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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#4
        "मालूम हैं तो इतने सारे घर को छोड़कर रोज उसी घर के आँगन में भिखारी की तरह क्यों खड़ा हो जाता हैं ?"

        "भो-भो।" शायद भिखारी का ये सवाल का कोई शब्द कुत्ते को चुभ गया, इसलिए ही शायद उसने गुस्से से भौककर अपना आक्रोश व्यक्त किया।

         "माफ कर दे भाई। भिखारी तो मैं हूँ तू तो मालिक हैं उस घर का, तभी शायद इतने घर छोड़कर रोज पिटाई होने पर उसी घर के आँगन में जाकर बैठता हैं।" भिखारी की बात सुनकर कुत्ता शांत हीं नहीं हुआ, बल्कि उसकी गर्दन भी गर्व से तन गई।

       "मेरी बात सुनते हीं इसके शरीर में आई अकड़ को देखकर तो ऐसा लगता हैं, जैसे सही में यही उस घर का मालिक हैं। कहीं ये पिछले जन्म में उस निर्दयी महिला का ससुर तो नहीं था, जो रोज इसकी पिटाई करती हैं ? इससे पूछकर देखता हूँ। भाई, तू अनोखेलाल हैं क्या ?"

         भिखारी के सवाल का जवाब कुत्ते ने 'हाँ' कहने के अंदाज में सिर हिलाकर दिया।

        "वाह रे ऊपरवाले, तेरी लीला की जितनी तारीफ की जाए कम हैं। जिस आदमी ने जीवनभर सिर्फ इसलिए कभी खुद भरपेट खाना नहीं खाया और कभी किसी भूखे भिखारी या भूखे जानवर को अपने घर से रोटी का एक टुकड़ा तक नहीं दिया कि उसके घर की अगली पीढ़ियों को किसी चीज की कमी न हो, लेकिन आज इस बेचारे को उसी घर की दूसरी पीढ़ी एक रोटी देने से बचने के लिए पीटकर भगा रही हैं। इससे भी मजेदार बात ये हैं कि इसने अपनी जिस बड़ी बहू को मायके से भारी-भरकम दहेज लाने की वजह से हमेशा सिर पर बिठाकर रखा, वही इसे देखते हीं इसकी पिटाई शुरू कर देती हैं और इसने अपनी जिस छोटी बहू को कम दहेज लाने की वजह से हमेशा तिरस्कृत किया, वही इसकी बड़ी बहू से छिपाकर मुझे हर रोज जो तीन रोटिया देती हैं, उसमें से एक रोटी इसे खाने को मिलती हैं और ये एक रोटी वह आदमी अपने हिस्से में से देता हैं, जिसे ये अपने घर की दहलीज पर भी पैर रखने देता था।" भिखारी की बात सुनकर कुत्ते का सिर अफसोस और शर्मिन्दगी से झुक गया।

         "भाई, अब दुखी होना बंद कर और जल्दी से उठकर घर के पीछे चला जा। छोटी बहू आ रही हैं, मैं चुपके से उससे रोटी लेकर घर के पीछे आता हूँ।" भिखारी की ये बात सुनते ही कुत्ता उठकर उसी पिंक कलर के घर की बगलवाली पतली गली में जाकर अदृश्य हो गया, जिस घर से उसे थोड़ी पहले भगाया गया था।

          कुत्ते के जाने के बाद भिखारी ने पास रखी फटे और मैले चादर की गठरी उठाई और जाकर उस पिंक कलर के घर की बाउंड्रीवाल की ओट में ऐसी जगह पर खड़ा हो गया कि उस घर के द्वार और आँगन में खड़े व्यक्ति को वह नजर न आए।

          कुछ पलों के बाद शक्ल-सूरत और हाव-भाव से काफी संस्कारी नजर वाली अट्ठाइस से तीस बर्ष के बीच की आयु की एक महिला बाउंड्री के गेट से बाहर निकली और गली में दोनों तरफ देखने के बाद भिखारी के पास पहुँची।

        "लीजिए।" कहने के साथ ही उस महिला ने अपनी साड़ी के पल्लू नीचे छिपा हाथ आगे बढ़ाकर अखबार लपेटकर पैक की गई रोटिया और एक ट्रांसपरेंट पाॅलिथिन में पैक सब्जी भिखारी को थमा दी।

       "आज कहीं बाहर जा रही हो बिटिया ?" भिखारी ने दोनों चीजें अपने कपड़ों में छिपाते हुए सवाल किया।

        "जी बाबा।" उस महिला ने जवाब दिया।

        "कहाँ ?"

