06-03-2019, 01:33 PM
UPDATE 4
कहानी अब तक:
रात को खाना खा कर मैं अपने घर लौट आया और दरवाजा बंद कर मैं लेट गया| मैं जानता था की आज भाभी नहीं आने वाली हैं पर भाभी की बुर की प्यास इतनी जल्दी कहाँ बुझने वाली थी|
डेढ़ बजे दरवाजे पर दस्तक हुई और मेरी आँख खुल गई| मैं समझ चूका था की हो न हो ये भाभी ही होगी| मैंने दरवाजा खोला तो भाभी ही थी और मुझे धक्का दे कर अंदर घुस गई| मैंने दरवाज़ा बंद किया और भाभी के पास आ कर बोला; "आपको चैन नहीं? आज जी भरके बुझा ो दी थी आपकी प्यास!" "हाय...इतनी जल्दी कहाँ बुझती है प्यास? साल-साल भर तुम अपनी शकल नहीं दिखाते और जब आये हो तो मुझे जी भर के प्यार करने नहीं देते!"
अब आगे:
"भाभी बात को समझा करो! किसी ने अगर देख लिया तो आपकी बहुत बदनामी होगी|" "वो सब मुझे नहीं पता.... बस मेरी तन की आग बुझा दो!" "आप ने फिर से गोली तो नहीं खा ली?" मैंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा| "नहीं ... ले कर आई हूँ, सोचा यहीं खा लुंगी|" "आप पागल हो क्या? एक दिन में दो बार गोलियाँ खा लीं!" "हाय! इससे कोई बिमारी हो जाती है?" भाभी ने उत्सुकता दिखते हुआ पूछा| तभी मेरे मन में ख्याल आया की क्यों ना मैं भी थोड़ी चुटकी ले लूँ| "और क्या! ओवरडोज़ से बीमारियां होती हैं जैसे बुर में से पानी बहना, बुर में जलन, धड़कन की तेज गति और तो और स्वप्न बुर झाड़न|" अंतिम वाला नाम मैंने अपने आप ही बना लिया था| ये सब सुन कर भाभी निराश हो गई और सोच में पड़ गई| भाभी को इस तरह उदास देख मैंने सोचा की अब और ज्यादा इन्हें तंग नहीं करूँगा| सो मैंने उनसे कहा; "भाभी परेशान मत हो| आपको मेरा प्यार चाहिए ना? तो उसके लिए आपको हमेशा गोली खाने की जर्रूरत नहीं|" "पर मैं तुम्हारा साथ कैसे दे पाउंगी .... मैं तुम्हें आधे रास्ते में तड़पता नहीं छोड़ सकती!" "आप उसकी चिंता मत करो ... मेरे पास एक उपाय है|" "वो क्या" भाभी ने उत्सुकतावश पूछा| "वो सब आपको बताना मुश्किल है आप बस वो करो जो मैं कहता हूँ और हम दोनों संतुष्ट हो जायेंगे|" ये सुन कर भाभी के मुख पर आशा की किरण जाग उठी| फिर मैंने भाभी को उनके तमाम कपडे उतारने को कहा और खुद भी सारे कपडे उतार कर उनके समुख खड़ा हो गया| मेरा लंड तन्नाया हुआ था और जिस पर भाभी की नजरें तिकी हुई थीं| मेरे कुछ करने से पहले ही भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और अपनी बुर के पास ले जाने लगीं| इससे पता चलता है की उनके अंदर मेरे प्रति कितनी भूख थी! मैंने उन्हें ऐसा करने से रोका और उनके होठों को चूमा| मुझे इस बात का ख़ास ध्यान रखना था की मैं भाभी को ज्यादा उत्तेजित न करूँ वरना वो जल्दी ही झड़ जाएँगी| मैंने उनके हाथ से अपना लंड छुड़ाया और उन्हें चारपाई की ओर चलने को कहा| वहां पहुँच कर मैं चारपाई पर लेट गया और उन्हें अपने ऊपर आने का मूक इशारा किया| भाभी अंदर से इतनी उत्सुक थीं की वो सीधे मेरे लंड के ऊपर अपनी बुर को ले आईं और उस पर बैठने ही वाली थीं की मैंने उन्हें कंधे से दबा कर नीचे जाने को कहा और मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने का आदेश दिया| भाभी अब समझ गई थीं की खेल क्या है सो उन्होंने सबसे पहले मेरे लंड को चूमा और उसकी खुशबु को अपने नथुनों में भरने लगी| मेरे लंड के सुपाडे को वो अपने नथुनबों में ठूसने लगी और मैं इधर देख रहा थी की उनके अंदर की प्यास बढ़ने लगी है| मैंने उनके गालों पर हाथ फेरा और उन्हें मूक