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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#1
चक्रव्यहू (1st Part)


        "कल तेरे ऊपर दस रूपए मेरी बाॅल के और बीस रूपए इन्ट्रेस्ट, कुल मिलाकर तीस रुपए हो जाएँगे और यदि तूने कल पूरे तीस रूपए नहीं दिए तो मैं कल तेरा स्कूल बैग तुझसे छीन लूँगा।" आठ वर्षीय हर्षित को उसी के हमउम्र, लेकिन उससे हष्ट-पुष्ट छात्र ने सख्त लहजे में चेतावनी दी तो हर्षित घबरा गया और उस छात्र से गिड़गिड़ाकर बोला- "मोहित भाई, मैं कल इतने पैसे कहाँ से लाऊँगा ?"
     
        "ये तुम्हें मेरी बाॅल गुम करने से पहले सोचना था। तू कल इज्जत से मेरे पैसे दे देना, नहीं तो मैं तेरा वो हाल करूँगा जो तू सोच भी नहीं सकता।" मोहित ने सख्त लहजे में जवाब दिया।

       "ओए, तू क्या कर लेगा इसका ? इसे हाथ तो लगाकर बता, मैं तेरा वो हाल करूँगी कि तेरी सात पुश्ते भी किसी को सताने की हिम्मत नहीं कर पाएगी।" हर्षित के साथ खड़ी उसकी सहपाठी निक्की ने किसी शाविका (शेरनी की बच्ची) की तरह गुर्राकर मोहित को चेतावनी दी। 

      "ये निक्की, तू बीच में मत आ, नहीं तो....?" 

      "तू मेरा क्या कर लेगा रे ?" कहकर निक्की ने मोहित की काॅलर पकड़ ली।

      "ये निक्की, प्लीज इसको छोड़ दे। ये बहुत खतरनाक लड़का हैं, तू इससे मत उलझ।" हर्षित ने निक्की से मोहित की काॅलर छुड़ाकर उसे समझाने का प्रयास किया।

      "अरे, इसकी तो ....।"

      "निक्की, तू मेरे साथ चल तो...प्लीज। मैं बताता हूँ न तुझे अपनी मजबूरी।"

      "हर्षित, तूने कोई गलत काम किया हैं क्या ?"

      "नहीं निक्की, मैं कोई गलत काम कर सकता हूँ क्या ?"

       "तो तू इससे डरता क्यूँ हैं ? मुझे छोड़ तो सही, मैं इसका वो हाल करूँगी कि वो जिदंगी भर याद रखेगा।"

       "निक्की, तू मेरी बात तो समझ। मुझे इसके पैसे देने हैं, इसलिए मैं इसकी बदतमीजी बर्दाश्त कर रहा हूँ।"

       "अरे, तुझे मेरे रहते हुए इससे कर्ज लेने की जरूरत क्या थीं ? पैसे की जरूरत थीं तो मुझसे बोल देता। मैं तुझे अपना गुल्लक फोड़ के देती थीं।

        "निक्की, तू अभी जा। मैं कल तुझे मेरी मजबूरी कल सुबह बताऊँगा। अभी तू जा।"

         "नहीं, मैं तुझे साथ लिए बिना नहीं जाऊंगी। तू मेरे साथ चल।"

         "मोहित भाई, मैं तुझसे कल मिलूंगा।"

         "कल मेरे पैसे .....।"

         "ओए, तू धमकी मत दे नहीं तो... ?" निक्की, मोहित की बात काटकर गुर्राती हुई बोली तो मोहित सहम गया। इसके बाद हर्षित इशारों में मोहित से कुछ वादा करके निक्की को साथ लेकर निकल गया।
                         ..................

        "निक्की, एक्चुअली बात ये हैं कि मोहित की बाॅल बीस-बाईस दिन पहले मेरे हाथ से गुम हो गई थीं और वो उसी के बीस रूपये और एक दिन का इन्ट्रेस्ट दस रूपये देने के लिए मुझे वार्निंग दे रहा था।" स्कूल से घर वापस लौटते समय हर्षित ने निक्की को बताया।

        "जब बाॅल गुम हुई, तब तुम लोगों के साथ मोहित भी खेल रहा था क्या ?" उसकी बात सुनकर निक्की ने सवाल किया।

        "हाँ।"

