09-08-2020, 03:32 PM
मधु कामुक्ता के सुख को वसंत के हाथों से दिल खोल कर लेती उसको रोटियां खिलाती रही और वो बेफिक्र हो के नग्न पीठ को सहलाता चुचियों की दबाता मधु के अंतर्मन को उकसाते बोला भाभी जी थोड़ा गोश्त भी खिलाओ ।
मधु मटन के टुकड़े को उठा कर खुद आधी खा कर बोली मुझे लगा तुम्हें कच्चे गोश्त पसंद हैं इशलिये नहीं खिला रहीं थी, लेकिन ये लो, अपने झूठे मटन के टुकड़े को उसके मुँह मैं देती बोली बड़े नर्म है ना, वसंत हल्का ज़ोर से चूची को दबाता बोला बहुत नर्म और गर्म है भाभी ।
मधु थोड़ी हिलती डोलती पायल बजाती उसके गोद मे इठलाई और थोड़ा क़मर उठा कर फिर हिला कर बैठ गयी और बोली लगता है अब जा के अच्छे से फसा ,वसंत बोला भाभी ऐसे कैसे फसेगा ।
मधु होटो को दांतों से दबाती बोली फ़स तोह गया है बस इंतज़ार है अच्छे से धस जाए गहराईयो मे ,वसंत तपाक से बोल उठा बस भाभी आपके हुकुम का इंतज़ार हैं ,फिर देखना आप कैसे गोश्त को खाना पसंद करता हे आपका देवर ।
मधु और वसंत खुल के अर्ध नग्न बातें करते खाने का मज़ा ले रहे थे और मेरी परवाह दोनों मैं किसी को नहीं थी ओर हो भी क्यों । मैं भी मटन के हड्डियों को चुसता दोनों की दोहरी अश्लील बातें सुनता और हरकतों को बारीकी से नज़र गड़ाए देखता रहा ।
वसंत ने मधु को खींच कर कानों मे कुछ फुसफुसाया ओर मधु हस्ती हुई बोली देवर जी ये भी पूछने वाली बात है और फिर वसंत ने हल्के से मधु की कमर के ऊपर बंधी ब्लाउज की डोरी को खिंचा और दूसरे हाथ को नर्म चुचियों के एहसास के लिए ब्लाउज के निचले हिस्से से हाथ को अंदर सरकाया और डोरी तब तक खिंचती रही जब तक उसका हाथ मधु के संपूर्ण गोलाई के ऊपर अच्छी तरह चला न गया, मधु मदहोश सी आँखों को मूंद उसके स्पर्श को महसूस करती शांत बैठ गई ।
वसंत निर्भिग हो के चूची को सहलाता मसलने लगा और मधु की बाहों की पकड़ उसके गर्दन पर कसने लगी और वसंत का चेहरा मधु के नर्म गर्म चुचियों के दरार से जा मिला ।
अब वसंत संपूर्ण रूप से मधु की जकड़ मे बंध गया और अपने होटो से उसके नमकीन जिस्म को चूमने चाटने लगा और मधु सिसकियां भर्ती बोली देवर जी गोश्त खाना बाकी है ,वो दबा हुआ धीमे स्वर मे बोला जी भाभी वहीं तोह चख रहा हूं ।
मधु ने वसंत के बालों को कस के पकड़ के खिंचा और वसंत ने चूची को मसलते हुए तगड़े ढंग से दबाते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बची हुई डोरी को खींच कर जिस्म से अलग कर दिया ।
मधु ने सच ही कहा था कि इस दफ़े मेरे लिंग से गाढ़ा मुठ बहने वाला है ,दोनों के क्रीड़ा देख के उत्सुकता और रोमांच मेरे जिस्म मे भरने लगा था ।
बिना परेशानियों के कहीं शारीरिक सुख का मिलन हुआ है क्या अपने देश मे, जो अभी हो जाता ,दरवाज़े पर दस्तक सुनते ही सब चौक गए और मधु वसंत की गोद से उठ खड़ी हुई और ब्लाउज की डोरी को कस के बांध कर बोली ये शर्मा जी कबाब की वो हड्डी है जिसका इलाज़ ही नहीं ।
वो झुंझलाती एक मटन के टुकड़े को हाथों मैं लेती खुद के शारीरिक पहनावें को अच्छी तरह वेवस्तित करती हुई पायल बजाती कमर को मटकाती दरवाज़े की कुंडी खोलती हुए बोली नमस्ते भाईसाहब ।
शर्मा जी अपने पीले दाँतो को दिखाते बड़ी मुस्कान लिए बोले जी नमस्ते भाभी जी और अंदर प्रवेश कर के सीधे मेरी और बढ़ आए और मेरा तमतमाता लड़ सिकुड़ के मूंगफली सा हो गया और मैं बोला आईये बैठिये शर्मा जी ।
