06-08-2020, 12:23 PM
जाने माने कथाकार नीलाभ (जिन्होंने इब्ने सफी उपन्यास-माला का संपादन भी किया) एक जगह लिखते हैं 'कहते हैं कि जिन दिनों अंग्रेजी के जासूसी उपन्यासों की जानी-मानी लेखिका अगाथा क्रिस्टी का डंका बज रहा था, किसी ने उनसे पूछा कि इतनी बड़ी तादाद में अपने उपन्यासों की बिक्री और अपार लोकप्रियता को देखकर उन्हें कैसे लगता है? इसपर अगाथा क्रिस्टी ने जवाब दिया कि इस मैदान में वह अकेली नहीं हैं, दूर हिंदुस्तान में एक और उपन्यासकार है जो हरदिल-अजीज और किताबों की बिक्री में उनसे उन्नीस नहीं है. वो उपन्यासकार है – इब्ने सफी.'
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
