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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#2
चक्रव्यहू (2nd part)

       "अरे हर्षित, तुम इधर कहाँ जा रहे हो ?" अपने सामने खड़ी तेईस-चौबीस साल की नवयुवती की बात सुनकर नन्हे हर्षित के कदम थम गए।

         "मिस, मैं आपके घर हीं आ रहा था ?" हर्षित ने अपनी नजरें ऊपर उठाकर सवाल करनेवाली नवयुवती की ओर देखते हुए जवाब दिया।

         "क्यूँ ?"

         "मुझे लगा कि आपका मुझे साथ लेकर जाने का आज फर्स्ट डे हैं, इसलिए कहीं आप मुझे साथ ले जाने की बात भूलकर शार्टकट से चली गई तो मैं आज स्कूल नहीं जा पाऊँगा।"

         "ओह ! तो मेरा क्यूट बेबी इस वजह से मेरे घर आ रहा था। बेटा, मेरी मेमोरी इतनी कमजोर नहीं हैं कि मैं तुम्हें साथ ले जाना भूल जाती। अब ये बात अपने दिमाग में फिक्स कर लो कि मैं कभी भी तुम्हें साथ लिए बिना स्कूल नहीं जाऊँगी।"

         "और स्कूल से घर .....?"

         "स्कूल से घर भी साथ लेकर आ आया करूँगी, हैप्पी नाऊ ?"

          "यस मिस।"

          "लाओ, अब बैग मुझे दो और मेरे साथ चलो।"

          "नो मिस, मुझे बैग कैरी करने की हैबिट हैं।"

          "ठीक हैं, बैग अपने पास हीं रहने दो, पर अपना बास्केट मुझे दे दो।"

          "नो मिस, ये भी मैं ले जाऊँगा, आप बस स्कूल तक मेरे साथ रहिए।"

          "डोंट वरी, मैं स्कूल में भी तुम पर ध्यान दूँगी, अब हम लोग चलें ?"

          "यस मिस।" कहकर हर्षित अपनी टीचर के साथ चल पड़ा।

          "हर्षित, मेरी एक बात मानोगे ?" चलते-चलते हर्षित की टीचर ने उससे पूछा।

          "बोलिए ..?"

          "तुम मोहित से डरना बंद कर दो। मुझे तुम्हें उससे प्रोटेक्ट करने में कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, बट दूसरों पर डिपेंडेंसी अच्छी हैबिट नहीं हैं। तुम अपनी प्रोटक्शन के लिए कल तक निक्की पर डिपेंड रहे, वो स्कूल छोड़कर चली गई तो अब मुझ पर डिपेंड हो गए और मैं स्कूल छोड़ दूँगी तो कोई और आॅप्सन ढूँढोंगे। बेटा, ये लाइफ में मिलने वाले बुरे लोगों को काउंटर करने का सही तरीका नहीं हैं। इस टाइप के बुरे लोग तो हर कदम पर मिलते रहते हैं और हम हर समय तो एक बाॅडीगार्ड साथ लेकर चल नहीं सकते, इसलिए जरूरी हैं कि हम इतने ब्रेव बन जाए कि इस टाइप के बुरे लोगों को अकेले ही हैंडल कर सके। आर यू एग्री मी ?"

         "यस मिस, बट मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इतना ब्रेव बन पाऊँगा।"

         "तुम एक ब्रेव माँ के बेटे होकर ऐसी बात कैसे कर सकते हो ?"

         "मैं एक ब्रेव माँ का बेटा जरूर हूँ पर मैं अपनी मम्मा जैसा बिलकुल भी नहीं हूँ। मैं तो बिलकुल अपने पापा जैसा हूँ।"

          "कौन कहता हैं ऐसा ?"

          "मेरे बड़े पापा और बड़ी मम्मी।"

          "ओह ! यानि उनका अपने स्वार्थ के लिए तुम्हारे पापा को कान्फिडेंसलेस बनाकर मन नहीं भरा और वो लोग तुम्हें भी अपने पापा जैसा बनाकर तुम्हारा भी यूज करना चाहते हैं ? प्लान तो बहुत शानदार हैं, लेकिन तुम लोगों का ये प्लान सक्सेज नहीं होगा, क्योंकि तुम लोगों की बदकिस्मती से ये बच्चा अब निहारिका के ट्रेनिंग कैम्प में आ चुका हैं।"

        "मिस, आपने मुझसे कुछ कहा ?"

