12-08-2020, 01:07 PM
मैंने वसंत के लड़ को पोछ कर बिस्तर पर चढ़ गया और मधु को चूमने लगा वो मेरे कमर को पकड़ कर जीभ डाल कर वसंत के लड़ का स्वाद लेने लगी और अपनी गांड उठा कर लड़ के लिए तड़पने लगी, वसंत अपने तगड़े लड़ को मधु के चुत के ऊपर सहलात्ते चला गया और मधु मचलती रही, मधु के झूलते चुचियों को मैंने हाथों मैं ले लिया , मधु के निप्पल्स एक दम कड़क थे और मैंने निप्पल्स को कस के सहलात्ते सहलाते मधु को और उतावले पन पर ला दिया जिसकी वजह से वो कामुक्ता के चर्म पर जा पहुँची और वसंत से कमुक आवाज़ मैं बोली डालो न देवर जी नहीं तोह झड़ जाउंगी वसंत बोला उफ्फ भाभी डालता हूँ थोड़ी देर रूको सब्र करो, मधु बोली नहीं रहा जाता अब ।
वसंत ने लड़ के सुपारे को मधु की मचलती चुत पर घीसा और कमर को एक हाथ से पकड़ दूसरे हाथ को कांधे पर रख कर बोला भाभी ये लो और तगड़े झटके के साथ उसने लड़ को धका दिया और मधु मुझे नाखूनों से नोचती बोली मर गई अहह और आँखे आँसुओ से भर गई और लड़ आधा चुत मैं फ़स गया , वसंत थोड़ा रुक कर पूछा कैसा लगा भाभी वो नाक बहाती रूवासी आवाज़ मे बोली जैसा सहेलियों ने बताया था सुहागरात मैं होगा वो आज समझी मैं और वसंत ने दोनों हाथों को कांधे पर रख कर एक और झटके से अपना मोटा तगड़ा लिंग मधु की चुत मैं गहराई तक घुसा कर बोला तेरी सहेलियों को कहा पता था कि उसके जीजा गांडू है और वो तगड़े झटके मरता सुखी चुत घिसने लगा और मधु चीखती चिलाती मुझे नोचती अहह वसंत उफ्फ वसंत आये माँ उफ्फ करती उसके झटके को झेलती आँसू बहाती रही और काँपने लगी ।
वसंत ने चटाक कर उसके गांड पर चाँटा मार कर पूछा झड़ेंगी क्या रांड ऐसे क्यों इठला रही है ।
मधु बहुत उतेजना से सिशकिया भर्ती चिखती लड़ को झेलती एक दम सी अकड़ गई और कप कपाते झड़ने लगी , और हल्का झुक कर मुझे कस कर पकड़ के हाँफने लगी और वसंत झटके मरता बोला बड़ी जल्दी झड़ गई कुतिया मेरी और कमर पकड़ के बेतहाशा चोदने लगा और मधु की चित्कारिया कमुक सिशकिया बन फच फच की मधुर आवाज से ताल मिलाती गूँजने लगी और वसंत भी मदमस्त चोदता गया ।
काफी देर ऐसे चोदने के बाद उसने लिंग खिंच कर निकाला और मधु ज़ोर से चीखते बोली अहह वसंत ।
वसंत ने दोनों हाथों से मधु की गाँड फैलाई और बोला भाभी तेरी चुत से तोह खून निकल गया और अपने लिंग को खून के हल्के धब्बे से गिला देख कर बोला देखो भाभी , मधु किसी तरह खड़ी हुई और दर्द से इठलाते वसंत के काले लिंग पर लाल चुत के धब्बों को उँगलियों से सहलाते बोली फट गई क्या ।
