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Incest मेरी बहन-मेरी पत्नी
#8
उस पल के लिए किन शब्दों का प्रयोग करूँ मुझे समझ में नहीं आ रहा है | मेरी बहन मुझे पहली बार अपनी चूत दे रही थी और वो भी अपने ही हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगा भी रही थी | मै तो अपनी सुध-बुध खोता जा रहा था |मेरी साँसे बहुत तेज हो गयी थी , दिल कि धड़कन बाद चुकी थी, ऑंखें आनंद से बंद हुए जा रही थी, होठों को अमृता के होंठ चूस रहे थे और मेरा लंड खुद मेरी बहन के हाथ में हो कर उसकी ही चूत के ऊपर था | उस समय मै ऐसा बेसुध हो रहा था, जैसे किसी ने मुझे ड्रग्स का नशा करवा दिया हो | लेकिन सच तो ये है कि वो नशा तो ड्रग्स के नशे से भी बाद कर होता है |

उधर अमृता का भी कुछ कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मेरे लंड को अपनी चूत पर रखते ही मदहोश हो रही थी |उसकी भी ऑंखें नशे से बंद हो रही थी |वो धीरे धीरे मेरे होंठ पी रही थी और मुझे लंड अंदर डालने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी |
मैंने जोश में आकर एक जोर का झटका मारा और अपने लंड को सीधा अपनी बहन कि चूत में ठोंक देना चाहा|लेकिन ऐसा हुआ नहीं | मेरे झटका मारते ही अमृता के मुहं से चीख निकलने लगी जिसे हम दोनों भाई-बहन ने दबा दिया (कुछ तो अमृता ने अपनी छेख रोकने कि कोशिश की और कुछ मैंने उसके होंठो पे अपने होंठ लगा दिए )| अमृता के चेहरे पे दर्द साफ़ उभर रहा था उसने झटके के साथ मेरा लंड अपनी चूत पे से हटा दिया था |
अमृता की आँखों में दर्द के कारन पानी आ गया था| मुझे लगा कि अब अमृताको गुस्सा आ जायेगा और मुझे आगे कुछ करने कि इजाजत नहीं देगी | मुझे लगने लगा कि अब तो मै उसकी चूत मानने का मौका खो बैठा हूँ | मगर हुआ इसका उल्टा, दर्द कम होते ही अपने आप को सँभालते हुए और अपने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए अमृता ने बहुत प्यार से कहा- भईया आराम से करो आपकी सगी बहन कि चूत है किसी दुश्मन कि बेटी की नहीं |
अमृता के मुहं से ऐसी बाते सुनकर मुझे बहुत तसल्ली हुई कि कम से कम अमृता छूट देने से तो इनकार नहीं कर रही है |मैंने अमृता से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी और दुबारा से अपना लंड उसकी छूट पर रखने लगा | एक बार फिर से अमृता ने खुद मेरा लंड अपने हाथ में लिया और हलके हलके सहलाते हुए बहुत मस्ती में बोली- बहन के लंड ये है तेरी बहन कि चूत |मुझे अमृता के साथ दो साल हो चुके थे प्यार करते हुए मगर इन दो सालों में मैंने कभी उसको इतनी मस्ती में नहीं देखा था जितना मै आज देख रहा था | मै बहुत बहुत खुश था उसका ये रूप देख कर | एक अलग ही मानसिक सुख मिल रहा था मुझे |
उसके बाद मैंने अमृता के निर्देशानुसार धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाला | अमृता बार बार मेरा लंड पकड़ कर सेट करती थी | कभी वो मुझे जोर लगाने जो कहती और कभी वापिस बहार निकलने को कहती | जब भी मै थोडा ज्यादा जोर लगा देता वो गुस्सा होते हुए कहती बिलकुल भी तरस नहीं आ रहा अपनी सगी बहन पे ? आराम से करो न प्लीज |
थोड़ी सी तकलीफ के बाद आखिरकार मेरा लंड अमृता कि चूत के अंदर था | हम दोनों कि सांसे बहुत तेज तेज चल रही थी , आनंद का तो शब्दों में बयान करना मुमकिन ही नही है | अमृता ने अपना हाथ मेरे लंड से हटा कर मेरी कमर पर रख लिया था और आंखे बंद करके मेरे नीचे लेती हुई थी | मै अपना लंड पूरी तरह से अपनी बहन कि चूत में डालकर उसके ऊपर ही लेता हुआ था और उसके मदमस्त हो चुके चेहरे को निहार रहा था |
अमृता ने धीरे से आंखे खोली और हलके से पूछने लगी- भईया कैसा लग रहा है ?
मैंने उसे बताया- अमृता मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लंड गरम गरम रूई में डाल दिया गया हो | ये तो बहुत सोफ्ट है | अमृता के चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे मेरे जवाब बहुत अच्छा लगा और मेरा जवाब सुनकर उसे मजा आया |
मैंने भी अमृता से पूछा तुझे कैसा लग रहा है?
वो बोली भईया ऐसा लग रहा है जैसे कोई गरम गरम लोहे कि रोड मेरे अंदर डाल दी गयी हो |
मैंने कहा लेकिन मुझे तो तेरी चूत गरम गरम लग रही है मगर वो बोली कि उसे मेरा लंड गरम गरम लग रहा था |जो भी हो हम दोनों के लिए ये एक नया अनुभव था और हम दोनों ही इस अनुभव में खो जाना चाहते थे |

