06-08-2020, 12:21 PM
अगर आप समझते हैं 'सांबर' दक्षिण भारतीयों की देन है..तो एक बार फिर से सोच लें
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इब्ने सफी : रहस्यमयी और रोमांचक कथाओं का बादशाह
इब्ने सफी ने 1952 से 1979 तक कुल 126 उपन्यास लिखे लेकिन अपने आपको कभी दोहराया नहीं
Updated On: Jul 26, 2017 11:04 AM IST
Nazim Naqvi
0
इब्ने सफी : रहस्यमयी और रोमांचक कथाओं का बादशाह
क्या आपने इब्ने सफी का उपन्यास ‘कुंए का राज’ पढ़ा है? इस कहानी में आपको कई दिलचस्प किरदार मिल जाएंगे. तारिक जिसकी आंखें खतरनाक थीं (कहानी के बीच में पता चलता है कि दरअसल वो सांप के जहर का नशा करता है), जिसके पास एक अजीबोगरीब नेवला था जो पल भर में बड़े से बड़े शहतीर काट कर फेंक देता था.
परवेज- एक चालीस साल का बच्चा जो घुटनों के बल चलता था, बोतल से दूध पीता था और नौकर उसे गोद में उठाए फिरते थे. वो इमारत जिसकी दीवारों से दरिंदे जानवरों की आवाजें आती थीं. वो कुआं जिससे अंगारों की बौछारें निकलती थीं. क्या कहा, आपने नहीं पढ़ा? तो हम ये कह सकते हैं की आपसे कुछ ऐसा छूट गया है जो बेशकीमती था.
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इब्ने सफी : रहस्यमयी और रोमांचक कथाओं का बादशाह
इब्ने सफी ने 1952 से 1979 तक कुल 126 उपन्यास लिखे लेकिन अपने आपको कभी दोहराया नहीं
Updated On: Jul 26, 2017 11:04 AM IST
Nazim Naqvi
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इब्ने सफी : रहस्यमयी और रोमांचक कथाओं का बादशाह
क्या आपने इब्ने सफी का उपन्यास ‘कुंए का राज’ पढ़ा है? इस कहानी में आपको कई दिलचस्प किरदार मिल जाएंगे. तारिक जिसकी आंखें खतरनाक थीं (कहानी के बीच में पता चलता है कि दरअसल वो सांप के जहर का नशा करता है), जिसके पास एक अजीबोगरीब नेवला था जो पल भर में बड़े से बड़े शहतीर काट कर फेंक देता था.
परवेज- एक चालीस साल का बच्चा जो घुटनों के बल चलता था, बोतल से दूध पीता था और नौकर उसे गोद में उठाए फिरते थे. वो इमारत जिसकी दीवारों से दरिंदे जानवरों की आवाजें आती थीं. वो कुआं जिससे अंगारों की बौछारें निकलती थीं. क्या कहा, आपने नहीं पढ़ा? तो हम ये कह सकते हैं की आपसे कुछ ऐसा छूट गया है जो बेशकीमती था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