वसंत हँसते बोला अभी और फटेगी तेरी ये चुत रांड चल लेट बिस्तर पर खोल टांग , मधु दोनों टांग को पूरा खोल के लेट गई और वसंत बोला भाईसाहब आप भी देख लो कैसे आपकी बीवी की झिल्ली फटी है , मैं सामने बैठ कर हाथ से मधु की चुत के चारों और खून देखने लगा और वो बोला बाद मैं देखना अब और दोनों टांगो को अपने हाथों से पूरी तरह चौड़ा कर के वसंत ने झटके से लड़ पेल दिया और मधु दर्द से चिखती वसंत के कमर को धकेलने लगी और वसंत बोला क्या भाईसाहब क्या कर रहे है ,देखते नहीं आपकी बीवी को दर्द हो रहा है पकड़िए इसके हाथों को ,मैं मधु के हाथों को ऊपर कर के पकड़ उसके काँखों को चाटने लगा और वो तेज़ धकों से मधु को चोदने लगा और मधु की चुचिया मतवाली हो झूमने लगी और सिसकियों की गूँज से कमरा भर गया ।
मधु बेतहाशा हवस की आग मैं रम गई और उसका कमर लड़ के साथ हिलने लगा और वसंत बोला वाह भाभी अब मज़ा आया तुझे ।
मधु की आँखे बंद थी ,सर बिस्तर पर उठा हुआ था और होटो पर बस सिशकिया और वसंत के नाम की माला जापे जा रही थी और मैं काँखों को चाटे जा रहा था कि मधु की कमर एक दम से बिस्तर से उठी और वसंत के लड़ पर टिक गई और वसंत बोला नहला रांड नहला दे अपने देवर के लौड़े को रंडी चुत के पानी से और मधु झड़ गईं ।
वसंत ने खिंच के लड़ को निकाल कर वापस झटके से पेल दिया और मधु के जिस्म पर खुद को रख कर बोला भाईसाहब हटिये और मैं दूर हो गया और वो मधु के होटो को चुसने लगा मधु उसके पीठ को सहलाने लगी और वसंत आहिस्ता आहिस्ता कमर हिलाता मधु के गीले चुत को लड़ का सुख देने लगा और मधु से बोला देखो मुझे भाभी ,मधु वसंत की आंखों मैं देखने लगी और वो कमर उठा कर झटके मारने लगा ,मधु की तमतमाते चेहरे को देख वसंत पूछा मेरी रखैल बनेगी न , मधु अहह उफ्फ करती बोली तेरी रखैल हूं अब क्या बाकी रह गया जिस प्यास को तड़प रही थी तूने तोह आधे घंटे मैं दो बार बुझा दिया ,वसंत बोला अभी एक बार और झड़ेंगी तू रांड तब जा के तेरी चुत भरूँगा ।
मधु इठलाती वसंत के आँखों मे देखती बोली थोड़ा तेज़ चोदो न, वसंत हँसते हुए बोला पहले तड़प तोह थोड़ी देर फिर जा के तुझे झड़ने मैं मज़ा आएगा साली छिनाल ओर वो मधु को तरसता धीरे धीरे ही लड़ को आगे पीछे करता रहा और होटो को चुसता रहा ।
कुछ देर बाद मधु बोली ज़ोर से चोद न कुत्ते वसंत मधु के होठ को दाँतो से खींच कर बोला कुतिया भिक माँग गिड़गिड़ा रंडी मेरे झटकों के लिए ।
मधु ने वसंत के पीठ को नाखूनों से नोचती बोली कुत्ते मत तड़पा अपनी रांड को ,ऐसे मत तरसा कुतिया को , मार झटके लड़ के मेरी प्यासी चुत पर और भर दे मेरी चुत अपने पानी से , तेरे ही लड़ के पानी से आग बुझेगी मेरी ।
वसंत ने होठों को चूमते गांड उठा कर ज़ोरदार झटकों से मधु को को बेताहाशा चोदने लगा और मधु उसके बालों को कस कर पकड़ के नोचने लगी ।
वसंत झटकों की बरसात करता पूछा बोल मधु कौन है तू ?
