05-08-2020, 02:46 PM
(This post was last modified: 04-01-2022, 11:44 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
वो पूरा दिन मस्ती में गुजर गया और वो पल आ गए जिसका हम दोनों को बेसब्री से इन्तजार था.............अब रात हो चुकी थी |हम दोनों भाई-बहनों ने खाना खाया और जल्दी से सोने की तैयारी करने लगे | मै जानता था कि जब दिन इतना हसीन था तो रात का आलम क्या होगा ? मुझे पूरा एहसास था कि आज कि रात मेरी जिंदगी कि सबसे यादगार रात साबित होने वाली है और आज रात मुझे अमृता मेरी बहन कि जगह मेरी बीबी के रूप में मिलने वाली है | इसलिए खाना खाते ही हम दोनों भाई बहन बिना मम्मी-पापा के सोने का इन्तजार करे ही अपने कमरे में सोने चले गए | (हमारे सभी कमरों में एसी होने के कारण हम अपने दरवाजे बंद करके ही सोते थे |)
कमरे में जाते ही हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे कि बाँहों में समाकर बिस्तर पर गिर पड़े |हम जानते थे कि अभी मम्मी पापा जाग रहे है इसलिए अभी हम दोनों ने एक दुसरे के कपड़ो के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करी और कपड़ों में ही एक दुसरे को किस्स करते हुए बिस्तर पर गिर गए | उस रात अमृता मुझ पर भारी पड़ रही थी | वो मुझे पागलों कि तरह किस्स किये जा रही थी और मेरे होंठ चूसे जा रही थी | हम दोनों का पलंग तो जैसे जंग का मैदान बन गया था- कभी अमृता मेरे ऊपर होती तो कभी मै अमृता के ऊपर |हम दोनों में तो जैसे किस्स करने और होंठ चूसने कि प्रतिस्प्रधा चल रही थी | थोड़ी देर के बाद जब हमे लगा कि अब मम्मी-पापा सो गए होंगे, अमृता मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गयी |मेरे लंड के ऊपर बैठ कर उसने मेरे दोनों हाथ फैला कर अपने हाथो से ऐसे पकड़ लिए जैसे वो मेरा बलत्कार करने वाली हो |
उसके बाद धीरे धीरे अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ले कर आयी और पूछने लगी-
अमृता -"कुछ चाहिए क्या ?"
मै - "हाँ "
अमृता -क्या ?
मै- चूत (मैंने बिना कोई संकोच किये और बिना कोई पल गवाए साफ़ साफ़ शब्दों में कहा )
अमृता- कल तो दी थी | जी भर के चूसी आपने | अब क्या करोगे?
मै- मारूँगा (अमृता ने पूरे दिन जो मेरा हाल किया था, उसके बाद मुझे ये सब कहने में न तो कोई संकोच हो रहा था और न ही शर्म आ रही थी )
अमृता -क्या? चूत मारोगे ? अपनी सगी बहन की?
मै- (गाली देते हुए) बहन की लोड़ी अब भी कुछ बाकी बचा है क्या ?
अमृता की आँखों में चमक साफ़ दिखाई दे रही थी | ऐसा लग रहा था की वो खुद भी यही सब सुनना चाहती है और सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए नाटक कर रही है |
मगर अमृता अभी और शरारत के मूड में थी, इसलिए बड़ी अदा के साथ बोली -
अमृता- अगर ना दूँ तो ?
मेरे अंदर की हवस बुरी तरह भड़क चुकी थी |अमृता के मुहं से ना सुनकर मै हिंसक हो गया और उसे धक्का देते हुए उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गया और उसी अंदाज में उसके हाथ पकड़ डाले जिस अंदाज में उसने मेरे हाथ पकडे हुए थे |
मै अमृता को गाली देते हुए बोला- बहन की लोड़ी नहीं देगी तो जबरदस्ती ले लूँगा | इस समय मै मन ही मन यही सोच रहा था की अगर आज ये कुतिया मुझे इनकार करेगी तो इसका रेप कर डालूँगा मगर आज इसको नहीं छोडूंगा |
मगर अमृता तो खुद आज किसी और ही मोड़ में थी | वो तो सिर्फ मुझे छेड़ने और उकसाने के लिए ये सब कह रही थी |मुझे परेशान देखा कर उसे मजा आ रहा था | फिर वो मेरे लंड को अपने हाथ से रगड़ते हुए मुस्कुराकर बोली- और अगर खुद ही दे दूँ तो ?