मेरा गला सूखने लगा और मुझे बहुत तेज प्यास का अनुभव हो रहा था इसलिए मैंने अमृता के होंठ पीने कि कोशिश करी |मगर अमृता ने अपना मुहं घुमा लिया और मुझे किस्स नहीं दी |मैंने दुबारा-तिबारा कोशिश की मगर हर बार उसने मुहं घुमा लिया |
तब मैंने उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़ कर उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा- बहन प्लीज किस्स दे दे मेरा गला सूख रहा है |
वो बोली -नहीं भईया होंठ नहीं, पीने है तो बूब्स पियो |
मैंने उसके बूब्स पीने कि कोशिश भी कि मगर लंड चूत में होने के कारन कर नहीं सका क्योकि बूब्स पीने के लिए मुझेझुकना पड़ता और उससे मेरे लंड का चूत से बहार निकल जाने का डर था | पहले ही बहुत मुश्किल से लंड चूत में गया था मै दुबारा रिस्क लेना नहीं चाहता था | इसलिए मैंने उसके बूब्स को पीने कि ज्यादा कोशिश नहीं की और दुबारा से उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा - बहन प्लीज दे दे न मेरा गला बहुत सूख रहा है, बहुत जोर से प्यास लगी है और तेरी चुचिया नहीं चूसी जा रही , प्लिज्ज्ज्जज्ज्ज्ज बहन दे दे न |

मेरी इतनी रेकुएस्ट सुनकर अमृता के चेहरे पर गर्व के भाव उभर आये और ऐसा लगा जैसे उसको कोई अत्मियिक संतुष्टि मिली हो कि आज एक पुरुष उसके आगे गिडगिडा रहा है इसलिए अमृता ने बिना कोई विरोध किये अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए और मुझे पीने के लिए अपने होंठ सौंप दिए | मै अमृता के होंठ पीने लगा और अपने दायें हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसकी चूत भी मारने लगा |

इस समय मै अपनी बहन के होंठ भी पी रहा था, उसकी चूची भी दबा रहा था और चूत भी मार रहा था |
अमृता किसी नशेडी के सामान अपने होश खो चुकी थी और आज वो खुद मुझे बहुत गन्दी गन्दी गालियाँ दे रही थी (जबकि हमेशा मै ही उसको ऐसी गलियां दिया करता था )| अमृता के मुहं से गालिया सुनकर मेरा जोश और भी बाद जाता था और उसकी हर गाली के साथ ही मै उसको और भी जोर से झटका मार देता था | उस दिन शायद अमृता मेरे से कही ज्यादा आनंद का अनुभव कर रही थी इसलिए वो मुझसे पहले ही झड गयी थी | जिस पल अमृता झड़ी उसके दोनों हाथ मेरी कमर पर ही थे और उसने अपने नाखुनो से मेरी पूरी कमर छील दी थी | मुझे दर्द तो बहुत हुआ था मगर ये संतुष्टि भी थी कि कम से कम अपनी बहन के साथ मनी इस सुहागरात में मै उसे पूर्ण संतुष्टि दे सका |






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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी बहन-मेरी पत्नी - by neerathemall - 05-08-2020, 02:47 PM



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