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Thriller कामुक अर्धांगनी
#45
मधु मुँह सिकुरते बोली तुम चाटो वो तोह जब से विहाही हूँ चाट ही रहे है ,वसंत हँसते हुए बोला उफ्फ्फ भाभी ठीक है मैं ही चाट कर सूखा दूँगा और वो कस के मधु की गांड पर चाँटा मारते बोला लेकिन लड़ अब ये नामर्द भैया ही चूसेंगे, मधु उफ्फ्फ आउच करती बोली चूसेंगे वो तभी तोह चुदूँगी मैं ।

वसंत नीचे बैठ कर मधु की झाघो को सहलाता बोला टांग खोलेगी रंडी , मधु टांग चौड़ी करती बोली कुत्ते चाट न भाभी की गीली चुत साले बहा दे पानी , वसंत मुँह लगा कर अपने लंबे जीभ को फेरता बोला क्या स्वाद है कुतिया के चुत का एकदम स्वादिस्ट और दाँतो से काटने लगा मधु थरथराती काँपने लगी और बोली अहह वसंत उफ्फ्फ वो चुत के बाहरी होटो को दाँतो से खिंचते बोला भोसड़ा बना दूँगा साली रंडी तेरी चुत चोद के और मधु बस चित्कारिया मरती चुत पर वसंत के हवस की निशानी और गर्माहट लेती ख़ुद को लुटाती रही ।


वसंत दो उँगली डाल कर मधु को बेसब्र करता बोला एकदम टाइट माल है तू भाभी और उँगली से चुत चोदता जीभ फेरता मधु को अत्यधिक उतेजित करते बोला पहले पता होता तेरा पति भड़वा है तोह न जाने कब का तुझे दुकान पर पटक पटक कर चोद देता ।

मेरी हालत कुत्ते से बतर होने लगी और मैं शर्म से घुटनों पर बैठ गया और मधु की बेताबी और वसंत की दरनदिगी देखने लगा ,वो मधु के चुत को दाँतो से ऐसे नोच रहा था कि महीनों निशान न जाएं और मधु बस बेड को कस कर पकड़ी खुद को हवस की आंधी मे डूबाती चली गई ।

मुझसे रहा नही गया और मैं घुटनों के बल चलता वसंत के पास आ गया और उसके लड़ को अपने नाक से रगड़ने लगा ।
वसंत उँगली डाले बोला देख कुतिया तेरा ये नामर्द पति तुझसे ज़्यादा मेरे लौड़े को बेताब हो रहा है ,मधु मुड़ कर देखते बोली चुसने दे इनको तुम बस चाटो खाओ मेरी चुत अहह और मैंने भी उसके अंडरवियर से लड़ निकाल कर वहीं जमीन पर लेट चाटने लगा ।

वसंत बोला रुको भैया जी उतार ही देता हूँ अच्छे से चूस कर मेरी रांड के लिए तैयार कर दो मेरा लड़ और उठ कर अंडरवेयर उतार मेरे मुँह पर फैक के बोला सूँघो और इस कुतिया को भी सूंघने दो ।

मैं सूँघ मधु को बढ़ाते बोला देखो न मधु कितना मर्दाना सुंगन्द है वो बोली अच्छा जी और मैंने मधु के चेहरे पर उसके अंडरवियर को फ़सा दिया वो निर्विरोध सूँघते बोली लगता है अब देवर की एक रांड और एक गांडू मिल गया ।

वसंत दाँतो से ज़ोर से काट कर बोला दोनों को कुतिया बना के रखूंगा और मैं नीचे फर्श पर लेट कर वसंत के अर्ध सख्त लड़ को चुसने लगा , वसंत का लड़ एक दम काला था , झाट पसीने से भीगी हुई थी , गोटियां एक दम झूल रहीं थी और मैं मुँह मैं लिए मज़े से चुसने लगा ,लड़ इतना मोटा था कि मेरे मुँह मे बड़ी मुश्किल से घुसा और आधा खड़ा लड़ भी गले तक पहुँच रहा था ।

मधु बोली वसंत कैसा चुसता है मेरा क़सम , वसंत बोला लगता नहीं पहली बार चूस रहा हो ज़रूर पहले से गांडू है तेरा पति भाभी । मधु बोली हा मुझे भी लगता हैं कभी कभी ये बात छुपाते हैं ।
वसंत बोला सब बता देंगे जब गांड फाड़ने लगूँगा तभी , मधु बोली उफ्फ्फ पहले मेरी चुत तोह फाड़ दे ।
वसंत ने मधु की चुत लाल कर दी और सूखा कर बोला ले अब तुझे चोदने मैं मज़ा आएगा भाभी जब बस चमड़ी रगड़ खायेंगी , गीली चुत मे असानी से होता है लेकिन मुझे तोह लड़ छिल जाए वो चुदाई पसंद हैं ।

मधु बोली कैसे डालोगे पहली बार वो बोला बस ऐसे ही झुकी रहो खड़े खड़े डालूंगा ।
मधु एक दम सी उतावली होती बोली सुनिए जी चलिए बहुत चूस लिए लिजेए ये अंडरवियर पोछ दीजेए लड़ और खुद हाथों से मेरी चुत दिखा दीजेए लड़ को बाकी देवर जी की मर्ज़ी और हा यहा आ के ज़रा लड़ का स्वाद अपने होटो से मुझे भी दीजिये ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 11-08-2020, 10:56 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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