        "बाद में बता दूँगी, अभी मेरे पास टाइम की थोड़ी कमी हैं।"

        "ठीक हैं। भगवान तुम्हारे और तुम्हारे बेटे की रक्षा करें।" कहकर भिखारी उसी पतली गली में चला गया, जिसमें कुत्ता गया था।

        "अरे वाह भाभी, आज तो आप बिलकुल नई-नवेली दुल्हन की तरह लग रही हैं, कहीं किसी फंक्शन में जा रही हैं ?" भिखारी के जाने के बाद वह महिला घर के भीतर जाने के लिए मुड़ी हीं थीं कि निहारिका का स्वर उसके कानों में पड़ा तो उसे अपने पैरों को ब्रेक लगाना पड़ा।

          "हाँ।"

          "कहाँ ?"

          "चलते-चलते बता दूँगी। मैं और विकास भी तुम्हारे साथ हीं बस स्टाॅप तक चल रहे हैं।"

          "यानि, हर्षित भी आपके साथ जा रहा हैं ?"

          "हाँ, आज तुम उसकी लिव एप्लीकेशन स्कूल में दे देना। मैं अपना बैग और हर्षित को लेकर आती हूँ।" कहकर वह महिला तेजी से कदम बढ़ाती हुई घर के अंदर चली गई।

                                          ..............

           भिखारी जिस पेड़ के नीचे बैठकर कुत्ते के साथ रोटियो का बँटवारा कर रहा था, वहाँ पर आसपास हीं कहीं जमीन की खुदाई होने की आवाज आ रही थीं जो सम्भवतः उसी पिंक कलर के मकान पीछे के छत विहिन भाग से आ रही थीं।

         "बड़ी मालकिन तो बहुत ज्यादा शातिर निकली, छोटी मालकिन को अखंड रामायण के पाठ में भेज दिया और घर के आधे से ज्यादा जेवर यहाँ गड़वा रही हैं, ताकि कभी दोनों भाइयों के बीच बँटवारा हो तो ये जेवर वो अकेली हड़प ले।" खुदाई की जगह से हीं आ रही किसी महिला की आवाज सुनकर भिखारी के कान खड़े हो गए।

          उसने सामने रखे भोजन से ध्यान हटाकर अपना पूरा ध्यान आवाज की दिशा की ओर केन्द्रित कर लिया।

         "बेवकूफ, ये गहने यहाँ छुपाने का इतना सीधा कारण नहीं हैं। इसके पीछे बड़ी मालकिन की जो योजना हैं, उसे सुनकर तेरे पैरों के नीचे की जमीन खिसक जाएगी।" उसी जगह से एक पुरुष का स्वर सुनाई दिया।

        "तू उस योजना के बारे में नहीं बताएगा क्या ?"

       "अरे, तू तो मेरी जान हैं। तुझे नहीं बताऊँगा तो तू मुझसे नाराज हो जाएगी और मैं बड़ी मालकिन की नाराजगी मोल ले सकता हूँ पर तेरी नाराजगी मोल नहीं ले सकता। पर मैं तुझे ये योजना इस शर्त पर बताऊँगा कि तू इसके बारे किसी को भी नहीं बताएगी।"

         "किसी को नहीं बताऊँगी, अब जल्दी से बता दे।"