        "नहीं, मैं खुद से बातें कर रही थीं।"

        "मैं भी कभी-कभी खुद से बातें करता हूँ।"

        "यानि, हम दोनों के अंदर एक अजीब-सी आदत तो एक जैसी हैं। अब ये बताओ कि तुम्हारे अंदर और कौन-कौन सी स्ट्रैंज हैबिट्स हैं जो जनरली लोगों के अंदर नहीं होती, ताकि मुझे पता तो चले कि हम दोनों की कौन-कौन सी हेबिट्स सेम टू सेम हैं।"

          "मैं अकेला होता हूँ तो बैट लेकर घर के बड़े शीशे के सामने बड़े-बड़े शाॅट खेलने की एक्टिंग करता हूँ और कुछ देर बाद बैट उठाकर ऐसे सेलिब्रेट करता हूँ जैसे बैट्समैन सेंचुरी पूरी करने पर करते हैं।"

           "और ?"

           "और मेरा फिक्शनल मैच पूरा होने पर खुद को मैन आॅफ द मैच देकर अपना इंटरव्यू भी लेता हूँ।"

            "नाइस, मैं भी घर पर अकेली होती हूँ तो ऐसा कुछ करती हूँ। मैं कभी पुलिस आॅफिसर बनकर वर्चुअल क्रिमिनल्स को पकड़ती हूँ तो कभी झाँसी की रानी बनकर वर्चुअल अंग्रेजो के साथ लड़ती हूँ।"

           "हम दोनों की आदते कितनी मिलती-जुलती हैं न ?"

           "हाँ, इसलिए मुझे लगता हैं कि हम दोनों को एक-दूसरे के साथ दोस्ती कर लेनी चाहिए। इस बारे में तुम्हारा क्या कहना हैं ?"

           "मैं आपके साथ फ्रेंडशीप करने से मना कर दूँगा तो आपको बुरा लगेगा न ?"

           "बिलकुल नहीं, बट तुम मेरे साथ फ्रेंडशीप क्यूँ नहीं करना चाहते हो ? मैं तुम्हारी टीचर हूँ इसलिए या फिर तुमसे उम्र में काफी बड़ी हूँ इसलिए ?"

           "ये दोनों वजह सही नहीं हैं। मैंने तो अपनी दादी तक से दोस्ती कर लीं थीं।"

            "तो फिर मुझसे दोस्ती न करने की क्या वजह हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ इसलिए तुम मुझसे दोस्ती नहीं करना चाहते ?"

           "नो मिस, आप तो मेरी फेवरेट टीचर हैं।"

           "तो बेटा, फिर क्या वजह हैं ?"

           "एक्चुअली बात ये हैं कि मैं जिस किसी से भी फ्रेंडशीप करता हूँ वो मुझे छोड़कर चला जाता हैं। मैंने लास्ट ईयर के फ्रेंडशीप डे पर अपनी दादी के साथ फ्रेंडशीप की तो वो थोड़े दिन बाद हीं मुझे छोड़कर चली गई और इसके बाद इस ईयर के फ्रेंडशीप डे पर मैंने निक्की से फ्रेंडशीप की थीं तो वो भी कल छोड़कर चली गई, इसलिए मुझे लगता हैं कि मैंने आपके साथ फ्रेंडशीप की तो आप भी मुझे छोड़कर चली जाएगी और मैं आपका साथ खोना नहीं चाहता।"

         "ओह हो, तो लिटिल मास्टर इस वजह से मेरे साथ दोस्ती करने से डर रहे हैं कि वो मुझसे दोस्ती करने पर मेरा साथ खो देंगे ?"

         "यस मिस।"

         "और मैं तुमसे प्राॅमिश करूँ कि मुझसे फ्रेंडशीप करने पर भी तुम्हें मेरा साथ नहीं खोना पड़ेगा तो ?"

         "तो मुझे आपसे दोस्ती करने में कोई प्राॅब्लम नहीं हैं।"

         "तो फिर दोस्ती के लिए बढ़ाओ अपना हाथ।"

         "आप बड़े हैं, इसलिए आप पहले अपना हाथ बढ़ाइए।"

         "लगता हैं, जनाब हर काम के किसी न किसी रूल्स के एकार्डिंग हीं करते हैं। निहारिका, कहीं तू इससे फ्रेंडशीप करके कोई गलती तो नहीं कर रही हैं ?"
         "आपने कुछ कहा मिस ?"
          "नहीं। लो, मैंने अपना हाथ बढ़ा दिया।" कहकर निहारिका ने अपने कदमों को ब्रेक लगाकर हर्षित के सामने अपना हाथ बढ़ा दिया, जिसे हर्षित ने खुशी-खुशी थाम लिया।
                                ...............


