Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu
#9
UPDATE 3

कहानी अब तक......

१५ मिनट की म्हणत और की, कि तभी भाभी को मेरे चेहरे पर संतुष्ट होने के भाव नजर आने लगे| मतलब की मैं झड़ने वाला था और भाभी जानती थी की मैं हमेशा अपना वीर्य बाहर निकालता था| पर इससे पहले की मैं लंड बाहर निकालता भाभी ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द कास लिया और बोलीं; "अंदर छोड़ दो... मैंने गर्भ निरोधक गोली खरीदी है|" ये सुन कर मैंने अपना लंड बाहर नहीं खींचा और ४-५ धक्के मारता हुआ उनके भीतर ही झड़ गया| मेरे रस के साथ-साथ भाभी ने फिर से अपना रस छोड़ दिया और वो भी संतुष्ट हो कर मुझसे लिपट गईं|


अब आगे....

जब दिलों में उमड़ रहा तूफ़ान थमा तो हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए| दिलों की गति सामान्य हो छुकि थी और सांसें मद्धम| मैं भाभी के ऊपर से उठा और मेरा लंड फिसलता हुआ उनकी बुर से बाहर आ गया| साथ ही उनकी बुर से मेरे वीर्य की एक धार भी बाह निकली जिसे उनकी बुर पी न पाई थी| मैं खड़ा हो के अपनी पैंट उठाने लगा तो भाभी ने मुझे रोक लिया और मेरा हाथ पकड़ के अपने पास बुलाया| फिर मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और उसकी ऊपरी चमड़ी को पीछे खिसका कर सुपाडे को मुंह में भर कर जीभ से साफ़ करने लगी|पूरा लंड अच्छे से साफ़ करने के बाद उन्होंने मेरे लंड को आजाद कर दिया| मैंने अपनी पेंट पहनी और कमीज ठीक करने लगा| इधर भाभी ने भी अपनी साडी ठीक की, ब्लाउज के हुक लगते समय मुझे दिखते हुए बोली; "तुम सच्ची बहुत बेरहम हो! देखो कितना दर्द कर रहे हैं ये!" मैं मुस्कुरा दिया और जैसे ही बाग़ से बहार आने के लिए मुदा की भाभी ने मुझे रोक लिया और आकर मेरे सीने से लग गईं और बोलीं; "मुझे माफ़ कर दो|" "भाभी जो आपने अभी मेरे लिए किया उसके बाद माफ़ी की कोई गुंजाइश नहीं है| आपने मेरी महीनों की प्यास बुझा दी अब इसके बाद माफ़ी-वाफी की कोई जर्रूरत नहीं|" इसके बाद हम दोनों अलग हुए और साथ ही बाग़ से बाहर आये और मैं पहले साईकल पर बैठ गया और फिर भाभी बैठ गईं| भाभी बोली; "मुनना तुम्हारी पूरी कमीज भीग गई है!" "अब क्या करूँ... इतनी मेहनत जो करवाती हो तुम|" मैंने हँसते हुए जवाब दिया| अच्छा भाभी एक बात बताओ, इस गोली ने तो सच में आप के भीतर इतना जोश भर दिया था जैसा मैंने कभी नहीं देखा| इतना जोश तो आपके अंदर पहले भी नहीं था! अगर पुरूषों के लिए ऐसी गोली होती तो....." भाभी ये सुनकर एक दम से बोल पड़ी: "न बाबा ना... तुम गलती से भी मत खाना ये गोली| बिना गोली खाये तो तुमने मेरा तेल निकाल दिया अगर गोली खा ली तो मेरी बुर के साथ-साथ पड़ोसन भी फाड़ के रख दोगे|" ये सुन मैं ठहाके लगा के हंस पड़ा और हम हँसते बात करते हुए हम घर लौट आये| घर पर नीतू खाना बना चुकी थी और सब लोग खा भी चुके थे केवल हम ही बचे थे| खाना खा कर मैं भाभी और नीतू मेरे घर पर आ गए और वहां अलग-अलग चारपाइयों पर लेट गए और बातें शुरू हो गईं| नीतू बोली; "माँ आप चाचू से बहुत प्यार