06-03-2019, 01:28 PM
हमारी इस बात-चीत के दौरान नीतू ने पूरी चॉकलेट साफ़ कर दी थी| सच्ची बहुत ही मासूम थी मेरी भतीजी नीतू पर………….
रात को सबने मिलकर कहना खाया और शादी की तैयारियों पर चर्चा की| चूँकि मैं बहुत घूमता-फिरता था तो मेरा शौक खाने-पीने में ज्यादा था, इसलिए खाने-पीने की व्यवस्था की सारी जिम्मेदारी मेरी थी|
रात के करीब दस बजे थे और मेरे कारण आज सभी देर तक जगे थे| सब सोने चल दिए थे... अरे ये क्या मैंने तो आपको किसी के बारे में कुछ बताया ही नहीं| मैं भी न....
मेरे पिताजी के दो भाई हैं जिन्हें मैं बड़े बप्पा और मझले बप्पा कहता हूँ| बड़े बप्पा के पांच लड़के और दो लड़कियाँ हैं| सभी की शादी हो चुकी हैं, उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं;
रमाकांत पत्नी शीला (इन्हें मैं बड़े भैया कहता हूँ)
सुरेश पत्नी सुमन
रौशनी
कपिल पत्नी लीलावती
सागर पत्नी उमा
बाबू पत्नी आभा
बरखा
मंझले बप्पा के तीन लड़के और तीन लड़कियाँ हैं और वे भी सभी शादी-शुदा हैं| उनके नाम इस प्रकार हैं;
भक्ति (बड़ी बेटी)
ईशा
जमुना
अभ्यास पत्नी ज्योति
जया
चन्दर पत्नी तारा
कमल पत्नी रीता
इन सभी के बच्चे भी है परंतु वे सभी अभी अपनी किशोरावस्था में हैं और xossip के नियमों के अनुसार मैं उनका जिक्र नहीं कर सकता और वैसे भी उनका इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है| (Xossip की जय हो!)
सुरेश भैया और सागर भैया अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं| कपिल भैया अपने परिवार के साथ राजस्थान में रहते हैं| ये सभी २-३ दिन में आने वाले थे परंतु छूती न मिलने के कारन 15 दिन बाद आएंगे|
आज रात घर पर बस केवल बड़े बप्पा, बड़ी अम्मा, रमाकांत भैया, शीला भाभी नीतू और मैं ही थे| बप्पा और अम्मा सोने चले गए और नीतू तो पहले ही सो चुकी थी| मैं अपने घर में अकेला लेटा हुआ था की तभी रमाकांत भैया मेरे पास आये| उनके हाथ में एक देसी पउवा था और दो गिलास| मैं समझ गया की उनके क्या इरादे थे? मैं भी दिन भर ट्रक खेंच के लाया था सो मैंने भी सोची की दो पेग मार ही लेता हूँ| भैया और मैं कभी-कभार एक साथ पेग मार लिया करते थे| आज भी उन्होंने बिना कुछ कहे ही सीधा दो पेग बना दिए| मुझे पीने की आदत नहीं थी पर कभी-कभार छुप के टिक लिया करता था और उस दिन अपने ट्रक के केबिन में ही सो जाया करता था| एक पउवे से मेरा कुछ होने वाला नहीं था पर फ्री की शराब को कौन मन करता है? कुछ देर बाद भैया चले गए और मैं दरवाजा बंद कर के सो गया| करीब रात के २ बजे होंगे की मुझे किसी के दरवाजा खटखटाने की आवाज आई| आवाज बहुत धीमी थी, और मैं जान गया था की ये कौन है? शीला भाभी की बुर में आग लगी होगी... ये सोचते हुए मैं उठा और अपने सोये हुए लंड को प्यार से सहलाया की आज तुझे साल भर बाद खुराक मिलने वाली है|
मेरे दरवाजा खोलते ही भाभी धडधडाती हुई अंदर आ गई और खुद ही दरवाजा बंद कर दिया|मैंने अनजान बनते हुए पूछा;
मैं: क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?
बड़ी भाभी: आय-हाय! अनजान तो ऐसे बन रहे हो जैसे कुछ जानते ही नहीं?
