05-08-2020, 02:52 PM
ने अपना लड़ उसकी चूत पे लगाया और अंदर धकेलने लगा |अमृता ने जोर से सिसकी ले और बोली-
"भईया क्या कर रहे हो? इस टाइम लोगे क्या ? ?"
मैंने कहा- "हाँ"
बोली - "चाहिए तो ले लो मै रोकूंगी नहीं | मगर अभी काम वाली आने वाली है | ज्यादा टाइम नहीं है अगर अभी लेनी है तो जल्दी जल्दी लेनी पड़ेगी, मजा नहीं आएगा .............सब खेल पांच-सात मिनट में ख़तम हो जायेगा | मुझे किसी बच्चे की तरह समझाते हुए बोली- अगर सब्र कर सको तो थोड़ी देर रुक जाओ ............कामवाली को हो कर जाने दो फिर अच्छे से लेना |आपको भी मजा आएगा और मुझे भी |"
अमृता की यही अदा मुझे दीवाना बना देती है और मै उसकी बात टाल नहीं पाटा हूँ |
मैंने भी बच्चों की तरह कहा- ठीक है.......बाद में ले लूँगा | मगर लूँगा ऐसे ही खड़े करके -दिवार के सहारे |"
वो भी लाड प्यार वाले अंदाज में बोली- " ओह्ह्हह्ह मेरा बच्चा..........ठीक है दिवार के सहारे ले लेना मगर अभी तो छोडो|"
मैंने अमृता को छोड़ दिया और वो अलमारी से कपडे निकलने लगी |उसने सलवार कमीज और साथ में वही ब्रा-पेंटी निकली (जो जो काले रंग की सेक्सी वाली मैंने उसे खरीदने के लिए कही थी) |
कपडे ले कर वो बाथरूम में जाने लगी तो मै भी उसके पीछे बाथरूम में जाने लगा |मगर अमृता ने फिर से मुझे समय की कमी के कारण मना कर दिया |मैंने कहा कि मै उसके साथ नहाना चाहता हूँ मगर अमृता ने एक बार फिर से मुझे वही सब कह कर बहला दिया जो उसने पहले कहा था -समय की कमी के कारण मजा नहीं आएगा और वो मुझे कल अपने साथ नहलाएगी |
मैंने उसकी बात मान ली और कहा कि ठीक है मै उसके साथ नहीं नाहूँगा मगर उसे मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी - उसे दरवाजा खोलकर नहाना पड़ेगा ताकि मै उसे नाहाते हुए देख सकूँ |अमृता ने कहा वो दरवाजा खोलकर नहा लेगी मगर उसकी भी एक शर्त है कि मै उसे नाहते हुए न तो छूऊंगा और न ही छेडूंगा ,बस देख सकूँगा | मैंने भी अमृता की ये शर्त मान ली |
अमृता बाथरूम में नहाने के लिए चली गयी (ये बाथरूम हमारे कमरे के अंदर ही बना हुआ है ) और मैंने उसके सारे कपडे (सलवार-कमीज,ब्रा-पेंटी और उसका तोलिया ) अपने बिस्तर पर ही रखवा लिए तथा मै खुद बाथरूम के बहार कुर्सी डाल कर बैठ गया | अमृता ने शोवर (फुव्वारा ) खोला और नहाना शुरू कर दिया |
मै बहुत गौर से उसे नाहते हुए देखने लगा |उसके बदन पे गिरता हुआ पानी मेरे दिल में आग लगाने लगा |उसकी गोल-गोल चुचियों से बह कर गिरता हुआ पानी ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ की छोटी से झरना बह रहा हो |पानी से भीगा हुआ उसका बदन क़यामत ढा रहा था | ख़ास तौर से उसकी चुचियों पर गिरने वाला पानी मोती के सामान लग रहा था | उसकी गोल-गोल गोरी-गोरी चुचियों पर गिरता हुआ पानी किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | मै अमृता को नहाता हुआ देख कर उत्तेजित होने लगा और धीरे धीरे अपने लंड को (हलके से ) सहलाने लगा | मै उसे देख कर बीच-बीच में अपने लंड को हलके से झटका दे देता और फिर रूक जाता | अमृता मुझे ये सब करता हुआ देख कर मुस्कुराने लगी |वो जानती थी कि इस समय मेरी क्या हालत हो रही है | शायद उसे अपनी जवानी का एहसास था, और अपने नशीले बदन पे इतराते हुए वो मुझे तडपाना चाहती थी |
