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मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu
#15
UPDATE 7


कहानी अब तक:
ये सुन कर नीतू का सर शर्म से झुक गया| ये मौका सही था उसे समझाने के लिए; “नीतू बेटा प्लीज मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ, प्लीज इस शादी से इंकार मत कर|" मैंने नीतू के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| जवाब में नीतू ने मेरे हाथों को अपने हाथों में थामा और कहा; "ठीक है चाचू|" और फिर वहाँ से चली गई|



अब आगे:

नीतू के जाने के बाद मैं चारपाई पर सर नीचे झुका कर बैठ गया| पांच मिनट तक शान्ति छाई रही और फिर तभी भाभी शान्ति भंग करते हुए बोली; "इस लड़की को और कोई नहीं मिला? दिल भी आया तो आप पर जिस पर मेरा हक़ है!" ये सुन कर मेरे अंदर गुस्सा भड़कने लगा और मैंने गुस्से में कहा; "बस भाभी! थोड़ी देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दो!" मेरे गुस्से डर के मारे भाभी वहां से चली गईं| मैं चारपाई पर पीठ के बल लेट कर छत की ओर देखने लगा ओर सोचने लगा| मुझे लगता है की मेरा औरतों के सामने भाव खाना कारन है की वो मुझसे चुदना चाहती हैं जबकि ये उनका मेरे प्रति खिंचाव था! कितना गलत सोच रहा था! खेर सारी रात न सोने के कारण आँखें बोझिल हो गई और मैं सो गया| मेरी नींद तब खुली जब बप्पा ने आ कर मुझे खाना खाने के लिए जगाया| अम्मा होती तो उन्हें खाने के लिए मना कर देता पर बप्पा को मना नहीं कर सकता था| सो मैं, बप्पा ओर भैया खाना खाने बैठ गए| मैंने खाना बहुत कम परोसवाया ये कह की कल बाहर से खाने के कारण पेट ख़राब है| खाना खाने के समय बस मैं, बप्पा, अम्मा और भैया ही बोल रहे थे| ना तो नीतू कुछ बोल रही थी और ना ही भाभी कुछ बोल रही थी| मैं बप्पा को हिसाब दे रहा था और तम्बू कनाट वालों की बातें हो रही थी की तभी नीतू (जिसने खाना बनाया था) वो रसोई से उठ के चली गई| हमारे यहाँ रिवाज है की जब तक सब खाना नहीं खा लेते रसोइया रसोई से बाहर नहीं जाता| नीतू को जाता देख अम्मा ने गुस्से से नीतू को बैठे रहने को कहा तो नीतू वापस जा कर बैठ गई| आज से पहले नीतू ने कभी ऐसा नहीं किया था! खाना खाने के बाद मैं बहाना बना कर वहां से निकल आया| अगले दो दिन तक यूँ ही चलता रहा, मैं सिर्फ खाना खाने दिखता था| बाकी समय मैं किसी न किसी काम से बहार ही रहता था| ना तो मैं भाभी से कुछ बात कर रहा था और ना ही नीतू से!

तीसरे दिन बप्पा ने मेरी ड्यूटी घर पर रह कर अनाज की डिलीवरी और शादी के कुछ सामान को घर रखवाने लगा दी| अम्मा, बप्पा और भैया तीनों जेवर लेने के लिए चले गए| मैं अपने घर पर चारपाई पर लेटा मोबाइल में गेम खेल रहा था की तभी भाभी भागी-भागी मेरे पास आईं और हाँफते हुए बोली; "मुनना.... नीतू दरवाजा नहीं खोल रही है!" इतना सुन्ना था की मैं तुरंत हरकत में आया और उसके कमरे की तरफ भागा और देखा की दरवाजा अंदर से बंद है| मैंने बाहर खड़े हो कर बहुत आवाज लगाईं पर वो कुछ नहीं बोली| ये देख कर मेरी बोखलाहट बढ़ गई और मैंने तीन-चार बार दरवाजे को लात मारी पर दरवाजा नहीं खुला| मैंने अपने कंधे के दरवाजे को धकेलना शुरू किया और दस मिनट तक मशक्कत करने के बाद दरवाजा जा गिरा| मैं तुरंत अंदर घुसा तो देखा नीतू स्टूल पर खड़ी रस्सी के फंदे को गले में डाल रही थी| मैंने तुरंत नीतू के पाँव पकड़ के उसे ऊपर उठा लिया और भाभी ने चारपाई आगे खींच कर उस पर चढ़ गई और नीतू के गले से रस्सी निकाल दी| मैंने नीतू को नीचे उतारा और उसे स्टूल पर बिठा दिया| उसका चेहरा पूरी तरह फीका पद चूका था, न तो वो रो रही थी न गुस्से में दिख रही थी| ऐसा लग रहा था मनो उसके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे| मैंने कई बार नीतू-नीतू पुकारा पर वो कुछ नहीं बोली बस एक टक बांधे सामने दिवार को देखती रही| इतने में भाभी ने पीछे से उसके गाल पर चमाट दे मारी, पर नीतू फिर भी कुछ नहीं बोली| भाभी बोली; "ये ऐसे कुछ नहीं बोलेगी! लातों के भूत बातों से नहीं मानते|" और इतना कहते हुए नीतू के दोनों गाल पर एक-एक चमाट और धर दिया| इससे पहले की भाभी उसे और मारती या कुछ बोलती मैंने भाभी का दाहिना हाथ पकड़ लिया और बोलै; "बस! आप बाहर जाओ और मुझे नीतू से बात करने दो|" पर भाभी मान नहीं रही थी और नीतू को मारना चाहती थी| मैंने भाभी को आँखें दिखा कर डराया और जबरदस्ती बाहर जाने को कहा|

