06-03-2019, 01:40 PM
UPDATE 6a
कहानी अब तक :
मैं अपने घर लौट आया और सीढ़ी पर बैठा किताब में हिसाब लिखने लगा| करीब एक घंटे बाद भाभी और नीतू आये| भाभी ने नीतू का हाथ जोर से पकड़ रखा था और दोनों बहुत तेजी से मेरी तरफ आ रहे थे| मेरे पास पहुँच कर भाभी ने नीतू को मेरी ओर धकेल दिया|
अब आगे:
ये सब देख कर मैं हैरान रह गया| कुछ समझ नहीं आया की भाभी ने नीतू को इस तरह क्यों मेरी ओर धकेला? मैंने नीतू की तरफ देखा तो वो रो रही थी और भाभी का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था|
मैं ने नीतू को संभाला और वो आकर सीधा मेरे गले से लग गयी| ये देख भाभी और गुस्से से मेरी तरफ आई और नीतू को मेरे जिस्म से अलग कर दूर कर दिया| उनके भीतर गुस्सा इतना था की नीतू धम से जा गिरी| मैं तुरंत उसे उठाने के लिए बढ़ा तो भाभी बीच में आ गई और बोली; "पड़ी रहने दो इसे!" मैंने भाभी को साइड किया और नीतू को उठाके खड़ा किया| नीतू पुनः मुझसे लिपट के रोने लगी और ये देख भाभी गुस्से में बोली; "जानते हो क्यों टेसुए बहा रही है ये? महारानी जी कह रही हैं की ये शादी नहीं करना चाहती|" "भाभी शांत हो जाओ, शादी से पहले लड़कियों को इस तरह की घभराहट होती है| एक नई जगह, नया परिवार...." मेरे आगे कुछ बोलने से भाभी चिल्ला कर बोली; "जी नहीं! कहती है तुमसे प्यार करती है और तुम ही से शादी करेगी!" ये सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए! मैंने नीतू को खुद से अलग किया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा; "बेटा ये आप क्या बोल रहे हो? ये सब.... " मैं आगे कुछ बोल नहीं पाया ... शायद शब्दों का अकाल पड़ गया था! मैंने नीतू को खुद से अलग किया और वापस आ कर सीढ़ी पर बैठ गया| करीब-करीब दस मिनट तक सबकुछ शांत था या फिर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे कान के पास आकर कोई बेम फोड़ दिया और उस धमाके से मेरे कानों में बस 'सननन' की आवाज ही आ रही थी! दिमाग सुनन पड़ चूका था!
दस मिनट बाद नीतू मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर कुछ बोलने वाली थी की भाभी फिर से बीच में आई और मेरा हाथ छुड़ा कर बोली; "दूर से बात कर! ज्यादा नगिचे जाने की जर्रूरत नहीं है|" मैंने भाभी का ऐसा रूप कभी नहीं देखा था, वो मुझे इस तरह बचा रही थी जैसे की कोई मादा अपने नवजात बच्चे की रक्षा खूंखार जानवरों से करती है| नीतू ने अपने आंसूं खुद पोछे और बोली; "चाचू ... मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ! आपको अपना पति मान चुकी हूँ| मैं सिर्फ और सिर्फ आपसे ही शादी करुँगी वरना अपनी जान दे दूँगी|" नीतू ने जैसे रटी-रटाई बातें बोल दीं| शायद इन लीनों को वो बहुत दिनों से अभ्यास कर रही थी| मैं कुछ बोलता उससे पहले ही भाभी बोल पड़ी; "छिनाल! तुझे सिर्फ ....." इतना खा कर वो तेजी से नीतू की ओर लपकी और मैंने फुर्ती दिखते हुए उनका हाथ पकड़ कर रोक लिया और उन्हें चुप कर दिया| "नीतू... बेटा मुझे नहीं पता की ये बात आपके मन में कैसे आई या क्यों आप मेरे बारे में ऐसा सोचते हो? मैं बस इतना कहना चाहता हूँ की जो आप कह रहे हो वो मेरे लिए पाप है! मैंने आपको हमेशा अपनी बेटी की तरह चाहा है, कभी आपके बाजरे में कुछ गलत नहीं सोचा| क्यों आप मेरे प्यार को इस दिशा की ओर ले जा रहे हो? ये विचार लाना पाप है! प्लीज मुझे इस पाप का भागी मत बनाओ!" "आप और माँ जो करते हैं वो भी तो पाप है! फिर मेरे साथ शादी करने में आपको क्या परेशानी है? मैं अपने अरमानों का गाला घोंट दूँ और किसी और से शादी कर लूँ क्या ये पाप नहीं है?" नीतू की बात सुन भाभी का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंची और वो नीतू की ओर लपकी और मेरे कुछ करने से पहले ही उन्होंने नीतू के गाल पर एक जोरदार झापड़ जड़ दिया|
"तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कुछ बोलने की? तुझे पता है की पाप क्या होता है? शादी के बाद तेरा बाप मुझे रोज मारता था, जबरदस्ती मुझे चोदता था, शराब पी कर मेरे जिस्म पर पिघलती हुई मोमबत्ती गिराता था, जलती हुई लकड़ी से मेरे जिस्म को सुलगाता था और जब डर के मैं अपने मायके जाती तो वहाँ आकर मेरे सामने आस-पड़ोस की रंडियों को बुला कर मेरे सामने चोदता था! तेरे चाचू मुझे बचाते थे मेरी रक्षा करते थे| तुझे तो पता भी नहीं की तेरे पैदा होने के बाद इन्होने किस तरह से मुझे और तुझे संभाला है| तेरे बाप की गन्दी नजर से बचा कर रखा तुझे वरना वरना वो तुझे कबका भोग चूका होता और तुझे माँ भी बना चूका होता! बदले में आज तक इन्होने कभी मुझसे कुछ नहीं माँगा और मांगते तो भी इनका ये क़र्ज़ नहीं उतार सकती थी| मेरी हर ख़ुशी का ख़याल रखते थे, वो इनका सम्मान था मेरे लिए| तेरे चाचू ने कभी कोई पहल नहीं की, ये तो मैं थी जिसने शुरुरात की थी क्योंकि मैं भी तेरी तरह इनके सम्मान को प्यार का नाम दे बैठी और इनसे दिल लगा लिया| कल जब तूने मुझे यहाँ से जाते हुए देखा तब मैं बहुत डर गई थी और जब मैंने कल इन्हें बात बताई तो जानती है क्या बोले ये? मुझसे बोले की नीतू से कहना की ये सब मैंने किया है! मैंने ही तुम्हें अपनी बातों से बरगलाया है! सारे आरोप मुझ पर लगा देना और कहना मैंने तुम्हारे साथ जबरदस्तीकी थी| अब बता कौन है पापी? मैं या ये?" इतना सब कुछ भाभी एक ही साँस में बोल गई और ये सुन कर नीतू का सर शर्म से झुक गया| ये मौका सही था उसे समझाने के लिए; “नीतू बेटा प्लीज मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ, प्लीज इस शादी से इंकार मत कर|" मैंने नीतू के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| जवाब में नीतू ने मेरे हाथों को अपने हाथों में थामा और कहा; "ठीक है चाचू|" और फिर वहाँ से चली गई|
to be continued
कहानी अब तक :
मैं अपने घर लौट आया और सीढ़ी पर बैठा किताब में हिसाब लिखने लगा| करीब एक घंटे बाद भाभी और नीतू आये| भाभी ने नीतू का हाथ जोर से पकड़ रखा था और दोनों बहुत तेजी से मेरी तरफ आ रहे थे| मेरे पास पहुँच कर भाभी ने नीतू को मेरी ओर धकेल दिया|
अब आगे:
ये सब देख कर मैं हैरान रह गया| कुछ समझ नहीं आया की भाभी ने नीतू को इस तरह क्यों मेरी ओर धकेला? मैंने नीतू की तरफ देखा तो वो रो रही थी और भाभी का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था|
मैं ने नीतू को संभाला और वो आकर सीधा मेरे गले से लग गयी| ये देख भाभी और गुस्से से मेरी तरफ आई और नीतू को मेरे जिस्म से अलग कर दूर कर दिया| उनके भीतर गुस्सा इतना था की नीतू धम से जा गिरी| मैं तुरंत उसे उठाने के लिए बढ़ा तो भाभी बीच में आ गई और बोली; "पड़ी रहने दो इसे!" मैंने भाभी को साइड किया और नीतू को उठाके खड़ा किया| नीतू पुनः मुझसे लिपट के रोने लगी और ये देख भाभी गुस्से में बोली; "जानते हो क्यों टेसुए बहा रही है ये? महारानी जी कह रही हैं की ये शादी नहीं करना चाहती|" "भाभी शांत हो जाओ, शादी से पहले लड़कियों को इस तरह की घभराहट होती है| एक नई जगह, नया परिवार...." मेरे आगे कुछ बोलने से भाभी चिल्ला कर बोली; "जी नहीं! कहती है तुमसे प्यार करती है और तुम ही से शादी करेगी!" ये सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए! मैंने नीतू को खुद से अलग किया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा; "बेटा ये आप क्या बोल रहे हो? ये सब.... " मैं आगे कुछ बोल नहीं पाया ... शायद शब्दों का अकाल पड़ गया था! मैंने नीतू को खुद से अलग किया और वापस आ कर सीढ़ी पर बैठ गया| करीब-करीब दस मिनट तक सबकुछ शांत था या फिर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे कान के पास आकर कोई बेम फोड़ दिया और उस धमाके से मेरे कानों में बस 'सननन' की आवाज ही आ रही थी! दिमाग सुनन पड़ चूका था!
