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Thriller कामुक अर्धांगनी
#27
मधु तसल्ली से उसके बालों को सहलात्ते आराम से बैठी हुई थी कि अचानक दरवाज़े की घंटी बज उठी ओर मधु बोल पड़ी खाना आ गया, वसंत अपने सर को उठा कर वापस बैठ गया और उसके चेहरे को देख के मालूम पड़ने लगा कि वो उस शक्श को मन ही मन कोस रहा है जिसके वजह से उसे उठना पड़ा ।

मधु साड़ी का पल्लू खिसका के अपने ब्लाउज से पैसे निकलतीं वसंत के हाथों मे देती हुई बोली जाओ खाना आया है ले लो पर वसंत की आँखे मधु के स्तनों पे गड़ी हुई थी और वो वसंत के हाथों को चाटा मारती बोली सुन भी रहे हो वो झेंपता हुआ हाथ को बढ़ा के पकौड़े के उस टुकड़े को मधु के दरार से उठा कर बोला जी भाभी ।


यू उसके हाथों का स्पर्श अपने चुचियो की दरार पर महसूस कर मधु रोमांच से लक़बरेज़ हो गई और गालो पे एक अजीब लालिमा बिखर गई और वो चंद सेकंड के लिए खुद ही झेप सी गई ।

मधु कमुक हँसी हस्ती बोली भाभी के बच्चे जाओ खाना आया है ले लो ,वो पकोड़े के टुकड़े को मुँह मे भर के मुश्कान के साथ उठा और हाथों पे लिए नोट को सूंघता दरवाज़े की और बढ़ा और मधु बोली आप झड़ गए अभी तोह मे कुछ की भी नहीं ,मैं बोला मेरी जान इतना देख के कहा रोक पाया खुद को वो हस्ती बोली आप भी न और दरवाज़े की ओर देखती बोली लगता है कुछ घंटों मे ये आपके सामने ही मेरे बदन से चिपक जाएगा ,मैं बोला अरे जिस तरह तुम उसके जवानी के जज्बातों से खेल रही हो मुझे तोह लगता है कही वो इतना न चोद दे तुम्हे की तुम दोनों उठ ही न पाओ अगले दिन ।

हम दोनों की नज़र वसंत पे ही थी उसने मधु के दिये हैं नोट को जेब मे रख लिया और अलग नोट डिलेवरी वाले लड़के को देते दरवाज़े को बंद कर के बोला भाभी इसे किचन मे रख देता हूं ,मधु बोली ह रख दो और वो खाना रख के इस बार खुद से ही मधु के और करिब बैठ कर बोला भाभी जी एक बात कहु ,मधु बोली हा बोलों न ,वो बोला जब आप मेरे बालों को सहला रही थी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क्या आप फिर से सहला देंगी ।

मधु हँसते हुए बोली हा देवर जी और अपने दोनों टांगो को मोड़ के वो बैठ गई और बोली यहाँ लेट जाओ और वसंत बिना देरी किये मधु के झांगो के बीच सर रखते हुए लेट गया और मधु उसके केसों को सहलाते हुई बोली आराम से लेटो ओर ये सुनते ही वसंत ने अपने दोनों हाथों को मधु के कमर पास फैला दिया और टांगो को सोफे के कोने पर मोड़ लिया ।

हालांकि उसके दोनों हाथ अभी मधु के गर्म जिस्म के तपन से अनभिज्ञ थे और उसका चेहरा मधु के साड़ी के ऊपर लेकिन प्यासी चुत के बेहद करिब था ,हालांकि उसके इतने करिब होने और यू बेफिक्र मधु के गोद मे आराम से सर रख कर लेट जाना उसके कुशल अभिनय की छाप छोड़ रहा था ।

यू तोह अमूमन ऐसा होना खून के रिश्ते मे भी संभव नहीं है लेकिन एक पराये अलग जाति धर्म के व्यस्क मर्द का एक परायी शादी शुदा औरत के गोद मे उसके पति के सामने यू लेट जाना किसी परस्तीति मे सामान्य नहीं हो सकता ये जानते हुए वसंत का यू मधु के गोद मे सर को दबाये लेटे देखना मेरे अंतरमन को ये यकीन दिला चुका था कि आज रात मे खुद की बीवी को इसके ही लड़ से चुदवाते देखने वाला हूं ।
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Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 07-08-2020, 12:27 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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