06-08-2020, 06:44 PM
वसंत लम्बी सास खिंचता मेरे और देखते मधु की और पलट के बोला भाभी जी आपके करीब ही तोह हु मे ,मधु मुँह सिकुड़ती बोली अगर करिब होते तोह मे क्यों कहती दूर हो ।
वसंत थोड़ी हिम्मत बटोर के मेरी तरफ तिरछी नारज़ो से घूर के सोफे पे एक टांग को मोड़ के मधु की मुद्रा मे बैठ गया और दोनों के घुटने और कोहनी आपस मे छू गई ।
मेरे मन की मोनोस्तिति अब और सहन योग न रही और मैंने बोला मधु ,वसंत बड़ा सरमिला हैं, वो हँसते हुए बोली सरमिला और ये ,एक नंबर का बदमाश हैं जी और हँसने लगी ,वसंत अपने बचाव मे बोला नहीं भाईसाहब भाभी तोह बस मेरे मज़े ले रही है ,मधु दाँतो तले होटो को दबाती बोली वही तोह लेना चाहती हु तुम दे कहा रहे हो देवर जी ।
वसंत यह सुन के सन हो गया और मेरे लड़ ने वीर्य की धार मेरे चड्डी मे बहा दी और मेरे मुख से अहह निकल गई, मधु समझ गई मे झड़ गया और वो हस्ती खिलखिलाती बोली क्या हुआ देवर जी चुप क्यों हो गए ।
वसंत शर्म और हया के ऐसे पसोपेश मे पड़ा बडी हिमाक़त दिखाते बोला भाभी आपके लिए जान हाज़िर है आप बस हुकुम फरमाए आपको शिकायत का मौका नहीं दूँगा ।
अच्छी बात है शिकायत हुई तोह खैर नही तुम्हारी देवर जी और रही बात हुकूम की तोह चिंता न करो वो भी आजमा लुंगी कितने खरे हो अपनी बातों के ,वसंत बिना वक़्त गवाए बोला अम्मी जान की कसम भाभी जी आपके लिए सब कुर्बान और नज़ाकत से सर को झुकाये वो मधु के घुटनों पे झुक गया, मधु उसके बालों को आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए मेरी और देख के आँख मारी और इशारों इशारों मे मानो कह रही हों बस कुछ देर ओर फिर आप अपनी अर्धांगनी को निर्वस्त्र इसके लौड़े की सवारी करते दिखेंगे ।
मैं झड़ के शांत बैठा बस उस पल के इंतज़ार मे था जब दोनों के जिस्म की दूरी इतनी भी न रहे कि रोशनी भी भेद पाए ।
वसंत थोड़ी हिम्मत बटोर के मेरी तरफ तिरछी नारज़ो से घूर के सोफे पे एक टांग को मोड़ के मधु की मुद्रा मे बैठ गया और दोनों के घुटने और कोहनी आपस मे छू गई ।
मेरे मन की मोनोस्तिति अब और सहन योग न रही और मैंने बोला मधु ,वसंत बड़ा सरमिला हैं, वो हँसते हुए बोली सरमिला और ये ,एक नंबर का बदमाश हैं जी और हँसने लगी ,वसंत अपने बचाव मे बोला नहीं भाईसाहब भाभी तोह बस मेरे मज़े ले रही है ,मधु दाँतो तले होटो को दबाती बोली वही तोह लेना चाहती हु तुम दे कहा रहे हो देवर जी ।
वसंत यह सुन के सन हो गया और मेरे लड़ ने वीर्य की धार मेरे चड्डी मे बहा दी और मेरे मुख से अहह निकल गई, मधु समझ गई मे झड़ गया और वो हस्ती खिलखिलाती बोली क्या हुआ देवर जी चुप क्यों हो गए ।
वसंत शर्म और हया के ऐसे पसोपेश मे पड़ा बडी हिमाक़त दिखाते बोला भाभी आपके लिए जान हाज़िर है आप बस हुकुम फरमाए आपको शिकायत का मौका नहीं दूँगा ।
अच्छी बात है शिकायत हुई तोह खैर नही तुम्हारी देवर जी और रही बात हुकूम की तोह चिंता न करो वो भी आजमा लुंगी कितने खरे हो अपनी बातों के ,वसंत बिना वक़्त गवाए बोला अम्मी जान की कसम भाभी जी आपके लिए सब कुर्बान और नज़ाकत से सर को झुकाये वो मधु के घुटनों पे झुक गया, मधु उसके बालों को आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए मेरी और देख के आँख मारी और इशारों इशारों मे मानो कह रही हों बस कुछ देर ओर फिर आप अपनी अर्धांगनी को निर्वस्त्र इसके लौड़े की सवारी करते दिखेंगे ।
मैं झड़ के शांत बैठा बस उस पल के इंतज़ार मे था जब दोनों के जिस्म की दूरी इतनी भी न रहे कि रोशनी भी भेद पाए ।