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Thriller कामुक अर्धांगनी
#42
मधु की तपन चर्म पर थी और वसंत आग में घी की तरह बस मधु के जिस्म को सुलगाए जा रहा था , वो इतना खुल चुका था कि वो बेपरवाह हो के दोनों हाथों को मधु के झागों के ऊपर सहलाते बोला भाभी जी लगता है भाईसाहब झड़ने वाले हैं , मधु चौक गई और उठ कर बैठ गई और हस्ते हुए बोली तोह मेरे देवर जी समझ ही गए माजरा ,वसंत बोला जब आप बुलाई और भाईसाहब घर पर ही थे तभी समझ गया कि भाभी ने क्यों बुलाया है और बस इतना सुनते ही मेरा काम निपट गया और दोनों हँसने लगे ।

वसंत बड़े आदर से बोला भाभी जी जब राज खुल ही गया है तोह मुझे बस इतना दिखा दो की वो कितने गीले हुए हम दोनों को देख कर ,मधु हँसते बोली धत और उठ कर मेरे पास आ कर बोली, कहीं थी न गढ़ा निकलेगा और वो हाथ डाल कर मेरे मुरझाए मुंगफली को मुठ सहित रगड़ती बोली वाह एकदम चिप चिप कर रहा है और मुझे बोली दिखा दीजेए देवर जी को अब तोह क्या पर्दा , मैं उठ खड़ा हुआ मधु ने पैंट खिंच दी और मूंगफली से लड़ को सहलाते बोली देख लिया ।

वसंत हँसते हुए बोला बस इतना सा है इनका , उफ्फ भाभी फिर तोह महीनों लग जायेगा आपको अच्छी तरह शांत करने मे , मधु बोली लगा लो जितना समय लगे बस रोज़ाना मिल जाना चाहिए मुझे ऐसा न हो कि तरसती रहू ।

वसंत बोला क्या भाभी रोज तीन टाइम तो फिक्स रहेगा सुबह उठ कर दोपहर खाने से पहले और रात खाने के बाद ,मधु होटो को दबाती बोली दोपहर तोह दुकान मे ही दे देना जब खाना पहुँचाने जाऊँगी तभी ,वसंत बोला ठीक ह भाभी वैसे भी दुकान की वो बेंच जब से ख़िरीदा हु उसे इश्तमाल भी नहीं किया हु वहीं लेटा कर दे दूँगा या लेट कर ले लूँगा ।

मधु मेरे लड़ को रगड़ रगड़ कर लाल कर दी और मेरा मुठ सुख कर गायब हो गया और वो बोली अब बोलिये क्या चाहते हैं वसंत के साथ अकेली जाऊ बैडरूम के बिस्तर पर या आप भी चलेंगे , अब तोह मैं बिना चुदे रहने वाली नही और न ही वसंत बिना चोदे जाने वाला है इशलिये बोलिये ओर देख पाएँगे आप या संतुष्ट हो गए इतना देख कर , क्या आपको लगता है आप वसंत का चूस पाएंगे मेरे सामने ,इसका गढ़ा तेज़ धार वाला वीर्य चाट पाएंगे अपनी बीवी की चुदासी चूत से ।

मधु ने मुझे अशमंजस मे फ़सा दिया और वसंत के सामने नामर्द साबित कर दिया अब मे क्या कहता क्या करता समझ के परे हो गया लेकिन मधु ने लड़ को नही छोड़ा और मसलती रही जिससे मेरी आँखें शर्म से झुक गयी और आत्म गिलानी होने लगी ।

अब सब साफ था कि मधु वसंत से जब चाहें जहाँ चाहें चुदवाती रहेंगी और मुझे ये सहन करना पड़ेगा आखिर ग़लती मेरी है और मुझे ही भुगतना होगा।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 11-08-2020, 01:57 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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