        "तब तो तुझे उसको पैसे देने की जरूरत ही नहीं हैं क्योंकि साथ खेलते हुए कोई चीज गुम हो जाए या टूट-फूट जाए तो कोई किसी से पैसे नहीं माँग सकता हैं।"

        "ये बात मुझे भी पता हैं पर मोहित को पैसे देने पड़ेंगे क्योंकि वो काफी दिन पहले ही कह चुका था कि उसका बैट जिस किसी के हाथ से टूटेगा या बाॅल गुम होगी, उसे पूरे पैसे अगले दिन देने होंगे नहीं तो वो इन्ट्रेस्ट भी लेगा।

       "उस मोटे ने ऐसे गंदे रूल्स बना रखें हैं तो तू खेलता क्यूँ हैं उसके साथ ?"

       "यार, अब नहीं खेलता हूँ उसके साथ, पर जो गलती मुझसे हो चुकी हैं उसकी तो भरपाई करनी हीं पड़ेगी न ?"

        "हाँ, अब तू उसके गंदे रूल्स जानने के बाद भी उसके साथ उसके बैट-बाॅल से खेला तो भरपाई तो करनी हीं पड़ेगी। तू एक काम कर, अपनी मम्मा को अपनी गलती बता दे और उनसे ट्वेंटी रूपिस लेकर उस मोटे के मुँह पर मार दे और उसकी धौस-धमकी से छुटकारा पा लें। वो तुझे धमकी देता हैं न तो मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। वो जब भी ऐसा कुछ करता हैं न, तब कसम से मेरा मन उसका सर फोड़ देने का होता हैं पर मैं क्या करूँ, तुझे बार-बार मना करने के बाद भी तू उसके किसी न किसी चक्कर में फँस हीं जाता हैं।"

       "साॅरी यार, ये लास्ट टाइम हैं। इस बार उससे छुटकारा मिल गया तो मैं उससे हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाऊँगा, पर समझ में नहीं आ रहा हैं कि उससे छुटकारा मिलेगा कैसे ?"

       "मैंने तुझसे कहा न कि अपनी मम्मा को अपनी मिस्टेक बता दे और उनसे पैसे लेकर उस मोटे को दे दे।"

        "निक्की, मैं अपनी मम्मा को ये बात नहीं बता सकता हूँ क्योंकि उन्होंने मुझे पहले ही मोहित से दूर रहने की वार्निंग दे रखी हैं। उन्हें पता चलेगा कि मैं उनकी वार्निंग के बाद भी मोहित के साथ खेलने गया था तो वे मेरी जमकर पिटाई करेगी।"

        "तो तू अपने पापा को बता दे। तेरे पापा तो बहुत सीधे हैं और तुझसे बहुत प्यार भी करते हैं।"

        "हाँ, लेकिन उनके जेब में पाँच रूपये भी नहीं रहते। वे ट्वेंटी प्लस इन्ट्रेस्ट के टेन रूपिस कहाँ से देंगे ?"

        "तेरे पापा दिन-रात इतनी मेहनत करते हैं फिर भी उनकी जेब में पाँच रूपये नहीं रहते, क्यूँ  ?"

         "वो सिर्फ काम करते हैं, पैसे का हिसाब और लेन-देन बड़े पापा के पास होता हैं और बड़े पापा मुझे एक पैसे नहीं देनेवाले हैं क्योंकि वो मेरी स्कूल की फीस, पेन-कापी तक के लिए पैसे नहीं देते तो मेरी गलती की भरपाई के लिए कहाँ पैसे देंगे। उल्टे उन्हें पता चलेगा तो मेरे पापा से कहेंगे, 'बीवी की बात मानकर पढ़ा अपने बेटे को बड़े लोगों के बच्चों के स्कूल में, अभी तो छोटे-मोटे ही लफड़े कर रहा हैं। आगे देखना बड़े-बड़े कांड करेगा।' वो तो हमेशा से मुझे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के खिलाफ थे, पर मेरी मम्मा ने मेरी फीस, यूनिफाॅर्म और पेन-कापी की रिसपांसब्लिटिज अपने कंधों पर लेकर मेरा इस स्कूल में एडमिशन करवाया और इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए वे घर का काम करने के बाद काॅलोनी के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं। निक्की, तू नहीं समझ सकती यार कि मुझे उनके हर दिन गुल्लक में डालने के लिए दिए जानेवाले टेन रूपिस मोहित को देने का मुझे कितना दुख होता हैं।"

        "यानि, तू टेन रूपिस पर डे उस मोटे को दे रहा हैं ?"