लेकिन असली क़यामत तो तब आई जब अमृता ने अपने बदन पे साबुन लगाया |उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ क्या लग रही थी उस समय वो...........आज भी याद करता हूँ तो लंड खड़ा हो जाता है |जब अमृता ने अपने बूब्स पर साबुन लगाया था और साथ में अपनी चूत को साबुन लगा कर साफ़ किया था ................मेरे बरदाश्त से बहार हो गया था एक बार तो दिल में आया कि उससे किया हुआ वादा तोड़ दूँ और अभी इसी वक्त पेल दूँ साली को |मगर फिर लगा कि अगर बीच में ही सुनीता (हमारी कामवाली ) आ गयी तो सारा मजा खराब हो जायेगा | इसलिए मैंने अमृता को देखते हुए मुठ मारनी शुरू कर दी थी | उधर अमृता नहा रही थी और इधर मै उसे देख कर मुठ मारने लगा |
जब अमृता ने मुझे मुठ मारते हुए देखा तो वो नाराज हो कर बोली-
"भईया ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा था न आपको सुनीता (हमारी कामवाली ) को जाने दो, मै करवा दूंगी आपका काम |थोडा सा तो सब्र किया करो भईया |"
लेकिन मैंने कहा- "देख अमृता , तुने मुझे कहा था कि मै तुझे छुऊँ नहीं | इसलिए मैंने तुझे छुआ नहीं है |मगर मै तुझे नहाते हुए देख कर और कण्ट्रोल नहीं कर सकता हूँ | शायद तू खुद नहीं जानती कि तू इस समय क्या चीज लग रही है?
अमृता भी मुस्कुराते हुए बाथरूम से बहार निकल कर आ गयी और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को मुह में ले कर चूसने लगी और बोली- मेरे रहते हुए आपको मुठ मारनी पड़े तो लानत है मेरे पे |उसके बाद अमृता ने मेरा लंड चूस चूस कर झाड डाला |मै कुर्सी पर बैठे बैठे उसकी चूची सहलाता रहा और अपने हनीमून के मजे लेता रहा |
मेरा लंड झाड़ने के बाद अमृता वापिस बाथरूम में गयी और नहा कर बहार आ गयी |
"भईया क्या कर रहे हो? इस टाइम लोगे क्या ? ?"
मैंने कहा- "हाँ"
बोली - "चाहिए तो ले लो मै रोकूंगी नहीं | मगर अभी काम वाली आने वाली है | ज्यादा टाइम नहीं है अगर अभी लेनी है तो जल्दी जल्दी लेनी पड़ेगी, मजा नहीं आएगा .............सब खेल पांच-सात मिनट में ख़तम हो जायेगा | मुझे किसी बच्चे की तरह समझाते हुए बोली- अगर सब्र कर सको तो थोड़ी देर रुक जाओ ............कामवाली को हो कर जाने दो फिर अच्छे से लेना |आपको भी मजा आएगा और मुझे भी |"
अमृता की यही अदा मुझे दीवाना बना देती है और मै उसकी बात टाल नहीं पाटा हूँ |
मैंने भी बच्चों की तरह कहा- ठीक है.......बाद में ले लूँगा | मगर लूँगा ऐसे ही खड़े करके -दिवार के सहारे |"
वो भी लाड प्यार वाले अंदाज में बोली- " ओह्ह्हह्ह मेरा बच्चा..........ठीक है दिवार के सहारे ले लेना मगर अभी तो छोडो|"
मैंने अमृता को छोड़ दिया और वो अलमारी से कपडे निकलने लगी |उसने सलवार कमीज और साथ में वही ब्रा-पेंटी निकली (जो जो काले रंग की सेक्सी वाली मैंने उसे खरीदने के लिए कही थी) |
कपडे ले कर वो बाथरूम में जाने लगी तो मै भी उसके पीछे बाथरूम में जाने लगा |मगर अमृता ने फिर से मुझे समय की कमी के कारण मना कर दिया |मैंने कहा कि मै उसके साथ नहाना चाहता हूँ मगर अमृता ने एक बार फिर से मुझे वही सब कह कर बहला दिया जो उसने पहले कहा था -समय की कमी के कारण मजा नहीं आएगा और वो मुझे कल अपने साथ नहलाएगी |
