06-03-2019, 01:35 PM
UPDATE 6
कहानी अब तक:
मैं ऐसा कुछ नहीं कहूँगी| फिर जो होना है वो हो जाए|" "जरा दिमाग लगा कर सोचो, अगर खुद पर आरोप लोगी तो सब आपको कुलटा कहेंगे! और नीतू का क्या? उसका ब्याह है, ये बात फ़ैल गई तो उससे कोई शादी नहीं करेगा! मेरा क्या है मैं घर-बार छोड़ दूँगा, किसी दूसरी जगह... दूसरे शहर गुजरा कर लूंगा| आप मेरी चिंता मत करो और नीतू के भविष्य के बारे में सोचो|" ये कह कर मैंने कपडे पहने और तभी अम्मा आ गईं और मुझे एक थैला दे कर घर लौटते समय कुछ सामना लेन को भी कहा| थैला ले कर मैं बप्पा और भैया से मिला और घर से निकल पड़ा| सब कुछ शांत था क्योंकि नीतू अभी तक सो रही थी पर मेरा दिल ये कह रहा था की आज घर लौट कर मुझे तूफ़ान का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा|
अब आगे...
सारा काम निपटा कर घर लौटते-लौटते मुझे शाम के सात बज गए थे| घर लौटते समय मैं बस मन ही मन खुद को आने वाले सवालों के लिए तैयार कर रहा था| मैंने सोच लिया था की आज रात ही मैं घर छोड़के चला जाऊँगा और फिर कभी वापस नहीं आऊँगा| बस एक ही बात का गम था की मैं अपनी प्यारी हतिजी जिसे मैं अपनी बेटी की तरह चाहता था उसकी नजरों में गिर जाऊँगा और फिर कभी उससे मिल नहीं पाउँगा| पर इसमें सब मेरी ही गलती थी... अगर मैं भाभी को बहने से पहले ही रोक लेता तो आज मेरा ये छोटा सा आशियाँ बाढ़ में बह ना जाता| भारी-भारी क़दमों से मैं अपने घर पहुँचा और सीधा अम्मा के पास पहुँचा और उन्हें थैला दिया| पर अम्मा ने मुझे प्यार से बिठाया और पानी और गुड़ दिया| बप्पा और भैया भी आ गए और सब बड़े आराम से बातें कर रहे थे| मैंने ये सब देख अचंभित था और मेरी नजरें भाभी को ढूंढने लगीं| कुछ देर बाद अंदर से भाभी निकलीं और वो भी बहुत शांत थी और मुस्कुरा रही थी| इसका मतलब नीतू ने किसी से कुछ भी नहीं कहा था| मैं उठा और नीतू को ढूंढने लगा ताकि उससे बात करके उसे झूठ बता सकूँ की ये सब उसकी माँ की नहीं बल्कि मेरी गलती है| पर वो मुझे कहीं नहीं मिली, मेरे पूछने पर भैया ने बताया की वो सो चुकी है| मैं घर के आँगन में पहुँचा तो देखा नीतू वहां लेटी हुई थी मैं उसके पास पहुँच कर मैंने नीतू को आवाज लगाईं पर वो कुछ नहीं बोली और चुप चाप लेटी रही| मेरा मन किया की मेंमैंने नीतू के सर पर हाथ फेरने को हाथ बढ़ाया पर फिर खुद को रोक लिया| मेरा मन अंदर से कचोट ने लगा और मैं आत्मग्लानि की आग में जलने लगा| मेरे अंतर मन ने मुझे नीतू को छूने भी नहीं दिया| मैं ने अपनी जेब में हाथ डाला और नीतू के लिए लाइ हुई चॉकलेट निकाल कर उसके पास छोड़ के वापस मुड़ा| पीछे देखा तो भाभी खड़ी सब कुछ देख रही थी| मैंने भाभी से कुछ नहीं कहा और अपने घर लौट आया और कपडे बदलने लगा| तभी अम्मा और भाब ही खाना खाने को बुलाने आये तो मैंने उन्हें ये कहकर मना कर दिया की मैंने बाहर खाना खा लिया था सो मैं अभी खाना न यहीं खाऊँगा| अम्मा तो मेरा झूठ मान गई पर भाभी जान चुकी थी की मैं झूठ बोल रहा हूँ| अम्मा के जाने के बाद भाभी बोली; "क्यों झूठ बोल रहे हो?.... तुम नहीं खाओगे तो मैं भी खाना नहीं खाउंगी!" मैंने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और सर झुकाये बैठ गया| मेरा सर झुका हुआ देख भाभी बोली; "मैंने अभी देखा .... तुम.....