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Thriller कामुक अर्धांगनी
#44
वसंत ने मधु को खींच के बाहों मे भरते हुए बोला अगर भाईसाहब देखना चाहें तोह क्या दिक़्क़त है देखने दो न वैसे भी अब रोज ही चुदाई होंगी , मधु बोली मुझे क्या देखें या नहीं तुम तोह बस चलो बिस्तर पर वैसे भी शाम से तड़प रहीं हूँ तेरे लड़ के लिए ।

वसंत ने मधु को गोद मे उठा कर बोला इतना तड़पी हो भाभी जी तोह सुबह तक चोद कर हिसाब बराबर कर देता हूं और दोनों बेडरूम मे दाखिल हुए और मैं भी पीछे पीछे जा पहुँचा ।

दरवाज़े के सहारे थोड़ी दूर से मैंने देखना सही समझा और वसंत ने कमर पर हाथ रखते ही झटके से साड़ी खिंच दी और मधु हँसते हुए उसके बेल्ट को खोलने लगी ,मधु बस पेटिकोट और बिना ब्रा के ब्लाउज मैं खड़ी वसंत के पैंट का बटन खोली और खिंच कर नीचे करती अपने हाथ को अंडरवेयर मे डाल कर बोली उफ्फ्फ इतना मोटा और वसंत बोला चुसेगी तब समझ आएगा देवर के लड़ का असली साइज, मधु बोली अच्छा देवर जी और वो उसके शर्ट को खोल कर छाती के बालों को सहलाते बोली देवर जी बड़े घने बाल है और दोनों चुम्बकन करने लगे ।

वसंत ने पीठ सहलाते ऊपर नीचे दोनो ब्लाउज की डोरी खोल दी ओर मधु उसके स्पर्श को महसूस करती उसके जीभ को चुस्ती होटो के मिलन का आनन्द लेती रही ।


एक दूसरे की होंठ और जीभ को चूस कर वसंत बोला भाभी 69 जानती हो , मधु बोली वहीं सब देख कर ही इतने साल ख़ुद को ठंडा की हूँ और मेरी तरफ़ इशारा करते बोली नही तोह ये तोह बस आग लगा के खुद झड़ के शान्त हो जाते थे ।

वसंत ने पेटीकोट की डोरी खिंचते बोला चलो आज अपको वो चर्मसुख दूँगा की भाईसाहब का फिर झड़ेगा ओर सरकता मधु का पेटीकोट फर्श पर गिरा और उससे कम समय मे वसंत ने लटकते ब्लाउज को जमीन पर फेंक दिया ।

मधु बिल्कुल नंगी उसके सामने थी, वसंत घूरते हुए बोला भाभी तेरी गांड मस्त है झुक के दिखाओ न ,मधु बेड पकड़ के गांड उठा के दिखाने लगी और वो सहलाता गांड की दरार मे उँगलियी फेरता बोला साड़ी मे पता नहीं चलता इतनी कातिल गांड है और चटाक थपड़ मार के बोला क्या मस्त जवानी मिली है, मधु उफ्फ करती बोली इतनी जोर से नहीं दर्द होता हैं वसंत हँसते हुए बोला लाल कर दूँगा तेरी ये गोरी गांड बस घोड़ी तोह बना लू पहले ,मधु शर्मा के हँसते हुए बोली बहुत बदमास हो वो बोला इश्लिये तोह आज यहाँ नंगी भाभी नाप रहा हु सरीफ होता तोह बस मुठ मारता तेरे नामर्द पति की तरह ,मधु ज़ोर से हँसते बोली लगता है तुझे मैं बस एक रांड लगती हुँ, वसंत बोला तुम ऐसी वैसी रांड नही भाभी बस मेरी रंडी हो वसंत की रखैल हो तुम और ये तेरा पति दलाल है इश्लिये मुझे बुलाया है तेरी जवानी की आग बुझाने और तेरी चुत गांड मुँह चोदने ।


वसंत एकदम गंदी लहजे मे बातें करने लगा और मधु बोली रखैल हूं न तेरी तोह चल चोद फिर वो बोला चोदूगा जल्दी क्या है पहले तुझे लाल तोह कर दूँ और वो मधु के झुकें गांड पर थपड़ बरसाता पूछा बता तू कौन हैं ?
मधु अहह करती बोली वसंत की रांड हु मैं ।

वसंत और तेज़ थपड़ मरता बोला तेरा दलाल कौन हैं ?

मधु बोली मेरा भड़वा पति ।

वसंत बोला चल गांड खोल के छेद दिखा ।

मधु दोनो हाथों से गांड खोल कर बोली देखो ।

वसंत थूक कर गांड की छेद पर उँगली फेरता बोला गांड मरवायेगी कुतिया भाभी ।

मधु बोली हा गांड फाड़ दे मेरी ।

वसंत बोला मस्त जबाब देती हैं तो और उंगली को गांड के छेद मे दबाने लाग 

मधु ज़ोर से चित्कारिया मरती बोली धीरे डालो 

वसंत बोला चुप साली झाट सी उंगली से दर्द हो रहा है तुझे लड़ डालूंगा तोह क्या मोहल्ले को चिल्का कर बता देगी 

मधु उफ्फ्फ करती बोली देवर जी चोदो न
वसंत बोला लगता है रांड गीली हो गई और वो चुत सहलाते बोला बड़ी जल्दी मैं हो और मुझे इसारा करते बोला भाईसाहब आईये चाटिए रण्डी की चुत मुझे सुखी चुत मैं डालना पसन्द है तभी कुतिया सही चीखेगी और सुन के चुत फाड़ने मे मज़ा अलग आता है ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 11-08-2020, 09:52 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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