मैं अब भी अपने नाटक पर कायम था| भाभी ने तभी मेरे सोये हुए लंड को अपनी मुट्ठी में भरा और वो ये देख कर हैरान हो गई| उन्हें उम्मीद थी की मेरा लंड खड़ा होगा|
बड़ी भाभी: हाय दैया! लगता है मुझे भूल गए? तुम्हें याद कर-कर के मैंने यहाँ अपनी मुनिया से कितने आँसूं टपकाये और तुम्हारे ये साहबजादे को कोई फर्क ही नहीं|
दोस्तों एक बात यहाँ आपको बताना चाहूँगा; कभी औरत को ये महसूस मत करवाओ की तुम्हें उसकी चूत की जर्रूरत है| जिस दिन उसे ये पता चल गया की तुम्हें अपनी आग बुझाने के लिए उसकी जर्रूरत है वो तुम्हें अपनी उँगलियों पर नचाना शुरू कर देगी| मैं आज तक किसी भी औरत को ये महसूस नहीं होने दिया की मैं उसकी चूत मारने का भूख हूँ, उन सभी को ये लगता है की मैं दीवाना हूँ जिसे मिल जाए तो मार लेता है पर कभी माँगता नहीं!
ऊपर लिखित जानकारी उन लड़कों के लिए नहीं जिन्हें एक भी चूत नहीं मिलती मारने को| ये सुझाव सिर्फ और सिर्फ उनके लिए हैं जो मेरी तरह आशिक मिजाज हैं| तुम्हें तो एक चूत नहीं मिल रही और गलती से मिलने लगे और तुम मेरी तरह भाव खाने लगो तो हाथ आई मुर्गी भी भाग जाएगी|
खेर कहानी पर वापस आते हुए:
मैंने भांप लिया था की भाभी अब नाराज होने का नाटक करेगी, सो यही समय था अपने तुरुक के एक्के की चाल चलने का| मैंने अपने दोनों हाथों से भाभी के चेहरे को थामा और उनके रसीले होठों को अपने मुँह में कैद कर लिया| मेरी जीभ उनकी मुँह की गहराइयों को नाप रही थी और भाभी मन्त्र मुग्ध से मुझे खुद में समाती जा रही थी| भाभी के हाथों ने मेरी छाती को टटोलना शुरू कर दिया था| धीरे-धीरे उनके हाथ नीचे जाने लगे और मेरी टी-शर्ट के अंदर घुस गए| उनके हाथों का स्पर्श पाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए| उनकी उँगलियाँ धीरे-धीरे मेरी घुंडियों को ढूंढने लगीं| इधर मैंने उनके नीचले होठ को अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया था|भाभी ने मेरी घुंडियों को अपने अंगूठे और तर्जनी ऊँगली से दबाना शरू कर दिया था| इधर मैंने अपनी जीभ को उनकी रास भरे मुँह में सरक दिया और उन्होंने भी मेरी जीभ का स्वागत करते हुए अपने दोनों होठों से उसे चूसना शुरू कर दिया|
रात को सबने मिलकर कहना खाया और शादी की तैयारियों पर चर्चा की| चूँकि मैं बहुत घूमता-फिरता था तो मेरा शौक खाने-पीने में ज्यादा था, इसलिए खाने-पीने की व्यवस्था की सारी जिम्मेदारी मेरी थी|
रात के करीब दस बजे थे और मेरे कारण आज सभी देर तक जगे थे| सब सोने चल दिए थे... अरे ये क्या मैंने तो आपको किसी के बारे में कुछ बताया ही नहीं| मैं भी न....
मेरे पिताजी के दो भाई हैं जिन्हें मैं बड़े बप्पा और मझले बप्पा कहता हूँ| बड़े बप्पा के पांच लड़के और दो लड़कियाँ हैं| सभी की शादी हो चुकी हैं, उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं;
रमाकांत पत्नी शीला (इन्हें मैं बड़े भैया कहता हूँ)
सुरेश पत्नी सुमन
रौशनी
कपिल पत्नी लीलावती
सागर पत्नी उमा
बाबू पत्नी आभा
बरखा
मंझले बप्पा के तीन लड़के और तीन लड़कियाँ हैं और वे भी सभी शादी-शुदा हैं| उनके नाम इस प्रकार हैं;
भक्ति (बड़ी बेटी)
ईशा
जमुना
अभ्यास पत्नी ज्योति
जया
चन्दर पत्नी तारा
कमल पत्नी रीता
इन सभी के बच्चे भी है परंतु वे सभी अभी अपनी किशोरावस्था में हैं और xossip के नियमों के अनुसार मैं उनका जिक्र नहीं कर सकता और वैसे भी उनका इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है| (Xossip की जय हो!)