बहुत चाहते हो नीतू को और मेरे कारन वो.... तुमसे बात भी नहीं कर रही|" ये बोलते हुए भाभी की आँखें छलक आईं| "हम्म्म...पर आज नहीं तो कल....उसने अपने ससुराल चले जाना था| फिर तो क्या ही .... मैं उससे मिलता..." इतना कह कर मैं चुप होगया और खुद को सँभालने लगा की मैं रो न पडूँ| "नहीं.... ये सब मेरे कारण हुआ है|" भाभी ने रोते हुए कहा| "नहीं.... गलती मेरी थी! मुझे आपको शुरू में ही ये सब करने से पहले रोक देना चाहिए था| खेर छोडो जो होगया उसे तो मैं बदल नहीं सकता आप बस चुप रहना और नीतू से कुछ मत कहना| अगर उसने पूछा तो वही कहना जो मैंने कहा था| सारा इल्जाम मुझ पर लगा देना और कहना मैंने आपको बरगलाया था| आप उसकी माँ हो और मैं नहीं चाहता की उसकी नजरों में कभी आपकी इज्जत कम हो| रही मेरी बात तो मैं था ही कौन? उसका चाचा... मेरे ना होने से उसे इतना दुःख नहीं होगा जितना अपने माँ के नहोने से होगा!" मैंने भाभी के आँसूं पोछते हुए कहा| मैंने आगे उन्हें कुछ कहने नहीं दिया और उन्हें अपनी कसम से बाँध कर चुप करा कर घर भेज दिया|
भाभी के जाने के बाद मैंने दरवाजा बंद किया और पलंग पर लेट गया पर नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी| सारी रात मैंने जाग कर काटी और नीतू के बचपन की यादों को याद करता रहा| सुबह होते ही मैं नाहा-धो कर तैयार हुआ और बप्पा के पास आ कर बैठ गया| मुझे इतनी जल्दी उठा देख कर बप्पा खुश हुए और हम खेत की तरफ निकल गए| उस समय कोई नहीं उठा था सो मैं और बप्पा एक सैर पर चल दिए| जब हम वापस आये तो मुझे और बप्पा को साथ देख सब हैरान रह गए| सिर्फ नीतू अभी तक उठी नहीं थी, बाकी सब उठ चुके थे| सबने साथ बैठ कर चाय पी और फिर अम्मा और बप्पा दूसरे गाँव पूजा में चले गए और भैया भी किसी काम से चले गए| मुझे घर रह कर आराम करने का काम दिया गया था क्योंकि की कल मैंने बहुत सारा काम किया था! मैं अपने घर लौट आया और सीढ़ी पर बैठा किताब में हिसाब लिखने लगा| करीब एक घंटे बाद भाभी और नीतू आये| भाभी ने नीतू का हाथ जोर से पकड़ रखा था और दोनों बहुत तेजी से मेरी तरफ आ रहे थे| मेरे पास पहुँच कर भाभी ने नीतू को मेरी ओर धकेल दिया|
कहानी अब तक:
मैं ऐसा कुछ नहीं कहूँगी| फिर जो होना है वो हो जाए|" "जरा दिमाग लगा कर सोचो, अगर खुद पर आरोप लोगी तो सब आपको कुलटा कहेंगे! और नीतू का क्या? उसका ब्याह है, ये बात फ़ैल गई तो उससे कोई शादी नहीं करेगा! मेरा क्या है मैं घर-बार छोड़ दूँगा, किसी दूसरी जगह... दूसरे शहर गुजरा कर लूंगा| आप मेरी चिंता मत करो और नीतू के भविष्य के बारे में सोचो|" ये कह कर मैंने कपडे पहने और तभी अम्मा आ गईं और मुझे एक थैला दे कर घर लौटते समय कुछ सामना लेन को भी कहा| थैला ले कर मैं बप्पा और भैया से मिला और घर से निकल पड़ा| सब कुछ शांत था क्योंकि नीतू अभी तक सो रही थी पर मेरा दिल ये कह रहा था की आज घर लौट कर मुझे तूफ़ान का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा|
अब आगे...
