05-08-2020, 02:47 PM
(This post was last modified: 04-01-2022, 11:59 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मै जनता था कि अमृता झड चुकी है लेकिन मेरा लंड अभी झाडा नहीं था इसलिए मै रूक गया ये सोच कर कि शायद अमृता अब इसे चूत में से बहार निकलना चाहे मगर एक अच्छे साथी कि तरह अमृता ने ऐसा नहीं किया |उसने खुद कहा- क्या हुआ भईया ? रूक क्यों गए? आप अपना पूरा करो मै दे रही हूँ आपका साथ | जब तक आपका नहीं झडेगा मै साथ देती रहूंगी ............आप करो |
अमृता के इतना कहते ही मैंने दुगनी स्पीड से झटके मारने शुरू कर दिए और थोड़ी ही देर में मेरा लंड भी झड गया |जैसे ही मेरा लंड झाडा, मैंने अपने लंड को अपनी बहन कि चूत से बहार निकलना चाह ताकि मेरा वीर्य उसकी चूत के अंदर न झड जाए मगर अमृता ने बलपूर्वक मुझे ऐसा करने से रोक दिया और इससे पहले कि मै उसके बल का जवाब अपने बल से दे पता मेरा लंड मेरी बहन कि चूत में ही झड गया और मै उसे इस गलती के लिए गाली देने लगा | गाली सुनकर अमृता हंसने लगी और बोली भईया जब सब कुछ करना ही है तो डरना कैसा ? जो असली मजा है अगर वाही न लिया तो ये सब करना बेकार है | आज मै पूरी तरह से आपकी हो जाना चाहती थी और कोई भी दूरी बाकी रखना नहीं चाहती थी इसलिए जो होगा देखा जायेगा | अगर कुछ हो भी गया तो हम दवाई ले लेंगे मगर अब से मै आपकी दूरी बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ और अब मुझे बहन का ये लोडा (फिर से मेरे लंड को हाथ में लेते हुए ) चाहिए ही चाहिए |
मै भी जनता था कि जो होना था वो तो हो ही चूका है और अब उस बात को सोच कर कुछ हासिल नहीं होगा इसलिए जो आन्नद आज मिला है उसे याद करना चाहिए न कि जो गलत हो गया उसे |मैंने अमृता को आखिरी लिप्स तो लिप्स किया और उसके ऊपर से उतर कर उसके बराबर में लेट गया |
अमृता बिस्तर से उठी और सबसे पहले पलंग के दोनों तरफ गिरे हुए कपड़ों को समेटने लगी (जिन्हें मै तो भूल ही चूका था ) और पूर्ण संतुष्टि के भाव के साथ किसी अच्छी पत्नी कि तरह कमरा साफ़ करने लगी |
उसके बाद अमृता ने अलमारी से अपने कपडे भी निकले और मेरे भी | हम दोनों भाई बहन नए कपडे पहन कर सो गए और अगले दिन फटे हुए कपडे मम्मी कि नजरों से बचा कर फैंक आये |
उस रात के बाद हम दोनों भाई बहन लगभग रोज (उसके मासिक दिनों को छोड़ कर, वैसे तो कभी कभार उन दिनों में भी एक दो बार ) एक दुसरे कि बाहों में समां जाते है | आज भी (उस घटना के लगभग ११ वर्ष बाद भी ) मुझे मेरी बहन उतनी ही सुंदर लगती है जितनी कि तब लगती थी |और आज भी मै उसकी चूत को देख कर उतना ही पागल हो जाता हूँ जितना उस दिन हुआ था | बस अंतर इतना है कि अब हमें एक दुसरे के कपडे फाड़ने कि जरुरत नहीं पड़ती क्योकि हम जानते है कि अब हम दोनों ही एक दुसरे से प्यार किये बिना रह ही नहीं सकते |
दोस्तों मै आपको पहले भी अपनी और अपनी बहन अमृता के बारे में बहुत कुछ बता चूका हूँ | आज मै आपको अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहा हूँ जो मेरी जिंदगी की हसीन यादों में से एक है | यूँ तो मै लगभग डेढ़ या दो साल से अपनी बहन की चूत मार रहा था और इन दो सालों में मैंने अपनी बहन के साथ हर तरह का मजा लिया था- उसे बिस्तर पे बिछा के चूत मारना, उसे लंड के ऊपर बैठा कर कुदाना, कुतिया बना कर लेना..............और भी बहुत तरह के मगर ये सब रात में बंद कमरे तक ही सीमित था | लेकिन दिन में या खुले में मुझे ये सब करने की छूट नहीं थी | अमृता मम्मी से बहुत डरती थी इसलिए दिन में या खुले में ये सब करने नहीं देती थी |यूँ तो हम दोनों भाई बहन पति-पत्नी की तरह तो लगभग दो साल से साथ रह रहे थे मगर हमने कभी हनीमून नहीं मनाया था |
