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Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
#7
किचन का दरवाजा पुराने स्टाइल का था यानी उसमें वर्टीकल गैप थे . वैसे तो वो गैप बंद थे लेकिन मैंने गौर से चेक करके मालूम कर लिया था कि एक दो जगह उस गैप में दरार थी जिसमें से अंदर का कुछ भाग दिख सकता था . नहाने की जगह दरवाजे के बिलकुल सामने चार पांच फुट पर थी . दबे पांव से मैं किचन के दरवाजे में जाता था और उस दरार को आँख लगाता था . मुझे दिखाई देता था कि अंदर संगीता दीदी साड़ी निकाल रही थी . बाद में ब्लाउज और पेटीकोट निकालकर वो ब्रा और पैंटी पहने नहाने की जगह पर जाती थी . फिर गरम पानी में उसे चाहिए उतना ठंडा पानी मिलाके वो नहाने का पानी तैयार करती थी .

फिर ब्रा , पैंटी उतारकर वो नहाने बैठती थी . नहाने के बाद वो खड़ी होकर टॉवेल से अपना गीला बदन पौंछती थी . फिर दूसरी ब्रा , पैंटी पहन के वो बाहर आती थी . और फिर पेटीकोट , ब्लाउज पहन के वो साड़ी पहन लेती थी . पूरा समय मैं किचन के दरवाजे के दरार से संगीता दीदी की हरकते चुपके से देखता रहता था . उस दरार से इतना सब कुछ साफ साफ दिखाई नहीं देता था लेकिन जो कुछ दिखता था वो मुझे उत्तेजित करने के लिए और मेरी काम वासना भड़काने के लिए काफी होता था .

वो सब बातें मुझे याद आयी और संगीता दीदी को लाने के लिए मैं एक पैर पर जाने के लिए तैयार हो गया . मुझे टाइम नहीं होता तो भी मैं टाइम निकालता . दूसरे दिन ऑफिस ना जा के मैंने इमरजेंसी लीव डाल दी और तीसरे दिन सुबह मैं पुणे जानेवाली बस में बैठ गया . दोपहर तक मैं संगीता दीदी के घर पहुँच गया . मैंने जान बूझकर संगीता दीदी को खबर नहीं दी थी कि मैं उसे लेने आ रहा हूँ क्योंकि मुझे उसे सरप्राइज करना था . उसने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही आश्चर्य से वो चींख पडी और खुशी के मारे उसने मुझे बाँहों में भर लिया . इसका पूरा फायदा लेके मैंने भी उसे जोर से बाँहों में भर लिया जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरी छाती पर दब गयीं . बाद में उसने मुझे घर के अंदर लिया और दिवान पर बिठा दिया .

मुझे बैठने के लिए कहकर संगीता दीदी अंदर गई और मेरे लिए पानी लेकर आयी . उतने ही समय में मैंने उसे निहार लिया और मेरे ध्यान में आया कि वो दोपहर की नींद ले रही थी इसलिए उसकी साड़ी और पल्लू अस्तव्यस्त हो गया था . मुझे रिलैक्स होने के लिए कहकर वो अंदर गयी और मुंह वगैरा धोके , फ्रेश होकर वो बाहर आयी . हमने गपशप लगाना चालू किया और मैं उसे गये दिनों के हाल हवाल के बारे में बताने लगा . बातें करते करते मेरे सामने खड़ी रहकर संगीता दीदी ने अपनी साड़ी निकाल दी और वो उसे फिर से अच्छी तरह पहनने लगी . मैं उसके साथ बातें कर रहा था लेकिन चुपके से मैं उसको निहार भी रहा था .

















[Image: a92440939b9514c92617e22758e57187.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा - by neerathemall - 06-03-2019, 03:58 AM



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