दस मिनट बाद नीतू मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर कुछ बोलने वाली थी की भाभी फिर से बीच में आई और मेरा हाथ छुड़ा कर बोली; "दूर से बात कर! ज्यादा नगिचे जाने की जर्रूरत नहीं है|" मैंने भाभी का ऐसा रूप कभी नहीं देखा था, वो मुझे इस तरह बचा रही थी जैसे की कोई मादा अपने नवजात बच्चे की रक्षा खूंखार जानवरों से करती है| नीतू ने अपने आंसूं खुद पोछे और बोली; "चाचू ... मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ! आपको अपना पति मान चुकी हूँ| मैं सिर्फ और सिर्फ आपसे ही शादी करुँगी वरना अपनी जान दे दूँगी|" नीतू ने जैसे रटी-रटाई बातें बोल दीं| शायद इन लीनों को वो बहुत दिनों से अभ्यास कर रही थी| मैं कुछ बोलता उससे पहले ही भाभी बोल पड़ी; "छिनाल! तुझे सिर्फ ....." इतना खा कर वो तेजी से नीतू की ओर लपकी और मैंने फुर्ती दिखते हुए उनका हाथ पकड़ कर रोक लिया और उन्हें चुप कर दिया| "नीतू... बेटा मुझे नहीं पता की ये बात आपके मन में कैसे आई या क्यों आप मेरे बारे में ऐसा सोचते हो? मैं बस इतना कहना चाहता हूँ की जो आप कह रहे हो वो मेरे लिए पाप है! मैंने आपको हमेशा अपनी बेटी की तरह चाहा है, कभी आपके बाजरे में कुछ गलत नहीं सोचा| क्यों आप मेरे प्यार को इस दिशा की ओर ले जा रहे हो? ये विचार लाना पाप है! प्लीज मुझे इस पाप का भागी मत बनाओ!" "आप और माँ जो करते हैं वो भी तो पाप है! फिर मेरे साथ शादी करने में आपको क्या परेशानी है? मैं अपने अरमानों का गाला घोंट दूँ और किसी और से शादी कर लूँ क्या ये पाप नहीं है?" नीतू की बात सुन भाभी का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंची और वो नीतू की ओर लपकी और मेरे कुछ करने से पहले ही उन्होंने नीतू के गाल पर एक जोरदार झापड़ जड़ दिया|
"तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कुछ बोलने की? तुझे पता है की पाप क्या होता है? शादी के बाद तेरा बाप मुझे रोज मारता था, जबरदस्ती मुझे चोदता था, शराब पी कर मेरे जिस्म पर पिघलती हुई मोमबत्ती गिराता था, जलती हुई लकड़ी से मेरे जिस्म को सुलगाता था और जब डर के मैं अपने मायके जाती तो वहाँ आकर मेरे सामने आस-पड़ोस की रंडियों को बुला कर मेरे सामने चोदता था! तेरे चाचू मुझे बचाते थे मेरी रक्षा करते थे| तुझे तो पता भी नहीं की तेरे पैदा होने के बाद इन्होने किस तरह से मुझे और तुझे संभाला है| तेरे बाप की गन्दी नजर से बचा कर रखा तुझे वरना वरना वो तुझे कबका भोग चूका होता और तुझे माँ भी बना चूका होता! बदले में आज तक इन्होने कभी मुझसे कुछ नहीं माँगा और मांगते तो भी इनका ये क़र्ज़ नहीं उतार सकती थी| मेरी हर ख़ुशी का ख़याल रखते थे, वो इनका सम्मान था मेरे लिए| तेरे चाचू ने कभी कोई पहल नहीं की, ये तो मैं थी जिसने शुरुरात की थी क्योंकि मैं भी तेरी तरह इनके सम्मान को प्यार का नाम दे बैठी और इनसे दिल लगा लिया| कल जब तूने मुझे यहाँ से जाते हुए देखा तब मैं बहुत डर गई थी और जब मैंने कल इन्हें बात बताई तो जानती है क्या बोले ये? मुझसे बोले की नीतू से कहना की ये सब मैंने किया है! मैंने ही तुम्हें अपनी बातों से बरगलाया है! सारे आरोप मुझ पर लगा देना और कहना मैंने तुम्हारे साथ जबरदस्तीकी थी| अब बता कौन है पापी? मैं या ये?" इतना सब कुछ भाभी एक ही साँस में बोल गई और ये सुन कर नीतू का सर शर्म से झुक गया| ये मौका सही था उसे समझाने के लिए; “नीतू बेटा प्लीज मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ, प्लीज इस शादी से इंकार मत कर|" मैंने नीतू के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| जवाब में नीतू ने मेरे हाथों को अपने हाथों में थामा और कहा; "ठीक है चाचू|" और फिर वहाँ से चली गई|
to be continued