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जिनके उपन्यास पाकिस्तान में ही नहीं भारत में भी ब्लैक में बिका करते थे
#5
बाद में यह भी हुआ कि इब्ने सफी के उपन्यासों के मुरीद यूरोप में भी पैदा हो गए. यहां तक कि अंग्रेजी के साहित्यकार भी उनके नाम-काम से परिचित होने लगे. अंग्रेजी भाषा की प्रसिद्ध लेखिका अगाथा क्रिस्टी का उनके बारे में कहना था, ‘मुझे भारतीय उपमहाद्वीप में लिखे जाने वाले जासूसी उपन्यासों के बारे में पता है. मैं उर्दू नहीं जानती लेकिन मुझे पता है कि वहां एक ही मौलिक लेखक है और वो है – इब्ने सफी.’ हालांकि इब्ने सफी अपने कुछ शुरुआती उपन्यासों को मौलिक नहीं मानते थे. उन्होंने तकरीबन 250 उपन्यास लिखे थे और खुद उनके मुताबिक इनमें से 8-10 की आत्मा (कहानी) यूरोपीय उपन्यासों से उधार ली गई थी लेकिन जिस्म देसी मिट्टी से बना था....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जिनके उपन्यास पाकिस्तान में ही नहीं भारत में भी ब्लैक में बिका करते थे - by neerathemall - 06-08-2020, 12:14 PM



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