लेकिन ये बात आज से लगभग नो साल पुरानी है - हमारे पापा का ट्रान्सफर इलहाबाद हो गया था और पापा की तबियत कुछ दिनों से खराब चल रही थी (उन्हें बुखार चल रहा था ) मगर उन्हें छुट्टियाँ नहीं मिल पा रही थी, इसलिए मम्मी पंद्रह दिनों के लिए पापा के पास रहने जा रही थी और हम दोनों भाई बहन अब घर में पंद्रह दिनों के लिए अकेले रहने वाले थे |
[email=https://cdni.pornpics.com/1280/1/291/94316652/94316652_009_8010.jpg]https://cdni.pornpics.com/1280/1/291/94316652/94316652_009_8010.jpg[/email]
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मै भी जनता था कि जो होना था वो तो हो ही चूका है और अब उस बात को सोच कर कुछ हासिल नहीं होगा इसलिए जो आन्नद आज मिला है उसे याद करना चाहिए न कि जो गलत हो गया उसे |मैंने अमृता को आखिरी लिप्स तो लिप्स किया और उसके ऊपर से उतर कर उसके बराबर में लेट गया |
अमृता बिस्तर से उठी और सबसे पहले पलंग के दोनों तरफ गिरे हुए कपड़ों को समेटने लगी (जिन्हें मै तो भूल ही चूका था ) और पूर्ण संतुष्टि के भाव के साथ किसी अच्छी पत्नी कि तरह कमरा साफ़ करने लगी |
उसके बाद अमृता ने अलमारी से अपने कपडे भी निकले और मेरे भी | हम दोनों भाई बहन नए कपडे पहन कर सो गए और अगले दिन फटे हुए कपडे मम्मी कि नजरों से बचा कर फैंक आये |
उस रात के बाद हम दोनों भाई बहन लगभग रोज (उसके मासिक दिनों को छोड़ कर, वैसे तो कभी कभार उन दिनों में भी एक दो बार ) एक दुसरे कि बाहों में समां जाते है | आज भी (उस घटना के लगभग ११ वर्ष बाद भी ) मुझे मेरी बहन उतनी ही सुंदर लगती है जितनी कि तब लगती थी |और आज भी मै उसकी चूत को देख कर उतना ही पागल हो जाता हूँ जितना उस दिन हुआ था | बस अंतर इतना है कि अब हमें एक दुसरे के कपडे फाड़ने कि जरुरत नहीं पड़ती क्योकि हम जानते है कि अब हम दोनों ही एक दुसरे से प्यार किये बिना रह ही नहीं सकते |
दोस्तों मै आपको पहले भी अपनी और अपनी बहन अमृता के बारे में बहुत कुछ बता चूका हूँ | आज मै आपको अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहा हूँ जो मेरी जिंदगी की हसीन यादों में से एक है | यूँ तो मै लगभग डेढ़ या दो साल से अपनी बहन की चूत मार रहा था और इन दो सालों में मैंने अपनी बहन के साथ हर तरह का मजा लिया था- उसे बिस्तर पे बिछा के चूत मारना, उसे लंड के ऊपर बैठा कर कुदाना, कुतिया बना कर लेना..............और भी बहुत तरह के मगर ये सब रात में बंद कमरे तक ही सीमित था | लेकिन दिन में या खुले में मुझे ये सब करने की छूट नहीं थी | अमृता मम्मी से बहुत डरती थी इसलिए दिन में या खुले में ये सब करने नहीं देती थी |यूँ तो हम दोनों भाई बहन पति-पत्नी की तरह तो लगभग दो साल से साथ रह रहे थे मगर हमने कभी हनीमून नहीं मनाया था |
लेकिन ये बात आज से लगभग नो साल पुरानी है - हमारे पापा का ट्रान्सफर इलहाबाद हो गया था और पापा की तबियत कुछ दिनों से खराब चल रही थी (उन्हें बुखार चल रहा था ) मगर उन्हें छुट्टियाँ नहीं मिल पा रही थी, इसलिए मम्मी पंद्रह दिनों के लिए पापा के पास रहने जा रही थी और हम दोनों भाई बहन अब घर में पंद्रह दिनों के लिए अकेले रहने वाले थे |
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.