        "हाँ।"

        "कबसे ?"

        "बीस-बाईस दिन से।"

        "अरे, लेकिन तुझे उसे तो ट्वेंटी रूपिस हीं देना था न ?"

        "हाँ, लेकिन ये ट्वेंटी रूपिस बाॅल गुम होने के अगले दिन एकसाथ देने थे जो मैं दे पाया, क्योंकि मेरे हाथ में हर दिन टेन रूपिस से ज्यादा नहीं आते हैं, इसलिए मोहित मुझसे हर दिन टेन रूपिस इन्ट्रेस्ट ले रहा हैं और ऊपर पूरे पैसे एकसाथ देने के लिए हर दिन बदतमीजी भी करता हैं।"

        "डोंट वरी, अब मुझे पता चल गया हैं न, इसलिए अब वो तुझे परेशान भी नहीं कर पाएगा और तुझसे मुफ्त के टेन रूपिस पर डे भी वसूल नहीं कर पाएगा। मैं कल हीं उसकी कम्प्लेन्ट स्कूल के प्रिंसिपल से कर दूँगी, फिर देखना कि उस मोटे की कैसी बोलती बंद होतीं हैं।"

         "प्रिंसिपल उसका कुछ नहीं कर पाएँगे, क्योंकि मोहित के पापा उन्हें साल में तीन-चार बार घर बुलाकर पार्टी देता हैं।"

         "तो फिर क्या करें ? तू कब तक उस मोटे को अपनी मम्मा की मेहनत की कमाई लुटाता रहेगा। मेरे पास भी कभी एकसाथ ट्वेंटी रूपिस नहीं होते हैं, नहीं तो तेरे हाथ में आनेवाले टेन और मेरे पास के ट्वेंटी रूपिस मिलाकर उस मोटे से तुझे छुटकारा दिला देती। उसके सामने मैंने गुस्से में कह तो दिया कि अपना गुल्लक तोड़कर पैसे दे दूँगी, पर तू भी जानता हैं कि मैंने अपना गुल्लक तोड़ा तो मेरी मम्मी मुझे तोड़ देंगी। पर तू चिंता मत कर मैं कल तक कोई न कोई आइडिया जरूर निकाल लूँगी। अब यहाँ से हम दोनों के रास्ते अलग हो रहे हैं, इसलिए तू अपना रास्ता पकड़ और मुझे अपने रास्ते से जाने दे, ठीक हैं ?"

        "ठीक हैं, बाय।"

        "बाय।" कहकर निक्की मेन रोड से आगे बढ़ गई और हर्षित कुछ देर तक उसे जाते हुए देखने के बाद एक पतली गली की ओर मुड़ गया।
                           ..................

         "हर्षित, भगवान जी ने मेरी प्रे सुनकर तेरी प्राॅब्लम साॅल्व कर दीं। मेरे पास उनकी कृपा से ट्वेंटी रूपिस आ गए हैं।" स्कूल प्रांगण प्रेयर से पहले निक्की और हर्षित एक-दूसरे से मिले तो निक्की ने चहकते हुए हर्षित को बताया।

        "तू सच बोल रही हैं न निक्की ?" हर्षित की प्रतिक्रिया ऐसी थी, जैसे उसे निक्की की बात पर यकीन नहीं हुआ।

       "तुझे पता हैं न कि मैं कभी झूठ नहीं बोलती, फिर क्यूँ पूछ रहा कि सच बोल रही हूँ न ?"

        "मुझे पता हैं कि तू कभी झूठ नहीं बोलती, पर मुझे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा हैं कि मेरी प्राॅब्लम इतने ईजी वे में साॅल्व हो गई। कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ ?"

