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Incest मेरी बहन-मेरी पत्नी
#7
उसको पूरी तरह से नंगा देख कर एक बार फिर से मै अपने होश-ओ-हवास खो बैठा | बीती रात की तरह एक बार फिर से मै इस सोच में पड़ गया कि बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी पड़ी हुई अपनी बहन के बूब्स देखूं या बालों में छिपी हुई उसकी चूत| मै स्तब्ध सा अपनी नंगी बहन को निहारने लगा | इस समय मुझे वो इस दुनिया तो क्या सारी कायनात कि सबसे सुंदर लड़की लग रही थी | उसका गोरा-गोरा बदन किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | लगभग ३० साइज के उसके बूब्स थे उस समय, कमर लगभग २८ और नीचे का साईज लगभग ३४ रहा होगा | ऐसा लग रहा था मनो कोई तराशा हुआ हीरा मेरे बिस्तर पर चमक रहा हो | उस समय मुझे अमृता इतनी सुंदर लग रही थी कि अगर स्वर्ग से कोई अप्सरा भी उतर कर आ जाती और अमृता के बराबर में नंगी हो कर लेट जाती तो भी मै अमृता को ही निहारता, उस अप्सरा को नहीं | बात सिर्फ ये नहीं होती है कि एक नंगी लड़की आपके बिस्तर पर नंगी पड़ी है, बात तो ये होती है कि आपकी अपनी बहन आपके बिस्तर पर खुद आपके लिए बिछी हुई है और आपका इन्तजार कर रही है | अगर किसी भाई कि काली-कलूटी बहन भी उसके बिस्तर पर इस तरह बिछी हुई होगी तो भी वो उसे किसी अप्सरा से बेहतर ही लगेगी , फिर अमृता तो रूप का खजाना थी |[Image: 70049818_005_eda4.jpg]

मै एक तक उसे निहार रहा था-कभी मै उसके बूब्स को देखता और कभी उसकी चूत को मगर अभी तक मैंने उसे छुआ नहीं था , बस स्तब्ध सा खड़ा हुआ निहारे जा रहा था | लेकिन आज अमृता में पूरी तरह से बदलाव आ चूका था | वो कल कि तरह शर्मा नहीं रही थी- उसने ना तो अपने बूब्स को अपनी बाजुओं से छिपाना चाह और ना ही अपनी टांगो से अपनी चूत को छिपाया |आज वो सब कुछ खोल कर लेती हुई थी और आराम से मुझे सब कुछ दिखा रही थी | उसकी आँखों में आज एक अलग सी चमक थी | आज वो खुद भी मेरे लिए उतनी ही बेकरार थी जितना मै हमेशा उसके लिए रहता था |
आखिर कार अमृता ने चुप्पी तोड़ते हुए अब्दे प्यार से पूछा-
क्या देख रहे हो भईया?
मैंने कहा -जानती है अमृता, तेरे साथ रिलेशन में आने से पहले मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मै तुझे इस तरह का प्यार करूँगा | फिर एक दिन तेरे बूब्स देखे और तेरे बारे में सपने देखने लगा | उसके बाद तू खुद मेरी जिंदगी में आ गयी, मुझे प्यार देने लगी और मै तेरे प्यार में खो गया | लेकिन फिर भी मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि एक दिन मै तुझे इस रूप में देख सकूँगा | बस इस लिए जी भर कर देख रहा हूँ |
अमृता ने ठंडी सांस भरते हुए कहा- भईया सोचा तो मैंने भी कभी नहीं था कि एक दिन मै इस तरह से आपके सामने होउंगी , मगर अब आपके बिना रहा नहीं जाता | और जब मै आपके बिना रह ही नहीं सकती तो क्यों ना आपको पूरी तरह से ही पा लूँ | और ये कहते हुए अमृता ने अपनी टाँगे फैला दीं |
उसके टाँगे फ़ैलाने के अंदाज से साफ़ था कि वो अब और इन्तजार नहीं करना चाहती है और मुझे अपनी चूत का निमंतरण दे रही है |
लेकिन मैने उसके माथे को किस्स किया और उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमना शुरू कर दिया | मैंने उसके बदन के हर इंच पर अपने किस्स कि मोहर लगा दी |इस बीच वो मौका देख कर स्थिति के अनुसार मेरा लंड अपने हाथ में ले कर सहला देती थी |उसे किस्स करते करते मै उसके पैर तक पहुँच गया | मैंने उसके पैरों कि उंगलियों को चूस कर उनपर भी अपने नाम कि मोहर लगा दी | अब अमृता के पूरे बदन पर मेरी ही मोहर थी और आज से अमृता मेरी निजी संपत्ति थी ,उसके बदन के एक-एक इंच पर अब मेरा ही अधिकार हो गया था |
अमृता के पैरों को चूम कर मै फिर से ऊपर कि तरफ बड़ा और उसकी चूत को चाटने लगा | अमृता बार बार सिर उठा कर मुझे चूत चाटते हुए देखती और फिर बेसुध हो कर वापिस लेट जाती |
मै ठीक कल जैसा ही उसे सुख देना चाहता था क्योकि मै जनता था कि आज जो कुछ भी हुआ वो कल कि घटना का ही फल था |इस लिए मै पूरी शिददत से उसकी चूत चाट रहा था और वो भी कल ही कि तरह उछल उछल कर मदहोश हुए जा रही थी |
मैंने सोचा था कि मै आज भी अपनी बहन को चूत चूस चूस कर झाड दूंगा , मगर अमृता ने ऐसा होने नहीं दिया | सिर्फ थोड़ी से चूत चुसवा का अमृता ने मेरे बालों को पकड़ कर मुझे बलपूर्वक खीचते हुए ऊपर कि तरफ खींच लिया | अब अमृता मेरे नीचे अपनी टंगे फैला कर लेती हुई थी और मै उसके ऊपर लेता हुआ था | मेरा चेहरा अमृता के चेहरे के सामने था, होंठ होंठो के पास थे, साँसों से साँसे टकरा रही थी और मेरा लंड उसकी चूत के पास टक्कर दे रहा था |
मै अमृता कि आँखों में आँखे डालकर देंखे लगा और ये जानने कि कोशिश करने लगा कि आखिर अमृता क्या चाहती है ? अमृता कि आँखों में बहुत चमक थी चेहरे पर अजीब सी संतुष्टि एवं ख़ुशी के मिले जुले भाव थे | उसकी आँखों कि चमक बता रही थी कि उसे अपने ऊपर गर्व हो रहा है -मनो उसने वो पा लिया हो जो वो पाना चाहती थी |मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए (किस्स किये बिना ) और मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फैहराते हुए वो बोली भईया आज मुझे “ये” चाहिए (और ये कहते हुए अमृता ने मेरा लंड अपने हाथ में ले कर अपनी चूत के ठीक ऊपर लगा दिया) |

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी बहन-मेरी पत्नी - by neerathemall - 05-08-2020, 02:46 PM



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