        "हर्षित, अब तुम यहाँ से स्कूल तक अकेले जाओगे।" चलते-चलते अनायास अपने कदमों को रोककर निहारिका बोली तो हर्षित के चेहरे पर हवाईया उड़ने लग गई।

        "अरे, पर आपने तो कहा था कि आप मुझे घर से स्कूल तक मेरा साथ ......।" 

        "बेटा, मैं तुम्हारा साथ नहीं छोड़ रही हूँ, सिर्फ कुछ सेकंड्स के लिए तुम्हें मुझसे आगे भेज रही हूँ ताकि मैं मोहित को तुम्हें तंग करते हुए रंगे हाथों पकड़ सकूँ और उसे उसकी हरकत के लिए सबक सिखा सकूँ। अब तुम आगे-आगे चलो, मैं जस्ट तुम्हारे पीछे आ रही हूँ।" निहारिका ने हर्षित की बात काटकर उसे अपनी बात समझाने की कोशिश की।

        "आप पक्का मेरे जस्ट पीछे आ जाएँगी न ?"

        "हाँ बाबा, मैं पक्का तुम्हारे पीछे आ रही हूँ। अब जल्दी जाओ, वो गेट के सामने हीं खड़ा हैं। उसने तुम्हें मेरे साथ देख लिया तो हमारा प्लान अनसक्सेज हो जाएगा।" निहारिका ने हर्षित को दुबारा समझाया तो वह अधूरे मन से अकेला आगे जाने तैयार हो गया और चेहरे पर दहशत के भाव करीब डेढ़ सौ मीटर दूर अपने स्कूल के गेट की ओर धीमे-धीमे कदमों से बढ़ने लगा।

         निहारिका उसके बीस-बाईस कदमों की दूरी तय करने पर लगभग उसी चाल से आगे बढ़ने लगीं।

         "बेटा, तेरे साथ साये की तरह रहनेवाली वो जंगली बिल्ली तो तुझे मुसीबत फँसाकर खिसक गई, अब तुझे मुझसे कौन बचाएगा ?" जैसे हीं हर्षित अपने स्कूल के गेट के पास पहुँचा, वैसे ही मोहित ने उसका रास्ता रोककर उसे डराने की कोशिश शुरू कर दीं।

         मोहित ने पहले अपनी निगाहें दौड़ाकर निहारिका को खोजने का प्रयास किया और जब उसे दस-बारह कदमों की दूरी पर खड़े छात्र-छात्राओं के एक ग्रुप के बीच निहारिका नजर आ गई, तब राहत की साँस लेते हुए मोहित को जवाब दिया- "देख मोहित, तू मुझे तंग करना बंद कर दे, अदरवाइज मुझे तेरी कम्प्लेन्ट करनी पड़ेगी।"

         "हे गाइस, ये मेरी कम्प्लेन्ट करेगा। अबे, ये कम्प्लेन्ट करने की बात तेरे दिमाग में आयी कहाँ से ? शायद तेरी वो नकचड़ी फ्रेंड तुझे समझाकर गई हैं कि मैं तुझे परेशान करूँगा तो कम्प्लेन्ट करने की धमकी दे देना, पर मैं कम्प्लेन्ट करने की धमकी से डरनेवालों में से नहीं हैं। जा बेटा, तुझे जिससे मेरी कम्प्लेन्ट करनी हैं, कर दे। इस स्कूल में मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, पर मेरा भेजा खिसक गया न तो तू तो गया काम से। मैं तेरा वो हाल करूँगा कि न तू स्कूल आने लायक रहेगा और न मेरी कम्प्लेन्ट करने लायक रहेगा। मैं इस बार सीधे तेरी दोनों टाँगे हीं तोड़ूँगा।"

        "वाह बेटा, क्या जबर्दस्त डेरिंग हैं ?" मोहित की बात खत्म होते हीं निहारिका ताली बजाते हुए उसके पास पहुँची तो कुछ पलो के लिए मोहित के चेहरे का रंग उड़ गया। निहारिका के मोहित के पास पहुँचते हीं आसपास मौजूद छात्र-छात्राएँ कोई बड़ा तमाशा होने की उम्मीद लिए उन लोगों के पास इकट्ठा होने लग गए।

       "मिस, मैं तो इसके साथ मजाक कर रहा था।" मोहित ने जल्दी से अपनी घबराहट पर काबू पाकर सफाई देने का प्रयास किया।

        "बेटा, मैं तुम्हारी डेरिंग की तारीफ कर रहीं हूँ और तुम इसे मजाक कहकर मेरी नजरों में बनी अपनी इमेज को खुद हीं वाश कर रहे हो।"

          "क्या आप वाकई मेरी डेरिंग की तारीफ कर रही हैं ?"