सुरेश भैया और सागर भैया अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं| कपिल भैया अपने परिवार के साथ राजस्थान में रहते हैं| ये सभी २-३ दिन में आने वाले थे परंतु छूती न मिलने के कारन 15 दिन बाद आएंगे|
आज रात घर पर बस केवल बड़े बप्पा, बड़ी अम्मा, रमाकांत भैया, शीला भाभी नीतू और मैं ही थे| बप्पा और अम्मा सोने चले गए और नीतू तो पहले ही सो चुकी थी| मैं अपने घर में अकेला लेटा हुआ था की तभी रमाकांत भैया मेरे पास आये| उनके हाथ में एक देसी पउवा था और दो गिलास| मैं समझ गया की उनके क्या इरादे थे? मैं भी दिन भर ट्रक खेंच के लाया था सो मैंने भी सोची की दो पेग मार ही लेता हूँ| भैया और मैं कभी-कभार एक साथ पेग मार लिया करते थे| आज भी उन्होंने बिना कुछ कहे ही सीधा दो पेग बना दिए| मुझे पीने की आदत नहीं थी पर कभी-कभार छुप के टिक लिया करता था और उस दिन अपने ट्रक के केबिन में ही सो जाया करता था| एक पउवे से मेरा कुछ होने वाला नहीं था पर फ्री की शराब को कौन मन करता है? कुछ देर बाद भैया चले गए और मैं दरवाजा बंद कर के सो गया| करीब रात के २ बजे होंगे की मुझे किसी के दरवाजा खटखटाने की आवाज आई| आवाज बहुत धीमी थी, और मैं जान गया था की ये कौन है? शीला भाभी की बुर में आग लगी होगी... ये सोचते हुए मैं उठा और अपने सोये हुए लंड को प्यार से सहलाया की आज तुझे साल भर बाद खुराक मिलने वाली है|
मेरे दरवाजा खोलते ही भाभी धडधडाती हुई अंदर आ गई और खुद ही दरवाजा बंद कर दिया|मैंने अनजान बनते हुए पूछा;
मैं: क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?
बड़ी भाभी: आय-हाय! अनजान तो ऐसे बन रहे हो जैसे कुछ जानते ही नहीं?
मैं अब भी अपने नाटक पर कायम था| भाभी ने तभी मेरे सोये हुए लंड को अपनी मुट्ठी में भरा और वो ये देख कर हैरान हो गई| उन्हें उम्मीद थी की मेरा लंड खड़ा होगा|
बड़ी भाभी: हाय दैया! लगता है मुझे भूल गए? तुम्हें याद कर-कर के मैंने यहाँ अपनी मुनिया से कितने आँसूं टपकाये और तुम्हारे ये साहबजादे को कोई फर्क ही नहीं|
दोस्तों एक बात यहाँ आपको बताना चाहूँगा; कभी औरत को ये महसूस मत करवाओ की तुम्हें उसकी चूत की जर्रूरत है| जिस दिन उसे ये पता चल गया की तुम्हें अपनी आग बुझाने के लिए उसकी जर्रूरत है वो तुम्हें अपनी उँगलियों पर नचाना शुरू कर देगी| मैं आज तक किसी भी औरत को ये महसूस नहीं होने दिया की मैं उसकी चूत मारने का भूख हूँ, उन सभी को ये लगता है की मैं दीवाना हूँ जिसे मिल जाए तो मार लेता है पर कभी माँगता नहीं!
ऊपर लिखित जानकारी उन लड़कों के लिए नहीं जिन्हें एक भी चूत नहीं मिलती मारने को| ये सुझाव सिर्फ और सिर्फ उनके लिए हैं जो मेरी तरह आशिक मिजाज हैं| तुम्हें तो एक चूत नहीं मिल रही और गलती से मिलने लगे और तुम मेरी तरह भाव खाने लगो तो हाथ आई मुर्गी भी भाग जाएगी|
खेर कहानी पर वापस आते हुए:
मैंने भांप लिया था की भाभी अब नाराज होने का नाटक करेगी, सो यही समय था अपने तुरुक के एक्के की चाल चलने का| मैंने अपने दोनों हाथों से भाभी के चेहरे को थामा और उनके रसीले होठों को अपने मुँह में कैद कर लिया| मेरी जीभ उनकी मुँह की गहराइयों को नाप रही थी और भाभी मन्त्र मुग्ध से मुझे खुद में समाती जा रही थी| भाभी के हाथों ने मेरी छाती को टटोलना शुरू कर दिया था| धीरे-धीरे उनके हाथ नीचे जाने लगे और मेरी टी-शर्ट के अंदर घुस गए| उनके हाथों का स्पर्श पाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए| उनकी उँगलियाँ धीरे-धीरे मेरी घुंडियों को ढूंढने लगीं| इधर मैंने उनके नीचले होठ को अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया था|भाभी ने मेरी घुंडियों को अपने अंगूठे और तर्जनी ऊँगली से दबाना शरू कर दिया था| इधर मैंने अपनी जीभ को उनकी रास भरे मुँह में सरक दिया और उन्होंने भी मेरी जीभ का स्वागत करते हुए अपने दोनों होठों से उसे चूसना शुरू कर दिया|