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Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
#13
"ओहो , कम आन , सागर ! अगर तुम्हें वैसा लगता है तो तुम कह सकते हो . शरमाते क्यों हो ? तुम भूल गए हो क्या , हम दोस्त हैं और एक दूसरे से खुलकर बोलते हैं “
"अहाँ . हम्म . दीदी ! हम दोनों दोस्त हैं " मैंने कहा , "वो . मैं . जरा ..... जाने दो .... लेकिन सचमुच आज तुम सेक्सी दिखती हो ."
"ओह . थैंक्स , ब्रदर !" संगीता दीदी ने खुश होकर कहा , "तुम्हें सचमुच लगता है कि मैं सेक्सी दिखती हूँ ? तुम्हारे जीजू का तो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं होता है ."
"जीजू का तो मुझे कुछ मालूम नहीं , दीदी . लेकिन अगर मुझसे पूछोगी तो मैं कहूंगा कि तुम अप्सरा जैसी लगती हो “
"Oho ! stop that, सागर ! अब और मुझे चने के पेड़ पर मत चढ़ा ."
"मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ , दीदी ! मैं अगर जीजू की जगह होता तो रोज भगवान का शुक्रिया अदा करता कि मुझे तुम्हारे जैसी सुन्दर और सुशील पत्नी दी . तुम्हे सच बताऊँ तो मैं हमेशा भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि मेरी शादी संगीता दीदी जैसी लड़की के साथ ही हो ."
"ओहो . सच , सागर ? " संगीता दीदी ने मुझे आँख मारते हुए कहा , "कभी बताया नहीं तूने मुझे ये ? तूने सचमुच मेरे जैसी लड़की के साथ शादी करनी है ? क्या मैं तुम्हारे लिए लड़की ढूँढ लूँ ? मेरे जैसी ."
"हाँ , दीदी ! जरूर ढूँढ लो . एकदम तुम्हारे जैसी होनी चाहिए !"
"ठीक है , सागर ! तो फिर अब भगवान से प्रार्थना करना बंद कर दे . मैं तुम्हारे लिए लड़की ढूँढ लाऊंगी . मेरे जैसी , सुन्दर और सुशील ."
"और सेक्सी भी ." मैंने उसे आँख मारकर कहा .
"चल !. नालायक कही का ." ऐसा कहकर संगीता दीदी ने प्यार से मुझे हलका सा चांटा मारा .
मेरी बहन के साथ प्यारी बातें करते करते मैं तो भूल ही गया कि बाहर रिक्शावाला हमारा इंतजार कर रहा हैं . फिर मैंने बैग उठाये और बाहर निकला .
संगीता दीदी ने घर लॉक किया और वो मेरे पीछे आयी . हम दोनों फिर रिक्शा से बस स्टैंड गए . बस हमें जल्दी ही मिली जो खंडाला रुकती थी . बस के सफर में पूरा समय मैं संगीता दीदी को हंसाता रहा था , मजेवाली बातें बताकर , जोक्स सुनाकर. वो हंसती रही और मुझे कहती थी कि मैं बहुत शरारती हो गया हूँ . सच तो ये था कि मैं जान बूझकर उसे हंसा रहा था जिससे उसका मूड अच्छा रहे और वो मेरे साथ और घुलमिल जाए . दस बजे के करीब हमारी बस खंडाला पहुँच गयी .

हम बस से उतर गए . मुझे एक होटल मालूम था जो बस स्टैंड से थोड़ा दूर था लेकिन अच्छा था . उस होटल में मैं पहले भी रह चुका था . बस स्टैंड से वो होटल दूर नहीं था इसलिए हम चल के वहां तक गए . संगीता दीदी को मैंने रिसेप्शन लाउंज मे बैठने के लिए कहा और मैं रिसेप्शन काउंटर पर गया . मैंने रिसेप्शनिस्ट को कहा कि मुझे एक लक्जरी एयरकंडीशंड डबलबेड रूम चाहिए . उसने मुझे रूम का भाड़ा वगैरा बताया . मैंने एक दिन का भाड़ा पे किया और होटल रजिस्टर में हमारा नाम और पता लिख दिया . रिसेप्शनिस्ट ने एक रूम बॉय को बुलाया और हमें हमारे रूम तक ले जाने के लिए कहा . उस रूम बॉय ने हमारे बैग उठाये और हम लोग लिफ्ट की तरफ चल दिए .
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा - by neerathemall - 06-03-2019, 04:01 AM



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