          "हाँ, क्योंकि मुझे इस टाइप की डेरिंग दिखाने वाले लोग बेहद पसंद हैं। मैं खुद भी अपनी स्टूडेंट लाइफ में कमजोर स्टूडेंट्स को दादागिरी दिखाकर अपनी मनमानी करती थीं।"

           "रियली ?"

           "हाँ।"

           "मुझे भी डरपोक लड़के-लड़कियों को टाॅर्चर करके अपनी मनमानी करने में बहुत मजा आता हैं।"

          "गुड ! अब तुम मुझे ये बताओ कि तुम्हारे टाॅर्चर का शिकार होने से बचने के लिए तुम्हें अपने पाॅकेट मनी से चाॅकलेट वगैरह खरीदकर देते हैं या नहीं ?"

         "यस मिस, कुछ स्टूडेंट्स तो घर से चोरी करके भी मुझे चाॅकलेट और आईस्क्रीम खिलाते हैं। इस डरपोक हर्षित ने भी कई बार अपनी मम्मी के दिए पैसे अपने गुल्लक में न डालकर उनका यूज मुझे चाॅकलेट और आईस्क्रीम खिलाने में किया।"

        "और तुमने इसके हाथ से खोई बाॅल मिल जाने के बावजूद इससे इस बात को छुपाकर इससे टू हण्ड्रेड एण्ड टेन रूपिस इन्ट्रेस्ट ले लिया था और फिर भी इसकी बाॅल के पैसे देने की लायब्लिटी खत्म नहीं हुई थीं।"

         "हाँ, पर उस निक्की की बच्ची ने मेरा ये गेम खराब कर दिया था। उसने चालाकी से मेरी बात की रिकार्डिंग कर ली और इससे मुझे पैसे देना बंद कराकर इसके सारे पैसे लौटाने लगा दिए थे।"

        "और तुम निक्की का बिना कुछ किए हीं ये बात भूल गए ?"

         "एक्चुअली, मैं वो बात भूला नहीं था। मैंने उसे अपने डैड के रिवाल्वर से उड़ाने की प्लानिंग कर ली थीं, बट अनफोर्च्युनेटली वो मेरा प्लान एग्जक्यूट करने से पहले ही यहाँ से चली गई, पर टेंशन की कोई बात नहीं हैं। उसका फ्रेंड हैं न, उसकी ओवर स्मार्टनेट का खामियाजा भुगतने के लिए।"

        "तुम इसके साथ क्या करने वाले हो ?"

        "फिलहाल तो इससे अपने पैसे विद इन्ट्रेस्ट वसुल करूँगा, उसके बाद सोचूँगा कि इसका और क्या करना हैं।"

         "बेटा, तुम्हारी बातें सुनकर मुझे पूरा यकीन हो गया हैं कि तुम अपने बाप का नाम एक न एक दिन जरूर रोशन करोगे, पर मैं तुम्हें इस स्कूल का नाम रोशन करने के लिए यहाँ नहीं पढ़ने दूँगी। मैं हमेशा किसी भी बच्चे को स्कूल से निकालने की पनिशमेंट देने के खिलाफ रही हूँ लेकिन तुम्हारी बातें सुनकर मुझे ऐसा लगता हैं कि तुम्हारी एज भले हीं थर्ड क्लास के बच्चों के बराबर हीं हैं, पर मेंटली अपने बाप का ब्याज का कारोबार सम्भालने के लिए प्रिपेयर हो चुके हो, इसलिए मैं प्रिंसिपल से मिलकर तुम्हें स्टडिज की रिस्पांस्ब्लिटिज से आज हीं फ्री कराने की कोशिश करती हूँ।"

        "मिस, ये चीटिंग हैं। आपने मुझसे प्यार-प्यार से सबकुछ उगलवा लिया और अब आप उसका मिसयूज कर रही हैं, बट ऐसा करके भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। हाँ, मैं चाहू तो आपको एक मिनट में नौकरी से निकलवा सकता हूँ और बहुत कुछ कर सकता हूँ।"

         "ओह हो, तो तुम्हारे हौसले इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि तुम अपने हमउम्र बच्चों के साथ-साथ अपने से बड़ों को भी धमकी देने से नहीं हिचकिचाते हो। मैंने तो सिर्फ तुम्हारे कैरेक्टर में सुधार के लिए तुम्हें स्कूल से निकलवाने की बात की थीं, लेकिन तुम मेरी बात से डरकर साॅरी बोलने और आगे से ऐसा करने का प्राॅमिश करने की जगह मुझे धमकी दे रहे हो, इसलिए मुझे अब तुम्हारी कम्प्लेन्ट करनी हीं पड़ेगी। बच्चों, गेट के सामने से हटो। आओ हर्षित।" कहने के साथ ही निहारिका ने हर्षित का हाथ पकड़ा और बच्चों को हटाती हुई स्कूल परिसर में दाखिल हो गई। मोहित और उसके कुछ साथियों को छोड़कर बाकि के बच्चे निहारिका के पीछे-पीछे परिसर में दाखिल होने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने में जुट गए।
                                  ............