सारा काम निपटा कर घर लौटते-लौटते मुझे शाम के सात बज गए थे| घर लौटते समय मैं बस मन ही मन खुद को आने वाले सवालों के लिए तैयार कर रहा था| मैंने सोच लिया था की आज रात ही मैं घर छोड़के चला जाऊँगा और फिर कभी वापस नहीं आऊँगा| बस एक ही बात का गम था की मैं अपनी प्यारी हतिजी जिसे मैं अपनी बेटी की तरह चाहता था उसकी नजरों में गिर जाऊँगा और फिर कभी उससे मिल नहीं पाउँगा| पर इसमें सब मेरी ही गलती थी... अगर मैं भाभी को बहने से पहले ही रोक लेता तो आज मेरा ये छोटा सा आशियाँ बाढ़ में बह ना जाता| भारी-भारी क़दमों से मैं अपने घर पहुँचा और सीधा अम्मा के पास पहुँचा और उन्हें थैला दिया| पर अम्मा ने मुझे प्यार से बिठाया और पानी और गुड़ दिया| बप्पा और भैया भी आ गए और सब बड़े आराम से बातें कर रहे थे| मैंने ये सब देख अचंभित था और मेरी नजरें भाभी को ढूंढने लगीं| कुछ देर बाद अंदर से भाभी निकलीं और वो भी बहुत शांत थी और मुस्कुरा रही थी| इसका मतलब नीतू ने किसी से कुछ भी नहीं कहा था| मैं उठा और नीतू को ढूंढने लगा ताकि उससे बात करके उसे झूठ बता सकूँ की ये सब उसकी माँ की नहीं बल्कि मेरी गलती है| पर वो मुझे कहीं नहीं मिली, मेरे पूछने पर भैया ने बताया की वो सो चुकी है| मैं घर के आँगन में पहुँचा तो देखा नीतू वहां लेटी हुई थी मैं उसके पास पहुँच कर मैंने नीतू को आवाज लगाईं पर वो कुछ नहीं बोली और चुप चाप लेटी रही| मेरा मन किया की मेंमैंने नीतू के सर पर हाथ फेरने को हाथ बढ़ाया पर फिर खुद को रोक लिया| मेरा मन अंदर से कचोट ने लगा और मैं आत्मग्लानि की आग में जलने लगा| मेरे अंतर मन ने मुझे नीतू को छूने भी नहीं दिया| मैं ने अपनी जेब में हाथ डाला और नीतू के लिए लाइ हुई चॉकलेट निकाल कर उसके पास छोड़ के वापस मुड़ा| पीछे देखा तो भाभी खड़ी सब कुछ देख रही थी| मैंने भाभी से कुछ नहीं कहा और अपने घर लौट आया और कपडे बदलने लगा| तभी अम्मा और भाब ही खाना खाने को बुलाने आये तो मैंने उन्हें ये कहकर मना कर दिया की मैंने बाहर खाना खा लिया था सो मैं अभी खाना न यहीं खाऊँगा| अम्मा तो मेरा झूठ मान गई पर भाभी जान चुकी थी की मैं झूठ बोल रहा हूँ| अम्मा के जाने के बाद भाभी बोली; "क्यों झूठ बोल रहे हो?.... तुम नहीं खाओगे तो मैं भी खाना नहीं खाउंगी!" मैंने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और सर झुकाये बैठ गया| मेरा सर झुका हुआ देख भाभी बोली; "मैंने अभी देखा .... तुम.....बहुत चाहते हो नीतू को और मेरे कारन वो.... तुमसे बात भी नहीं कर रही|" ये बोलते हुए भाभी की आँखें छलक आईं| "हम्म्म...पर आज नहीं तो कल....उसने अपने ससुराल चले जाना था| फिर तो क्या ही .... मैं उससे मिलता..." इतना कह कर मैं चुप होगया और खुद को सँभालने लगा की मैं रो न पडूँ| "नहीं.... ये सब मेरे कारण हुआ है|" भाभी ने रोते हुए कहा| "नहीं.... गलती मेरी थी! मुझे आपको शुरू में ही ये सब करने से पहले रोक देना चाहिए था| खेर छोडो जो होगया उसे तो मैं बदल नहीं सकता आप बस चुप रहना और नीतू से कुछ मत कहना| अगर उसने पूछा तो वही कहना जो मैंने कहा था| सारा इल्जाम मुझ पर लगा देना और कहना मैंने आपको बरगलाया था| आप उसकी माँ हो और मैं नहीं चाहता की उसकी नजरों में कभी आपकी इज्जत कम हो| रही मेरी बात तो मैं था ही कौन? उसका चाचा... मेरे ना होने से उसे इतना दुःख नहीं होगा जितना अपने माँ के नहोने से होगा!" मैंने भाभी के आँसूं पोछते हुए कहा| मैंने आगे उन्हें कुछ कहने नहीं दिया और उन्हें अपनी कसम से बाँध कर चुप करा कर घर भेज दिया|
भाभी के जाने के बाद मैंने दरवाजा बंद किया और पलंग पर लेट गया पर नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी| सारी रात मैंने जाग कर काटी और नीतू के बचपन की यादों को याद करता रहा| सुबह होते ही मैं नाहा-धो कर तैयार हुआ और बप्पा के पास आ कर बैठ गया| मुझे इतनी जल्दी उठा देख कर बप्पा खुश हुए और हम खेत की तरफ निकल गए| उस समय कोई नहीं उठा था सो मैं और बप्पा एक सैर पर चल दिए| जब हम वापस आये तो मुझे और बप्पा को साथ देख सब हैरान रह गए| सिर्फ नीतू अभी तक उठी नहीं थी, बाकी सब उठ चुके थे| सबने साथ बैठ कर चाय पी और फिर अम्मा और बप्पा दूसरे गाँव पूजा में चले गए और भैया भी किसी काम से चले गए| मुझे घर रह कर आराम करने का काम दिया गया था क्योंकि की कल मैंने बहुत सारा काम किया था! मैं अपने घर लौट आया और सीढ़ी पर बैठा किताब में हिसाब लिखने लगा| करीब एक घंटे बाद भाभी और नीतू आये| भाभी ने नीतू का हाथ जोर से पकड़ रखा था और दोनों बहुत तेजी से मेरी तरफ आ रहे थे| मेरे पास पहुँच कर भाभी ने नीतू को मेरी ओर धकेल दिया|