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मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu
#3
कहानी अब तक ....

मेरा नाम मुन्ना है, पेशे से मैं एक ट्रक ड्राइवर हूँ| मेरे पिताजी का ट्रांसपोर्टेशन का व्यापार है और मैं भी उसी व्यापार में भागीदार हूँ| जब से होश संभाला है मैं पिताजी के साथ सड़कों पर बहुत घुमा हूँ| फिर चाहे दिल्ली से हिमाचल जाना हो या पंजाब| ग्रेजुएट हूँ बस यही मेरी शैक्षणिक योग्यता (educational qualification) है| आगे पढ़ने को मन नहीं था सो पिताजी के व्यापार में ही मन लगा लिया| वैसे भी जिसे घूमने का चस्का बचपन से लगा हो वो भला एक जगह टिक कर कैसे काम करेगा| पिताजी ने अपनी खून-पसीने की कमाई से गाँव में एक घर बनाया, जिसे उन्होंने मेरे नाम कर दिया| घर की देख-रेख सब मेरे जिम्मे है| एकलौती संतान होने के बहुत फायदे हैं! पिताजी और मैं महीने में कम से कम पंद्रह दिन तो बाहर ही रहते हैं| माँ बेचारी की इसकी आदत है, हाँ कभी-कभार मैं माँ को अपने साथ किसी छोटी ट्रिप पर ले जाता हूँ| अपने ट्रक अशोक 2516 xl पर जब माँ के साथ निकलता हैं तो टशन बाजी करने में बहुत मजा आता है| पर हाँ एक बात जर्रूर बताना चाहूँगा, मैंने आज तक सड़क के किसी भी नियम का उलंघन नहीं किया| ना ही कभी कोई दो नंबर का काम किया| पिताजी के आदर्श और सिद्धांतों का हमेशा पालन किया है| जब भी रात को सफर करना होता है तो माँ एक फ्लास्क भर के चाय दे देती है, ताकि ड्राइव करते समय नींद ना आ जाए और मैं अपनी गाडी हमेशा स्पीड लिमिट में ही चलाता हूँ|
दोस्तों आप सभी को एक बताने में बहुत ख़ुशी हो रही है, हाल फिलहाल ही में पिताजी ने मुझे महिंद्रा TRUXO 202 बुक कर के दिया है| wow !!!! लाल कलर में बहुत ही जानदार लुक देता है| उसकी गर्जन (roar) सुन के रोंगटे खड़े कर दिए| बस अब इन्तेजार नहीं होता ......

चलिए अब कहानी पर आते हैं, वरना आप सब बोर हो जायेंगे|

आज साल भर बाद मैं गाँव आया था| आमतौर पर साल में 10 - 12 चक्कर तो मैं गाँव के लगा ही लेता था पर इस बार बहुत समय लगा गाँव जाने में| अभी घर के दरवाजे की कुण्डी खोल रहा था की उसकी जोरदार चरमराहट सुन के मेरी बड़ी ताई ताऊ आ धमके|

बड़ी ताई: अरे मुन्ना! ना चिट्ठी न पता? कम से कम आने की इतिल्लाह कर देते?
मैं: अम्मा वो अलीगढ की डिलीवरी थी, तो वहां से सीधे यहाँ आ गया|
बड़े ताऊ: अच्छा किया मुन्ना, पर इस बार तुम्हें जल्दी नहीं जाने देंगे|
मैं: नहीं बप्पा...वो एक डिलीवरी......
बड़े ताऊ: इस बार तेरी नहीं चलेगी| मैं तेरे बाप को अभी फ़ोन कर देता हूँ| नीतू की शादी है और घर पर कोई तो चाहये काम-धाम देखने को| तेरा बाप तो गाँव आता नहीं जबतक उसे बुलाया ना जाये| उसका तो जैसे मन ही नहीं करता आने को... हमें देखने को|
मैं: बप्पा दरअसल शहर में काम बहुत ज्यादा है, ये तो दूर-दूर की डिलीवरी मैं देख लेता हूँ इसलिए उन्हें कुछ समय मिल जाता है वरना उन्हें तो खाने तक की फुरसत नहीं| पिताजी ने कहा था की वो अगली 28 को आ जायेंगे|
बड़े ताऊ: अगली 28 को? बताओ... शादी को बस एक महीना बचा है और घर वालों का ये हाल है|
बड़ी ताई: अरे छोडो जी, देवर जी व्यस्त रहते हैं पर समय पर हमेशा आ जाते हैं| और फिर तबतक मुन्ना तो है ही, आगे तो सब इसीको संभालना है|
बड़े ताऊ: तू यहीं रहेगा जब तक ये शादी नहीं निपट जाती, मैं तेरे बाप से बात कर लूँगा|