        "मिस निहारिका, आई थिंक, आपको अपना सारा फोकस अपनी मेन ड्यूटी यानि स्टूडेंट को पढ़ाने पर लगाना चाहिए।" प्रिंसिपल की चेयर पर बैठे शख्स ने निहारिका की पूरी बात सुनने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त की।

      "सर, हर्षित जैसे स्टूडेंट्स को मोहित जैसे स्टूडेंट्स से बचाना हम लोगों ड्यूटी नहीं हैं क्या ?" निहारिका ने हैरानी जताते हुए सवाल किया।

       "नो मिस निहारिका, ये मेरी ड्यूटी हैं। आपको केवल स्टटूडेंट्स को अपने सब्जेक्ट्स की स्टडिज करवाना हैं और ऐसी कोई प्राॅब्लम नाॅलेज में आने पर मुझे इन्फार्म करना हैं, न कि किसी स्टूडेंट को इस तरह ओपन प्लेस पर टाॅर्चर करना हैं।"

        "सर, आप उस बदतमीज स्टूडेंट के खिलाफ कोई एक्शन लेने की जगह मुझ पर उसे टाॅर्चर करने का ब्लैम लगा रहे हैं। आई कांट बिलिव इट।"

        "मिस निहारिका, क्या वो बच्चा आपके पास आपसे बदतमीजी करने आया था ?"

        "नहीं, बट .....।"

        "बट-वट छोड़िए और अपनी गलती एक्सेप्ट कीजिए। मान लीजिए कि आपने उसकी हरकतों के लिए उसे अपने लेबल पर हैंडल करने की कोशिश न करके उसकी डायरेक्ट मुझसे कम्प्लेन्ट करने की होती तो वो आपको साथ बदतमीजी नहीं कर पाता।"

        "ओके सर, मैं मान लेती कि मुझसे गलती हुई लेकिन अब तो उसकी हरकतें आपके नाॅलेज में आ चुकी हैं। अब तो आप उसके खिलाफ एक्शन लीजिए।"

        "डोंट वरी, आप बाहर जाकर अपनी ड्यूटी कीजिए। मैं प्रेयर के बाद उसे बुलाकर आगे से ऐसी हरकतें न करने के लिए समझा दूँगा।"

        "सर, मुझे नहीं लगता कि वो लड़का प्यार से समझाने से अपनी हरकतें बंद करेगा।"

        "तो क्या करूँ, पुलिस को बुलाकर उस लड़के को उनके हैंड ओवर कर दूँ ?"

         "सर, मैं उसे पुलिस के हैंड ओवर करने के लिए नहीं कह रही हूँ। मैं तो सिर्फ इतना चाह रही हूँ कि उसके पैरेंट्स को बुलाकर उसकी हरकतों के बारे में इन्फार्म किया जाए और उन्हें वार्निंग दी जाए कि उनका बेटा इन हरकतों को रिपीट करेगा तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।"

       "मिस निहारिका, स्कूल मैनेजमेंट के रूल्स के एकार्डिंग मैं किसी स्टूडेंट के पैरेंट्स को तभी बुलाकर वार्निंग दे सकता हूँ, जब वो स्टूडेंट अदर स्टूडेंट या किसी टीचर को फिजिकली हर्ट करता हैं, न कि ऐसी छोटी-मोटी हरकतों के लिए।"

       "यानि, आप वेट करेंगे कि वो किसी को फिजिकली हर्ट करें ?"

        "मेरे पास और कोई आॅप्सन भी नहीं हैं। इस स्कूल में मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता।"

        "तो फिर आप हम लोगों की छोटी-मोटी कम्प्लेन्ट पर हमें क्यूँ वार्निंग देते हैं ? क्या आपको स्कूल मैनेजमेंट ने टीचर्स को इसके लिए छूट दे रखी हैं ?"