मैंने उसकी बात मान ली और कहा कि ठीक है मै उसके साथ नहीं नाहूँगा मगर उसे मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी - उसे दरवाजा खोलकर नहाना पड़ेगा ताकि मै उसे नाहाते हुए देख सकूँ |अमृता ने कहा वो दरवाजा खोलकर नहा लेगी मगर उसकी भी एक शर्त है कि मै उसे नाहते हुए न तो छूऊंगा और न ही छेडूंगा ,बस देख सकूँगा | मैंने भी अमृता की ये शर्त मान ली |
अमृता बाथरूम में नहाने के लिए चली गयी (ये बाथरूम हमारे कमरे के अंदर ही बना हुआ है ) और मैंने उसके सारे कपडे (सलवार-कमीज,ब्रा-पेंटी और उसका तोलिया ) अपने बिस्तर पर ही रखवा लिए तथा मै खुद बाथरूम के बहार कुर्सी डाल कर बैठ गया | अमृता ने शोवर (फुव्वारा ) खोला और नहाना शुरू कर दिया |
मै बहुत गौर से उसे नाहते हुए देखने लगा |उसके बदन पे गिरता हुआ पानी मेरे दिल में आग लगाने लगा |उसकी गोल-गोल चुचियों से बह कर गिरता हुआ पानी ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ की छोटी से झरना बह रहा हो |पानी से भीगा हुआ उसका बदन क़यामत ढा रहा था | ख़ास तौर से उसकी चुचियों पर गिरने वाला पानी मोती के सामान लग रहा था | उसकी गोल-गोल गोरी-गोरी चुचियों पर गिरता हुआ पानी किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | मै अमृता को नहाता हुआ देख कर उत्तेजित होने लगा और धीरे धीरे अपने लंड को (हलके से ) सहलाने लगा | मै उसे देख कर बीच-बीच में अपने लंड को हलके से झटका दे देता और फिर रूक जाता | अमृता मुझे ये सब करता हुआ देख कर मुस्कुराने लगी |वो जानती थी कि इस समय मेरी क्या हालत हो रही है | शायद उसे अपनी जवानी का एहसास था, और अपने नशीले बदन पे इतराते हुए वो मुझे तडपाना चाहती थी |
लेकिन असली क़यामत तो तब आई जब अमृता ने अपने बदन पे साबुन लगाया |उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ क्या लग रही थी उस समय वो...........आज भी याद करता हूँ तो लंड खड़ा हो जाता है |जब अमृता ने अपने बूब्स पर साबुन लगाया था और साथ में अपनी चूत को साबुन लगा कर साफ़ किया था ................मेरे बरदाश्त से बहार हो गया था एक बार तो दिल में आया कि उससे किया हुआ वादा तोड़ दूँ और अभी इसी वक्त पेल दूँ साली को |मगर फिर लगा कि अगर बीच में ही सुनीता (हमारी कामवाली ) आ गयी तो सारा मजा खराब हो जायेगा | इसलिए मैंने अमृता को देखते हुए मुठ मारनी शुरू कर दी थी | उधर अमृता नहा रही थी और इधर मै उसे देख कर मुठ मारने लगा |
जब अमृता ने मुझे मुठ मारते हुए देखा तो वो नाराज हो कर बोली-
"भईया ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा था न आपको सुनीता (हमारी कामवाली ) को जाने दो, मै करवा दूंगी आपका काम |थोडा सा तो सब्र किया करो भईया |"
लेकिन मैंने कहा- "देख अमृता , तुने मुझे कहा था कि मै तुझे छुऊँ नहीं | इसलिए मैंने तुझे छुआ नहीं है |मगर मै तुझे नहाते हुए देख कर और कण्ट्रोल नहीं कर सकता हूँ | शायद तू खुद नहीं जानती कि तू इस समय क्या चीज लग रही है?
अमृता भी मुस्कुराते हुए बाथरूम से बहार निकल कर आ गयी और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को मुह में ले कर चूसने लगी और बोली- मेरे रहते हुए आपको मुठ मारनी पड़े तो लानत है मेरे पे |उसके बाद अमृता ने मेरा लंड चूस चूस कर झाड डाला |मै कुर्सी पर बैठे बैठे उसकी चूची सहलाता रहा और अपने हनीमून के मजे लेता रहा |
मेरा लंड झाड़ने के बाद अमृता वापिस बाथरूम में गयी और नहा कर बहार आ गयी |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.