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Incest मेरी बहन-मेरी पत्नी
#20
सच कहता हूँ दोस्तों जो मजा अपनी बहन को नंगा नहाते हुए देखने का है उसका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता है |
उसने अपना तोलिया उठाया और मेरे हाथ में दे कर अपना बदन साफ़ करवाने लगी |मैंने अच्छे से उसका बदन तोलिये से साफ़ किया-खास तौर से उसकी चूचियां और चूत को |उसके बाद मुझे पेंटी पहनाने को कहा जो मैंने उसे पहना दी |बाद में उसने मुझे ब्रा दी और पहनाने के लिए कहा |
सच कहता हूँ दोस्तों मैंने बहुत कोशिश की मगर मै उसे ब्रा नहीं पहना सका |मै जितनी बार भी उसे ब्रा पहनाने की कोशिश करता ,उसकी चूचियां ब्रा में से निकल जाती थीं |मैंने बहुत कोशिश की-आगे से-पीछे से, मगर मै उसे ब्रा नहीं पहना सका | आखिरकार अमृता नाराज होते हुए बोली- "भईया, आपको तो सिर्फ ब्रा खोलनी आती है पहननी नहीं| खोलने में तो एक सेकंड भी नहीं लगता है आपको ?पहनाते हुए क्या हो रहा है ?"
मैंने भी अपनी इज्जत बचने के लिए कहा-" देख बहन , जो काम जिसका हो उसे ही करना चाहिए |मेरा काम तो इसे उतरने का है, मै उतर लेता हूँ, तेरा काम पहनने का है-तू पहन ले |"

काले रंग की ब्रा और सेक्सी पेंटी में उसका गोरा बदन बहुत सुंदर लग रहा था, अगर अभी अभी चूस-चूस कर झाडा न होता तो एक ट्रिप लगा लेता मै उसके ऊपर |
अमृता ने अपनी ब्रा खुद पहनी और उसके बाद मैंने उसे सलवार पहनाई | मगर जैसे ही मै उसे कमीज पहनने लगा था कि कामवाली ने दरवाजा खटखटा दिया |अमृता ने जल्दी से अपनी कमीज खुद पहनी |मगर मेरी नजर उसकी चुचियों पे टिकी हुई थी |कमीज पहनने के बाद भी उसकी चुचियों की गोलाई साफ़ दिखाई दे रही थी- ये शायद नयी ब्रा का कमाल था | उस ब्रा की फिटइंग इतनी अच्छी थी कि कमीज के अंदर भी उसकी चूचियां गोल-गोल और सुंदर लग रही थी | दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने जो पैसे अपनी बहन को ब्रा खरीदने के लिए दिए थे वो उसकी चुचियों की गोलाई देख कर वसूल हो गए थे |
कामवाली -सुनीता लगभग डेढ़ घंटे तक काम करती रही और इन डेढ़ घंटों में मै अमृता के गोल-गोल बूब्स को देख देख कर समय बिताता रहा | ये तो अच्छा हुआ था कि अमृता ने नहाते हुए मुझे चूस कर झाड दिया था वरना उस दिन डेढ़ घंटा बिता पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाता |
जब तक सुनीता काम कर रही थी मै नहा कर तैयार हो गया था |सुनीता का काम खत्म होने वाला था | मैंने अमृता पर पूरी नजर रखनी शुरू कर दी थी |जैसे ही सुनीता घर से बहार निकली और अमृता ने उसके जाने के बाद दरवाजा बंद किया, मै उसे पीछे से पकड़ कर बाहों में भर लिया और दरवाजे के सहारे ही टिका दिया |मैंने उसके हाथ फैला कर पकड रखे थे और मेरा लंड उसकी गांड पे था और चेहरा उसके कंधे पे |अमृता बार बार कह रही थी- "छोडो .......छोडो न भईया ..........अब क्या दरवाजे पर करोगे? कोई आ गया तो आवाज बहार चली जायेगी .............अन्दर चल कर कर लो जो कुछ करना है |"
मगर मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और वहीँ उसकी गर्दन के पास, उसकी कमर पर किस्स करने लग गया | थोड़ी देर किस्स करने के बाद ही अमृता भी गरम होने लगी थी |अब उसने विरोध करना छोड़ दिया था और उसके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी थी | वो खुद मदहोश हो कर- "भईया ...........उंह भईया .........." बोलने लगी थी |
मैंने उसकी कमीज उठा कर उसकी कमर पे किस्स करना शुरू कर दिया |अमृता ने झटके लेने शुरू कर दिया |जब मै उसे बिस्तर पे लेटाकर चूमता हूँ तो वो उछल-उछल कर सिसकियाँ लेती है मगर इस समय अमृता खड़े खड़े झटके ले रही थी |मेरा भी लंड बेकाबू हो रहा था |मैंने अपना लंड बहार निकला और उसके हाथ में दे दिया |अमृता बिना मुड़े ही मेरा लंड हिलाने लगी |मुझे सुरूर चड़ने लगा था, मैंने उसका कुर्ता उतर दिया और उसकी नंगी कमर पे ब्रा के स्टेप के पास किस्स करने लगा | अमृता को सबसे ज्यादा झटके या तो ब्रा के स्टेप के पास आ रहे थे या फिर जब मै उसकी बगल के नीचे से होते हुए उसके बूब्स पर किस्स करता था, तब आते थे |इसलिए मै इन्ही दोनों जगहों पर बार बार किस्स कर रहा था | थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी सलवार भी खोल दी और अब अमृता सिर्फ ब्रा-पेंटी में रह गयी |अमृता ने फिर से मुझे कमरे में चलने के लिए कहा मगर मैंने कहा कि मै उसकी यही दिवार के सहारे लगा कर लेना चाहता हूँ| अमृता मुझसे वादा कर चुकी थी कि सुनीता के जाने के बाद मै जैसे चहुँ उसकी ले सकता हूँ इसलिए अब वो बेबस थी |अब उसके पास मेरी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था | मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाला और दुसरे हाथ से उसके बूब्स मसलने लगा | अमृता अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी |अब वो खड़े खड़े अपनी टाँगे खोलती जा रही थी |मुझे समझ में आ गया कि अब अमृता पूरी तरह से तैयार हो चुकी है अब मुझे देर नहीं करनी चाहिए और अपना लंड अब उसकी चूत में डाल ही देना चाहिए |मैंने फटाफट उसकी ब्रा-पेंटी उतारी और उसे पूरी तरह से नंगा करके खुद भी नंगा हो गया |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी बहन-मेरी पत्नी - by neerathemall - 05-08-2020, 02:52 PM



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