मै ख़ुशी और वासना से पागल होते हुए बोला - जिन्दगी भर तेरी गुलामी करूँगा .......................बस एक बार अपनी चूत दे दे |
अमृता फिर से मुस्कुरायी और मेरे लंड को रगदते हुए ही मेरे होंठों को अपने होंठो से चूसते हुए बोली -
तो ले लो ना रोका किसने है ?
बस फिर क्या था ? मेरे ऊपर तो वासना का भूत सवार हो गया था |
अपनी बहन के मुहं से ये सुनने के बाद कि ले लो न तुम्हे चूत मरने से कौन रोक रहा है ? मेरा अपने ऊपर से पूरी तरह से नियंत्रण खत्म हो चुका था और मै किसी बलात्कारी की तरह अपनी बहन के ऊपर टूट पड़ा | यूँ तो अमृता ने खुद ही मुझे चूत मरने की इजाजत दे दी थी , मगर मै अपने होश-ओ-हवास खो चुका था | मै किसी बलात्कारी की तरह उसके कपडें नोचने लगा | आज फिर से मै उसके कपडे उतरने का सब्र नहीं कर पा रहा था | मै कल की ही तरह उसके कपडे उतार कम रहा था और फाड़ ज्यादा रहा था | मगर आज अमृता ने मुझे ऐसा करने से भी नहीं रोका | बल्कि आज तो वो खुद भी मेरे कपडे लगभग फाड़ ही रही थी | उस समय न तो मुझे ही कपडे फट जाने पर मम्मी का डर सता रहा था और न ही अमृता को | बस हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे को नंगा देखने के लिए इतने उतावले हो रहे थे की सब्र नहीं कर पा रहे थे | और होते भी क्यों नहीं............आखिर सालों के प्यार के बाद आज हम पूरी तरह से एक दुसरे के होने वाले थे |
केवल कुछ ही पलों में मैंने अपनी बहन के बदन से एक-एक करके सारे कपडे नोच डाले और नोच नोच कर पलंग से नीचे फैंक दिए थे (क्योकि आधे से ज्यादा तो कपडे मैंने फाड़ ही डाले थे )| हमारे पलंग के दोनों तरफ हम दोनों के फटे हुए कपडे पड़े थे | अगर कोई उस द्रश्य को देखता तो यही सोचता की यहाँ रेप हुआ होगा, क्योकि जो हाल हमारे कमरे का उस समय हो रहा था उसे देख कर तो ऐसा ही लगता |लेकिन ये रेप नहीं था | जो कुछ भी हो रहा था वो मेरी बहन की मर्जी से ही हो रहा था | मेरी बहन एक बार फिर से मेरे बिस्तर पर पूरी तरह नंगी बिछी हुई थी और वो भी मेरे लिए
![[Image: 66442269_013_d202.jpg]](https://cdni.pornpics.com/1280/7/554/66442269/66442269_013_d202.jpg)
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कमरे में जाते ही हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे कि बाँहों में समाकर बिस्तर पर गिर पड़े |हम जानते थे कि अभी मम्मी पापा जाग रहे है इसलिए अभी हम दोनों ने एक दुसरे के कपड़ो के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करी और कपड़ों में ही एक दुसरे को किस्स करते हुए बिस्तर पर गिर गए | उस रात अमृता मुझ पर भारी पड़ रही थी | वो मुझे पागलों कि तरह किस्स किये जा रही थी और मेरे होंठ चूसे जा रही थी | हम दोनों का पलंग तो जैसे जंग का मैदान बन गया था- कभी अमृता मेरे ऊपर होती तो कभी मै अमृता के ऊपर |हम दोनों में तो जैसे किस्स करने और होंठ चूसने कि प्रतिस्प्रधा चल रही थी | थोड़ी देर के बाद जब हमे लगा कि अब मम्मी-पापा सो गए होंगे, अमृता मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गयी |मेरे लंड के ऊपर बैठ कर उसने मेरे दोनों हाथ फैला कर अपने हाथो से ऐसे पकड़ लिए जैसे वो मेरा बलत्कार करने वाली हो |
उसके बाद धीरे धीरे अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ले कर आयी और पूछने लगी-
अमृता -"कुछ चाहिए क्या ?"
मै - "हाँ "
अमृता -क्या ?
मै- चूत (मैंने बिना कोई संकोच किये और बिना कोई पल गवाए साफ़ साफ़ शब्दों में कहा )
अमृता- कल तो दी थी | जी भर के चूसी आपने | अब क्या करोगे?
