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Thriller कामुक अर्धांगनी
#34
मधु के ऐसा बोलते ही मेरा लड़ फ़नफना उठा और मधु ने अपने हाथ से सहलाते हुए बोला उफ्फ आपका ये लड़ भी ना मेरी गर्म जवानी को देख के कड़क नहीं होता लेकिन मेरी गंदी बातें और ग़ैर मर्द की बातों से कड़क हो जाता हैं, 
ख़ैर मॉफ किजेए जी मे इस तड़पते लड़ को नहीं शान्त करने वाली, अब तो आप वैसे ही झड़ेंगे जैसे थोड़ी देर पहले झड़े थे ,एक पराए मर्द के स्पर्श को मेरे मुलायम नग्न कमुक बदन पर देख कर ।

वो इठलाती मुस्कुराती कमर मटकाती पायल बजाती खाने के थाली को हाथों मे लिए चलती हुई बोली चलिए आईये वादा है इस बारी ज़्यादा गाढ़ा मुठ बहे गा आपके लड़ से जब आप सामने बैठ कर अपनी अर्धांगनी को शेर को उकसाते देखेंगे ।

मैंने अपने कमुक लड़ को साइड कर फसाया और मधु के पीछे पीछे चलने लगा,वो खुशी से लबरेज़ और उत्साहित मुद्रा में थाली को टेबल पर रख कर वसंत के केसों को सहलाती बोली अरे ये क्या मेरे देवर का चेहरा उतरा हुआ क्यों है भला ,वो झूठी मुश्कान लिए बोला कहा भाभी ।

मधु दो ही थाली लगाई थी ,पहले मुझे थाली देती बोली लिजेए और फिर कमर को मटकाती घूम के वसंत के बगल में खड़ी होते हुए बोली उफ्फ्फ क्या करूँ मैं इस मुड़ियल देवर का अजीब मुँह लटकाए बैठा है, मैं बोला वसंत क्या बात हो गई ,वसंत किसी तरह नज़रे मिलाता बोला कुछ भी नहीं भाई साहब और फिर से सर को झुका के आत्मग्लानि मे खो सा गया ।

मधु बोली आज के दिन सोची देवर के साथ खाना खाऊँगी पर हाये रे फूटी किस्मत मेरी, ये तोह मुँह फुलाए बैठा है ।

वसंत चाह के भी पसोपेश से बाहर नहीं निकल पा रहा था और मधु अपनी चाल चले जा रही थी ।

खैर जो भी हो रूठे देवर को कैसे मनाना है मैं जानती हूँ और वो रोटी के टुकड़े को मटन के ग्रेवी मे डुबो कर अपने हाथों से वसंत को खिलाई और वो झुकें सर को उठाने की हिमाक़त तक नहीं कर पा रहा था ।

मधु की चूड़ियां खन खन करती थाली से टकराई और वो दूसरा निवाला उसके मुँह मे देती बोली बढे निःठुर हो देवर जी ,मैं आपको प्यार से खिलाएं जा रहीं आप मुझे नहीं खिलाओगे क्या ।

वसंत थोड़ी हिमंत कर एक टुकड़े को मधु के मुँह के पास ले जाते बोला भाभी लिजेए ,  हये राम खड़े खड़े खाऊँगी क्या और झट से वसंत की गोद मे बैठ गई और बोली लाओ खिलाओ अब ।

मधु ने बाहों को उसके गर्दन पर रख कर अपनी दायीं नर्म बड़ी चूची को उसके मर्दाना छाती पर दबाती उसके बाँये हाथ को दूसरे हाथ के नीचे करती अपनी गदराई गांड को उसके घबराए लड़ के ऊपर रख दी ।

वसंत हल्का हिल डोल कर के अपने सोए लौड़े को कैसे भी कर के मधु की दरारों पर एडजस्ट किया और ज्यूँ ही ओ अपने हाथ को मधु के मुँह तक ले गया तोह उसके बाएं चुचियों पर वसंत के हाथ का स्पर्श हुआ और मधु ने वसंत की उँगलियी को अपने दांतों तले दबा लिया और वो सकपका के हाथ हिलाता मधु के हिलते दूध को अनजाने मे सहलाने लगा ओर मधु उसके उँगलियी को जीभ से चाटने लगी ,वसंत ने तुरंत ही विरोद्ध त्याग दिया और मधु की आंखों मैं देखता उँगलियों को थोड़ा और मुँह मे जाने दिया और मधु ने भी खुल के उसके उँगलियों को चूस कर उसके डर को भगा दिया ।

वसंत ने बड़ी हिमंत दिखाते अपने दूसरे हाथ को मधु के साड़ी के नीचे सरका कर कमर सहलाता नाभी के छिद्र को उंगली से सहलाने हुए बोला भाभी जी और चूसना है या खाना भी खाओगी ,मधु ने झट से मुँह खोल कर उसके उँगलियों को रिहा किया, पर वो होटो को सहलाता अपने उँगलियों को हटाया जिससे मधु उतावली सी होती वापस कामुक्ता के भवर मैं गोते लगाने लगी और वसंत झटके से मधु के कमर को खिंचता बोला भाभी साड़ी फ़िसल रही हैं, मधु शर्म हया ओढे बोली अब कहीं अटकी ही नहीं तोह फ़िसलेगी ना ,वसंत कमर को कस कर जकड़ते बोला अभी फ़िसलन है कैसे अटकेगी आप ही मदत कर दो ,वो लिपटती हुई बोली लो अब नही फ़िसलने वाली पकड़ ली अच्छे से तुझे ।


मधु ने दोनों हाथों से वसंत की गर्दन जकड़ लिया और उसके दूसरे हाथ के सरारत का महसूस करती उसके गोंद मैं इठलाने लगी ।

वसंत ने कुछ देर मधु को प्यार से खिलाया और बोला भाभी मुझे भी भूख लगी है ,वो बोली देवर जी आपकी हर भूख मिटा दूँगी और उसके कमर पर फिरते हाथ को हटा कर खड़ी हुई और दूसरी तरफ से गोद मे जा बैठी और हाथों से खिलाती बोली पेट भर खाओ देवर जी ।

वसंत अपने हाथ को मधु के नंगे पीठ पर आहिस्ता आहिस्ता फेरता बोला पेट कैसे भरेगा आपके साथ भाभी जी भूख तोह हमेशा लगी रहेगी चाहें जितना भी खाऊंगा ।

वसंत ने तिरछी नज़र मेरी और किया, हल्की मुश्कान सजाये अपने दूसरे हाथ को मधु के पेट पर सहलाता हुआ पल्लू के सहारे मुझसे छुपाता चुचियों पर रख कर बोला भाभी खाना अभी भी बहुत गर्म है, मधु इठलाती अपने पैरों को हिलकती पायल बजाती बोली जब तक तुम खा न लो ऐसे ही गर्म रहेगी इतनी जल्दी ठंडी नहीं होने वाली, वसंत हल्के हल्के चुचियों को दबाते बोला और खिलाओ न भाभी ।


इतना नर्म ओर गर्म खेल देख मुझे उतेजना ने घेर लिया और मटन की हड्डियों को चुसता सोचने लगा काश वसंत का चूस पाता ।
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Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 08-08-2020, 11:55 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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