         हर्षित की बात सुनकर निक्की ने उसके हाथ की चिकोटी काटी तो उसके के मुँह से 'आह' निकल गई और उसके चेहरे पर ढेर सारा दर्द उभर आया।

        "साॅरी, वो मैंने तुझे ये यकीन दिलाने के लिए तेरे हाथ की चिकोटी काटी थीं कि तू सपना नहीं देख रहा हैं, पर लगता हैं कि तुझे कुछ ज्यादा हीं दर्द दे दिया। हर्षित, आई एम रियली सो साॅरी फार इट।" निक्की ने गहरा अफसोस प्रकट किया।

         "साॅरी मत बोल यार, क्योंकि जो दर्द मुझे मोहित के पैसे देने की चिंता की वजह से होता था, उसके सामने ये कुछ भी नहीं हैं।"

          "हर्षित, तूने अकेले-अकेले कितना दर्द सहा यार ? अब आगे से कोई प्राॅब्लम हो तो मेरे साथ शेयर जरूर करना। अब ये ट्वेंटी रूपिस ले और अपने पास के टेन रूपिस मिलाकर उस मोटे के मुँह पर मार दे।"

         "निक्की, ये पैसे तेरे पास आए कहाँ से ?"

         "आम खाने से मतलब रख न यार, किस पेड़ के हैं इससे क्यूँ मतलब रख रहा हैं ?"

         "किस पेड़ के हैं ये भी पता करना जरूरी हैं निक्की। मेरी मम्मा कहती हैं कि किसी के गलत तरीके से लाए गए पैसे का यूज करना भी गलत हैं।"

         "तो तुझे ऐसा लगता हैं कि तेरी बेस्ट फ्रेंड निक्की पैसे लाने के लिए कोई गलत तरीका भी अपना सकती हैं ?"

         "नो यार, मैं तो ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता, पर तू बता देगी तो तेरा क्या नुकसान जाएगा ?"

         "मैंने कल शाम को जाते-जाते भगवान जी से पैसों के लिए प्रे की थीं तो उन्होंने कल शाम को ही मेरे मामाजी को मेरे घर भेज दिया और मामाजी ने आज सुबह वापस जाते समय हमेशा की तरह हण्ड्रेड रूपिस दिए, जिसमें से सिक्स्टी फाइव रूपिस मैंने मम्मी को दे दिए और ट्वेंटी तुझे देने के लिए, फाइव रूपिस गोलगप्पे के लिए और टेन रूपिस भगवान जी को विश पूरी करने के लिए नारियल देने के लिए ले आए। अब तो तुझे यकीन आ गया न कि मैंने पैसे लाने के लिए कोई गलत तरीका नही अपनाया ?"

         "हाँ।"

         "तो अब तो ले ले ये पैसे।"

         "थैंक्स। मैं तुझे जल्दी लौटा दूँगा।"

         "लौटाने की बात की तो हम दोनों की दोस्ती खत्म हो जाएँगी।"

          "निक्की, तू यहीं रूक, मैं बंटी से मिलकर आता हूँ।"

          "क्यूँ  ?"

          "ये मैं तुझे आकर बताऊँगा।"

          "मैं भी तेरे साथ आ रही हूँ।"

          "ठीक हैं, आ जा।" कहने के साथ हीं हर्षित एक दुबले-पतले अपने हमउम्र छात्र के पास पहुँच गया और उसने उस छात्र के द्वारा ऊपर फेकी गई बाल को ऊपर जम्प करके उसके हाथ में आने से पहले ही पकड़ ली।

          "हर्षित, मेरी बाॅल लौटा दे।" वह लड़का हर्षित से बाॅल छीनने की कोशिश करता हुआ चिल्लाकर बोला।

          "लौटा दूँगा, लेकिन पहले तुझे बताना होगा कि ये बाॅल तेरे पास आयी कहाँ से ?" हर्षित ने बाॅल उसकी पकड़ में आने से बचाते हुए उसके सामने शर्त रखी।

          "ये बाॅल मुझे मोहित ने गिफ्ट की हैं।"

         "ये वही बाॅल हैं न, जो उस दिन मेरे हाथ से गुम हुई थीं ?"

         "मुझे नहीं पता।"

         "बंटी, सच बोलेगा तो बाॅल वापस मिल जाएगी, नहीं तो बाॅल भी हाथ से जाएगी और ऊपर से तुझे जेल जाना पड़ेगा।" निक्की ने हर्षित के हाथ से बाॅल लेते हुए बंटी को समझाया।

          "मैंने क्या किया हैं जो मुझे जेल जाना पड़ेगा ?"

          "तूने हर्षित के साथ चीटिंग करने में अपने बाॅस मोहित का साथ दिया हैं। तुझे पता हैं न कि मेरे अंकल पुलिस में हैं ?"

