06-03-2019, 09:48 AM
फिर मैं मेखला दीदी की बात मान गया और वापिस कुछ दिन के लिए होम टाउन के लिए निकल गया अपना समान लाने के लिए. वहाँ पहुंचे ही मम्मी और पापा ने मुझे बधाई दी और खूब सारे आशीर्वाद भी मिले न्यू जॉब के लिए.
उसके बाद मैं सनडे अपने घर पे लंच ले कर अपना पॅक किया हुआ समान लेके मुंबई की ट्रैन पकड़ ली. मैं शाम को मुंबई पहुच गया और मुमबई पहुंच ,मैं ने टैक्सी मे अपना समान डाल के सीधा मेखला दीदी के घर पहुच गया.
जीजू भी घर पर ही थे सनडे के कारण तो दोनो ने मुझे वेलकम किया तब इधर उधर की बात करने लगा, हम दोनो कुच्छ इधर उधर बातों को ही कर रहे थे. उसके बाद कुच्छ मेहमान आ गये उनके यहा मैने मेखला दीदी को पूछाकी ये कौन है तो वो बताई ये तुम्हारे जीजू के मामा जी और उनकी फॅमिली है, फिर वो लोग उनसे बात करने लगे, मैं वहा जाके सिर्फ़ नमस्ते कहा और फिर वापस आके टी वी पर मूवी देखने लगा,
टीवी देखते देखते एक घंटा कब निकल गया कुच्छ पता ही नही चला. एक घंटे के बाद मेखला दीदी ने सडन्ली मेरे रूम का दरवाज़ा खोला और अंदर आ गयी. मैने मेखला दीदी से पुछा...
उसके बाद मैं सनडे अपने घर पे लंच ले कर अपना पॅक किया हुआ समान लेके मुंबई की ट्रैन पकड़ ली. मैं शाम को मुंबई पहुच गया और मुमबई पहुंच ,मैं ने टैक्सी मे अपना समान डाल के सीधा मेखला दीदी के घर पहुच गया.
जीजू भी घर पर ही थे सनडे के कारण तो दोनो ने मुझे वेलकम किया तब इधर उधर की बात करने लगा, हम दोनो कुच्छ इधर उधर बातों को ही कर रहे थे. उसके बाद कुच्छ मेहमान आ गये उनके यहा मैने मेखला दीदी को पूछाकी ये कौन है तो वो बताई ये तुम्हारे जीजू के मामा जी और उनकी फॅमिली है, फिर वो लोग उनसे बात करने लगे, मैं वहा जाके सिर्फ़ नमस्ते कहा और फिर वापस आके टी वी पर मूवी देखने लगा,
टीवी देखते देखते एक घंटा कब निकल गया कुच्छ पता ही नही चला. एक घंटे के बाद मेखला दीदी ने सडन्ली मेरे रूम का दरवाज़ा खोला और अंदर आ गयी. मैने मेखला दीदी से पुछा...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.