करती हो ना?" नीतू के सवाल ने तो मेरे होश उड़ा दिया पर भाभी ने इसका जवाब यूँ दिया; "हाँ बहुत प्यार करती हूँ मैं तेरे चाचू से! और क्यों न करूँ... तेरे पैदा होने के बाद तेरे चाचू ने मेरा इतना ख़याल रखा| सिर्फ एक ये थे जो मेरे बीमार होने पर मेरी इतनी तीमारदारी करते थे| तू जब बीमार होती थी तो अपनी पढ़ाई तक छोड़ के आ जाते थे|" ये सुन कर मैं कुछ नहीं बोलै बस आँखें बंद किये चुप-चाप लेटा रहा और ऐसे जाहिर किया जैसे मैं सो रहा हूँ| पर तभी नीतू ने मुझ पर सवाल दागा; "चाचू आप भी माँ को प्यार करते हो?" ये सुन कर मैंने थोड़ा गुस्सा दिखते हुए कहा; "नीतू... आप बहुत बड़ी-बड़ी बातें करने लगे हो!" अब भाभी चुटकी लेते हुए बोली; "अरे तो गलत क्या है? बड़ी हो गई है नीतू और शादी होने जा रही है इसकी!" "पर इसका मतलब ये नहीं की ये भूल जाए की ये किस्से बात कर रही है? आप इसकी माँ हो और मैं चाचा! इसे पता होना चाहिए की अपनों से बड़ों से इस प्रकार बात नहीं करते|" मैंने ये बात थोड़ा डांटते हुए कही| पर भाभी आज बहुत चुटकी लेने के मूड में थी सो नीतू का बचाव करते हुए बोलीं; "रहने दे नीतू... तेरे चाचू थके हुए हैं.....बहुत मेहनत की है इन्होने|" ये बोलने के बाद वो 1 सेकंड के लिए चुप हो गई और फिर बोलीं; "मुझे साईकिल पर बिठा के ले गए थे और फिर वापस लाये हैं| थकना तो लाजमी है!" मैं समझ गया था की उनका मतलब क्या है पर फिर भी शांत रहा| करीब आधा घंटा आँख लगी होगी की मुझे चारपाई की चरमराहट सुनाई दी| उठ कर देखा तो नीतू मेरी तरफ देख रही थी और मुस्कुरा रही थी| उसकी ये मुस्कराहट मुझे अजीब लगी पर मैंने कुछ कहा नहीं और उठ कर बाहर चला गया| बाहर आ कर देखा तो रमाकांत भैया मेरी ही तरफ आ रहे थे| वो मुझे बड़े बप्पा के पास ले गए हम सब बैठ कर शादी की तैयारियों की बातें कर रहे थे| मुझे अगले दिन कुछ लोगों को न्योता और कैटरिंग वालों से मिलने जाना था| तो मैंने अगले दिन की साड़ी प्लानिंग कर ली की कितने बजे निकलना है, कहाँ पहले जाना है आदि| शाम को सबने बैठ कर चाय पी और बातें चलने लगी| बड़े बप्पा पिताजी को बहुत याद कर रहे थे, तो मैंने उनकी बात पिताजी से करा दी| रात को खाना खा कर मैं अपने घर लौट आया और दरवाजा बंद कर मैं लेट गया| मैं जानता था की आज भाभी नहीं आने वाली हैं पर भाभी की बुर की प्यास इतनी जल्दी कहाँ बुझने वाली थी|

डेढ़ बजे दरवाजे पर दस्तक हुई और मेरी आँख खुल गई| मैं समझ चूका था की हो न हो ये भाभी ही होगी| मैंने दरवाजा खोला तो भाभी ही थी और मुझे धक्का दे कर अंदर घुस गई| मैंने दरवाज़ा बंद किया और भाभी के पास आ कर बोला; "आपको चैन नहीं? आज जी भरके बुझा ो दी थी आपकी प्यास!" "हाय...इतनी जल्दी कहाँ बुझती है प्यास? साल-साल भर तुम अपनी शकल नहीं दिखाते और जब आये हो तो मुझे जी भर के प्यार करने नहीं देते!"


to be continued
 horseride  Cheeta    
[+] 1 user Likes sarit11's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu - by sarit11 - 06-03-2019, 01:32 PM



Users browsing this thread: