05-08-2020, 02:49 PM
(This post was last modified: 04-01-2022, 01:26 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अमृता चलती कार में मेरे लंड पे झुकरकर उसे चूस रही थी| पहले तो मुझे लगा कि वो सिर्फ दो बार चूस कर मेरा लंड छोड़ देगी मगर जब वो लगातार मेरा लंड चूसने लगी तो मैंने भी उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए | उधर वो मेरा लंड चूसने लगी और इधर मै उसके बूब्स दबाने लगा | थोड़ी देर चूसने के बाद अमृता मुस्कुराते हुए उठी और बोली- "बस भईया अब तो खुश ? अब तो नाराज नहीं हो न मुझसे? "
मैंने भी खुश होते हुए कहा- तुझसे नाराज हो कर जी सकता हूँ? तू तो जान है मेरी |
उसके बाद मै बिना अमृता को छोड़ कर कार चलाने लगा |मगर मैंने कार घर कि तरफ लेने कि बजाये एक रेस्टुरेंट में रोक दी | मै अमृता को ले कर उस रेस्टुरेंट में गया और हम दोनों किसी बॉय फ्रेंड- गर्ल फ्रेंड कि तरह वहां बहुत देर तक बैठे रहे |वहां हम दोनों ने कोल्ड-ड्रिंक पी और बीच बीच में एक दुसरे का हाथ पकड़ते तो कभी किसी प्रेमी जोड़े कि तरह एक दुसरे कि आँखों में आँखे डाल कर देखते रहते |
वहां बैठ कर जब हम दोनों प्यार कि बाते कर रहे थे, तब अमृता ने कहा कि उसने आज तक कोई भी अडल्ट फिल्म नहीं देखि है, इसलिए मम्मी कि गैर-मौजूदगी में वो ये फिल्म मेरे साथ देखना चाहती है |और मैंने अमृता को कुछ पैसे देते हुए कहा कि मै उसे काले रंग कि सेक्सी ब्रा-पेंटी में देखना चाहता हूँ, इसलिए वो २-३ सेक्सी सी ब्रा-पेंटी खरीद कर ऑटो से घर पहुँच जाए (क्योकि हमारी उम्र उस समय बहुत कम थी इसलिए हम लोग पति-पत्नी नहीं लगते थे | इसलिए अमृता को अकेले ही ये खरीददारी करनी थी ) और मै उसके लिए अडल्ट फिल्म कि कैसेट (उस समय मेरे घर में वी सी आर था ) खरीदने चला गया |
रस्ते में आते समय मैंने लगभग दस बीयर कि बोतले भी खरीद लीं क्योकि मै इन पंद्रह दिनों में वो सब कर लेना चाहता था जो अगले पंद्रह सालों के लिए एक याद बन कर रहे |
जब मै घर पहुंचा तो अमृता मुझसे पहले ही घर आ चुकी थी | अमृता ने दरवाजा खोला तो अमृता को देखते ही (सिर्फ ये सोच कर कि अब पंद्रह दिनों के लिए मै दिन रात इसकी चूत मारने वाला हूँ) मेरा लंड खड़ा हो गया |अमृता की नजर भी हमेशा की तरह मेरे लंड पर गयी और मेरी फूली हुई पेंट को देखकर मुस्कुराते हुए उसने मेरे होंठों पे किस्स करते हुए मेरा स्वागत किया | मेरे हाथ में बीयर कि बोतले और कैसेट होने के कारण मै अमृता को बाहों में नहीं भर सकता था जिसका अमृता ने खूब फायदा उठाया और दरवाजे पर ही घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी | ये मेरी जिंदगी का पहला एहसास था कि मेरी बहन दरवाजा खोलते ही मेरे लंड से खेल रही थी मगर मै सामान हाथ में होने के कारण उसे बाहों में भी नहीं भर पा रहा था | अमृता इस मौके का फायदा उठा रही थी और कार में जो मैंने उसे सताया था उसका बदला ले रही थी |मै बेबस सा खड़ा हुआ सिर्फ उसे गाली दे रहा था और बार बार अनुरोध कर रहा था कि मुझे एक बार अंदर आ जाने दे और सामान रख लेने दे | मगर अमृता ने तो मेरा लंड ही बहार निकल लिया और मुह में ले कर चूसना शुरू कर दिया |मेरी सिसकियाँ निकलने लगी, मै जोर जोर से उसे गलियां देने लगा |लेकिन मै उतना ही बेबस था जितना एक लड़की रेप के समय होती है और अमृत मेरे लंड से खेलती रही |
मैंने भी खुश होते हुए कहा- तुझसे नाराज हो कर जी सकता हूँ? तू तो जान है मेरी |
उसके बाद मै बिना अमृता को छोड़ कर कार चलाने लगा |मगर मैंने कार घर कि तरफ लेने कि बजाये एक रेस्टुरेंट में रोक दी | मै अमृता को ले कर उस रेस्टुरेंट में गया और हम दोनों किसी बॉय फ्रेंड- गर्ल फ्रेंड कि तरह वहां बहुत देर तक बैठे रहे |वहां हम दोनों ने कोल्ड-ड्रिंक पी और बीच बीच में एक दुसरे का हाथ पकड़ते तो कभी किसी प्रेमी जोड़े कि तरह एक दुसरे कि आँखों में आँखे डाल कर देखते रहते |
वहां बैठ कर जब हम दोनों प्यार कि बाते कर रहे थे, तब अमृता ने कहा कि उसने आज तक कोई भी अडल्ट फिल्म नहीं देखि है, इसलिए मम्मी कि गैर-मौजूदगी में वो ये फिल्म मेरे साथ देखना चाहती है |और मैंने अमृता को कुछ पैसे देते हुए कहा कि मै उसे काले रंग कि सेक्सी ब्रा-पेंटी में देखना चाहता हूँ, इसलिए वो २-३ सेक्सी सी ब्रा-पेंटी खरीद कर ऑटो से घर पहुँच जाए (क्योकि हमारी उम्र उस समय बहुत कम थी इसलिए हम लोग पति-पत्नी नहीं लगते थे | इसलिए अमृता को अकेले ही ये खरीददारी करनी थी ) और मै उसके लिए अडल्ट फिल्म कि कैसेट (उस समय मेरे घर में वी सी आर था ) खरीदने चला गया |
रस्ते में आते समय मैंने लगभग दस बीयर कि बोतले भी खरीद लीं क्योकि मै इन पंद्रह दिनों में वो सब कर लेना चाहता था जो अगले पंद्रह सालों के लिए एक याद बन कर रहे |
जब मै घर पहुंचा तो अमृता मुझसे पहले ही घर आ चुकी थी | अमृता ने दरवाजा खोला तो अमृता को देखते ही (सिर्फ ये सोच कर कि अब पंद्रह दिनों के लिए मै दिन रात इसकी चूत मारने वाला हूँ) मेरा लंड खड़ा हो गया |अमृता की नजर भी हमेशा की तरह मेरे लंड पर गयी और मेरी फूली हुई पेंट को देखकर मुस्कुराते हुए उसने मेरे होंठों पे किस्स करते हुए मेरा स्वागत किया | मेरे हाथ में बीयर कि बोतले और कैसेट होने के कारण मै अमृता को बाहों में नहीं भर सकता था जिसका अमृता ने खूब फायदा उठाया और दरवाजे पर ही घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी | ये मेरी जिंदगी का पहला एहसास था कि मेरी बहन दरवाजा खोलते ही मेरे लंड से खेल रही थी मगर मै सामान हाथ में होने के कारण उसे बाहों में भी नहीं भर पा रहा था | अमृता इस मौके का फायदा उठा रही थी और कार में जो मैंने उसे सताया था उसका बदला ले रही थी |मै बेबस सा खड़ा हुआ सिर्फ उसे गाली दे रहा था और बार बार अनुरोध कर रहा था कि मुझे एक बार अंदर आ जाने दे और सामान रख लेने दे | मगर अमृता ने तो मेरा लंड ही बहार निकल लिया और मुह में ले कर चूसना शुरू कर दिया |मेरी सिसकियाँ निकलने लगी, मै जोर जोर से उसे गलियां देने लगा |लेकिन मै उतना ही बेबस था जितना एक लड़की रेप के समय होती है और अमृत मेरे लंड से खेलती रही |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.