ये कह कर वो चले गए|

बड़ी ताई: तू इनकी बात का बुरा मत मान बेटा| तू तो जानता ही है की ये तुझसे और तेरे पिताजी से कितना प्यार करते हैं| दिन रात तुझे और तेरे पिताजी को ही याद करते हैं, और कभी-कभी इस कदर झुंझुला जाते हैं|
मैं: अरे नहीं अम्मा... कोई बात नहीं|
बड़ी ताई: तू कपडे बदल और मैं तेरे लिए शरबत भिजवाती हूँ|

मैंने अपना बैग पलंग पर पटका और अपनी टी-शर्ट उतारने लगा| टी-शर्ट अभी गले से निकल ही रही थी की किसी ने मुझे पीछे से आ कर जकड लिया| चूड़ियों की खनखनाहट से मुझे समझते देर न लगी की ये मेरी बड़ी भाभी है|
उनकी उँगलियाँ मेरी छाती की जांच-पड़ताल कर रही थीं| मेरे जिस्म में एक अजीब तरह की सिंहरान दौड़ने लगी थी और रह-रह कर मुझे बीत कल की याद दिल रही थी| वो पल जब मैंने अपना कौमार्य (virginity) को त्यागा था.... मेरी तन्द्रा जब टूटी, जब उन्होंने मुझे पुकारा;

बड़ी भाभी: मुन्ना.... बड़े जालिम हो तुम| एक महीने का कह कर गए थे और एक साल आने को आया|
मैं: (होश में आते हुए, अपने आप को उनके चंगुल से छुड़ाते हुए) मैंने तो कभी नहीं कहा था की मैं एक महीने आऊँगा|
बड़ी भाभी: जानती हूँ नहीं कहा था .... पर हमेशा....
मैं: (उनकी बात काटते हुए) क्यों इस आवारा से दिल लगा रही हो| मैं तो आपको कुछ पल की खुशियाँ देने आया था| अब आपकी बेटी की शादी है, उसमें मन लगाओ|
बड़ी भाभी: तुम्हारी उन कुछ पलों ने मुझे जीवन भर की खुशियाँ दी हैं और तुम कहते हो की मैं तुम्हें भूल जाऊँ| क्या तुम भूल सकते हो वो पल?
मैं: हाँ (झूठ बोलते हुए)
बड़ी भाभी: (मुस्कुराते हुए) जानती हूँ ...जानती हूँ...

हमारी बात चल ही रही थी की नीतू आ गई, मेरी प्यारी भतीजी और भागती हुई सीधा मेरे गले आ लगी|

बड़ी भाभी: अरे लड़की! चाचा से ना सलाम न दुआ?
नीतू: नमस्ते चाचू|
मैं: चल! ज्यादा तहजीब का नाटक न कर मेरे साथ| ये ले अपनी चॉकलेट...
बड़ी भाभी: सच्ची तुमने इसे सर पर चढ़ा रखा है| दिन पर दिन बदतमीज होती जा रही है| (भाभी ने थोड़ा गुस्से बोला)
मैं: मेरी बेटी जानती है किसके साथ कैसे पेश आना है? वो अपने चाचा का सर कभी झुकने नहीं देगी|
बड़ी भाभी: हाँ ये बात तुमने सही कही| सबसे ज्यादा प्यार इसे तुम से ही मिला है| तुम्हारी जिद्द के कारन इसे पढ़ने को मिला|
मैं: जिद्द नहीं अकलमंदी| मुझे बस इतना करना था की पिताजी की थोड़ी ऊँगली करनी थी और बाकी का काम उन्होंने कर दिया| पर एक गम हमेशा रहेगा की मैं इसे और ज्यादा पढ़ा ना सका| चाह कर भी इसकी शादी नहीं रोक पाया, वरना इस साल नीतू कॉलेज में होती|
बड़ी भाभी: अब सब कुछ तो हमारे बस में नहीं होता ना| खेर, तुम्हें पता है तुम्हारी बेटी ने जिद्द पकड़ ली थी की अगर चाचू नहीं आये तो मैं शादी नहीं करुँगी|
मैं: भला ऐसे कैसे हो सकता है? इसकी शादी और मैं ना आऊँ|
 horseride  Cheeta    
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RE: मेरी भतीजी मेरे लंड की दीवानी (RESTARTED) by asluvu - by sarit11 - 06-03-2019, 01:27 PM



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