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Thriller कामुक अर्धांगनी
#29
मधु ने वसंत के केसों को उँगलियों से सहलाते बोली देवर जी सो गए क्या ,वो मदहोश सुस्त आवाज़ मे बोला नहीं भाभी और मधु ने अपने हाथ को नीचे साइड करती हुई उसके गालो को सहलाती बोली खाना खा लो ,वो बोला भाभी प्लीज थोड़ी देर ओर ऐसे ही सोने दीजेए न और उसने कस कर मधु की कमर को जकड़ लिया और मधु उफ्फ करती सिहर उठी ओर मेरी तरफ देखने लगी ।


मैं मंद मुश्कान के साथ बोला मधु देखो वसंत बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह कैसे सो रहा है ,देख के लगता है वो तुम्हारे गोद मे आ के सुकून महसूस कर रहा हो,मधु उसके गालो को सहलाती बोली ये मेरा सबसे प्यारा देवर है, बरसों बाद भाभी का स्नेह और प्यार मिला है ना इसे ।

वसंत अपने दोनों हाथों की उंगलियां फसाए मधु के कमर को जकड़ रखा था और उसके स्पर्श से बेसक उसकी नग्न चुत चीत्कार मारने लगी थी ओर संयम की बांध टूटने को बेताब थी लेकिन धर्य रखना मधु को भली भांति आता है ,वो खुद को इस कदर बेबस करना चाहती थी कि जब मिलन हो वो हवस के बसिबुथ रहे और हर तरह की मर्यादा और सीमा तोड़ दे ।

मधु हल्का झुक गई और अपने मदमस्त चुचियो को वसंत के सर पर दबाती उसके पीठ को सहलाती हल्का मसाज सा करने लगी और मुझसे बोली आज भगवान ने आपको एक प्यारा सा भाई दिया है, अब आप इकलौते नहीं है ,ये नटखट आपका छोटा भाई और मेरा देवर है ।


विल्कुल मधु आज से ये मेरा भाई है और तुम्हारा सरारती देवर है ,मैं हँसते हुए मधु को बोला वैसे एक खयाल आया बोलो तोह कह दु ,मधु अपनी उंगलिया वसंत के पीठ पर दबाती बोली जी बोलिये न ।

ये जो खाली कमरा है जो बंद पड़ा रहता है ये कल साफ कर दो, तुम्हारा नटखट देवर क्यों न हम दोनों के साथ ही रहे, क्यों भैया भाभी के होते किराये के मकान मे रहता है और बाहर खाता पीता है ,यहां रहेगा तोह तुम्हारा व मन लगा रहेगा वैसे भी मे तोह जब भी बाहर जाता हूँ तेरी चिंता लगी रहती है और जब छोटा भाई रहने लगेगा तोह मे भी निश्चिन्त रहूंगा ।


मधु होटो पे बड़ी मुश्कान लिए बोली सच , ये तोह और भी अच्छा होगा और मैं रोज देवर जी को अपने हाथों से गर्म गर्म खाना खिलाऊंगी और खूब प्यार दूँगी , देखिये न बेचारा कैसे कस के पकड़ा है मुझे ,ऐसा मालूम होता है कि बरसों से तन्हा अकेला हो ।

मधु ने बड़ी कुशलता से वसंत के मर्दाना जिस्म को उंगलियों से दबाती अपनी मंशा जाहिर किये जा रही थी और बस एक धागे सी पतली परत ही दोनों के बीच थी अन्यथा ये दोनों हवस की आग बुझा चुके होते ।


इस मनोरम घड़ी के दृश्य को देख के मेरा मन प्रफुलित था और मधु बेहद खुश थी और मुझे बोली सुनिए जी ज़रा ठंडा तेल दीजेए तोह,मैं अपने देवर जी के रूखे बालों मै लगा दु ये तोह बिल्कुल भी बालों का ख्याल नही रखता ,वसंत धीमे स्वर मे बोला भाभी अब आप मिल गयी भैया जी मिल गए अब और कुछ पाने की लालशा नहीं ,मधु उसके सर पे हल्का चपत मरते बोली अभी कहा सब पाया तूने अभी अभी तोह बस भाभी की गोद मिली है, प्यार ढेर सारा प्यार दूँगी अपने देवर को मैं ।


वसंत खुशी जाहिर करते मधु की कमर को अलग अंदाज मैं छुवा और उसके इस छुवन से मधु रोमांचित हो गयी और अब वसंत का एक हाथ मधु के साड़ी की गांठ के पास तोह दूसरा ब्लाउज की डोरी के पास था ।

मैंने मधु के हाथों मैं नवरत्न तेल दिया और वो वसंत के केसों को हल्के हाथों से सहलाने लगी और एक मंद मंद खुसबू बिखरने लगी ,वसंत के शर्ट का कॉलर खिसका के मधु ने अच्छी तरह उसके गर्दन मे भी तेल लगा कर सहलाया और वसंत ने उत्ज़ेना वश मधु के नग्न कमर और पीठ पर आहिस्ता से अपनी  उँगलियों फेरी जिससे मधु तपने लगी ,वो आहिस्ता से वसंत को सहलाती और खुद उसके छुवन से रोमांचित होती ।


ये क्रीड़ा देख के मेरी हालत यू होने लगी कि मानो चिल्ला के कहु मधु अब रहा नहीं जाता ।
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Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 07-08-2020, 06:18 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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