इशारे से चूसने को कहा| भाभी ने अपने निचले होंठ को मेरे सुपडे पर ऊपर से नीचे रगड़ना शुरू कर दिया| अगला हमला उनकी जीभ का था जिसने मेरे सुपाडे के छेड़ को कुरेदा| भाभी ने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरे लंड को ऊपर से नीचे की तरफ और नीचे से ऊपर की तरफ चाटने लगीं| भाभी की खुरदरी जीभ और उनकी लार मेरे लंड को गीला कर रही थी और मेरे अंदर की वासना को हवा दे रही थी| दो मिनट की इस चटाई ने मेरी वासना को पूरी तरह से जागृत कर दिया था और मेरा हाथ स्वथा ही उनके सर पर पहुँच गया था| मैंने उनके सर पर दबाव डाला की वो मेरे लंड को अपने रसीले होठों की गिरफ्त में ले लें और उन्होंने ऐसा ही किया| मेरे लंड को अपने मुंह में भर कर भाभी स्थिर हो गईं| दस सेकंड तक भाभी ने मेरे लंड को अपने मुंह में कैद रखा| ना तो वो उसे अपनी जीभ से छेड़ रही थीं न ही कुछ और कर रही थीं| शायद वो मुझे तंग कर रहीं थीं.....
जब मेरी बेचैनी बढ़ने लगी तो मैंने भाभी के गाल पर एक प्यार भरी चपत लगाईं| भाभी समझ गई और उन्होंने अपनी जीभ को मेरे लंड के सुपडे पर चलाना शुरू कर दिया| उनकी पूरी तरह से गीली जीभ ने मेरे लंड को उनके मुँह के रसों से सरोबोर कर दिया| अब भाभी ने मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया| मेरे पूरा लंड उनके थूक से गीला हो चूका था और चुदाई के लिए तैयार था पर न भाभी रूक रही थी और न ही मैं उन्हें रोक रहा था| डा मिनट की ताबड़तोड़ चुसाई के बाद अब मैं अपने चरम पर पहुँचने वाला था तो मैंने भाभी को रुकने का इशारा किया पर भाभी थी की मेरा लंड छोड़ ही नहीं रही थी| मुझे उनके मुँह से अपना लंड बाहर निकालना पड़ा और मैंने उनसे कहा; "इतना क्या मोहित हो इस (मेरे लड़) पर की छोड़ती ही नहीं?" जवाब में भाभी बोली; "मेरा बस चले तो इसे अपनी बुर में जिंदगी भर डाले रहूँ!" ये सुन कर उनकी प्यास कितनी बढ़ चुकी है ये मैं समझ गया था| मैंने भाभी को अपने नीचे लिटाया और उनकी दोनों टांगों को खोल उनके बीच में आगया और उनके थूक से चुपड़े लंड को भाभी की छूट में ठेल दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर जड़ तक पेल कर मैं उनपर सारा वजन डालकर पड़ गया|" अब भाभी को तड़पाने की बारी मेरी थी....
भाभी की बुर में अपना लंड डाले मैं उनपर पड़ा रहा| दो सेकंड नहीं हुए होंगे और भाभी का शरीर कसमसाने लगा| उनका शरीर कामवासना से भरने लगा था और भाभी के मुँह से एक घुटी से आवाज आई; "उम्म्म...ससस... करो ... ना..." मैंने भाभी के मुंख पर देखा और उन्हें याद दिलाया की उन्होंने मुझे कितनी यातना दी थी! खेर मैं भी उनपर जुल्म करने के मूड में नहीं था तो मैंने उनकी धक्कापेल चुदाई शुरू कर दी| मेरे हर धक्के में भाभी के चुके ऊपर-नीचे होने लगे थे और मुझसे उनकी ये थिरकन बर्दाश्त नहीं हो रही थी सो मैंने उनके दाहिने चुके पर अपने दाँत गड़ा दिए! इस हमले से भाभी की कराह निकल गई पर उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा बस मेरे बालों में हाथ फिराने लगी| 10 मिनट की चुदाई में ही भाभी और मैं अपने चार्म पर पहुँचने लगे| एक और ठस्सा और मेरे अंदर का जवाला मुखी फुट पड़ा और सारा लावा भाभी की बुर में भरने लगा| लावे की गर्माहट से भाभी भी अपने चार्म पर पहुँच गई और अपना रस बहा कर निढाल हो कर रह गईं| मैं भी उनके ऊपर पड़ा रहा की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई जिसे सुन हम दोनों के प्राण निकल गए!
