06-03-2019, 01:34 PM
UPDATE 5
कहानी अब तक:
मैंने उनकी धक्कापेल चुदाई शुरू कर दी| मेरे हर धक्के में भाभी के चुके ऊपर-नीचे होने लगे थे और मुझसे उनकी ये थिरकन बर्दाश्त नहीं हो रही थी सो मैंने उनके दाहिने चुके पर अपने दाँत गड़ा दिए! इस हमले से भाभी की कराह निकल गई पर उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा बस मेरे बालों में हाथ फिराने लगी| 10 मिनट की चुदाई में ही भाभी और मैं अपने चार्म पर पहुँचने लगे| एक और ठस्सा और मेरे अंदर का जवाला मुखी फुट पड़ा और सारा लावा भाभी की बुर में भरने लगा| लावे की गर्माहट से भाभी भी अपने चार्म पर पहुँच गई और अपना रस बहा कर निढाल हो कर रह गईं| मैं भी उनके ऊपर पड़ा रहा की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई जिसे सुन हम दोनों के प्राण निकल गए!
अब आगे :
दस्तक सुन मैं और भाभी दोनों हड़बड़ा गए! हम दोनों की धड़कनें तेज थी और दिमाग के तोते उड़े हुए थे| बहार न जाने कौन होगा? अम्मा, बप्पा या भैया? जर्रूर भाभी को बिस्ता पर ना पाकर वो सब भाभी को ढूढ़ने निकले होंगे! इन्हीं ख्यालों ने मेरा दिमाग सनन कर रखा था की दुबारा दस्तक हुई और मैंने जल्दी से अपनी बनियान पहनी और तहमद लपेटा| भाभी को मैंने कहा की वो अंदर वाले कमरे में जा कर छुपे| मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा और अपनी साँसों को नियंत्रण में किया और सोचा की ऐसे जताऊँगा जैसे नींद से उठा हूँ| दरवाजे तक पहुँचने तक एक बार और दस्तक हुई; "आ रहा हूँ!" मैंने ऐसे कहा जैसे मेरी नींद अब खुली हो| दरवाजा खोला तो बाहर नीतू खड़ी थी; "क्या हुआ इतनी रात गए?" मैंने अंगड़ाई लेते हुए कहा| "चाचू वो...." इतना कह कर वो चुप हो गई और फिर कुछ सूंघने लगी| मैं सोच में पड़ गया की ये क्या सूंघ रही है? दारु या सिगेरट तो मैंने पी नहीं| मैं अभी अपनी सोच में डूबा था की वो बोली; "चाचू आप मुझसे नाराज तो नहीं? मैंने दोपहर मैं आपसे....." इतना कह कर वो रुक गई और उसकी नजर मेरे तहमद पर गई जिसमें गीले निशान पड़ गए थे| जब नीतू की नजरों का पीछा करते हुए मेरी नजर मेरे तहमद पर गई तो मुझे समझ आया की नीतू क्या देख रही थी| ये निशान दरअसल मेरे और भाभी की कामरस से भीगे लंड से आये थे| "नीतू आप पगला गए हो क्या? इतनी रात गए ये पूछने आये हो?" मैंने अपने तहमद से अपने लंड को ढकते हुए गुस्से में कहा| नीतू समझ गई थी की मैंने उसकी चोर निगाहों को पकड़ लिया है तो उसने अपनी आँखें नीचे कर लीं| उसका उदास चेहरा देख मैं भी थोड़ा पिघल गया और उससे समझते हुआ कहा; "मैं आपसे नाराज नहीं हूँ बस अपनी हद्द में रह कर बात किया करो| मेरे लिए आप अभी भी बच्चे हो और मैं आपका चाचा, हमेशा इस रिश्ते का लिहाज किया करो| अब जाओ और सो जाओ रात बहुत हो गई है, किसी ने देख लिया तो खामखा बवाल हो जायेगा| आईन्दा जो भी बात करनी हो दिन में किया करो|" इतना सुन नीतू ने हाँ में सर हिलाया और चली गई| मुझे उसके चेहरे पर ख़ुशी नहीं दिखी और मन ही मन मैं भी थोड़ा दुखी था क्योंकि वो तो बच्ची है और गलत काम तो मैं और भाभी कर रहे थे| मैंने