06-03-2019, 01:28 PM
बड़ी भाभी: मुन्ना.... अब मैं बूढ़ी हो गई हूँ| अब मुझ में वो सहनशीलता (stamina) नहीं रहा| बाहत जल्दी थक जाती हूँ मैं| वैसे भी आज तुम इतने दिनों बाद आये.... तो खुद को संभाल नहीं पाई और जल्दी ही फारिग हो गई|
मैं: और मेरा क्या? अपनी आग तो बुझवा ली मुझसे?
बड़ी भाभी: वो... मैं....
मैं: रहने दो.... निकलो यहाँ से जल्दी, मुझे सोना है|
मैंने बहुत गुस्से भरे स्वर में कहा और जैसे ही मैं दरवाजे की तरफ मुड़ा तो मुझे लगा की कोई छुप के मुझे देख रहा है| मैं दरवाजे के पास वाली खिड़की के पास दौड़ा... पर मुझे वहां कोई नहीं मिला| ,मैं वापस आया तो भाभी मुँह लटकाये बैठी थी;
बड़ी भाभी: मुन्ना... माफ़ कर दो मुझे|
मुन्ना: देखो मेरा गुस्सा और मत भड़काओ, चुप-चाप निकल जाओ यहाँ से|
इतना कह कर मैं दूसरे कमरे में गया और वहाँ अपने बैग से अध्धी निकाली और २-३ घूँट मारे| भाभी पीछे खड़ी ये सब देख रही थी| जब मैं बाहर आया तो दर के मारे भाभी वहाँ से चली गई|
आग बाबुल हो मैं तहमद लपेट, मैं बाहर बरामदे में आ गया और एक कोने से दूसरे कोने में तेजी से चलने लगा| खड़े लंड पर धोका कैसा होता है ये बहुत कुछ लोग ही जानते होंगे| मेरी हालात उस समय ऐसी थी की कोई भी औरत अगर सामने आ जाती तो उसे पेल देता| पर रात के तीन बजे न औरत न कोई रंडी थी वहाँ| गुस्सा इस कदर था की मन कर रहा था की शीला की गांड की सील अपने लड़ से चीर दूँ! पर इधर मेरा लंड खड़े-खड़े दुखने लगा था| जब कुछ नहीं मिला तो मैंने अपने हाथ की ओर देखा और बुदबुदाया; "आज कुछ नहीं तो कम से कम तू तो मेरे साथ है ना|" मैंने अपने हाथ पर थोड़ा थूक लिया और अपने लंड को उससे चुपड़ दिया| आँख बंद किये मैं अपने लंड की खाल को ऊपर-नीचे करने लगा| थूक की गर्माहट के कारन मेरा दिमाग ये सोच रहा था की मेरा लंड किसी चूत के भीतर है| जैसे-जैसे हाथों की गति बढ़ रही थी वैसे-वैसे मैं चरम की ओर बढ़ रहा था| अंत में मैंने एक जोर दर धार मारी जो जाके सीधे दिवार पर गिरी| अपने लंड से आखरी बूँद तक वीर्य बहाने तक मैं नहीं रूक और फिर निढाल हो कर वहीँ बैठा रहा| फिर मैं उठा और अंदर जाकर अपना तहमद लपेट लिया और फिर बहार आकर कुर्सी पर बैठ गया|
सिगरेट सुलगाई और पी ही रहा था की तभी नीतू आ गई| मैं थोड़ा हैरान हुआ उसे यहाँ देख के, और उसकी आँखों में मैंने कुछ उधेड़-बुन देखि| वो मुझसे करीब ८-९ फुट की दूरी पर खड़ी थी...
मैं: सोये नहीं?
नीयू: नींद नहीं आ रही चाचू|
मैं: मैं जब घर आया था तब तो आप सो रहे थे?
नीतू: .....
मैं: अच्छा कोई भयानक सपना देखा होगा?
नीतू: हाँ....हाँ....
मैं: क्या देखा सपने में?
नीतू: (कुछ सोचते हुए) यही की आप मुझे छोड़ के चले गए|
मैं: अरे पगली! तू मेरी सबसे प्यारी भतीजी है, भला मैं तुझे छोड़के कहाँ जाऊँगा|
नीतू ये सुन कर मुस्कुराई, क्योंकि वो जानती थी की मैं उसे सबसे ज्यादा प्यार करता था| मेरा प्यार उसके जिस्म को पाने के लिए कतई नहीं था, बल्कि मैं तो उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करता था|
नीतू: चाचू ... वो कल मैं ... अपने कॉलेज जाना चाहती हूँ| आप ले चलोगे मुझे?
मैं: कॉलेज? पर क्यों?
नीतू: वो ......मैं एक आखरी बार अपना कॉलेज ... क्लास देखना चाहती हूँ|
ये बात नीतू ने बहुत कुछ सोच-विचार करने के बाद बोली थी जिसने मुझे अचम्भे में डाल दिया था|
मैं: ठीक है| अब तुम जाके सो जाओ.... रात काफी हो गई है और किसी ने देख लिया तो......