       "यस, मुझे टीचर्स को अपने एकार्डिंग हैंडल करने की स्कूल मैनेजमेंट से खुली छूट मिली हुई हैं, क्योंकि एक-दो टीचर्स के नाराज होकर स्कूल छोड़ देने से स्कूल मैनेजमेंट को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन एक भी स्टूडेंट स्कूल छोड़कर जाता हैं तो स्कूल मैनेजमेंट को एबाउट थर्टी थाऊजेंट्स पर ईयर की अर्निंग का लाॅस होगा और मोहित जैसा स्टूडेंट स्कूल छोड़कर जाता हैं तोहफा ये लाॅस और अधिक बढ़ जाएगा, क्योंकि वो उन चंद गिने-चुने स्टूडेंट्स में से हैं जिनके पैरेंट्स स्कूल को पर रेग्युलर फी के अलावा तगड़ा डोनेशन भी देते हैं, इसलिए मुझे किसी स्टूडेंट या उसके पैरेंट्स के साथ इस टाइप का बिहेवियचर करने की परमिशन बिलकुल नहीं हैं जिससे कोई पैरेंट्स नाराज होकर अपने बच्चे को स्कूल से निकाल लें, खासतौर पर मोहित जैसे स्टूडेंट्स और उसके पैरेंट्स के साथ तो ऐसा बिहेवियर तो गलती से भी नहीं करना हैं।"

        "मैं समझ गई सर कि मोहित जो कुछ कर रहा हैं, इसमें उसकी कोई गलती नहीं हैं क्योंकि उसके मन पनप रहे पाॅइजन के प्लांट को खाद-पानी तो हमारे स्कूल मैनेजमेंट से मिल रहा हैं जिसका इंतजाम खुद उसके फादर ने किया हैं। आपको और आपके स्कूल मैनेजमेंट को मैं सैल्युट करती हूँ। मैं इस स्कूल को अलविदा कहकर जा रही हूँ, एक घंटे बाद मेरा रजिग्नेशन लेटर आपके आॅफिसियल ई-मेल पर मिल जाएगा। नाइस टू मीट यू, गुड बाय।"

        "मिस निहारिका, आपको नौकरी छोड़कर जाना हैं तो शौक से जाइए, लेकिन जाने से पहले मेरी एक बात नोट कर लीजिए। आप कहीं भी अपने आदर्शों और उसूलो के साथ समझौता करके ही नौकरी कर पाएगी, क्योंकि नौकरी देने वालों के लिए अपने बेनीफिट्स मायने रखते हैं, न कि अपने एम्प्लाॅइस के आदर्श और उसूल। जब भी एम्प्लाॅयर के बेनीफिट्स और एम्प्लाॅइस के आदर्शों व उसूलो के बीच टकराव होता हैं, एम्प्लाॅइस को दो ही आॅप्सन्स दिए जाते हैं या तो अपने आदर्श और उसूल छोड़ दो या फिर नौकरी।"

         "और आपने हमेशा इनमें से पहला आॅप्सन चुन रखा हैं, हैं न ?"

          "हाँ, क्योंकि हर समझदार एम्प्लाॅइस यही करते हैं। इसकी वजह हैं, इस पढ़े-लिखे बेरोजगारो की फौज वाले देश में सीमित एम्प्लाॅयमेंट्स और जरूरत से ज्यादा एम्प्लाॅयमेंट्स चाहने वालों का होना।"

           "जो भी हो, मैं हमेशा सेकंड आॅप्सन हीं चुनना पसंद करूँगी।" कहकर निहारिका, हर्षित को साथ लिए प्रिंसिपल के आॅफिस से बाहर निकल गई।

          "मिस, हैप्पी टीचर्स डे।" आॅफिस से बाहर निकलते हीं एक प्यारी-सी छः-सात वर्षीय छात्रा ने निहारिका को शुभकामना देते हुए उसकी ओर एक गुलाब का फूल बढ़ा दिया।

         "थैंक्स बेटा, बट ये रोज अपनी किसी टीचर को दो।" जवाब निहारिका बड़े प्यार से बोली।

          "मिस, आप भी तो मेरी टीचर हैं।"

          "हैं नहीं बेटा, थीं। अब मैं तुम्हारी टीचर नहीं हूँ।"

          "निहारिका, क्या हुआ ? तुम ऐसी बात क्यों कर रही हो ?" पास खड़ी सत्ताईस-अट्ठाइस साल की एक युवती ने निहारिका के एकदम करीब आते हुए सवाल किया।

           जवाब में निहारिका ने सारा घटनाक्रम उसे संक्षेप समझा दिया। इस दौरान आठ-दस अन्य शिक्षिकाएँ और अस्सी-नब्बे छात्र-छात्राएँ उनके आसपास इकट्ठा हो गए।

           "निहारिका, तुम अकेली चुपचाप स्कूल छोड़कर नहीं जाओगी। या तो स्कूल मैनेजमेंट तुम्हारे आगे झुकेगा या फिर हम सब स्कूल छोड़ देंगे।" निहारिका की बात खत्म होते सवाल पूछने वाली युवती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

           "वैशाली दीदी, आप मेरी वजह से क्यूँ अपनी और दूसरों की नौकरी दाॅव पर लगा रही हैं ? यदि स्कूल मैनेजमेंट नही झुकेगा तो आपको बहुत दिक्कत हो जाएगी। बीच सेशन में आपको कहीं और नौकरी नहीं मिल पाएगी तो आपको घर के खर्च मैनेज करने बहुत परेशानी होगी, क्योंकि आपके हसबैंड की अकेले की सैलरी घर खर्च चलाने के लिए इनसफिसिएंट हैं। आई थिंक, इस टाइप की प्राॅब्लम्स ज्यादातर टीचर्स को हो जाएगी, इसलिए आप इस इश्यू को हवा देकर भड़काने की कोशिश मत कीजिए, अदरवाइज हमारे काफी बहन-भाइयों की घर की सुख-शांति छीन जाएगी।" निहारिका ने वैशाली को समझाने का प्रयास किया।

         "तुम बिलकुल सही बोल रही हो। इस स्कूल के फोर्टी फाइव टीचर्स में से आठ-दस छोड़कर बाकि सभी को नौकरी छीन जाने पर अपने डेली के घरेलू खर्च मैनेज करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें हम दोनों भी शामिल हो। लेकिन तुमने अपनी इस प्राॅब्लम को अपनी मजबूरी नहीं बनने दिया और बेझिझक होकर अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया, जबकि हम सबने अपनी इस प्राॅब्लम को अपनी मजबूरी का नाम देकर स्कूल मैनेजमेंट को अपनी मनमानी करने के खुला मैदान दे दिया। लेकिन अब हम अपनी मजबूरी का स्कूल मैनेजमेंट को और फायदा उठाने का चांस नहीं देंगे। तुमने जिस टाइप की प्राॅब्लम फेस की हैं, वैसी प्राॅब्लम्स हममें लगभग हर कोई फेस कर चुका हैं, लेकिन समय आ गया हैं कि हम सब नौकरी जाने पर आनेवाली प्राॅब्लम्स को भूलकर स्कूल मैनेजमेंट की मनमानी को चुनौती दे और स्कूल के नाम पर चल रहे इस काॅर्पोरेट कम्पनी को विद्या मंदिर बनाने की कोशिश करें। आप लोगों में से जितने मेरी बातों से एग्री करते हैं, अपने-अपने हाथ खड़े कर दीजिए।" वैशाली की बात खत्म होते तक आसपास खड़ी सारी टीचर्स ने अपने-अपने हाथ खड़े कर दिए।

       "गुड, अब आप लोगों में कोई जाकर स्टाॅफ से बाकी फिमेल और मेल सभी टीचर्स को बुलाकर ले आइए। उनमें कुछ लोग तैयार हो गए तो स्कूल मैनेजमेंट को टीचर्स को रिस्पेक्ट देने की हमारी इस मांग के साथ-साथ सैलरी इन्क्रीमेंट, आने-जाने के लिए फ्री वाहन, हर टीचर्स को डेली एक पीरियड का रेस्ट और पर मंथ बिना सैलरी काटे दो दिन की छुट्टी जैसी कुछ जरूरी मांगो को भी मानना पड़ेगा।"

                                       ................

        "विदेशी भाषा की शिक्षा देनेवाली अध्यापिका महोदया, कृपया आप अपने शालेय प्रबंधन समिति झुकाओ अभियान के प्रतिभागियों की सूची में अपनी मातृभाषा के इस निर्धन अध्यापक का नाम सम्मिलित मत कीजिएगा।" प्रिंसिपल के आॅफिस के सामने बाद में पहुँचे तीस-बत्तीस नये शिक्षक-शिक्षिकाओं में से एक कुर्ता-पैजामा पहने हुए अधेड़ आयु के शिक्षक ने कहा।

