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Misc. Erotica द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
#65
अपडेट - 10 


लेकिन एक बात आज तक नानी को परेशान किये हुए थी कि मैंने राज को जब राज पहली बार कहानी के लिए बोला था तो उसे वही उस तिलिशमी आईने की कहानी क्यों सुनाई?

यूँही कहानियां सुनते सुनाते और राज की बदमाशियां झेलते हुए राज और नानी को पता ही नही चला कि गर्मी की छुट्टियां कब खत्म हो गयी।


अब आगे......








[Image: 5c7f7f9da4a71.jpg] 

एक दिन नानी ने राज को सुबह उठाते हुए कहा...

नानी: बेटा तुम्हारे पापा का फ़ोन आया था। वो कल आ रहे है। 

राज: ल लेकिन क्यों नानी?

नानी प्यार से राज के गाल सहलाते हुए..

नानी: क्योंकी मेरे राजा बेटा अब तुम्हारी छुट्टियां खत्म हो चुकी और अब तुम्हे पढ़ने के लिए शहर जाना होगा ना। वहां तुम्हारे पुराने दोस्त तुम्हे याद कर रहे होंगे।

अचानक से अपनी छुटियों की सुन कर राज का चेहरा उतर गया।

राज: ठीक है नानी लेकिन आज मैं छोटू के साथ नदी पर नहाने जाऊंगा। अब आखिर दो दिन तो यहां के दोस्तों के साथ गुजार लेने दो नानी।

नानी बहुत विचार करती है कि राज को जाने दूँ की नहीं फिर एक नज़र राज के उदास चेहरे पर पर डालती है जिस से मासूमियत के साथ साथ नदी पर जाने की इच्छा साफ झलक रही थी।

नानी: ठीक है लेकिन एक शर्त पर.. 

राज: और वो क्या है नानी?

नानी: तुम वहां से जल्दी घर लौट आओगे उस दिन जैसे कहीं नही खोना न खूबसूरती में न बदसूरती मैं...

राज उछाल कर नानी के गालों को चूमता हुआ बोलता है..

राज: ठीक है नानी मंज़ूर है...

राज इतना बोलकर घर से भागता हुआ निकल जाता है। और नानी पीछे से चिल्लाती रह जाती है..


नानी: अरे अपने कपड़े तो लेता जा...

लेकिन राज नानी की बात सुन नही पाता.. राज अभी थोड़ी ही दूर तक पहुंचा था कि उसे मंगल दिखाई देता है।


मंगल और राज मिलकर बाकी दोस्तों को ढूंढते है और सारे दोस्त अपने अपने काम छोड़ कर नदी किनारे पहुंच जाते है। इसबार सभी अपने अपने कपड़े उतार कर बिना ना नुकुर के सीधे नदी में और राज भी।

कालू, श्याम, मंगल और छोटू राज के कपड़े खोलते ही उसकी नूनी पर नज़र कर लेते है। आज तीन महीनों बाद वो राज की नूनी देख रहे थे। राज की नूनी अब एक किशोरावस्था के किशोर की भांति बड़ी लम्बी और मोटी हो चुकी थी जिसे लोग अब लन्ड कहते है।

[Image: 5c7f7f1990466.jpg] 

कालू, मंगल, श्याम और छोटू चारों राज के साथ हंसी मजाक करते हुए नहा रहे थे। पांचों को नहाते हुए काफी वक्त बीत गया था। तो पांचो अपनी जल क्रीड़ा खत्म करके नदी से बाहर निकलते है और अपने-अपने कपड़े पहन ने लगते है।


[Image: 5c7f7f52ca112.jpg] 

कपड़े पहनने के बाद राज अपने बाकी दोस्तों को अपने शहर लौट जाने की खबर सुनाता है। राज के वापस लौटने की खबर से राज़ के सभी दोस्त उदास हो जाते है। 

कालू बाकी सभी को संभालता है। लेकिन छोटू को राज से कुछ ज्यादा ही लगाव हो चुका था इसलिए छोटू बहुत रो रहा था। कालू राज के चेहरे के भाव जान लेता है कि राज छोटू को इस तरह रोता देख कर बहुत दुखी हो रहा है।

राज को इस तरह से दुखी देख कर कालू छोटू के पिछवाड़े पर लात मारता है। फिर कालू जोर से छोटू को डांट झपट लगा कर बोलता है...