          "आज रात में इस घर में कालिया गैंग लूटपाट करनेवाली हैं, लेकिन अपनी मर्जी से नहीं बल्कि बड़ी मालकिन के कहने पर। असल में बड़ी मालकिन इस लूटपाट की आड़ में छोटी मालकिन और उसके बेटे को कालिया गैंग के हाथों से मरवाने वाली हैं, ताकि छोटी मालकिन के घर और कारोबार में अपना हिस्सा लेकर अलग होने की माँग से उन्हें हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए, लेकिन बड़ी मालकिन ये भी नहीं चाहती हैं कि घर के सारे जेवर कालिया गैंग के हाथ लग जाए, इसलिए आधे से ज्यादा यहाँ छुपाने लगा रही हैं।"

            "क्या कह रहा हैं तू ?"

            "मैं बिलकुल सही बोल रहा हूँ। मैंने खुद बड़े मालिक और बड़ी मालकिन के कहने पर कालिया से बात की और उसे इस बात के लिए राजी किया कि वो आज रात को बारह से एक बजे के बीच अपने साथियों के साथ इस घर पर धावा बोलकर छोटी मालकिन और उनके बेटे का काम तमाम कर दे और घर के सारे गहने, पैसे और कीमती लूटकर ले जाए। कालिया को शक न हो कि उसके साथ धोखा किया गया हैं, इसलिए बड़ी मालकिन लगभग आधे से थोड़े कम जेवर उसके लिए छोड़ रही हैं।"

          "लेकिन छोटी मालकिन तो इन लोगों के किसी रिश्तेदार के घर गई हुई हैं।"

         "वो रात के आठ-नौ बजे के आसपास लौटकर आ जाएगी, उसके बाद घर बाकि सब लोग सुबह तक लिए रामायण पाठ में शामिल होने चले जाएँगे। घर में दोनों माँ-बेटे हीं रहेंगे, इसलिए इसलिए छोटी मालकिन और उसके बेटे की लूटपाट के दौरान हत्या हो जाने और परिवार के बाकी सदस्यों के बच जाने पर कोई सवाल भी नहीं उठाएँगा।"

        "मतलब, साँप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। पर इससे तेरा क्या फायदा होगा ?"

        "मुझे बीस हजार रूपए मिलेंगे, जिससे मैं तुझे तेरी मनपसंद झुमकी खरीदकर दूँगा।"

         "सचमुच तू बहुत अच्छा हैं। जब जो बोलती हूँ, खरीदकर दे देता हैं। एक मेरा पति हैं जो खुद कुछ खरीदकर देगा नहीं और कोई खरीदकर दे तो दस तरह के सवाल करेगा।"

         इतना सुनने के बाद भिखारी ने आगे की बातचीत से अपना ध्यान देकर कुत्ते से कहा- "आज तू मेरे हिस्से का भी खाना खा लें। मेरी अन्नदाता की जान खतरे में हैं, इसलिए मैं खाना खाने में समय खर्च न करके उसकी जान बचाने की कोशिश करूँगा। तू खाना खा, मैं जा रहा हूँ।"

        लेकिन भिखारी खड़ा होने के बाद अपने कदम आगे बढ़ा पाता,  इससे पहले ही कुत्ते ने उसकी धोती का एक किनारा पकड़ लिया।

        "तो तू भी मेरे साथ चलना चाहता हैं, चल भाई, एक से भले दो।" कहकर दोनों साथ चल दिए।

                                    ..............

         "डोंट वरी मैडम जी, मेरे रहते कालिया गैंग मेरी बहना और भान्जे को छू भी नहीं पाएगी, इसलिए आप अपना और मेरी बहना का बीपी बढ़ाना बंद कीजिए और घर जाकर आराम से सो जाइए, मैं सब सम्भाल लूँगा।" निहारिका की बात सुनकर सोफे पर लेटने जैसी स्टाइल में बड़े आराम से बैठे सत्ताईस-अट्ठाइस वर्षीय युवक ने लापरवाही के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की।