भाभी के जाते ही नीतू फफक कर रो पड़ी और आ कर मेरे गले से लग गई और मेरी छाती को अपने अश्रुओं से भिगोने लगी| कहीं न कहीं मैं उसके प्यार को समझ पा रहा था| खुद को उसकी जगह रख कर उसके दुःख को समझने की कोशिश कर रहा था| मैंने नीतू को पुचकारा और उसे समझने की कोशिश करने लगा; "बेटा ये आप क्या करने जा रहे थे? आपको कुछ हो जाता तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाता!" नीतू ने अपने आँसूं पोछे और सुबकते हुए बोली; "चाचू... मैंने बहुत कोशिश की.... पर नहीं हो पा रहा .... मैं..... आपको नहीं...... शादी नहीं ......" नीतू से बोल पाना बहुत मुश्किल था वो बस सुबके जा रही थी| मैं उसकी बात तो समझ ही गया था तो उसे समझाने लगा; "बेटा, आपको ये सब भूल कर आगे बढ़ना होगा| शादी करके अपना घर बसाना होगा! आपके शादी ना करने से घर में बवाल हो जाएगा! जिंदगी इतनी आसान नहीं होती जितना दिखती है| मैं मानता हूँ की मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं है|” अब तक नीतू ने सुबकना बंद कर दिया था; "चाचू ... अगर आप चाहते हो की मैं ये शादी करूँ तो क्या आप मेरी एक इच्छा पूरी करोगे?" "हाँ-हाँ बोल!" मैंने फटैक से बोल दिया|

"मुझे आपका प्यार चाहिए, शादी से पहले भी और शादी के बाद भी! अगर आप मुझे ये वचन दो तो मैं आपसे वादा करती हूँ की मैं ये शादी करुँगी और दुनिया की नजर में इसे निभाऊंगी भी! पर मेरा पहला और आखरी प्यार आप ही होंगे| मेरे जिस्म पर मेरे दिल पर सिर्फ आप ही का हक़ होगा|" नीतू ये सब एक सांस पर बोल गई और उसकी आवाज में मैंने एक अजीब से गौरव महसूस किया|

नीतू की बात के जवाब में मैंने नीतू के बाएं गाल पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद किया| मेरा हाथ इतना जोरदार था की नीतू के नीचले होंठ से खून निकल आया| "नीतू! आज तुने सारी हदें पार कर दीं! मैंने तुझे क्या समझा था और तू क्या निकली? मुझे लग रहा था की ये तेरा सच्चा प्यार है पर ये तो तेरे अंदर की वासना है जो अब बाहर आ रही है| तू ऐसा सोच भी कैसे सकती है! मैं तेरा चाचा हूँ तुझे से आठ साल बड़ा हूँ और जब मैंने तुझे साफ़-साफ बोल दिया की मैं तुझसे प्यार नहीं करता तो तू ऐसा सोच भी कैसे सकती है?"

"प्यार तो आप माँ से भी नहीं करते पर फिर भी उनकी ख़ुशी के लिए आप उन्हें प्यार तो 'देते' हो न, और उम्र में तो माँ भी आपसे बड़ी हैं फिर उनके साथ आपको .... 'करने' में कोई दुःख नहीं!" नीतू के शब्दों में उसका क्रोध साफ़ दिख रहा था पर उसके जवाब ने मेरे अंदर की क्रोध की ज्वाला को और भड़का दिया था| मैंने खींच के एक और झापड़ उसे रसीद किया; "बहुत जुबान लड़ाने लग गई है तू! शादी तो तेरे अच्छे भी करेंगे और अगर तू ने ना नुकुर की तो मैं ये सब बातें अम्मा-बप्पा के सामने रख दूँगा! ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? मुझे घर से निकाल देंगे, पर तेरी शादी तो तय है क्योंकि उन्हें अपनी 'नाक' ज्यादा प्यारी है| और मेरा क्या है मैं किसी दूसरे शहर चला जाऊँगा, नई जिंदगी शुरू करूँगा ..... और हो सकता है की तेरी माँ मेरे साथ भाग आये! फिर तो हम दोनों एक साथ रह भी सकते हैं, और तू सड़ती रहना अपने ससुराल में!" इतना कह कर मैं बाहर निकला तो भाभी दरवाजे पर टकटकी बांधें खड़ी थी|



to be continued
 horseride  Cheeta    
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RE: मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu - by sarit11 - 06-03-2019, 01:41 PM



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