान हुई पर फिर उसकी नज़र मेरी लहू-लुहान छाती पर गई; "चाचू पर ये आपकी छाती से इतना खून क्यों निकल रहा है?" "ये भी उस कुतिया के करना हुआ| जब मैं साईकिल से गिरा तो उसने मुझे काटने की कोशिश की, उसका मुँह तो मैंने पकड़ लिया पर उसके नाख़ूनी पंजों ने.... मेरा ये हाल किया|" ये सब मैंने आपने दाँत पीसते हुए कहा| ये सब सुन नीतू बहुत दुखी हुई और तुरंत रुई और डेटोल ले आई| "शुक्र है चाचू उसने काटा नहीं|” ये कहते हुए उसकी भर आईं| मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसने डेटोल लगा कर मलहम लगा दिया| "चलो चाचू मुझे बताओ कहाँ दर्द है मैं उसपर ये आयुर्वेदिक तेल लगा देती हूँ|" "नहीं बेटा रहने दे... मैं ब्रूफेन की गोली खा लूंगा उससे ठीक हो जायेगा|" "मैं आपकी एक नहीं सुनने वाली| चुप-चाप बताओ नहीं तो मैं आपसे बात नहीं करुँगी|" नीतू ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा|


to be continued

 horseride  Cheeta    
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RE: मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu - by sarit11 - 06-03-2019, 01:44 PM



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