कहानी अब तक:
रात को खाना खा कर मैं अपने घर लौट आया और दरवाजा बंद कर मैं लेट गया| मैं जानता था की आज भाभी नहीं आने वाली हैं पर भाभी की बुर की प्यास इतनी जल्दी कहाँ बुझने वाली थी|
डेढ़ बजे दरवाजे पर दस्तक हुई और मेरी आँख खुल गई| मैं समझ चूका था की हो न हो ये भाभी ही होगी| मैंने दरवाजा खोला तो भाभी ही थी और मुझे धक्का दे कर अंदर घुस गई| मैंने दरवाज़ा बंद किया और भाभी के पास आ कर बोला; "आपको चैन नहीं? आज जी भरके बुझा ो दी थी आपकी प्यास!" "हाय...इतनी जल्दी कहाँ बुझती है प्यास? साल-साल भर तुम अपनी शकल नहीं दिखाते और जब आये हो तो मुझे जी भर के प्यार करने नहीं देते!"
अब आगे:
"भाभी बात को समझा करो! किसी ने अगर देख लिया तो आपकी बहुत बदनामी होगी|" "वो सब मुझे नहीं पता.... बस मेरी तन की आग बुझा दो!" "आप ने फिर से गोली तो नहीं खा ली?" मैंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा| "नहीं ... ले कर आई हूँ, सोचा यहीं खा लुंगी|" "आप पागल हो क्या? एक दिन में दो बार गोलियाँ खा लीं!" "हाय! इससे कोई बिमारी हो जाती है?" भाभी ने उत्सुकता दिखते हुआ पूछा| तभी मेरे मन में ख्याल आया की क्यों ना मैं भी थोड़ी चुटकी ले लूँ| "और क्या! ओवरडोज़ से बीमारियां होती हैं जैसे बुर में से पानी बहना, बुर में जलन, धड़कन की तेज गति और तो और स्वप्न बुर झाड़न|" अंतिम वाला नाम मैंने अपने आप ही बना लिया था| ये सब सुन कर भाभी निराश हो गई और सोच में पड़ गई| भाभी को इस तरह उदास देख मैंने सोचा की अब और ज्यादा इन्हें तंग नहीं करूँगा| सो मैंने उनसे कहा; "भाभी परेशान मत हो| आपको मेरा प्यार चाहिए ना? तो उसके लिए आपको हमेशा गोली खाने की जर्रूरत नहीं|" "पर मैं तुम्हारा साथ कैसे दे पाउंगी .... मैं तुम्हें आधे रास्ते में तड़पता नहीं छोड़ सकती!" "आप उसकी चिंता मत करो ... मेरे पास एक उपाय है|" "वो क्या" भाभी ने उत्सुकतावश पूछा| "वो सब आपको बताना मुश्किल है आप बस वो करो जो मैं कहता हूँ और हम दोनों संतुष्ट हो जायेंगे|" ये सुन कर भाभी के मुख पर आशा की किरण जाग उठी| फिर मैंने भाभी को उनके तमाम कपडे उतारने को कहा और खुद भी सारे कपडे उतार कर उनके समुख खड़ा हो गया| मेरा लंड तन्नाया हुआ था और जिस पर भाभी की नजरें तिकी हुई थीं| मेरे कुछ करने से पहले ही भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और अपनी बुर के पास ले जाने लगीं| इससे पता चलता है की उनके अंदर मेरे प्रति कितनी भूख थी! मैंने उन्हें ऐसा करने से रोका और उनके होठों को चूमा| मुझे इस बात का ख़ास ध्यान रखना था की मैं भाभी को ज्यादा उत्तेजित न करूँ वरना वो जल्दी ही झड़ जाएँगी| मैंने उनके हाथ से अपना लंड छुड़ाया और उन्हें चारपाई की ओर चलने को कहा| वहां पहुँच कर मैं चारपाई पर लेट गया और उन्हें अपने ऊपर आने का मूक इशारा किया| भाभी अंदर से इतनी उत्सुक थीं की वो सीधे मेरे लंड के ऊपर अपनी बुर को ले आईं और उस पर बैठने ही वाली थीं की मैंने उन्हें कंधे से दबा कर नीचे जाने को कहा और मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने का आदेश दिया| भाभी अब समझ गई थीं की खेल क्या है सो उन्होंने सबसे पहले मेरे लंड को चूमा और उसकी खुशबु को अपने नथुनों में भरने लगी| मेरे लंड के सुपाडे को वो अपने नथुनबों में ठूसने लगी और मैं इधर देख रहा थी की उनके अंदर की प्यास बढ़ने लगी है| मैंने उनके गालों पर हाथ फेरा और उन्हें मूक इशारे से चूसने को कहा| भाभी ने अपने निचले होंठ को मेरे सुपडे पर ऊपर से नीचे रगड़ना शुरू कर दिया| अगला हमला उनकी जीभ का था जिसने मेरे सुपाडे के छेड़ को कुरेदा| भाभी ने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरे लंड को ऊपर से नीचे की तरफ और नीचे से ऊपर की तरफ चाटने लगीं| भाभी की खुरदरी जीभ और उनकी लार मेरे लंड को गीला कर रही थी और मेरे अंदर की वासना को हवा दे रही थी| दो मिनट की इस चटाई ने मेरी वासना को पूरी तरह से जागृत कर दिया था और मेरा हाथ स्वथा ही उनके सर पर पहुँच गया था| मैंने उनके सर पर दबाव डाला की वो मेरे लंड को अपने रसीले होठों की गिरफ्त में ले लें और उन्होंने ऐसा ही किया| मेरे लंड को अपने मुंह में भर कर भाभी स्थिर हो गईं| दस सेकंड तक भाभी ने मेरे लंड को अपने मुंह में कैद रखा| ना तो वो उसे अपनी जीभ से छेड़ रही थीं न ही कुछ और कर रही थीं| शायद वो मुझे तंग कर रहीं थीं.....