वो तिरछी नज़र से वसंत को देखते बोले मेहमान आया है , मधु दरवाज़े की कुंडी बंद कर के अंदर आई और बोली नहीं भाईसाहब ये तोह मेरा प्यारा देवर है ओर वसंत के केसों को सहलाती किचन चली गई। ।
शर्मा जी हँसते हुए बोले सोचा आप घर आए हुए है तोह आपके ओर भाभी के लिए पान बनवा लाया और मे उठ कर हाथ धो कर पान ले कर चबाने लगा और मधु को आते देख शर्मा जी बोले गुलकंद वाली पान लाया हूँ भाभी, मधु मुश्कुरते मन ही मन शर्मा को कोसते पान लेती हुई बोली धन्यवाद भाईसाहब और थाली उठाने लगी ।
वसंत ने बचे हुए मटन को ताज़े गोश्त की लालच मे नज़रअंदाज़ कर दिया और हाथ मुँह धो कर वही अलग कुर्सी पर बैठा रहा ।
करिब आधे घंटे शर्मा ने मोहल्ले की भकचोदी चोद कर बोले अच्छा अब इज़्ज़ाज़त दीजेए और मै दरवाज़े तक छोर कर कुंडी लगा वापस सोफे पर बैठ गया और मधु मुँह मे पान भर कर सामने बैठ गईं और बोली क्यों देवर जी ज़्यादा खा लिए क्या, वो बोला कहा भाभी , अभी अभी तोह सोचा खाने को पर आप ही खिलाना छोर दी ।
मधु ने अपने हाथ को सोफे पे पटक के वसंत को पास बुलाया और वो मधु के करीब बैठ गया ,मधु अपने हाथ को उसके झाग पर फेरती बोली बढ़ी मीठी पान है, वसंत कुड़ करता बोला वाह भाभी अकेले अकेले पान खा रही हों ,मधु ने बोला तुझे भी खाना है क्या देवर जी ,वो बोला हा ।
मधु ने घुटनों को सोफे पे मोड़ के घुटनों के बल खड़ी हो गई और बोली मुँह खोलो खिला देती हूँ ,वसंत मुँह खोल कर बोला खिलाओ ,मधु साड़ी को एडजस्ट करती उसके ऊपर चढ़ गई और होटो से होटो को मिला कर अपने मुँह से आधे पान के टुकड़े को उसके मुँह मैं दे कर वापस बैठ गई ।
वसंत पान चबाता बोला भाभी पान तोह सच मे मीठा है और आपके मुँह मैं कुछ देर रह के और भी रसिला हो गया हैं ।
दोनों असल मे कामुक्ता की तपन से जल रहे थे लेकिन अभी आग भड़की नहीं थी कि दोनों बेशर्म हो जाए ।
मधु मटन के टुकड़े को उठा कर खुद आधी खा कर बोली मुझे लगा तुम्हें कच्चे गोश्त पसंद हैं इशलिये नहीं खिला रहीं थी, लेकिन ये लो, अपने झूठे मटन के टुकड़े को उसके मुँह मैं देती बोली बड़े नर्म है ना, वसंत हल्का ज़ोर से चूची को दबाता बोला बहुत नर्म और गर्म है भाभी ।
मधु थोड़ी हिलती डोलती पायल बजाती उसके गोद मे इठलाई और थोड़ा क़मर उठा कर फिर हिला कर बैठ गयी और बोली लगता है अब जा के अच्छे से फसा ,वसंत बोला भाभी ऐसे कैसे फसेगा ।
मधु होटो को दांतों से दबाती बोली फ़स तोह गया है बस इंतज़ार है अच्छे से धस जाए गहराईयो मे ,वसंत तपाक से बोल उठा बस भाभी आपके हुकुम का इंतज़ार हैं ,फिर देखना आप कैसे गोश्त को खाना पसंद करता हे आपका देवर ।
मधु और वसंत खुल के अर्ध नग्न बातें करते खाने का मज़ा ले रहे थे और मेरी परवाह दोनों मैं किसी को नहीं थी ओर हो भी क्यों । मैं भी मटन के हड्डियों को चुसता दोनों की दोहरी अश्लील बातें सुनता और हरकतों को बारीकी से नज़र गड़ाए देखता रहा ।
वसंत ने मधु को खींच कर कानों मे कुछ फुसफुसाया ओर मधु हस्ती हुई बोली देवर जी ये भी पूछने वाली बात है और फिर वसंत ने हल्के से मधु की कमर के ऊपर बंधी ब्लाउज की डोरी को खिंचा और दूसरे हाथ को नर्म चुचियों के एहसास के लिए ब्लाउज के निचले हिस्से से हाथ को अंदर सरकाया और डोरी तब तक खिंचती रही जब तक उसका हाथ मधु के संपूर्ण गोलाई के ऊपर अच्छी तरह चला न गया, मधु मदहोश सी आँखों को मूंद उसके स्पर्श को महसूस करती शांत बैठ गई ।