         "क्यों ? वैशाली ने आग्नेय नेत्रों से उन्हें घूरते हुए सवाल किया।

          "इस अभियान में सम्मिलित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के माता-पिता या पति-पत्नी में से कोई न कोई आय अर्जित करता हैं, इसलिए आप लोगों को इस संस्था से निष्कासित करने पर आप लोगों के परिवार के उदर-पोषण की तत्काल समस्या उत्पन्न नहीं होगी, किंतु मेरे चार प्राणियों के परिवार में हम ही एकमात्र आय अर्जित करनेवाले प्राणी हैं और हमारे पास संचित पूँजी के नाम सत्तावन रूपये जेब में, डेढ़-दो सौ रूपये घर पर एवं सात सौ सैतीस रूपये बचत खाते में हैं।"

          "मैडम, मुझे भी आप लोग अपने साथ काउंट न करें।" वैशाली के कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले ही एक स्पोटर्स ड्रेस पहने चुस्त और फुर्तीले नजर आनेवाले युवक ने अपनी बात रख दीं।

          "मिश्रा जी के इस मूवमेंट में पार्टिसिपेट न करने का वैलिड रिजन हैं, बट आप इसमें पार्टिसिपेट करने से क्यों मना कर रहे हैं ? आप तो स्कूल से मिलने वाली सैलरी से ज्यादा अपनी कराटे क्लासेस से कमा लेते हैं।"

          "हाँ, लेकिन तीन-चार सालों की कोशिश के बाद मेरी एक ठीक-ठाक के साथ शादी इस स्कूल में पीटी टीचर की नौकरी की वजह से ही सैट हुई हैं और बाइ चांस मेरी इस मूवमेंट में शामिल होने की वजह से नौकरी चली जाएगी तो मेरी बड़ी मुश्किल से तय हुई शादी टूट जाएगी।"

         "अरे यार, आपकी शादी टूटने की रिस्क हैं तो आप भी जाइए। क्योंकि आजकल आप जैसे कम सैलरी में प्राइवेट जाॅब करने वाल नौजवानों के लिए मनपसंद लाइफ खोजना दूसरी नौकरी खोजने से भी ज्यादा मुश्किल काम हैं।" मुस्कराकर उससे कहने के बाद वैशाली ने निहारिका से कहा- "हम लोग करीब दस मिनट से यहाँ खड़े हैं और प्रिंसिपल अपनी सीट पर ऐसे शांति से जमा हुआ हैं, जैसे उसने हम लोगों को यहाँ खड़े देखा हीं नहीं।"

        "उन्हें लग रह होगा कि आप लोग मुझे नौकरी छोड़कर जाने से रोकने के लिए समझा रहे होंगे, इसलिए हम सब लोगों को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। उन्हें प्रेयर की बेल बजने के बाद भी हमारे यहीं खड़े रहने पर इरादों का अहसास होगा।"

         "तो बेल बजवा देते हैं। वैसे भी प्रेयर का टाइम तो हो हीं गया हैं। पीटी सर, बेल बजवाइए और बच्चों को लाइन में लगवाइए। आज प्रेयर करवाने और सभी क्लासेस के बच्चों को सम्भालने की रिस्पांस्ब्लिटिज आपकी और मिश्रा जी की हैं।"

          "ओके मैडम।"
                                ..............

           "कांग्रेचुलेशंस, स्कूल मैनेजमेंट ने आप लोगों की सभी मांगे मान ली हैं। मुझे मोहित के फादर को बुलवाकर वैसी वाॅर्निंग देने की परमिशन दे दीं हैं, जैसी मिस निहारिका चाह रही थीं एंड स्कूल के नये रूल्स एंड रेग्युलेशंस और आप लोगों की न्यू सैलरी की लिस्ट का ई-मेल थोड़ी देर में मेरे पास आ जाएगा, जिसके बाद उसकी एक काॅपी आप लोगों को दे दी जाएगी। अब फर्स्ट पीरियड वाले सभी टीचर्स अपनी-अपनी क्लास में जाइए और बाकी के लोग लंच टाइम के बाद होनेवाले टीचर्स डे के फंक्शन की तैयारी में मेरी मदद करें।" प्रिंसिपल की बात सुनकर उसके आॅफिस के खड़े सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के चेहरे खुशी से खिल उठे।

            "सर, आप हम लोगों से नाराज तो नहीं हैं न ?" वैशाली ने सवाल किया।

            "नो वैशाली मैडम, मैं आप लोगों से बिलकुल भी नाराज नहीं हूँ बल्कि मैं तो आप सबसे काफी खुश हूँ क्योंकि आप लोगों की स्ट्राइक की वजह से स्कूल मैनेजमेंट ने आप लोगों की साथ-साथ मेरी भी सैलरी और अंदर फेसिलिटिज बढ़ा दी।"

          
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 05-03-2019, 08:21 PM



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