मै- मारूँगा (अमृता ने पूरे दिन जो मेरा हाल किया था, उसके बाद मुझे ये सब कहने में न तो कोई संकोच हो रहा था और न ही शर्म आ रही थी )
अमृता -क्या? चूत मारोगे ? अपनी सगी बहन की?
मै- (गाली देते हुए) बहन की लोड़ी अब भी कुछ बाकी बचा है क्या ?
अमृता की आँखों में चमक साफ़ दिखाई दे रही थी | ऐसा लग रहा था की वो खुद भी यही सब सुनना चाहती है और सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए नाटक कर रही है |
मगर अमृता अभी और शरारत के मूड में थी, इसलिए बड़ी अदा के साथ बोली -
अमृता- अगर ना दूँ तो ?
मेरे अंदर की हवस बुरी तरह भड़क चुकी थी |अमृता के मुहं से ना सुनकर मै हिंसक हो गया और उसे धक्का देते हुए उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गया और उसी अंदाज में उसके हाथ पकड़ डाले जिस अंदाज में उसने मेरे हाथ पकडे हुए थे |
मै अमृता को गाली देते हुए बोला- बहन की लोड़ी नहीं देगी तो जबरदस्ती ले लूँगा | इस समय मै मन ही मन यही सोच रहा था की अगर आज ये कुतिया मुझे इनकार करेगी तो इसका रेप कर डालूँगा मगर आज इसको नहीं छोडूंगा |
मगर अमृता तो खुद आज किसी और ही मोड़ में थी | वो तो सिर्फ मुझे छेड़ने और उकसाने के लिए ये सब कह रही थी |मुझे परेशान देखा कर उसे मजा आ रहा था | फिर वो मेरे लंड को अपने हाथ से रगड़ते हुए मुस्कुराकर बोली- और अगर खुद ही दे दूँ तो ?
मै ख़ुशी और वासना से पागल होते हुए बोला - जिन्दगी भर तेरी गुलामी करूँगा .......................बस एक बार अपनी चूत दे दे |
अमृता फिर से मुस्कुरायी और मेरे लंड को रगदते हुए ही मेरे होंठों को अपने होंठो से चूसते हुए बोली -
तो ले लो ना रोका किसने है ?
बस फिर क्या था ? मेरे ऊपर तो वासना का भूत सवार हो गया था |
अपनी बहन के मुहं से ये सुनने के बाद कि ले लो न तुम्हे चूत मरने से कौन रोक रहा है ? मेरा अपने ऊपर से पूरी तरह से नियंत्रण खत्म हो चुका था और मै किसी बलात्कारी की तरह अपनी बहन के ऊपर टूट पड़ा | यूँ तो अमृता ने खुद ही मुझे चूत मरने की इजाजत दे दी थी , मगर मै अपने होश-ओ-हवास खो चुका था | मै किसी बलात्कारी की तरह उसके कपडें नोचने लगा | आज फिर से मै उसके कपडे उतरने का सब्र नहीं कर पा रहा था | मै कल की ही तरह उसके कपडे उतार कम रहा था और फाड़ ज्यादा रहा था | मगर आज अमृता ने मुझे ऐसा करने से भी नहीं रोका | बल्कि आज तो वो खुद भी मेरे कपडे लगभग फाड़ ही रही थी | उस समय न तो मुझे ही कपडे फट जाने पर मम्मी का डर सता रहा था और न ही अमृता को | बस हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे को नंगा देखने के लिए इतने उतावले हो रहे थे की सब्र नहीं कर पा रहे थे | और होते भी क्यों नहीं............आखिर सालों के प्यार के बाद आज हम पूरी तरह से एक दुसरे के होने वाले थे |
केवल कुछ ही पलों में मैंने अपनी बहन के बदन से एक-एक करके सारे कपडे नोच डाले और नोच नोच कर पलंग से नीचे फैंक दिए थे (क्योकि आधे से ज्यादा तो कपडे मैंने फाड़ ही डाले थे )| हमारे पलंग के दोनों तरफ हम दोनों के फटे हुए कपडे पड़े थे | अगर कोई उस द्रश्य को देखता तो यही सोचता की यहाँ रेप हुआ होगा, क्योकि जो हाल हमारे कमरे का उस समय हो रहा था उसे देख कर तो ऐसा ही लगता |लेकिन ये रेप नहीं था | जो कुछ भी हो रहा था वो मेरी बहन की मर्जी से ही हो रहा था | मेरी बहन एक बार फिर से मेरे बिस्तर पर पूरी तरह नंगी बिछी हुई थी और वो भी मेरे लिए
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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