दरवाजा बंद किया और वापस भाभी के पास पहुँचा| इससे पहले की भाभी पूछती मैंने स्वयं ही उन्हें बता दिया; "नीतू थी|" ये सुन कर उन्होंने थोड़ा चैन की साँस ली| "लेकिन कल से रात में आप यहाँ मत आना किसी ने देख लिया तो आफत हो जाएगी|" ये सुन कर भाभी का दिल टूट गया पर मैं उस समय कर भी क्या सकता था? भाभी बाहर जाने लगी तो उनका दिल रखने के लिए मैंने उन्हें पीछे से थामा| मेरी बाहें उनकी कमर से लिपट गई थीं और मैं उनकी गर्दन पर अपने होठ गड़ाए खड़ा था| मेरे इस अंदाज से भाभी पिघलने लगीं और जल्द ही उनके मुँह से सिसकारियां फूटने लगीं| बात आगे बढ़ पाती इससे पहले ही मैंने खुद को रोक लिया और मैं उनके कान में खुसफुसाया; "शुभ रात्रि!!" ये सुनकर भाभी के चेहरे पर मुस्कान लौट आई और वो ख़ुशी-ख़ुशी चली गईं|
अगली सुबह चूँकि मुझे कुछ न्योते बाँटने जल्दी निकलना था सो चाय भाभी ले कर आईं और जब वो आईं तो उनके चेहरे के रंग उड़े हुए थे| "क्या हुआ? चेहरा फीका क्यों है?" मैंने गंभीरता से पूछा| "वो....रात को.... मुझे यहाँ से जाते हुए नीतू ने देख लिया|" भाभी ने काँपते हुए स्वर में कहा| ये सुन कर मैं भी हैरान रह गया और मैंने भाभी को एक समाधान बताया| समाधान क्या ये तो कुर्बानी थी! "मेरी बात ध्यान से सुनो| अगर किसी ने कुछ पूछा तो कह देना की मैंने आपको रात में बुलाया था| सारे आरोप मुझ पर अलग देना, कहना मैं जबरदस्ती कर रहा था!" ये सुन कर भाभी स्तब्ध रह गईं; "पर ... मैं.....नहीं ... मैं ऐसा कुछ नहीं कहूँगी| फिर जो होना है वो हो जाए|" "जरा दिमाग लगा कर सोचो, अगर खुद पर आरोप लोगी तो सब आपको कुलटा कहेंगे! और नीतू का क्या? उसका ब्याह है, ये बात फ़ैल गई तो उससे कोई शादी नहीं करेगा! मेरा क्या है मैं घर-बार छोड़ दूँगा, किसी दूसरी जगह... दूसरे शहर गुजरा कर लूंगा| आप मेरी चिंता मत करो और नीतू के भविष्य के बारे में सोचो|" ये कह कर मैंने कपडे पहने और तभी अम्मा आ गईं और मुझे एक थैला दे कर घर लौटते समय कुछ सामना लेन को भी कहा| थैला ले कर मैं बप्पा और भैया से मिला और घर से निकल पड़ा| सब कुछ शांत था क्योंकि नीतू अभी तक सो रही थी पर मेरा दिल ये कह रहा था की आज घर लौट कर मुझे तूफ़ान का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा|
to be continued
कहानी अब तक:
मैंने उनकी धक्कापेल चुदाई शुरू कर दी| मेरे हर धक्के में भाभी के चुके ऊपर-नीचे होने लगे थे और मुझसे उनकी ये थिरकन बर्दाश्त नहीं हो रही थी सो मैंने उनके दाहिने चुके पर अपने दाँत गड़ा दिए! इस हमले से भाभी की कराह निकल गई पर उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा बस मेरे बालों में हाथ फिराने लगी| 10 मिनट की चुदाई में ही भाभी और मैं अपने चार्म पर पहुँचने लगे| एक और ठस्सा और मेरे अंदर का जवाला मुखी फुट पड़ा और सारा लावा भाभी की बुर में भरने लगा| लावे की गर्माहट से भाभी भी अपने चार्म पर पहुँच गई और अपना रस बहा कर निढाल हो कर रह गईं| मैं भी उनके ऊपर पड़ा रहा की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई जिसे सुन हम दोनों के प्राण निकल गए!