कालू : साले चूतिये चुप हो जा नही तो राज बाद में शहर जाएगा मैं पहले तेरी बहन चोद दूंगा।




जिसके बारे में कालू के मुह से ऐसी बात सुन कर छोटू को गुस्सा तो बहुत आता है लेकिन कालू उस से उम्र और शरीर दोनो से बड़ा था और छोटू कालू से भिड़ भी नहीं सकता था इसलिए अपना पूरा जोर लगा कर फफकते हुए छोटू खुद को शांत कर लेता है।

राज भी छोटू के कंधे पर हाथ रख कर शांत होने को बोलता है। और अपने सभी दोस्तों से अलविदा कहते हुए बोलता है।

राज: दोस्तों उदास मन से मुझे विदा मत करो। वरना मैं भी दुखी मन से शहर जाऊंगा और फिर मेरा वहां पढ़ने में मन भी नही लगेगा।

कालू: और नही तो क्या। उल्लू के पट्ठे राज पढ़ने के लिए ही तो जा रहा है कुछ दिनों में फिर लौट आएगा।

राज कालू की इस बात पर मुस्कुराते हुए फिर लौट कर आने का मन बना लेता है और सोचता है कि इस बार फिरसे गर्मी की छुट्टियों में मैं गांव ज़रूर लौट कर आऊंगा।

राज: बिल्कुल सही कहा कालू ने, मैं गर्मी की छुट्टियों में ज़रूर गांव आऊंगा।

इसी तरह बाते करते-करते और एक दूसरे को मनाते हुए राज और राज के दोस्त एक दूसरे से विदा लेते है।

राज अपनी नानी के घर आ जाता है। घर पर आते ही नानी राज को खाना खिला कर बोलती है।

नानी: बेटा तू घर पर ही रुकना मैं अभी थोड़ी देर में आती हूँ । पड़ोसी के यहां जा रही हूँ। और सुन घर का ध्यान रखना कहीं इधर-उधर मैं ही लगा रहे।

राज खाना खाते हुए ही नानी को अस्पष्ट से जवाब देता है।।

राज: ह्म्म्म जी नानी ( मुह में खाना दबाये हुए)

नानी प्यार से राज के सर पर हाथ फेरते हुए घर से निकल जाती है।

करीब 2 मिनट के इंतजार के बाद राज भी 5 मिनट के समय के किये घर से गायब हो जाता है।

जब नानी घर लौट कर आती है तो राज बाहर आंगन में नहीं था। नानी अंदर जाकर देखती है तो राज अपना सामान जमा रहा था।

रात को नानी ने फिर से राज को कहानी सुनाई। और फिर देर रात को दोनों नानी और दोहिता सो गए।

भोर होते होते चिड़ियों की चेहचहाट से राज की आंख खुलती है। नानी घर के काम में लगी हुई थी। और राज के पिता बाहर आंगन में बैठे राज की नानी मेरा मतलब अपनी सास से बाते कर रहे थे।



राज भी बाजार निकलता है। सुबह सुबह उठते ही राज अपनी नानी और पापा के पैर छूता है। दोनों राज को खुश रहने का आशीर्वाद दे देते है।करीब एक घंटे तक नानी के घर पर रहने के बाद राज के पापा नानी से इजाजत मांगते है वापस शहर लौट जाने की।

नानी खुशी खुशी आने दोहिते और दामाद का तिलक करके शगुन के तौर पर जुहारी दी जाती है वो देकर राज को विदा कर देती है।