मैंने अपनी बात अधूरी छोड़ दी थी ... मुझे पता था नीतू समझदार है और मेरी बात समझेगी| खेर नीतू ने और कुछ नहीं कहा और मुस्कुरा कर चली गई, मैं भी अंदर आकर दरवाजा बंद करके अपने पलंग पर सो गया|
मैं: और मेरा क्या? अपनी आग तो बुझवा ली मुझसे?
बड़ी भाभी: वो... मैं....
मैं: रहने दो.... निकलो यहाँ से जल्दी, मुझे सोना है|
मैंने बहुत गुस्से भरे स्वर में कहा और जैसे ही मैं दरवाजे की तरफ मुड़ा तो मुझे लगा की कोई छुप के मुझे देख रहा है| मैं दरवाजे के पास वाली खिड़की के पास दौड़ा... पर मुझे वहां कोई नहीं मिला| ,मैं वापस आया तो भाभी मुँह लटकाये बैठी थी;
बड़ी भाभी: मुन्ना... माफ़ कर दो मुझे|
मुन्ना: देखो मेरा गुस्सा और मत भड़काओ, चुप-चाप निकल जाओ यहाँ से|
इतना कह कर मैं दूसरे कमरे में गया और वहाँ अपने बैग से अध्धी निकाली और २-३ घूँट मारे| भाभी पीछे खड़ी ये सब देख रही थी| जब मैं बाहर आया तो दर के मारे भाभी वहाँ से चली गई|
आग बाबुल हो मैं तहमद लपेट, मैं बाहर बरामदे में आ गया और एक कोने से दूसरे कोने में तेजी से चलने लगा| खड़े लंड पर धोका कैसा होता है ये बहुत कुछ लोग ही जानते होंगे| मेरी हालात उस समय ऐसी थी की कोई भी औरत अगर सामने आ जाती तो उसे पेल देता| पर रात के तीन बजे न औरत न कोई रंडी थी वहाँ| गुस्सा इस कदर था की मन कर रहा था की शीला की गांड की सील अपने लड़ से चीर दूँ! पर इधर मेरा लंड खड़े-खड़े दुखने लगा था| जब कुछ नहीं मिला तो मैंने अपने हाथ की ओर देखा और बुदबुदाया; "आज कुछ नहीं तो कम से कम तू तो मेरे साथ है ना|" मैंने अपने हाथ पर थोड़ा थूक लिया और अपने लंड को उससे चुपड़ दिया| आँख बंद किये मैं अपने लंड की खाल को ऊपर-नीचे करने लगा| थूक की गर्माहट के कारन मेरा दिमाग ये सोच रहा था की मेरा लंड किसी चूत के भीतर है| जैसे-जैसे हाथों की गति बढ़ रही थी वैसे-वैसे मैं चरम की ओर बढ़ रहा था| अंत में मैंने एक जोर दर धार मारी जो जाके सीधे दिवार पर गिरी| अपने लंड से आखरी बूँद तक वीर्य बहाने तक मैं नहीं रूक और फिर निढाल हो कर वहीँ बैठा रहा| फिर मैं उठा और अंदर जाकर अपना तहमद लपेट लिया और फिर बहार आकर कुर्सी पर बैठ गया|
सिगरेट सुलगाई और पी ही रहा था की तभी नीतू आ गई| मैं थोड़ा हैरान हुआ उसे यहाँ देख के, और उसकी आँखों में मैंने कुछ उधेड़-बुन देखि| वो मुझसे करीब ८-९ फुट की दूरी पर खड़ी थी...
मैं: सोये नहीं?
नीयू: नींद नहीं आ रही चाचू|
मैं: मैं जब घर आया था तब तो आप सो रहे थे?
नीतू: .....
मैं: अच्छा कोई भयानक सपना देखा होगा?
नीतू: हाँ....हाँ....
मैं: क्या देखा सपने में?
नीतू: (कुछ सोचते हुए) यही की आप मुझे छोड़ के चले गए|
मैं: अरे पगली! तू मेरी सबसे प्यारी भतीजी है, भला मैं तुझे छोड़के कहाँ जाऊँगा|
नीतू ये सुन कर मुस्कुराई, क्योंकि वो जानती थी की मैं उसे सबसे ज्यादा प्यार करता था| मेरा प्यार उसके जिस्म को पाने के लिए कतई नहीं था, बल्कि मैं तो उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करता था|
नीतू: चाचू ... वो कल मैं ... अपने कॉलेज जाना चाहती हूँ| आप ले चलोगे मुझे?
मैं: कॉलेज? पर क्यों?
नीतू: वो ......मैं एक आखरी बार अपना कॉलेज ... क्लास देखना चाहती हूँ|
ये बात नीतू ने बहुत कुछ सोच-विचार करने के बाद बोली थी जिसने मुझे अचम्भे में डाल दिया था|
मैं: ठीक है| अब तुम जाके सो जाओ.... रात काफी हो गई है और किसी ने देख लिया तो......
मैंने अपनी बात अधूरी छोड़ दी थी ... मुझे पता था नीतू समझदार है और मेरी बात समझेगी| खेर नीतू ने और कुछ नहीं कहा और मुस्कुरा कर चली गई, मैं भी अंदर आकर दरवाजा बंद करके अपने पलंग पर सो गया|