09-08-2020, 11:54 AM
लग गया फागुन , उनका फागुन , उनकी भौजाइयां
वो वाश बेसिन पर गए छुड़ाने , और मेरी जेठानी स्टोर से पिछली होली के बचे रंग का स्टॉक ला के मेरी सास को दिखा रही थीं , इतना बचा है आज शाम को मंगा लुंगी और , लेकिन ये पता नहीं केतना चटख होगा , ...
और मैंने सुझाव दे दिया , इनकी दोनों भौजाइयों को ,
" अरे आपके देवर हैं न चेक कर लीजिये उनके गाल पे , ... "
" बहू ठीक तो कह रही हैं , अब खाली गुझिया ही छानना है , मैं और बहू मिल कर कर लेंगे , तुम दोनों उठों न " सासू जी ने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,
बस कम्मो के हाथ में बैंगनी रंग और मेरी जेठानी के हाथ में गाढ़ा लाल रंग ,
वो वाश बेसिन पर , चेहरे का मैदा छुड़ाने में लगे थे ,
पीछे से दोनों भौजाइयां , मेरी जेठानी ने दोनों गाल अपने देवर के दबोचे
और कम्मो ने सीधे कुर्ते के अंदर हाथ डाला ,
" अरे बरामदे में नहीं , आंगन में ,... "
थोड़ी ही देर में देवर और दोनों भौजाइयां , आंगन में
मेरी जेठानी ने तैयारी पहले से कर रखी थी , आंगन में दो बाल्टियां थीं ,
एक में गाढ़ा लाल और दुसरे में नीला रंग घोल के उन्होने रख रखा था , और भाभी उनकी , बहोत तगड़ी , निशाना भी अचूक , ...
एक बार में ही पूरी बाल्टी उठाकर सीधे अपने देवर पर , उनका सफ़ेद कुरता , पाजामा , ...
पीछे से उनकी कम्मो भौजी ने उन्हें दबोच रखा था , और अपने बड़े बड़े ३८ डी डी , कड़े कड़े जोबन उनकी पीठ में रगड़ रही थीं ,
मेरी जेठानी का निशाना अचूक था , रंग सीधे उनके कुर्ते पर और फिर खूंटे पर , ( चड्ढी उन्होंने पहन नहीं रखी थी ) , पाजामा पूरा चिपक कर , एकदम साफ़ साफ़ , ...सब कुछ दिखता है वाले अंदाज में
लेकिन उनके देवर भी कम तगड़े चालाक नहीं थे ,
अपनी कम्मो भौजी को ढाल की तरह सीधे आगे , और कम्मो का आँचल देवर की बदमाशी से या आपधापी में नीचे सरक गया पता नहीं , पर
मेरी जेठानी की आधी बाल्टी का गाढ़ा लाल रंग सीधे कम्मो के ब्लाउज पर ,
ब्लाउज पूरा गीला होकर उसके बड़े बड़े उभारों से चिपक गया , और ब्रा वो पहनती नहीं थी ,...
ब्लाउज भी एकदम छोटा सा बस नीचे से उभारों को उभारे , उठाये और लो कट , चोली कट
इन्होने दोनों हाथों से अपनी कम्मो भौजी को पीछे से जकड़ रखा था ,
दोनों हाथ उसके चिकने पेट पर ब्लाउज जहाँ नीचे से शुरू होता था बस वहीँ ,
मैं समझ सकती थी इनकी हालत , और इनसे ज्यादा इनके खूंटे की हालत , ...
ऐसे मस्त बड़े बड़े जोबन , साफ़ साफ़ झलक रहे हों , मैं जान रही थी मन तो इनका कर रहा होगा , ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर , ब्लाउज फाड़ कर दबोच लें , ...
ये क्या कोई भी मर्द होता , ... होली हो , कम्मो ऐसी लाइन मारती , रसीली भौजाई हो , ब्लाउज के अंदर सेंध लगाने का ये मौका नहीं छोड़ता ,
पर ये भी न , ...