मधु सिसकिया भर्ती मचलती मदहोश होती चीखते बोली वसंत की राड हुँ मैं ,उसके लड़ की रखैल हुँ है ये मधु ।
ये देख सुन मेरा लड़ फंफ़नाने लगा और वसंत उठ कर मधु की टांग पकड़ कर झटके मारते मेरी और देखते बोला क्या भाईसाहब फिर खड़ा हो गया ना ।
वसंत ने मधु को बोला देखा तूने भड़वे पति को कैसे तुझे रांड बना के कड़क हो रहा है आज , मधु बोली ये तोह दलालों का दलाल है ,वसंत बोला चूस अपने भड़वे का तीनों साथ झड़ेंगी और मधु मेरे लड़ को पकड़ चुसने लगी ।
मधु झटकों की रफ़्तार से बेताबियाँ मे डूबी हुई थी और चुसते चुसते मेरे लड़ को दाँतो से काट कर चबा लेती और मेरी चीख फुट पड़ती और वसंत हँसने लगता ।
मैंने मधु के मुँह मैं पूरा लड़ घुसा कर उसके हाथों को पकड़ लिया और मुँह चोदने लगा ,मधु विरोद्ध कर रही थी लेकिन मेरे पकड़ से बेबस हो गई और जैसे ही वो फिर से अपने जिस्म को अकड़ने लगी वसंत बोला भाईसाहब देखिये रांड झड़ने वाली है और वो कस कर झटके देने लगा और वो दोनों एक साथ झड़ गए और मेरा वीर्य भी निकल गया ।
वसंत ने लड़ के सुपारे को मधु की मचलती चुत पर घीसा और कमर को एक हाथ से पकड़ दूसरे हाथ को कांधे पर रख कर बोला भाभी ये लो और तगड़े झटके के साथ उसने लड़ को धका दिया और मधु मुझे नाखूनों से नोचती बोली मर गई अहह और आँखे आँसुओ से भर गई और लड़ आधा चुत मैं फ़स गया , वसंत थोड़ा रुक कर पूछा कैसा लगा भाभी वो नाक बहाती रूवासी आवाज़ मे बोली जैसा सहेलियों ने बताया था सुहागरात मैं होगा वो आज समझी मैं और वसंत ने दोनों हाथों को कांधे पर रख कर एक और झटके से अपना मोटा तगड़ा लिंग मधु की चुत मैं गहराई तक घुसा कर बोला तेरी सहेलियों को कहा पता था कि उसके जीजा गांडू है और वो तगड़े झटके मरता सुखी चुत घिसने लगा और मधु चीखती चिलाती मुझे नोचती अहह वसंत उफ्फ वसंत आये माँ उफ्फ करती उसके झटके को झेलती आँसू बहाती रही और काँपने लगी ।
वसंत ने चटाक कर उसके गांड पर चाँटा मार कर पूछा झड़ेंगी क्या रांड ऐसे क्यों इठला रही है ।
मधु बहुत उतेजना से सिशकिया भर्ती चिखती लड़ को झेलती एक दम सी अकड़ गई और कप कपाते झड़ने लगी , और हल्का झुक कर मुझे कस कर पकड़ के हाँफने लगी और वसंत झटके मरता बोला बड़ी जल्दी झड़ गई कुतिया मेरी और कमर पकड़ के बेतहाशा चोदने लगा और मधु की चित्कारिया कमुक सिशकिया बन फच फच की मधुर आवाज से ताल मिलाती गूँजने लगी और वसंत भी मदमस्त चोदता गया ।
काफी देर ऐसे चोदने के बाद उसने लिंग खिंच कर निकाला और मधु ज़ोर से चीखते बोली अहह वसंत ।
वसंत ने दोनों हाथों से मधु की गाँड फैलाई और बोला भाभी तेरी चुत से तोह खून निकल गया और अपने लिंग को खून के हल्के धब्बे से गिला देख कर बोला देखो भाभी , मधु किसी तरह खड़ी हुई और दर्द से इठलाते वसंत के काले लिंग पर लाल चुत के धब्बों को उँगलियों से सहलाते बोली फट गई क्या ।
वसंत हँसते बोला अभी और फटेगी तेरी ये चुत रांड चल लेट बिस्तर पर खोल टांग , मधु दोनों टांग को पूरा खोल के लेट गई और वसंत बोला भाईसाहब आप भी देख लो कैसे आपकी बीवी की झिल्ली फटी है , मैं सामने बैठ कर हाथ से मधु की चुत के चारों और खून देखने लगा और वो बोला बाद मैं देखना अब और दोनों टांगो को अपने हाथों से पूरी तरह चौड़ा कर के वसंत ने झटके से लड़ पेल दिया और मधु दर्द से चिखती वसंत के कमर को धकेलने लगी और वसंत बोला क्या भाईसाहब क्या कर रहे है ,देखते नहीं आपकी बीवी को दर्द हो रहा है पकड़िए इसके हाथों को ,मैं मधु के हाथों को ऊपर कर के पकड़ उसके काँखों को चाटने लगा और वो तेज़ धकों से मधु को चोदने लगा और मधु की चुचिया मतवाली हो झूमने लगी और सिसकियों की गूँज से कमरा भर गया ।
