06-03-2019, 02:11 AM
में वरुण के मुहं से यह सब सुनकर बहुत हैरान थी और मुझे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था। फिर उसने मेरे दोनों पैरों को पकड़कर फैला दिया और वो खुद मेरे ऊपर लेट गया एक हाथ से उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे करने लगा और दूसरे हाथ से वो मेरे बूब्स को मसलने लगा। उसने मेरी सलवार को नीचे किया और अपनी पेंट और अंडरवियर को नीचे करके अपना लंड बाहर निकाला लिया। फिर वो मेरी पेंटी में अपना एक हाथ डालकर मेरी चूत को सहलाने लगा और में उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। मेरा सर सोफे से नीचे लटक रहा था और में पूरी ताक़त लगाने के बावजूद भी हिल नहीं पा रही थी। उसने मेरी पेंटी को साईड से हटाकर लंड का टोपा मेरी चूत में रख दिया.. में लाचारी से उसकी तरफ देख रही थी। फिर उसने एक ज़ोर का झटका मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया.. मेरी तो जान ही निकल गयी। फिर दूसरा झटका दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर। अब में दर्द से मरी जा रही थी और मेरी दोनों आँखों से गरम गरम आंसू निकल रहे थे और वो लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था और अब मैंने विरोध करना बंद कर दिया। वो भी मुझे चोदने का मज़ा लेने लगा.. मैंने अपनी दोनों आखें बंद कर ली.. लेकिन आंसू नहीं रुके.. इतना दर्द मुझे कभी नहीं हुआ।
फिर उसने मेरा कुर्ता खोलना चाहा.. लेकिन मेरे दोनों हाथ बंधे होने के कारण वो सिर्फ़ कंधे तक ही मेरा कुर्ता खोल पाया। वो मेरी गर्दन, कंधे, गाल और पीठ पर किस करता रहा। में लगभग बेहोश हो चुकी थी.. तभी वो बहुत घबरा गया और उसने मेरा मुहं खोल दिया.. लेकिन मैंने कोई हलचल नहीं की। फिर उसने पानी लाकर मेरे मुहं पर मारा तो मुझे थोड़ा होश आया और मैंने उससे कहा कि प्लीज़ मुझे खोल दो तुम्हें जो करना है कर लो.. लेकिन धीरे धीरे। वो बहुत खुश हो गया और मुझे किस करने लगा। फिर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और उसका लंड 6 इंच का बिल्कुल तना हुआ था और उस पर मेरी चूत का खून लगा हुआ था। तो उसने रुमाल से खून को साफ किया और लंड को मेरे होठों पर रख दिया। मैंने मुहं हटा लिया.. लेकिन उसने दोनों हाथ से मेरे मुहं को पकड़ लिया और कहा कि प्लीज़ ले लो ना.. नहीं तो मुझे फिर से ज़बरदस्ती करनी पड़ेगी। अब मेरे पास कोई और रास्ता भी नहीं था.. मैंने होंठ को हल्के से खोला और उसके लंड के टोपे को मुहं में लिया और फिर में उसके लंड को धीरे धीरे चूसने लगी और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी।
फिर उसने मेरा कुर्ता खोलना चाहा.. लेकिन मेरे दोनों हाथ बंधे होने के कारण वो सिर्फ़ कंधे तक ही मेरा कुर्ता खोल पाया। वो मेरी गर्दन, कंधे, गाल और पीठ पर किस करता रहा। में लगभग बेहोश हो चुकी थी.. तभी वो बहुत घबरा गया और उसने मेरा मुहं खोल दिया.. लेकिन मैंने कोई हलचल नहीं की। फिर उसने पानी लाकर मेरे मुहं पर मारा तो मुझे थोड़ा होश आया और मैंने उससे कहा कि प्लीज़ मुझे खोल दो तुम्हें जो करना है कर लो.. लेकिन धीरे धीरे। वो बहुत खुश हो गया और मुझे किस करने लगा। फिर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और उसका लंड 6 इंच का बिल्कुल तना हुआ था और उस पर मेरी चूत का खून लगा हुआ था। तो उसने रुमाल से खून को साफ किया और लंड को मेरे होठों पर रख दिया। मैंने मुहं हटा लिया.. लेकिन उसने दोनों हाथ से मेरे मुहं को पकड़ लिया और कहा कि प्लीज़ ले लो ना.. नहीं तो मुझे फिर से ज़बरदस्ती करनी पड़ेगी। अब मेरे पास कोई और रास्ता भी नहीं था.. मैंने होंठ को हल्के से खोला और उसके लंड के टोपे को मुहं में लिया और फिर में उसके लंड को धीरे धीरे चूसने लगी और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.