इनकी झिझक , सरम , लिहाज ,...
वो वाश बेसिन पर गए छुड़ाने , और मेरी जेठानी स्टोर से पिछली होली के बचे रंग का स्टॉक ला के मेरी सास को दिखा रही थीं , इतना बचा है आज शाम को मंगा लुंगी और , लेकिन ये पता नहीं केतना चटख होगा , ...
और मैंने सुझाव दे दिया , इनकी दोनों भौजाइयों को ,
" अरे आपके देवर हैं न चेक कर लीजिये उनके गाल पे , ... "
" बहू ठीक तो कह रही हैं , अब खाली गुझिया ही छानना है , मैं और बहू मिल कर कर लेंगे , तुम दोनों उठों न " सासू जी ने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,
बस कम्मो के हाथ में बैंगनी रंग और मेरी जेठानी के हाथ में गाढ़ा लाल रंग ,
वो वाश बेसिन पर , चेहरे का मैदा छुड़ाने में लगे थे ,
पीछे से दोनों भौजाइयां , मेरी जेठानी ने दोनों गाल अपने देवर के दबोचे
और कम्मो ने सीधे कुर्ते के अंदर हाथ डाला ,
" अरे बरामदे में नहीं , आंगन में ,... "
थोड़ी ही देर में देवर और दोनों भौजाइयां , आंगन में
मेरी जेठानी ने तैयारी पहले से कर रखी थी , आंगन में दो बाल्टियां थीं ,
एक में गाढ़ा लाल और दुसरे में नीला रंग घोल के उन्होने रख रखा था , और भाभी उनकी , बहोत तगड़ी , निशाना भी अचूक , ...
एक बार में ही पूरी बाल्टी उठाकर सीधे अपने देवर पर , उनका सफ़ेद कुरता , पाजामा , ...
पीछे से उनकी कम्मो भौजी ने उन्हें दबोच रखा था , और अपने बड़े बड़े ३८ डी डी , कड़े कड़े जोबन उनकी पीठ में रगड़ रही थीं ,
मेरी जेठानी का निशाना अचूक था , रंग सीधे उनके कुर्ते पर और फिर खूंटे पर , ( चड्ढी उन्होंने पहन नहीं रखी थी ) , पाजामा पूरा चिपक कर , एकदम साफ़ साफ़ , ...सब कुछ दिखता है वाले अंदाज में
लेकिन उनके देवर भी कम तगड़े चालाक नहीं थे ,
अपनी कम्मो भौजी को ढाल की तरह सीधे आगे , और कम्मो का आँचल देवर की बदमाशी से या आपधापी में नीचे सरक गया पता नहीं , पर
मेरी जेठानी की आधी बाल्टी का गाढ़ा लाल रंग सीधे कम्मो के ब्लाउज पर ,
ब्लाउज पूरा गीला होकर उसके बड़े बड़े उभारों से चिपक गया , और ब्रा वो पहनती नहीं थी ,...
ब्लाउज भी एकदम छोटा सा बस नीचे से उभारों को उभारे , उठाये और लो कट , चोली कट
इन्होने दोनों हाथों से अपनी कम्मो भौजी को पीछे से जकड़ रखा था ,
दोनों हाथ उसके चिकने पेट पर ब्लाउज जहाँ नीचे से शुरू होता था बस वहीँ ,
मैं समझ सकती थी इनकी हालत , और इनसे ज्यादा इनके खूंटे की हालत , ...
ऐसे मस्त बड़े बड़े जोबन , साफ़ साफ़ झलक रहे हों , मैं जान रही थी मन तो इनका कर रहा होगा , ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर , ब्लाउज फाड़ कर दबोच लें , ...
ये क्या कोई भी मर्द होता , ... होली हो , कम्मो ऐसी लाइन मारती , रसीली भौजाई हो , ब्लाउज के अंदर सेंध लगाने का ये मौका नहीं छोड़ता ,
पर ये भी न , ...
इनकी झिझक , सरम , लिहाज ,...