राज अपना सामान लेकर जब बाहर निकलता है तो राज का सामान तीन बेग मैं था। जिसे देख कर राज के पापा और नानी दोनो चोंक जाते है।

गिरधारी(राज के पाप): बेटा ये सब क्या है। 

राज: पाप ये सब वो वो वो मेरे दोस्त बन है ना नए नए इस गांव में तो उन सब ने मुझे कुछ कुछ उपहार दिए है तो वो सब इन बेग में है। और एक बैग में तो मेरा सामान है ही।

नानी और राज के पापा राज को खुश देख कर राज से ज्यादा सवाल नही पूछ पाते। कुछ पंद्रह - बीस मिनट के बाद राज के पाप राज को लेकर शहर के लिए रवाना हो जाते है।

आज लौटते वक़्त कोई चमत्कार नही हुआ ना ही कोई अजीब सी घटना हुई। क़रीब दो-तीन घंटों के सफर के बाद राज और उसके पापा शहर में अपने घर पहुंच जाते है जहां पर राज की मम्मी राज का स्वागत करती है।


[Image: 5c7f8090b0553.jpg] 


राज की दोनों बहनें अभी बाहर कॉलेज गयी हुई थी।

[Image: 5c7f8039d6c17.jpg] 


 राज नहा कर फ्रेश हो जाता है और तब तक राज की मम्मी राज के लिए खाना बना लेती है। राज की मम्मी की नज़र जैसे ही राज पर पड़ती है वो राज को खाना खाने के लिए बुला लेती है। राज भी खाना खा कर अपने रूम में चल जाता है और सो जाता है।

राज अभी गहरी नींद में थी था की अचानक राज को सपना आता है कि उसके नाना जी उसे आवाज दे रहे हो। उसे नींद में ही ऐसा लगता है जैसे उसके नाना जी उसे मदद के लिए पुकार रहे हो। जब राज को ये सपना आ रहा था उसी वक़्त राज का बैग एक हल्की नीली रोशनी से चमक रहा था।


अचानक राज को नींदों मैं ऐसा लगता है जैसे उसके लन्ड से कोई छेड़छाड़ हो रही हो। वो हल्की-हल्की गुदगुदी महसूस कर रहा था। नींदों में ही राज का लन्ड धीरे-धीरे खड़ा होने लगता है।

कमाल की बात ये थी कि राज इस वक़्त ना तो कोई सेक्सी सपना देख रहा था ना ही अब तक उसके मन मैं ऐसे कोई शुभ विचार आये थे। अचानक राज को लगता है कि कोई उसका गला दबा रहा हो। राज थोड़ी देर तक बैचैनी मैं इधर उधर सर घूमता है लेकिन जब उसके बर्दाश्त के बाहर हो जाता है तो अचानक से उठ कर बेड पर बैठ जाता है। 

राज के पूरे चेहरे पर पसीने थे यहां तक कि राज की टी-शर्ट भी पसीनों से गीली हो चुकी थी। राज पास मैं ही रखे लैंप के पास से पानी का गिलास उठा कर पानी पीने लगता है।

पानी पीकर जैसे ही राज गिलास रखता है उसकी नज़र अपने बेग पर जाती है। जिसमे से अभी भी हल्के नील रंग की रोशनी निकल रही थी।

राज अपने बैग के पास जाने के लिए जैसे ही खड़ा होता है। उसके लन्ड में भयंकर दर्द होने लगता है। राज को इस वक़्त ऐसा मेहसूस हो रहा था जैसे हजारों सुईयां राज के लन्ड में चुबाई जा रही हो। राज दर्द को बर्दाश्त करते हुए धीरे-धीरे अपना पेंट खोलता है लेकिन उसे और तेज दर्द होने लगता है।

अब दर्द इतना बढ़ चुका था कि राज बहुत तेजी से चिल्लाता है।

राज: मम्मीsssssssssssssss 
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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RE: द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism} - by Rocksanna999 - 06-03-2019, 01:41 PM



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