         "देखिए, आपकी सुलेखा भाभी के साथ जो भी रिश्तेदारी हैं, आप दोनों के बीच ही रखिए। मैं सुलेखा भाभी से बात कर रही हूँ इसलिए प्लीज आप बीच में मत बोलिए। डू यू अंडरस्टैंड ?" निहारिका ने उस युवक आक्रोशित लहजे में जवाब दिया।

         "जी मैडम जी।" कहकर उस युवक ने अपनी आँखें बंद कर लीं।

         "निहारिका, तुम्हें मेरे भाई ........।" निहारिका ने सुलेखा की बात काटकर अपनी बात शुरू कर दी- "भाभी, आप भी अपनी बकवास बंद कीजिए। ये तो बाहर के हैं, इसलिए इन्हें कालिया गैंग की ताकत समझ न आने की बात समझ में आती हैं, पर आप तो करीब दस साल से इसी शहर में रह रही हैं, इसलिए आपको कालिया गैंग की ताकत का अनुमान होना चाहिए, लेकिन आप भी मेरी बात सुनने के बाद ऐसे रिएक्ट कर रही हैं, जैसे ये आपके भाई किसी फिल्मी हीरो की तरह अकेले ही कालिया गैंग का सफाया कर देंगे। मुझे पता होता कि आप इतनी बेवकूफ हैं, तो मैं आपके घर के सामने बैठने वाले भिखारी से आपके जेठ-जेठानी का प्लान जानने के बाद तीन बार थाने के चक्कर नहीं लगाती और न इतनी रात तक आपके घर के सामने खड़ी रहकर आपका वेट करती। प्लीज भाभी, आप मेरी बात को सीरियसली लीजिए और पुलिस स्टेशन चलकर पुलिस प्रोटेक्शन की माँग कीजिए। अपने इस भाई की कही हुई बड़ी-बड़ी बातों पर यकीन करके अपनी और हर्षित की जान दाँव पर मत लगाइए।"

        "अरे, लेकिन तुम खुद तीन बार थाने जाकर ये बात बता चुकी हो और तुमसे पहले भिखारी बाबा भी एक बार थाने जाकर ये साजिश की जानकारी दे चुके हैं और पुलिस या तो भिखारी बाबा से इन्फार्मेशन मिलने की वजह से इस बात को सीरियसली नहीं ले रही हैं या फिर कालिया गैंग से टकराने से डर रही हैं और इसका मतलब ये हुआ कि मैं भी तुम्हारे साथ पुलिस स्टेशन जाऊँगी तो पुलिस हमारी मदद नहीं करेगी तो अब बताओ कि मैं अपने इस भाई के आश्वासन पर यकीन न करने के अलावा क्या करूँ ?"

      "आप और हर्षित मेरे घर चलकर सो जाइए।"

      "अरे, लेकिन ऐसा करके मैं और हर्षित सिर्फ आज हीं बच पाएँगे। आगे जो मुझ पर अटैक होंगे, उससे कैसे बचेंगे ? आज तो मुझे पता हो गया कि हम पर अटैक होनेवाला हैं, पर आगे तो पता भी नहीं चलेगा कि कब अटैक होनेवाला हैं, इसलिए आज हीं आर-पार हो जाने दो।"

      "ठीक हैं भाभी, लेकिन आपको मेरे भाई की तरह आपके इस लापरवाह भाई के भरोसे नहीं छोड़ूँगी। मैं रातभर यहीं आपके साथ रूकूँगी। वैसै भी अपनी मम्मी से अपनी एक सहेली के घर रातभर रूकने की बात कहकर निकली हूँ इसलिए मेरे रातभर घर नहीं जाने पर मेरी फेमिली को कोई टेंशन नहीं होगी। मैं रूक सकती हूँ न आपके घर पर ?"

       "ओके।" सुलेखा ने आँखें बंद किए युवक की ओर कुछ देर देखने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर अनिच्छा से कह दिया।
                
          (Read the story in next part which will be publishes tomorrow)
Images/gifs are from internet & any objection, will remove them.
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 05-03-2019, 08:22 PM



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