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Thriller कामुक अर्धांगनी
#31
मधु का बदन वसंत की उँगलियों के फेरने से हल्का हल्का इठलाने लगा जिसकी वजह से वो लगभग अपने आप को वसंत के जिस्म पर दबाती आधी लेट सी गई और वसंत का एक हाथ उसके नग्न पीठ पर पहुँच गया और आहिस्ता आहिस्ता वो आराम से उँगलियों फेरता मधु को पराये मर्द के अनोखे स्पर्श का अनुभव प्रदान करने लगा ,मधु की चुचिया पूर्ण रूप से वसंत के बदन पर दब चुकी थी और उसका चेहरा उसके पीठ पर पहुँच गया ,मधु अपने दोनों हाथों को वसंत के कमर पर आहिस्ता से फेरने लगी जबकि उसका चेहरा संपूर्ण रूप से मधु के आधे जिस्म के तले खो गया ।

वसंत निःसंकोच मधु के इठलाते जिस्म को महसूस किए जा रहा था और मधु भी खुल के उसके स्पर्श से रोमांचित होती निहाल होती चली जा थी ,मधु के गाल वसंत के कमर पर थे लेकिन उसकी मदहोश होती आँखे मेरी तरफ़, गर्म सासों का सैलाब वसंत महसूस ज़रूर कर रहा था , उसके सहलाने से वो लगभग निढ़ाल पड़ती जा रही थी और ललाट पे कई कामुक सिकन उभर आई थी और हॉट सुख रहे थे, आँखे आधी खुली मदहोश हो चुकी थी ।


मधु ने धीरे से वसंत के फोल्ड शर्ट को खींच के ऊपर किया और अपने हाथों को उसके नग्न जिस्म पर फेरने लगी और धीरे धीरे उसने शर्ट को इतना उठा लिया कि वो अपने तपते गर्म गालो की तपन उसके गर्म जिस्म को महसूस करा सके।

मधु ने एक झलक मेरी और देखा उसकी आँखें पूर्ण रूप से हवस से डूबी हुई थी और वो अपने सुर्ख़ लाल सूखे लबों को वसंत के नग्न बदन पे ले जाती चूमने लगी और उसके हॉट की लाली सावले जिस्म पर एक निसान बना दिया ।

मधु के चुंबन से वसंत इठलाता मधु को जोर से जकड़ के अपने ऊपर दबाने लगा और मधु उसके कमर को चुम्बन की लालिमा से लबरेज़ करती चली गयी।


अब मधु की तेज सासों की आवाज़ हॉल के सन्नाटे को भेदने लगी और वसंत के मजबूत जकड़न से चित्कारिया फूटने लगी और अनायास ही वसंत की उँगलियों के बीच मधु के ब्लाउज की डोरी आ गई और वसंत ने खिंच दिया जिससे मधु सिहर सी गई और वसंत ने कंधे के ऊपरी डोरी को दोनों और झूलने दिया और गर्दन को हाथों से सहलाता धीरे से पल्लू खिंचता चला गया और पल्लू बदन से अलग हो के फर्श पर गिर गया ।

मधु तपिस मे खुद के तेज सासों से लड़े चली जा रही थी कि वसंत ने अपने दोनों हाथों को मोड़ कर उसके कखो पर रख दिया और इस स्पर्श से वो बेताब हो उठी और अठहठहठहठहठहठह करती बोली देवर जी अहह और उठ बैठी ।

मधु पूरी तरह जल रही थी लेकिन न जाने क्यों वो उठते ही वसंत के हाथों को अलग करती अपनी ब्लाउज की डोर को बांध कर पल्लू से आधी चूची ढक कर बोली देवर जी चलिए बहुत आराम कर लिया अब खाना खा लिजेए ।


वसंत धीरे से मधु की गोद से उठ कर बैठ गया लेकिन अपने सख्त लड़ को छुपा न पाया जिसे देख मधु होटो को दबा के खड़ी हुई और बोली सुनिए जी चलिए आप दोनों मुँह हाथ धो लिजेए मे खाना लगाती हु ।
वसंत लज्जा से मेरी और देख नहीं पाया और लड़ को पैंट पे फसा मेरे पीछे पीछे बेसिन तक आया और हाथ धो के चुप चाप जा कर बैठ गया ।

 मैं किचन मे पहुँच कर मधु को बाहों मे दबोच कर बोला वाह मेरी जानेमन क्या खेल खेला है ,शेर को बकरी दिखा कर रस्सियों से जकड़ दिया ,वो कोहनी मारती बोली तोह क्या झटके से खुद को खाने दे देती वो भी पल भर की मस्ती के बाद ।

मैंने मधु के सामने घुटनों पे बैठ गया, वो बिना बोले टांग उठा कर कंधे पर रखती मुझे साड़ी के अंदर छुपा कर बोली ध्यान रहे सुख जानी चाहिए रात अभी बाकी है। मैं लपालप मधु की गीली चुत को जीभ से चाटने लगा और तरो ताज़ा चुत का रासपान करने लगा । चुत की मनमोहक खुसबू और ताज़ा रस पा कर मेरे बदन मे मर्दाना ताकत समाने लगा ।

तकरीबन दस मिनट अंधेरी गीली गुफा से रस पान करने के बाद जब मैं बाहर निकला तोह मधु हस्ती हुई घुटनों पर बैठ गई और मुझे चूमने लगी ,कुछ देर दोनों एक दूसरे के होटो का रस चुसते जीभ एक दूसरे के मुँह मे डालते खोए रहे फिर मधु मुझसे अलग होती बोली आपने सच कहा था कि गैर से चुद जाओ ,वसंत के साथ ये अनोखा एहसास मुझे आपकी वज़ह से मिला और इसके लिए मैं आपकी कायल हु और आपके हर गंदे शौक को अब मैं पूरा करूँगी ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 08-08-2020, 01:35 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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