मधु बेतहाशा हवस की आग मैं रम गई और उसका कमर लड़ के साथ हिलने लगा और वसंत बोला वाह भाभी अब मज़ा आया तुझे ।
मधु की आँखे बंद थी ,सर बिस्तर पर उठा हुआ था और होटो पर बस सिशकिया और वसंत के नाम की माला जापे जा रही थी और मैं काँखों को चाटे जा रहा था कि मधु की कमर एक दम से बिस्तर से उठी और वसंत के लड़ पर टिक गई और वसंत बोला नहला रांड नहला दे अपने देवर के लौड़े को रंडी चुत के पानी से और मधु झड़ गईं ।
वसंत ने खिंच के लड़ को निकाल कर वापस झटके से पेल दिया और मधु के जिस्म पर खुद को रख कर बोला भाईसाहब हटिये और मैं दूर हो गया और वो मधु के होटो को चुसने लगा मधु उसके पीठ को सहलाने लगी और वसंत आहिस्ता आहिस्ता कमर हिलाता मधु के गीले चुत को लड़ का सुख देने लगा और मधु से बोला देखो मुझे भाभी ,मधु वसंत की आंखों मैं देखने लगी और वो कमर उठा कर झटके मारने लगा ,मधु की तमतमाते चेहरे को देख वसंत पूछा मेरी रखैल बनेगी न , मधु अहह उफ्फ करती बोली तेरी रखैल हूं अब क्या बाकी रह गया जिस प्यास को तड़प रही थी तूने तोह आधे घंटे मैं दो बार बुझा दिया ,वसंत बोला अभी एक बार और झड़ेंगी तू रांड तब जा के तेरी चुत भरूँगा ।
मधु इठलाती वसंत के आँखों मे देखती बोली थोड़ा तेज़ चोदो न, वसंत हँसते हुए बोला पहले तड़प तोह थोड़ी देर फिर जा के तुझे झड़ने मैं मज़ा आएगा साली छिनाल ओर वो मधु को तरसता धीरे धीरे ही लड़ को आगे पीछे करता रहा और होटो को चुसता रहा ।
कुछ देर बाद मधु बोली ज़ोर से चोद न कुत्ते वसंत मधु के होठ को दाँतो से खींच कर बोला कुतिया भिक माँग गिड़गिड़ा रंडी मेरे झटकों के लिए ।
मधु ने वसंत के पीठ को नाखूनों से नोचती बोली कुत्ते मत तड़पा अपनी रांड को ,ऐसे मत तरसा कुतिया को , मार झटके लड़ के मेरी प्यासी चुत पर और भर दे मेरी चुत अपने पानी से , तेरे ही लड़ के पानी से आग बुझेगी मेरी ।
वसंत ने होठों को चूमते गांड उठा कर ज़ोरदार झटकों से मधु को को बेताहाशा चोदने लगा और मधु उसके बालों को कस कर पकड़ के नोचने लगी ।
वसंत झटकों की बरसात करता पूछा बोल मधु कौन है तू ?
मधु सिसकिया भर्ती मचलती मदहोश होती चीखते बोली वसंत की राड हुँ मैं ,उसके लड़ की रखैल हुँ है ये मधु ।
ये देख सुन मेरा लड़ फंफ़नाने लगा और वसंत उठ कर मधु की टांग पकड़ कर झटके मारते मेरी और देखते बोला क्या भाईसाहब फिर खड़ा हो गया ना ।
वसंत ने मधु को बोला देखा तूने भड़वे पति को कैसे तुझे रांड बना के कड़क हो रहा है आज , मधु बोली ये तोह दलालों का दलाल है ,वसंत बोला चूस अपने भड़वे का तीनों साथ झड़ेंगी और मधु मेरे लड़ को पकड़ चुसने लगी ।
मधु झटकों की रफ़्तार से बेताबियाँ मे डूबी हुई थी और चुसते चुसते मेरे लड़ को दाँतो से काट कर चबा लेती और मेरी चीख फुट पड़ती और वसंत हँसने लगता ।
मैंने मधु के मुँह मैं पूरा लड़ घुसा कर उसके हाथों को पकड़ लिया और मुँह चोदने लगा ,मधु विरोद्ध कर रही थी लेकिन मेरे पकड़ से बेबस हो गई और जैसे ही वो फिर से अपने जिस्म को अकड़ने लगी वसंत बोला भाईसाहब देखिये रांड झड़ने वाली है और वो कस कर झटके देने लगा और वो दोनों एक साथ झड़ गए और मेरा वीर्य भी निकल गया ।