वसंत निर्भिग हो के चूची को सहलाता मसलने लगा और मधु की बाहों की पकड़ उसके गर्दन पर कसने लगी और वसंत का चेहरा मधु के नर्म गर्म चुचियों के दरार से जा मिला ।
अब वसंत संपूर्ण रूप से मधु की जकड़ मे बंध गया और अपने होटो से उसके नमकीन जिस्म को चूमने चाटने लगा और मधु सिसकियां भर्ती बोली देवर जी गोश्त खाना बाकी है ,वो दबा हुआ धीमे स्वर मे बोला जी भाभी वहीं तोह चख रहा हूं ।
मधु ने वसंत के बालों को कस के पकड़ के खिंचा और वसंत ने चूची को मसलते हुए तगड़े ढंग से दबाते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बची हुई डोरी को खींच कर जिस्म से अलग कर दिया ।
मधु ने सच ही कहा था कि इस दफ़े मेरे लिंग से गाढ़ा मुठ बहने वाला है ,दोनों के क्रीड़ा देख के उत्सुकता और रोमांच मेरे जिस्म मे भरने लगा था ।
बिना परेशानियों के कहीं शारीरिक सुख का मिलन हुआ है क्या अपने देश मे, जो अभी हो जाता ,दरवाज़े पर दस्तक सुनते ही सब चौक गए और मधु वसंत की गोद से उठ खड़ी हुई और ब्लाउज की डोरी को कस के बांध कर बोली ये शर्मा जी कबाब की वो हड्डी है जिसका इलाज़ ही नहीं ।
वो झुंझलाती एक मटन के टुकड़े को हाथों मैं लेती खुद के शारीरिक पहनावें को अच्छी तरह वेवस्तित करती हुई पायल बजाती कमर को मटकाती दरवाज़े की कुंडी खोलती हुए बोली नमस्ते भाईसाहब ।
शर्मा जी अपने पीले दाँतो को दिखाते बड़ी मुस्कान लिए बोले जी नमस्ते भाभी जी और अंदर प्रवेश कर के सीधे मेरी और बढ़ आए और मेरा तमतमाता लड़ सिकुड़ के मूंगफली सा हो गया और मैं बोला आईये बैठिये शर्मा जी ।
वो तिरछी नज़र से वसंत को देखते बोले मेहमान आया है , मधु दरवाज़े की कुंडी बंद कर के अंदर आई और बोली नहीं भाईसाहब ये तोह मेरा प्यारा देवर है ओर वसंत के केसों को सहलाती किचन चली गई। ।
शर्मा जी हँसते हुए बोले सोचा आप घर आए हुए है तोह आपके ओर भाभी के लिए पान बनवा लाया और मे उठ कर हाथ धो कर पान ले कर चबाने लगा और मधु को आते देख शर्मा जी बोले गुलकंद वाली पान लाया हूँ भाभी, मधु मुश्कुरते मन ही मन शर्मा को कोसते पान लेती हुई बोली धन्यवाद भाईसाहब और थाली उठाने लगी ।
वसंत ने बचे हुए मटन को ताज़े गोश्त की लालच मे नज़रअंदाज़ कर दिया और हाथ मुँह धो कर वही अलग कुर्सी पर बैठा रहा ।
करिब आधे घंटे शर्मा ने मोहल्ले की भकचोदी चोद कर बोले अच्छा अब इज़्ज़ाज़त दीजेए और मै दरवाज़े तक छोर कर कुंडी लगा वापस सोफे पर बैठ गया और मधु मुँह मे पान भर कर सामने बैठ गईं और बोली क्यों देवर जी ज़्यादा खा लिए क्या, वो बोला कहा भाभी , अभी अभी तोह सोचा खाने को पर आप ही खिलाना छोर दी ।
मधु ने अपने हाथ को सोफे पे पटक के वसंत को पास बुलाया और वो मधु के करीब बैठ गया ,मधु अपने हाथ को उसके झाग पर फेरती बोली बढ़ी मीठी पान है, वसंत कुड़ करता बोला वाह भाभी अकेले अकेले पान खा रही हों ,मधु ने बोला तुझे भी खाना है क्या देवर जी ,वो बोला हा ।
मधु ने घुटनों को सोफे पे मोड़ के घुटनों के बल खड़ी हो गई और बोली मुँह खोलो खिला देती हूँ ,वसंत मुँह खोल कर बोला खिलाओ ,मधु साड़ी को एडजस्ट करती उसके ऊपर चढ़ गई और होटो से होटो को मिला कर अपने मुँह से आधे पान के टुकड़े को उसके मुँह मैं दे कर वापस बैठ गई ।
वसंत पान चबाता बोला भाभी पान तोह सच मे मीठा है और आपके मुँह मैं कुछ देर रह के और भी रसिला हो गया हैं ।
दोनों असल मे कामुक्ता की तपन से जल रहे थे लेकिन अभी आग भड़की नहीं थी कि दोनों बेशर्म हो जाए ।