जब मेरी बेचैनी बढ़ने लगी तो मैंने भाभी के गाल पर एक प्यार भरी चपत लगाईं| भाभी समझ गई और उन्होंने अपनी जीभ को मेरे लंड के सुपडे पर चलाना शुरू कर दिया| उनकी पूरी तरह से गीली जीभ ने मेरे लंड को उनके मुँह के रसों से सरोबोर कर दिया| अब भाभी ने मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया| मेरे पूरा लंड उनके थूक से गीला हो चूका था और चुदाई के लिए तैयार था पर न भाभी रूक रही थी और न ही मैं उन्हें रोक रहा था| डा मिनट की ताबड़तोड़ चुसाई के बाद अब मैं अपने चरम पर पहुँचने वाला था तो मैंने भाभी को रुकने का इशारा किया पर भाभी थी की मेरा लंड छोड़ ही नहीं रही थी| मुझे उनके मुँह से अपना लंड बाहर निकालना पड़ा और मैंने उनसे कहा; "इतना क्या मोहित हो इस (मेरे लड़) पर की छोड़ती ही नहीं?" जवाब में भाभी बोली; "मेरा बस चले तो इसे अपनी बुर में जिंदगी भर डाले रहूँ!" ये सुन कर उनकी प्यास कितनी बढ़ चुकी है ये मैं समझ गया था| मैंने भाभी को अपने नीचे लिटाया और उनकी दोनों टांगों को खोल उनके बीच में आगया और उनके थूक से चुपड़े लंड को भाभी की छूट में ठेल दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर जड़ तक पेल कर मैं उनपर सारा वजन डालकर पड़ गया|" अब भाभी को तड़पाने की बारी मेरी थी....
भाभी की बुर में अपना लंड डाले मैं उनपर पड़ा रहा| दो सेकंड नहीं हुए होंगे और भाभी का शरीर कसमसाने लगा| उनका शरीर कामवासना से भरने लगा था और भाभी के मुँह से एक घुटी से आवाज आई; "उम्म्म...ससस... करो ... ना..." मैंने भाभी के मुंख पर देखा और उन्हें याद दिलाया की उन्होंने मुझे कितनी यातना दी थी! खेर मैं भी उनपर जुल्म करने के मूड में नहीं था तो मैंने उनकी धक्कापेल चुदाई शुरू कर दी| मेरे हर धक्के में भाभी के चुके ऊपर-नीचे होने लगे थे और मुझसे उनकी ये थिरकन बर्दाश्त नहीं हो रही थी सो मैंने उनके दाहिने चुके पर अपने दाँत गड़ा दिए! इस हमले से भाभी की कराह निकल गई पर उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा बस मेरे बालों में हाथ फिराने लगी| 10 मिनट की चुदाई में ही भाभी और मैं अपने चार्म पर पहुँचने लगे| एक और ठस्सा और मेरे अंदर का जवाला मुखी फुट पड़ा और सारा लावा भाभी की बुर में भरने लगा| लावे की गर्माहट से भाभी भी अपने चार्म पर पहुँच गई और अपना रस बहा कर निढाल हो कर रह गईं| मैं भी उनके ऊपर पड़ा रहा की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई जिसे सुन हम दोनों के प्राण निकल गए!