           "हाँ, पर मैंने कुछ नहीं किया। ये काम तो मोहित और निखिल का हैं। उन दोनों को उसी दिन बाॅल मिल गईं थीं, लेकिन मोहित ने हर्षित से पैसे ऐठने और उसे अपनी मुट्ठी में रखने के लिए निखिल को बाॅल छिपाने.....।"

           "ये क्या बक रहा बे ?" कहीं से अचानक मोहित ने आकर बंटी को धमकाया तो वह चुप हो गया।

           "मोहित, तूने आने में थोड़ी देर कर दी। अब इसे चुप कराने से कोई बेनीफिट नहीं होनेवाला हैं क्योंकि ये सारा सच पहले ही उगल चुका हैं।" निक्की ने अपनी गहरी काली पुतलियों वाली आँखों से मोहित को घूरते हुए बताया।

           "तो तुम लोग क्या कर लोगे मेरा ?"

           "हम कुछ नहीं करेंगे, जो करना मेरे पुलिस अंकल करेंगे।"

           "पुलिस अंकल की धमकी मत दे मुझे, पुलिस बिना सबूत के किसी का कुछ नहीं कर सकती।"

           "लेकिन सबूत हो, तब तो बहुत कुछ कर सकती हैं न ?"

           "क्या सबूत हैं तेरे पास कि मैंने अपनी बाॅल छुपाने लगाकर इसके बदले में हर्षित से अब तक इन्ट्रेट के नाम पर दो सौ दस रूपये ऐठ लिए ?"

         "अभी तक नहीं था, पर अब सबूत कलेक्ट हो गया। इस आॅडियो-रिकार्डर में तेरे मुँह से एडमिट किया गया तेरा क्राइम रिकार्ड हो चुका हैं।"

         "इस सबूत को मैं अभी मिटा देता हूँ।" कहकर मोहित ने निक्की के हाथ से पाॅकेट साइज का आॅडियों-रिकार्डर टाइप का कोई आइटम छीनने का प्रयास किया, जिसमें वह सफल तो नहीं हुआ, उल्टे निक्की की एक जोरदार लात उसके पेट पर पड़ गई, जिसके बाद उसे अपना प्रयास छोड़कर दोनों हाथों से पेट पकड़कर बैठ जाना पड़ा।

           "बेटा, सब करना, पर निक्की से पंगा मत लेना। हाँ, कम्प्रोमाइज करना होगा तो लंच टाइम में मिल लेना, अदरवाइज तुझे और तेरे चमचो को जेल जाने से तेरा पैसे वाला बाप भी नहीं बचा पाएगा। चल हर्षित।" मोहित को चेतावनी देने के बाद निक्की ने हर्षित का हाथ पकड़ा और उस जगह की ओर लेकर चली गई, जहाँ प्रेयर की लाइन लग रहीं थीं।

           "अबे, खड़े-खड़े मेरा मुँह क्यों देख रहे हो ? कमीनो, मेरी उठने में हेल्प करो।" उन दोनों के चले जाने के बाद मोहित ने अपने साथियों को लताड़कर कहा तो आसपास खड़े उसके साथी झुककर उसे उठने में मदद करने लग गए।
                          ..................

        "हर्षित, अब वो मोटा तुझे पूरे इक्कीस दिन तक जो टेन रूपिस पर डे लौटाएगा, उसे शाम को चुपके से अपने गुल्लक में डाल दिया करना, जिससे तेरे पैसों का स्कैम्प कवर हो जाएगा।" स्कूल की छुट्टी के बाद घर वापस लौटते समय निक्की ने हर्षित को समझाया।

         "थैंक्स निक्की, तूने डेली मेरी मम्मा के दिए टेन रूपिस मेरे गुल्लक की जगह हर्षित के जेब में जाने से बचा लिए और मेरे अब तक उसे दिए पैसे भी वापस लौटाने के लिए मजबूर कर दिया। बाइ द वे, ये आॅडियो-रिकार्डर जिसमें तूने मोहित की चीटिंग रिकार्ड की, वो खरीदा कब ?" हर्षित ने उसका आभार व्यक्त करने के साथ ही एक सवाल भी कर लिया।