अब आगे :
दस्तक सुन मैं और भाभी दोनों हड़बड़ा गए! हम दोनों की धड़कनें तेज थी और दिमाग के तोते उड़े हुए थे| बहार न जाने कौन होगा? अम्मा, बप्पा या भैया? जर्रूर भाभी को बिस्ता पर ना पाकर वो सब भाभी को ढूढ़ने निकले होंगे! इन्हीं ख्यालों ने मेरा दिमाग सनन कर रखा था की दुबारा दस्तक हुई और मैंने जल्दी से अपनी बनियान पहनी और तहमद लपेटा| भाभी को मैंने कहा की वो अंदर वाले कमरे में जा कर छुपे| मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा और अपनी साँसों को नियंत्रण में किया और सोचा की ऐसे जताऊँगा जैसे नींद से उठा हूँ| दरवाजे तक पहुँचने तक एक बार और दस्तक हुई; "आ रहा हूँ!" मैंने ऐसे कहा जैसे मेरी नींद अब खुली हो| दरवाजा खोला तो बाहर नीतू खड़ी थी; "क्या हुआ इतनी रात गए?" मैंने अंगड़ाई लेते हुए कहा| "चाचू वो...." इतना कह कर वो चुप हो गई और फिर कुछ सूंघने लगी| मैं सोच में पड़ गया की ये क्या सूंघ रही है? दारु या सिगेरट तो मैंने पी नहीं| मैं अभी अपनी सोच में डूबा था की वो बोली; "चाचू आप मुझसे नाराज तो नहीं? मैंने दोपहर मैं आपसे....." इतना कह कर वो रुक गई और उसकी नजर मेरे तहमद पर गई जिसमें गीले निशान पड़ गए थे| जब नीतू की नजरों का पीछा करते हुए मेरी नजर मेरे तहमद पर गई तो मुझे समझ आया की नीतू क्या देख रही थी| ये निशान दरअसल मेरे और भाभी की कामरस से भीगे लंड से आये थे| "नीतू आप पगला गए हो क्या? इतनी रात गए ये पूछने आये हो?" मैंने अपने तहमद से अपने लंड को ढकते हुए गुस्से में कहा| नीतू समझ गई थी की मैंने उसकी चोर निगाहों को पकड़ लिया है तो उसने अपनी आँखें नीचे कर लीं| उसका उदास चेहरा देख मैं भी थोड़ा पिघल गया और उससे समझते हुआ कहा; "मैं आपसे नाराज नहीं हूँ बस अपनी हद्द में रह कर बात किया करो| मेरे लिए आप अभी भी बच्चे हो और मैं आपका चाचा, हमेशा इस रिश्ते का लिहाज किया करो| अब जाओ और सो जाओ रात बहुत हो गई है, किसी ने देख लिया तो खामखा बवाल हो जायेगा| आईन्दा जो भी बात करनी हो दिन में किया करो|" इतना सुन नीतू ने हाँ में सर हिलाया और चली गई| मुझे उसके चेहरे पर ख़ुशी नहीं दिखी और मन ही मन मैं भी थोड़ा दुखी था क्योंकि वो तो बच्ची है और गलत काम तो मैं और भाभी कर रहे थे| मैंने दरवाजा बंद किया और वापस भाभी के पास पहुँचा| इससे पहले की भाभी पूछती मैंने स्वयं ही उन्हें बता दिया; "नीतू थी|" ये सुन कर उन्होंने थोड़ा चैन की साँस ली| "लेकिन कल से रात में आप यहाँ मत आना किसी ने देख लिया तो आफत हो जाएगी|" ये सुन कर भाभी का दिल टूट गया पर मैं उस समय कर भी क्या सकता था? भाभी बाहर जाने लगी तो उनका दिल रखने के लिए मैंने उन्हें पीछे से थामा| मेरी बाहें उनकी कमर से लिपट गई थीं और मैं उनकी गर्दन पर अपने होठ गड़ाए खड़ा था| मेरे इस अंदाज से भाभी पिघलने लगीं और जल्द ही उनके मुँह से सिसकारियां फूटने लगीं| बात आगे बढ़ पाती इससे पहले ही मैंने खुद को रोक लिया और मैं उनके कान में खुसफुसाया; "शुभ रात्रि!!" ये सुनकर भाभी के चेहरे पर मुस्कान लौट आई और वो ख़ुशी-ख़ुशी चली गईं|
अगली सुबह चूँकि मुझे कुछ न्योते बाँटने जल्दी निकलना था सो चाय भाभी ले कर आईं और जब वो आईं तो उनके चेहरे के रंग उड़े हुए थे| "क्या हुआ? चेहरा फीका क्यों है?" मैंने गंभीरता से पूछा| "वो....रात को.... मुझे यहाँ से जाते हुए नीतू ने देख लिया|" भाभी ने काँपते हुए स्वर में कहा| ये सुन कर मैं भी हैरान रह गया और मैंने भाभी को एक समाधान बताया| समाधान क्या ये तो कुर्बानी थी! "मेरी बात ध्यान से सुनो| अगर किसी ने कुछ पूछा तो कह देना की मैंने आपको रात में बुलाया था| सारे आरोप मुझ पर अलग देना, कहना मैं जबरदस्ती कर रहा था!" ये सुन कर भाभी स्तब्ध रह गईं; "पर ... मैं.....नहीं ... मैं ऐसा कुछ नहीं कहूँगी| फिर जो होना है वो हो जाए|" "जरा दिमाग लगा कर सोचो, अगर खुद पर आरोप लोगी तो सब आपको कुलटा कहेंगे! और नीतू का क्या? उसका ब्याह है, ये बात फ़ैल गई तो उससे कोई शादी नहीं करेगा! मेरा क्या है मैं घर-बार छोड़ दूँगा, किसी दूसरी जगह... दूसरे शहर गुजरा कर लूंगा| आप मेरी चिंता मत करो और नीतू के भविष्य के बारे में सोचो|" ये कह कर मैंने कपडे पहने और तभी अम्मा आ गईं और मुझे एक थैला दे कर घर लौटते समय कुछ सामना लेन को भी कहा| थैला ले कर मैं बप्पा और भैया से मिला और घर से निकल पड़ा| सब कुछ शांत था क्योंकि नीतू अभी तक सो रही थी पर मेरा दिल ये कह रहा था की आज घर लौट कर मुझे तूफ़ान का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा|
to be continued