          "तो तू भी उस मोटे की तरह बेवकूफ बन गया। अरे बुद्ध, वो कोई रियल आॅडियो-रिकार्डर नहीं था, बल्कि मेले में खरीदा गया टाॅय आॅडियो-रिकार्डर था। वो तो मैंने उस मोटे को डराने के लिए बैग से निकालकर उसमें उसकी आवाज रिकार्ड करने का सिर्फ ड्रामा किया था। इन फेक्ट उसमें न कुछ रिकॉर्ड हो सकता हैं और न हीं 'ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार..' के अलावा कुछ बजता हैं। लेकिन तू किसी को ये बात बताना मत, क्योंकि ये बात फैली और उस मोटे को पता चल गईं तो वो तुझसे लिए पैसे नहीं लौटाएगा।"

          "ठीक हैं, मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगा, लेकिन जब वो मुझे सारे पैसे वापस लौटा देगा तो तू उसके सामने अपना रिकार्डिंग डिलीट करने का किया हुआ प्राॅमिश कैसे पूरा करेगी, क्योंकि तेरे पास तो कोई रिकार्डिंग हैं हीं नहीं।"

         "इसकी चिंता तू मत कर, मैं उस सिच्युएशन को अपने हिसाब से हैंडल कर लूँगी।"

         "अरे, लेकिन बता तो सही कि तू करेगी क्या ?"

         "करना क्या हैं, तेरे पूरे पैसे उससे वसुल होने पर कह दूँगी कि वो आॅडियो-रिकार्डर गुम हो गया हैं।"

         "और उसे लगेगा कि तू उसके साथ चीटिंग कर रही तो ?"

          "लगने दे, उसे ऐसा लगा तो भी क्या कर लेगा ?"

          "वो तुझसे बदला लेगा। तू उसे ठीक से जानती नहीं हैं, उसकी बड़े-बड़े गुंडे टाइप के लड़कों के साथ दोस्ती हैं और उसके पास एक रिवाल्वर भी हैं।"

          "हर्षित, मैं उससे सिगरेट पीने के लिए दोस्ती रखनेवाले उसके बड़े-बड़े गुंडे टाइप के निकम्मे लड़को को भी जानती हूँ और मैंने उसकी स्कूल के लड़कों को डराने के लिए खरीदी नकली रिवाल्वर भी देखी हैं, इसलिए मुझे तेरे और स्कूल के बाकी लड़के-लड़कियों की तरह उससे डर नहीं लगता हैं। अब तू फालतू बातें छोड़ और ये टेन रूपिस लेकर सामने वाली दुकान से एक नारियल ले आ। भगवान जी ने तेरी प्राॅब्लम साॅल्व करने के लिए मांगी मेरी विश पूरी कर दी हैं, इसलिए मुझे भी अपने प्राॅमिश के एकार्डिंग एक नारियल उन्हें गिफ्ट करना हैं।

         "प्राॅब्लम मेरी साॅल्व हुई हैं तो नारियल के लिए पैसे तू क्यों दे रही हैं ? मेरे पास भी टेन रूपिस हैं न, मैं उसमें नारियल ले आता हूँ।"

         "सुन, प्राॅब्लम भले हीं तेरी साॅल्व हुई हैं बट विश तो मेरी ही पूरी हुई हैं, इसलिए नारियल मेरे पैसों से खरीदा जाएगा।"

          "अरे, पर ....।"

          "हर्षित, नो आर्गुमेंट। ये पैसे पकड़ और नारियल लेकर आ और अपने पास के टेन रूपिस सीधे जाकर अपने गुल्लक में डालना।"

           "निक्की, तू बिलकुल मेरी मम्मा की तरह हिटलर हैं। जो एक बार कह दिया, फाइनल हो गया। ला, दे पैसे।" कहने हर्षित उसके हाथ से दस का नोट लेकर गुस्से से पैर पटकता हुआ उस दुकान पर चला गया, जिसकी तरफ थोड़ी देर पहले निक्की ने उसे जाने के लिए कहा था।"
                              ................

          "तेरा स्कूल छोड़कर जाना कैंसिल नहीं हो सकता क्या ?" हर्षित ने आशाभरी निगाहों से निक्की के चेहरे को देखते हुए पूछा।

          "नहीं, क्योंकि पापा का ट्रांसफर कैंसिल होने की कोई पासिब्लिटी नहीं बची और पापा यहाँ से दूसरी जगह जाएँगे तो मुझे और मेरी मम्मी को भी उनके साथ जाना पड़ेगा।" निक्की ने बेहद उदास स्वर में जवाब दिया।

         "निक्की, मेरा तेरे बिना स्कूल में मन नहीं लगेगा।"

        "मुझे भी दूसरे स्कूल में अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि तू वहाँ मेरे साथ नहीं होगा, पर हम कुछ कर भी तो नहीं सकते।"

         "तू वो पीपल के पेड़ के पासवाले मंदिर के भगवान जी से प्रे क्यों नहीं करती, वे तो तेरी हर विश पूरी करते हैं न ?"

         "हाँ, पर इस बार उन्होंने मेरी ये विश पूरी नहीं की। जबसे पापा के ट्रांसफर के बारे में सुना हैं, तभी से उनसे रोज आते-जाते मन में प्रे कर रही हूँ पर शायद वे मेरी ये विश पूरी नहीं करना चाहते हैं या फिर उनके लिए मेरी ये विश पूरी करना पाॅसिबल नहीं हैं।:

        "तू चली जाएगी तो मुझे भी ये स्कूल छोड़कर किसी और स्कूल में एडमिशन लेना पड़ेगा, क्योंकि तू नहीं रहेगी तो मोहित उससे वापस लिए पैसों की वजह से मेरा जीना मुश्किल कर देगा।"

        "तुझे उस मोटे के डर से स्कूल छोड़कर जाने की जरूरत नहीं हैं। मैंने आज सुबह हीं निहारिका मैम से तेरी केयर करने के लिए कह दिया हैं। वे तुझे घर से अपने साथ लेकर भी आएगी और यहाँ से तुझे साथ ले जाकर घर भी छोड़ दिया करेंगी। वे तेरे घर के सामने से हीं आती-जाती हैं न, इसलिए उन्हें तुझे साथ लाने-ले जाने में कोई प्राॅब्लम भी नहीं होगी।"

       "हाँ, वे जनरली आती-जाती तो मेरे हीं घर के सामने हैं, बट कभी-कभी वे मेरे घर के पीछेवाली शार्टकट से भी आ जाती हैं।"

        "हाँ, बट डोंट वरी, अब वे हमेशा तेरे घर के सामने से हीं आएगी-जाएगी।"

        "ठीक हैं, पर फिर भी मुझे तेरे बिना अच्छा नहीं लगेगा।"

        "तू रोनी सूरत बनाकर यही बात बार-बार मत रिपीट कर, अदरवाइज मुझे भी रोना आ जाएगा।"

        "तुझे भी रोना आता हैं ?"

        "कभी-कभी।"

        "मुझे लगा कि तुझे नहीं आता होगा, इसलिए अपनी प्राॅब्लम बता रहा था, पर अब नहीं बताऊँगा क्योंकि मम्मा कहती हैं कि किसी दोस्त या रिलेटिव्ज से अपनी ऐसी प्राॅब्लम शेयर नहीं करनी चाहिए, जिनका उनके पास कोई साॅलुशन न हो, क्योंकि हमारी प्राॅब्लम साॅल्व भी नहीं होती हैं और उन्हें बेवजह दुख भी पहुँचता हैं। अब तेरा जाना फाइनल हो गया हैं न, तो खुशी-खुशी चली जा। मैं निहारिका मैम की हेल्प से अपनी केयर कर लूँगा।" 

         "मेरे साथ न होने की वजह से रोएगा तो नहीं न ?"

         "नहीं।"

         "डेली लंच करेगा न ?"

         "हाँ।"

         "गुड ब्वाय।"

         "निक्की, तू मुझे फोन तो करेगी न ?"

         "हाँ बाबा, मुझे भी तुझसे बात किए बिना अच्छा थोड़ी हीं लगेगा।"

         "अब बाकी की बातें हम छुट्टी के बाद करेंगे। अब क्लासरूम चलते हैं, वैशाली मिस का पीरियड स्टार्ट होनेवाला हैं। वो हमसे पहले क्लासरूम में पहुँच गई तो आसमान सिर पर उठा लेगी।" 

         निक्की की बात सुनकर हर्षित बिना कुछ कहे अपना गमगीन चेहरा लिए उसके साथ क्लासरूम की ओर चल पड़ा।
           
            (Rest story read in next part which is coming come soon)
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चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 05-03-2019, 08:18 PM



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